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सोमवार, 6 मई 2024

फैक्ट चेक: क्या यूट्यूबर ध्रुव राठी का असली नाम बदरुद्दीन राशिद लाहौरी हैं? सोशल मीडिया पर वायरल हुआ , जानें पूरा सच

 

फैक्ट चेक: क्या यूट्यूबर ध्रुव राठी का असली नाम बदरुद्दीन राशिद लाहौरी हैं? सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फर्जी दावा, जानें पूरा सच 

 

यूट्यूबर ध्रुव राठी को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रहा है जिसमें में दावा किया जा रहा है कि ध्रुव राठी असल में हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम हैं और उनका असली नाम बदरुद्दीन राशिद लाहौरी, उनका जन्म पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था।

फेसबुक के वायरल पोस्ट में लिखा गया है कि, “इस ध्रुव राठी कि सच्चाई जान लिजिए…* मोदी विरोधी और सनातन विरोधी ऐजेंडा चलाने वाला ध्रुव राठी (कोई माहेश्वरी नही है )… *इसका असली नाम “बदरू राशिद” (पूरा नाम बदरुद्दीन राशिद लाहौरी) है ।* ये पाकिस्तान के लाहौर में पेदा हुआ है और इस कि पत्नी जूली भी पाकिस्तानी है, जिसका असली नाम जुलैखा है।  ये दोनों दाऊद के कराची वाले गुप्त आलिशान बंगले में रहते हैं, जहां पर आइएसआइ और पाकिस्तानी आर्मी की वाई प्लस और जेड प्लस की सिक्योरिटी रहती है…बदरू राशिद (ध्रुव राठी) की फंडिंग पाकिस्तान, चीन, दुबई, मालदिव, कनाडा, रूस, तुर्की और पैंडोरा से होती है…! जॉर्ज सारस के अकाउंट से इसे मोदी का विरोध करने के लिए पेसा भेजा जाता है । लेकीन अब इस देश विरोधी का भंडाफोड़ हो गया है। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अपनी खुफिया रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। सभी सनातनी इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और देश हित में बदरू राशिद की सच्चाई सबको बताएं…

*ध्रुव राठी निकला बदरू*” 
फेसबुक के वायरल पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
फैक्ट चेक:
न्यूज़मोबाइल की पड़ताल में हमने जाना कि वायरल दावा बिल्कुल फर्जी और बेबुनियाद है।

 

क्या वाकई यूट्यूबर ध्रुव राठी मुस्लिम हैं। इस तथ्य की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले गूगल पर कुछ संबंधित कीवर्ड्स के माध्यम से खोजना शुरू किया। खोज के दौरान हमें https://hindi.oneindia.com/ नामक वेबसाइट पर फरवरी 25, 2024 को प्रकाशित एक लेख मिला।

प्राप्त लेख में ध्रुव राठी से जुड़ी कई जानकारियां दी गयी थी। यहाँ बताया गया है कि ध्रुव राठी 29 वर्षीय ध्रुव राठी जाट समुदाय के हैं और हरियाणा के रोहतक के रहने वाले हैं। वह दिल्ली में पले-बढ़े और दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से पढ़ाई की। उन्होंने कार्लज़ूए इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जर्मनी से अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी की, इसके बाद उसी संस्थान से नवीकरणीय ऊर्जा में मास्टर डिग्री हासिल की। यूट्यूबर ने ध्रुव राठी व्लॉग्स नाम से एक और यूट्यूब चैनल भी शुरू किया, जहां वह अपने अंतरराष्ट्रीय यात्रा व्लॉग साझा करते हैं।

 

हालांकि यहाँ ध्रुव राठी से जुड़ी पूरी जानकारी नहीं दी गयी ही थी। इसलिए ध्रुव राठी से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने जीमेल के माध्यम से ध्रुव राठी से सीधा संपर्क कर उनसे ही इस मामले पर जवाब मंगा।

इस दौरान ध्रुव राठी ने हमें मेल पर रिप्लाई करते हुए अपने ही एक यूट्यूब चैनल के वीडियो का लिंक शेयर किया। वीडियो में ध्रुव राठी ने खुद के जीवन पर आधारित मुख्य जानकारियां दी थी।

यहाँ उन्होंने बताया कि ध्रुव राठी का जन्म हरियाणा के रोहतक में अक्टूबर, 1994 में उनका जन्म हुआ। ध्रुव राठी के दादा-दादी रोहतक में ही रहते थे। उन्होंने वीडियो में बताया कि उनकी माता जी एक टीचर थी और उनके पिता एक इंजीनियर थे। ध्रुव राठी ने बताया कि उनके नाना BSF में नौकरी करते थे।

प्राप्त वीडियो से यह साफ़ हो गया कि वायरल दावा पूरी तरह फर्जी है। ध्रुव राठी का जन्म भारत में हरियाणा के रोहतक शहर में हुआ था। इसके बाद उनकी 12 तक की पढ़ाई दिल्ली में बाद ग्रेजुएशन जर्मनी से किया।  ध्रुव राठी असल में हिन्दू के ‘जाट’समुदाय से आते हैं।

क्या आप जानते हैं कॉंग्रेस के चुनाव चिह्न की कहानी ?

