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सोमवार, 14 जून 2021

वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर कानून :
वो प्राप्त आय जिसपर आयकर नही लगता है तथा टेक्स से छूट प्राप्त होती है

आयकर यह शब्द एक ऐसा शब्द है, जिसे जो सुनता है वही चौकन्ना हो जाता है। वह इसलिए कि कहीं वे आयकर विभाग के चक्कर में न फंस जाएं। तो चिंता छोड़ दीजिए क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं ऐसी जानकारी, जिससे आप इनकम टैक्स को लेकर भ्रम में नहीं पड़ेंगे और आपको आयकर विभाग के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे। तो सबसे पहले जान लीजिए कि आयकर के दायरे में कौन - कौन और क्या - क्या चीजें आती हैं?

देश का प्रत्येक वह व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह इनकम टैक्स के दायरे में आता है।

 हालांकि, यह आय के स्रोत के प्रकार पर निर्भर करता है कि वह दायरे में आती है या नहीं।

दरअसल, आय के कुछ स्रोत ऐसे भी होते हैं जिनसे होने वाले कमाई कर योग्य आय के दायरे में नहीं आते हैं। हालांकि, इन छूट के साथ कई शर्तें भी लागू होती हैं। आज इन शर्तों के साथ टैक्स फ्री इनकम यानी कर मुक्त आय के बारे में भी बताएंगे। जैसे- कृषि, तोहफे, ग्रेच्युटी राशि, ईपीएफ और सेवानिवृत्ति के दौरान मिलने वाली राशि इत्यादि।

कृषि से आय
देश में कृषि से प्राप्त होने वाली आय पूरी तरह कर मुक्त होती है। किसानों को खेती से होने वाली आय पर किसी प्रकार को कोई प्रत्यक्ष कर नहीं चुकाना पड़ता।

लाभांश
कंपनी एक्ट के अधीन लाभांश के बंटवारे की राशि कर मुक्त होती है। वह इसलिए क्योंकि कंपनी पहले ही आय पर टैक्स जमा कर चुकी होती है।

अगर आप किसी कंपनी में साझेदार हैं तो लाभांश के हिस्से के तौर पर मिली राशि कर मुक्त होती है।

हालांकि, ध्यान देने योग्य बात यह है कि कंपनी से मिलने वाली वेतन राशि पर कर में छूट नहीं मिलती है।

ईपीएफ
ईपीएफ के मामले में भी अगर व्यक्ति लगातार पांच साल की नौकरी के बाद अगर ईपीएफ की राशि निकालता है तो वह कर मुक्त रहती है।

पीपीएफ
वहीं, अगर पीपीएफ राशि और पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ में निवेश की गई रकम, उस पर मिलने वाला ब्याज एवं मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली राशि तीनों कर मुक्त होती हैं।

ग्रेच्युटी की राशि
कोई व्यक्ति किसी संस्थान में लगातार पांच साल काम करने के बाद उसे ग्रेच्युटी राशि मिलती है। यह राशि कर मुक्त आय में आती है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी कर मुक्त आय में शामिल होती है।

वहीं, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को महज 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी राशि कर मुक्त आय में शामिल होती है।

स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति राशि
वहीं, सरकारी कर्मचारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति लेने पर मिलने वाली राशि में पांच लाख रुपये तक की राशि कर मुक्त होती है।

शैक्षणिक छात्रवृत्ति
सरकार या किसी निजी संगठन से स्टडी या रिसर्च के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप कर मुक्त होती है। हर तरह की स्कॉलरशिप टैक्स के दायरे से बाहर होती है।

पारिवारिक रकम
भारत में आयकर कानून के सेक्शन-10 (2) के तहत अविभाजित हिंदू परिवार से विरासत के रूप में मिली राशि भी कर मुक्त होती है।

इनमें मां-बाप से मिला पैसा, जेवर और प्रॉपर्टी आदि।

पारिवारिक विरासत में मिली संपत्ति, गहने या नकद राशि टैक्स के दायरे से बाहर है।
वसीयत के माध्यम से मिलने वाली जायदाद या राशि पर भी इनकम टैक्स नहीं लगता है।

हालांकि, करदाता को साबित करना होगा कि संबंधित रकम या संपत्ति उसे खानदानी विरासत में मिली है।

वहीं, वसीयत में मिली राशि को निवेश कर की गई कमाई, संपत्ति से कमाई पर टैक्स देना होगा।

