यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

मोदीजी ने व्यापार डुबो दिया

*मोदीजी ने व्यापार डुबो दिया* 🥱
ऐसा लोग बोल रहे है
किन्तु कोई भी समझ नहीं पा रहा,व्यापार कमजोर क्यो होते जा रहे है।


हकिकत मे online business ने सब व्यापार को चोपट कर दिया है,अगर हम नहीं चेते तो और हालत खराब हो जायेगी।
स्वीकार सब कर रहे है,व्यापार कम हो गया,वजह कोई नहीं जानना चाह्ता
हकिकत ये है,आज की new पीढी अपनी जरुरत का अधिकतम सामान online ही purchase कर रहे है,किन्तु इसमे हम जाने अनजाने अपने पैरो पर कुल्हाडी मार रहे है
*आप शिकार बन रहे हैं*

 भारत का ऑनलाइन मार्किट है कितना बड़ा??जिसका 30% शेयर अमेज़न के पास है और 20-22% फ्लिपकार्ट और बाकी में बाकी सब कम्पनियां।
अफसोस कि कहीं कोई सीधा जबाब नहीं ढूंढ पाया पर अंदाज़ लगा पाया कि कम से कम 10 लाख रुपये प्रति सेकंड सेल है भारत मे ऑनलाइन कम्पनियों की ।
यानी प्रति मिनट 6 करोड़ रुपये मिनट, यानी 360 करोड़ रुपये प्रति घण्टा और एक दिन में लगभग 4 हज़ार करोड़ रुपये
की बिक्री।
एक साल में लगभग 15 लाख करोड़ की सेल जिसका लगभग 50% सिर्फ 2 कम्पनियां कर रही हैं।
ये पैसा पहले मार्किट में आता था,रोटेट होता था पर अब बस ऑनलाइन सेल में ही जा रहा है
ऊपर से तुर्रा ये की ये बिकता इसीलिए है क्योंकि अक्सर ज्यादा सेल वाली चीजों पर सब्सिडी दे रही है ये कम्पनियां मार्किट से दुकानदार को आउट करने के लिए और इसी हिसाब से अगले 5 साल में कर भी देंगी,फिर अपनी मर्जी के रेट ले लेगी,इनके पास अथाह पैसा है ,जिसका सोर्स कोई नही जान सकता ,

*बडी मुश्किल घड़ी है ये भारत के लिए* .......
गौरतलब है कि कुल gst कलेक्शन एक साल में लगभग 12 लाख करोड़ का है यानी एवरेज 15%( 5/12/18/28 का एवरेज )टेक्स माना जाए तो कुल व्यापार जिस पर gst चार्ज होता है( 0% टेक्स वाली आइटम भी इतनी ही बैठेंगी) वो एक साल में लगभग 80 लाख करोड़ का है,यानी कुल व्यापार का लगभग 20% हिस्सा ऑनलाइन कम्पनियां खींच चुकी हैं

* कहीं ऐसा तो नहीं कि PMC के दिवालिया होने का कारण देश का पैसा विदेश जाना हो ?

* किसी जमाने में ईस्ट इंडिया नाम की विदेशी कम्पनी ने व्यापारी बनकर इस देश में घुसपैठ की थी और हमें गुलाम बना लिया था और आज भी विदेशी ऑनलाइन कम्पनियां हमारे देश के व्यापार पर कब्जा कर रही हैं और हम लोग आने वाले खतरे से अनजान 100 -200- 500 रु की बचत के लालच में अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दांव पर लगा रहे हैं ।
* पिछले दिनों देश में जहां जहां बाढ़ आई हुई थी वहां किसी भी ऑनलाइन कम्पनी ने आवश्यक सामग्री नहीं पहुंचाई , वहां स्थानीय दुकानदार ही काम आए । 

*भविष्य के खतरे को पहचानो और बन्द करो ऑनलाइन खरीददारी* ।
इसलिए स्वदेशी अपनाए online को भगाए आपके नज़दीक लोगो के साथ व्यापार करे ।

*यदि आप व्यापारी हैं अथवा देश के प्रति वफादार है तो इस मैसेज को अधिक से अधिक शेयर करें और सोते हुए लोगों को जगाने का प्रयास करें* ।!

हो सकता है उनमें से कोई आपको निगलने के लिए अपना आकार धीरेधीरे बढ़ा रहा हो और आप निरे भावुक होकर उसकी दीनहीन दशा को देखकर द्रवित हो रहे हो इसलिए सावधान हो जाइए