नरेश धाकड़ प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच मध्य प्रदेश नई दिल्ली भारत। 

*क्या आप जानते हैं कॉंग्रेस के चुनाव चिह्न की कहानी ?*
कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले हजरत ईमाम हुसैन (अली) को इस्लामिक शौर्य, इस्लामिक संघर्ष और इस्लामिक बलिदान का प्रतीक माना जाता है।

*इस्लाम में मूर्ति या फोटो पूजा 'हराम' है, इसलिए किसी भी फोटो या मूर्ति की पूजा ना करके केवल इस ०५ उंगलियों वाले हाथ के पंजे को ही अव्वल निशान के रूप में पूजा जाता है, और इसी इस्लामिकता के प्रतीक चिह्न को 'कांग्रेस' ने अपना चुनाव चिह्न बनाया।* 

लगभग 99% हिंदुओं को इस बात की जानकारी नहीं थी। जबकि अधिकांश मुसलमानों को यह बात शुरू से ही पता थी। लेकिन कहीं हिन्दू कांग्रेस को वोट देना बंद ना कर दें इसलिए कोई इस पर बात भी नहीं करता था।

*मुसलमानों का धार्मिक निशान 'हाथ का पंजा' होने के कारण मुसलमान अधिक शिद्दत से कांग्रेस का कोर वोटर बनकर जुड़ा रहा जबकि हिंदुओं को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण* और कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदोलन को अपना पेटेंट बनाकर प्रस्तुत करने के कारण जुड़ाव होने के कारण हिन्दू अब तक कांग्रेस से जुड़ा रहा।

*इंदिरा गांधी से पहले तक कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह 'दो बैलों की जोड़ी', फिर 'गाय और बछड़ा' होता था, परंतु कांग्रेस ने भीतर ही भीतर अपना इस्लामीकरण पूरी तरह कर लिया ताकि उनका कोर वोटर मुसलमान संतुष्ट रहे। जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा १३० और चुनाव आचार संहिता के नियमानुसार मानव शरीर का कोई भी अंग चुनाव चिह्न नहीं हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद सन् १९७७ ईस्वी से लेकर अब तक "हाथ का पंजा" कांग्रेस का चुनाव चिन्ह बना हुआ है।* 

*इंदिरा गांधी ने कांग्रेस के विघटन के बाद जब कांग्रेस (आई) को बनाई तो एक स्लोगन बहुत प्रचलित था- "अली का पंजा आलीशान, इंदिरा जी का यही निशान।" परंतु विडम्बना देखिये हिन्दू समाज कभी इन षड्यंत्रों को समझ ही नहीं पाया और मूर्खों की तरह अंधानुकरण कर अपनी ही कब्र खोदने में लगा रहा।* यदि आप बड़े बुजुर्गों से बात करेंगे तो वे इसकी पुष्टि अवश्य करेंगे कि इस प्रकार के नारे उस समय कांग्रेस की पहचान हुआ करते थे। *कांग्रेस ने आज तक भारत का इस्लामीकरण करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा और आगे भी निरंतर लगी हुई है।* 

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*महारानी गायत्री देवी..*
जयपुर राजघराने की एक ऐसी महिला जिसके चारों तरफ नौकरों की फ़ौज होती थी, जिनकी सुंदरता और कार्यों aकी देशभर में सम्मान मिला करता था जो संसद में खड़ी होकर कांग्रेस की धज्जियां उड़ा देती थी बस उनके इसी तेवर से चिढ़ी इंदिरा गांधी ने उनको तिहाड़ में बन्द करवा दिया।

मुंबई में इलाज करवाकर महारानी दिल्ली पहुँची ही थी कि पुलिस उन्हें और उनके भाई भवानी सिंह को राजनीतिक नहीं बल्कि वित्तीय कानूनों में गिरफ्तार कर तिहाड़ में फेंक देती है।

एक ऐसे कमरे में बन्द किया गया जिसमें दो चारपाई भी न आये, शौचालय के नाम पर एक गड्ढा था जो गंदगी से बजबजा रहा था

जेल में यौनकर्मी औरतों को उन्हें गाली देने के लिए छोड़ दिया गया था जो ब्लेड दिखाकर महारानी को धमकी देती थी तेरा चेहरा बिगाड़ दूँगी।

पांच महीने होते होते महारानी गायत्री देवी की तबियत एकदम से नाज़ुक हो गया, अस्पताल में भर्ती तो करवाया मगर वहां भी ऐसा कमरा जिसमें चूहों ने अपनी दुनिया बसाई थी।

इंदिरा गांधी ने उन्हें इतना मजबूर किया कि उनको लिखकर देना पड़ा कि वो इमरजेंसी का सपोर्ट करती हैं साथ ही राजनीति से सन्यास भी ले रही हैं तब जाकर उनको रिहा किया गया।

ऐसी थी कांग्रेस की अम्मा इंदिरा गांधी! ए है कॉंग्रेस के काले कारनामे। इंदिरा गांधी के काले कारनामे बहुचर्चित हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि फिर भी देश की कुछ मूर्ख चमचे, मनमानी तौर पर बने हुए नकली गांधी परिवार पर न्यौछावर हैं।

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