तोहफे
आपको जो तोहफे प्राप्त होते हैं वे इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं।

इनकम टैक्स लॉ, 1961 के सेक्शन-56 (2)(x) के तहत आयकर दाता को मिले तोहफों पर टैक्स लगता है।

लेकिन कुछ परिस्थितियों में तोहफों पर भी छूट मिलती है।
जैसे ... शादी के वक्त मिले तोहफो पर टैक्स नहीं देना पड़ता।

लेकिन ये तोहफे चल-अचल किसी भी स्वरूप में 50 हजार रुपये की कीमत से ज्यादा के न हो।

तोहफे और शादी की तारीख में जयादा दिन का अंतर न हों।

इनसे मिले बेशकीमती तोहफे भी कर मुक्त हैं ...

इनमें पति या पत्नी, भाई या बहन, पति या पत्नी के भाई या बहन से मिले तोहफे।
माता-पिता के भाई या बहन, विरासत या वसीयत में मिली संपत्ति।

पति या पत्नी के किसी नजदीकी पूर्वज या वंशज से मिला हुआ तोहफा।

संयुक्त हिंदू परिवार में किसी भी सदस्य की ओर से दिए गए तोहफे।

संस्थाओं से मिले तोहफों पर भी छूट
किसी व्यक्ति स्थानीय प्राधिकरण जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका, नगरीय निकाय समितियों और जिला बोर्ड या कैंटोनमेंट बोर्ड से मिले तोहफे।

सेक्शन-10 (23C) में निर्दिष्ट किसी फंड / संस्था / विश्वविद्यालय या अन्य शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या अन्य किसी संस्थान से मिले तोहफे।

सेक्शन-12ए या 12एए के तहत पंजीकृत किसी चैरिटेबल ट्रस्ट या धार्मिक संस्था से मिले तोहफे भी कर मुक्त श्रेणी में आते हैं।

एनआरई सेविंग/एफडी अकाउंट का ब्याज
भारत में एनआरआई को एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) खाते पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री है। एनआरई बचत खाता और एनआरई एफडी दोनों तरह के खातों पर मिलने वाला ब्याज भी कर मुक्त है।

मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार

एक मृतक के व्यक्तिगत पहचान पत्रों का क्या है वैधानिक आधार,
क्या ये हो जाते बेकार या काम के है हर बार

वोटर आईडी, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट इन सभी डॉक्यूमेंट्स की जरूरत हमें लगती है. लेकिन आपने कभी सोंचा है कि मृत्यु के बाद इन दस्तावेजों का क्या होता है. मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी इनको अपने पास रख सकते हैं या इनको कहीं वापस करना होता है. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में.

*आधार कार्ड*
आधार कार्ड आज के समय में व्यक्ति की पहचान, पते के प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जिससे जरिए बैंक अकाउंट, सरकारी योजनाओं का लाभ आदि के लिए आधार संख्या देनी होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आधार व्यक्ति की पहचान का दस्तावेज है. मृत व्यक्ति के आधार कार्ड को कैंसिल करने की UIDAI के पास कोई प्रक्रिया नहीं है. हालांकि कानूनी उत्तराधिकारियों या परिवार के सदस्यों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आधार का गलल इस्तेमाल न हो.

*मतदाता पहचान पत्र*
मतदाता पहचान पत्र भी एक अहम दस्तावेज है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजिस्ट्रेशन नियम, 1960 के तहत मतदाता पहचान पत्र को व्यक्ति की मृत्यु के बाद कैंसिल कराया जा सकता है. इसके लिए 'मृत व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी को स्थानीय चुनाव कार्यालय में जाना होगा. जहां एक विशेष फॉर्म, यानी फॉर्म नंबर 7 को भरना होगा और इसे रद करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ जमा करना होगा.

*ड्राइविंग लाइसेंस*
मृतक के ड्राइविंग लाइसेंस को सरेंडर करने या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. हालांकि, प्रत्येक राज्य ड्राइवर के लाइसेंस के मुद्दे, निलंबन और रद्दीकरण को अलग से नियंत्रित करता है, इसलिए इस संबंध में राज्य-विशिष्ट नियमों की पुष्टि करना उचित है. इसे रद्द करने के लिए संबंधित आरटीओ कार्यालय जा सकते हैं. इसके अलावा, वारिस भी मृतक के नाम पर पंजीकृत वाहन को उसके नाम पर स्थानांतरित करने की राज्य-विशिष्ट प्रक्रिया की पुष्टि कर सकते हैं.

*पासपोर्ट*
पासपोर्ट के संबंध में, मृत्यु पर सरेंडर या रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है. अपेक्षित अधिकारियों को सूचित करने की कोई प्रक्रिया भी नहीं है. हालांकि, एक बार पासपोर्ट समाप्त हो जाने के बाद, यह डिफ़ॉल्ट रूप से अमान्य हो जाता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि कोई आधिकारिक दस्तावेज संबंधित संस्थानों को सरेंडर नहीं किया जाता है तो कानून के तहत कोई जुर्माना नहीं है. हालांकि संबंधित अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि आधिकारिक दस्तावेजों का बदमाशों द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जा सके. काफी घोटालेबाज भी इन दिनों ऑनलाइन चक्कर लगा रहे हैं और संकट के समय भोले-भाले लोगों का शिकार कर रहे हैं.


नए नियम में ड्राइविंग लाइसेंस ( Driving License) के लिए टेस्ट से छूट मिलेगी

बिना टेस्ट दिए बन जायेगा आपका ड्राइविंग लाइसेंस, लागू हो रहा ये नियम 1 जुलाई से, जानिए आप भी


अगले महीने से ड्राइविंग से जुड़े नियम में बड़ा बदलाव हो रहा है. नए नियम में ड्राइविंग लाइसेंस ( Driving License) के लिए टेस्ट से छूट मिलेगी. दरअसल, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने मान्यता प्राप्त ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स के लिए नियमों को अधिसूचित किया. ये नियम 1 जुलाई, 2021 से लागू होंगे. ऐसे केंद्रों पर नामांकन करने वाले उम्मीदवारों को उचित प्रशिक्षण और जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

बता दें कि वर्तमान में रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) द्वारा ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है. ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

लागू होगा ये नियम

1 जुलाई, 2021 से ड्राइविंग लाइसेंस का अप्लाई करने वाले को मान्यता प्राप्त ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स (Accredited Driver Training Centers) से प्रशिक्षण लेना होगा. ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स की खासियतें-

>> उम्मीदवारों को हाई क्वालिटी ट्रेनिंग प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण केंद्र सिमुलेटर और खास ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक से युक्त होगा.

>> इन सेंटर्स पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत आवश्यकताओं के अनुसार रेमिडियल और रिफ्रेशर कोर्स का लाभ उठाया जा सकता है.

>> इन केंद्रों पर सफलतापूर्वक परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय ड्राइविंग टेस्ट की आवश्यकता से छूट मिलेगी. वर्तमान में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) द्वारा ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है.

>> ड्राइवरों को ऐसे मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स से ट्रेनिंग पूरा करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

>> इन केंद्रों को उद्योगों की जरूरत के अनुसार विशिष्ट ट्रेनिंग भी प्रदान करने की अनुमति है.

कुशल ड्राइवरों की कमी इंडियन रोडवेज सेक्टर में प्रमुख समस्याओं में से एक है. सड़क नियमों के नॉलेज की कमी के कारण बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं. मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 की धारा 8 केंद्र सरकार को ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर्स की मान्यता के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देती है.


दूसरे को बेची कार या बाइक और हो गया हादसा! आपको भरना पड़ सकता है मुआवजा

दूसरे को बेची कार या बाइक और हो गया हादसा! आपको भरना पड़ सकता है मुआवजा, पढ़ लें हाई कोर्ट का फैसला

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बाजार में पुराने वाहनों की खरीद फरोख्त नए के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है। जहां एक तरफ पुराने वाहन खरीदते समय खास ध्यान देने की जरूरत होती है वहीं पुराने वाहन बेचते वक्त भी खासे चौकन्न रहना जरूरी है। यदि आपने अपनी पुरानी कार या बाइक बेच दी और आपको पैसे मिल गए हैं तो यहीं पर आपकी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती है। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं! क्योंकि इस बात की तस्दीक करना बेहद जरूरी है कि उक्त वाहन के दस्तावेज ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में नए मालिक के नाम से दर्ज हुए हैं या नहीं?

क्योंकि हाथ में पैसे आ जाना या फिर वाहन बेचने का कोई डिलीवरी नोट मात्र मिल जाना ही काफी नहीं है।

मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक जब तक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में उक्त वाहन के नए मालिक का नाम दर्ज नहीं हो जाता है तब तक वाहन का असली मालिक पुराना ही होता है। ऐसी स्थिति में किसी भी तरह ही बात होने पर पहले मालिक को ही जिम्मेवार माना जाता है। ऐसे ही एक मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने एक बेहद ही हैरान करने वाला फैसला सुनाया है।

हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट ने एक एक्सीडेंट के मामले की सुनवाई की, इस दौरान कोर्ट ने वाहन बेचने वाले पुराने मालिक द्वारा ही पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वाहन का मालिकाना हक अभी भी पुराने मालिक के ही नाम पर था। मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 50 के मुताबिक, वाहन की बिक्री के बाद, स्वामित्व को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर ही स्थानांतरित किया जाना चाहिए। लेकिन इस मामले में दुर्घटना के समय भी वाहन पुराने मालिक के ही नाम पर था।

दरअसल ये पुराना मामला है जिसमें, एक अपीलकर्ता ने अपने पुराने वाहन को किसी अन्य व्यक्ति के हाथों बेच दिया था और आरटीओ के रिकॉर्ड में वाहन स्थानांनतरण के लिए खरीदार को एक डिलीवरी नोट और आवश्यक दस्तावेज भी सौंप दिए थें। लेकिन इससे पहले कि वाहन खरीदने वाला व्यक्ति इस प्रक्रिया को पूरा कर पाता उस वाहन के साथ एक दुर्घटना हो गया।

इस हादसे में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जिसके बाद पीड़ित व्यक्ति ने उक्त वाहन के खिलाफ एक मामला दायर किया। इस मामले में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, मुंबई ने कहा कि वाहन जिसके नाम पर है वो ही पीड़ित को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है।

इससे पहले 2012 में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, मुंबई ने अपीलकर्ता को ही इस मामले में वाहन का विक्रेमा ठहराया था। इस मामले में कोर्ट ने अपीलकर्ता को ही आदेश दिया था कि वो पीड़ित को प्रति वर्ष 7.4 प्रतिशत के ब्याज के साथ 1,34,000 रुपये के मुआवजे की पूरी रकम का भुगतान करे। इसके बाद, विक्रेता ने मुंबई के उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिसे बाद में खारिज कर दिया गया।

जब अपीलकर्ता हाईकोर्ट पहुंचा तो सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने माना है कि दुर्घटना के दिन, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के रिकॉर्ड में वि​क्रेता ही वाहन का मालिक था। ऐसी स्थिति में विक्रेता को की मुआवजे का भुगतान करना चाहिए। अदालत ने अपनी फैसले की कॉपी में कहा है कि "अपीलकर्ता ने मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 50 के मुताबिक निर्धारित समय के भीतर वाहन के स्थानांतरण की सूचना नहीं दी थी।" इस एक्ट के अनुसार विक्रेता ही उस वाहन का मालिक बना रहा, इस वजह से वो ही दुर्घटना में मुआवजे का उत्तरदायी है।

AM और PM - हमे बचपन से ये रटवाया गया,

मैं समय हूँ

AM और PM

हमे बचपन से ये रटवाया गया,
विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दो
A.M. और P.M. का मतलब होता है।

A.M. : एंटी मेरिडियन (ante meridian)
P.M. : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)

एंटी यानि पहले, लेकिन किसके ?
और पोस्ट यानि बाद में,
लेकिन फिर वही सवाल, किसके ?

 ये कभी साफ नही किया गया क्योंकि ये चुराय गये शब्द का लघुतम रूप था

"किसके = जहां कारक खुद गौण है"
हमारे प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियो में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ साफ दृष्टिगत है।
कैसे ?
देखिये ....
A.M. = आरोहनम मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya

P.M. = पतनम मार्तण्डस्य Patanam Martandasya

सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसी को गौण कर दिया, कैसे गौण किया ये सोचनीय है और बेतुका भी। भ्रम इसलिये पैदा होता है कि अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नही इंगित करते जो कि वास्तविक में है।

आरोहणम्_मार्तडस्य् Arohanam Martandasaya
यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)
और 

पतनम्_मार्तडस्य् Patanam Martandasaya
यानि सूर्य का ढलाव

दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है आरोहनम मार्तण्डस्य (AM),

बारह के बाद सूर्य का अवसान, पतन होता है 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।

 इसलिए कहा जाता है की संस्कृत कई भाषा की जननी है।
🙏आओ लौट चले 🙏
🙏भारत की ओर🙏

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