Mast read 👇👇👇
एक बार एक लड़के ने एक सांप पाला, वह लड़का सांप से बहुत प्यार करता था उस सांप के साथ ही खेलता खाता और साथ में ही सोता भी था एक बार वह सांप बीमार जैसा रहने लगा उसने खाना खाना भी छोड़ दिया, यहाँ तक कई दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया तो लड़का परेशान हुआ और उसे वेटरिनरी डॉक्टर के यहाँलेकर गया डॉक्टर ने सांप का पूरा चैक अप करने के बाद उस लड़के से पूछा, 
क्या यह सांप आपके साथ ही सोता है ?
उस लड़के ने कहा, हाँ
डॉक्टर ने पूछा,आपसे बहुत सट के सोता है 
लड़का ने कहा,जीहाँ, मुझसे लिपट कर सोता है डॉक्टर ने पूछा,क्या रात को सांप अपनी पूरी बॉडी को स्ट्रेच करता है ?ये सुन कर लड़का चौंका उसने कहा, हाँ डॉक्टर साहब ये रात को अपनी बॉडी को बहुत बुरी तरह स्ट्रेच करता है और मुझसे इसकी इतनी बुरी हालत देखी नहीं जाती और मैं किसी भी तरह से इसका दुःख दूर नहीं कर पाता डॉक्टर ने कहा, इस सांप को कोई बीमारी नहीं है और ये जो रात को तुम्हारे बिल्कुल बगल में लेट कर अपनी बॉडी को स्ट्रेच करता है वो दरअसल तुम्हें निगलने के लिए अपने शरीर को तुम्हारे बराबर लम्बा करने की कोशिश करता है वो लगातार ये परख रहा है कि तुम्हारे पूरे शरीर को वो ठीक से निगल पायेगा या नहीं और निगल लिया तो पचा पायेगा या नहीं 
लड़का अवाक रह गया 
इस घटना से क्या सीखे? जिनके साथ आप खाते पीते उठते बैठते सोते हैं जरुरी नहीं कि वो भी आपको उतना ही प्यार करते हो जितना आपउन्हें प्यार करते हैं हो सकता है उनमें से कोई आपको निगलने के लिए अपना आकार धीरेधीरे बढ़ा रहा हो और आप निरे भावुक होकर उसकी दीनहीन दशा को देखकर द्रवित हो रहे हो इसलिए सावधान हो जाइए

भगवान का मंगल विधान

*भगवान का मंगल विधान*    

*पुरानी बात है - कलकत्ते में सर कैलाशचन्द्र वसु प्रसिद्ध डॉक्टर हो गये हैं। उनकी माता बीमार थीं। एक दिन श्रीवसु महोदय ने देखा—माता की बीमारी बढ़ गयी हैं, रात्रि का समय था। कैलाश बाबू ने बड़ी नम्रता के साथ माताजी से पूछा- 'माँ, तुम्हारे मन में किसी चीज की इच्छा हो तो बताओ, मैं उसे पूरी कर दूँ।' माता कुछ देर चुप रहकर बोलीं- 'बेटा! उस दिन मैंने बम्बई के अंजीर खाये थे। मेरी इच्छा है अंजीर मिल जायँ तो मैं खा लूँ।' उन दिनों कलकत्ते के बाजार में हरे अंजीर नहीं मिलते थे। बम्बई से मँगाने में समय अपेक्षित था । हवाई जहाज थे नहीं। रेल के मार्ग से भी आजकल की अपेक्षा अधिक समय लगता था। कैलाश बाबू बड़े दुखी हो गये - माँ ने अन्तिम समय में एक चीज माँगी और मैं माँ की उस माँग को पूरी नहीं कर सकता, इससे बढ़कर मेरे लिये दु:ख की बात और क्या होगी ? पर कुछ भी उपाय नहीं सूझा । रुपयों से मिलने वाली चीज होती तो कोई बात नहीं थी ।*

 *कलकत्ते या बंगाल में कहीं अंजीर होते नहीं, बाजार में भी मिलते नहीं। बम्बई से आने में तीन दिन लगते हैं। टेलीफोन भी नहीं, जो सूचना दे दें। तब तक पता नहीं - माता जी जीवित रहें या नहीं, अथवा जीवित भी रहें तो खा सकें या नहीं। कैलाश बाबू निराश होकर पड़ गये और मन-ही-मन रोते हुए कहने लगे—'हे भगवन्! क्या मैं इतना अभागा हूँ कि माँ की अन्तिम चाह को पूरी होते नहीं देखूँगा।'*

*रात के लगभग ग्यारह बजे किसी ने दरवाजा खोलने के लिये बाहर से आवाज दी। डॉक्टर वसु ने समझा, किसी रोगी के यहाँ से बुलावा आया होगा। उनका चित्त बहुत खिन्न था। उन्होंने कह दिया-'इस समय मैं नहीं जा सकूँगा।'*

 *बाहर खड़े आदमी ने कहा- 'मैं बुलाने नहीं आया हूँ, एक चीज लेकर आया हूँ-दरवाजा खोलिये।' दरवाजा खोला गया। सुन्दर टोकरी हाथ में लिये एक दरवान ने भीतर आकर कहा-'डॉक्टर साहब! हमारे बाबूजी अभी बम्बई से आये हैं, वे सबेरे ही रंगून चले जायँगे, उन्होंने यह अंजीर की टोकरी भेजी है, वे बम्बई से लाये हैं। मुझसे कहा है कि मैं सबेरे चला जाऊँगा अभी अंजीर दे आओ । इसीलिये मैं अभी लेकर आ गया। कष्ट के लिये क्षमा कीजियेगा ।'*

 

*कैलाश बाबू अंजीर का नाम सुनते ही उछल पड़े। उन्हें उस समय कितना और कैसा अभूतपूर्व आनन्द हुआ, इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता। उनकी आँखों में हर्ष के आँसू आ गये, शरीर  आनन्द से रोमांचित हो गया। अंजीर की टोकरी को लेकर वे माताजी के पास पहुँचे और बोले—‘माँ! लो - भगवान् ने अंजीर तुम्हारे लिये भेजे हैं।' उस समय माता का प्रसन्न मुख देखकर कैलाश बाबू इतने प्रसन्न हुए, मानो उन्हें जीवन का परम दुर्लभ महान् फल प्राप्त हो गया हो ।*

*बात यह थी कि, एक गुजराती सज्जन, जिनका फार्म कलकत्ते और रंगून में भी था, डॉक्टर कैलाश बाबू के बड़े प्रेमी थे। वे जब-जब बम्बई से आते, तब अंजीर लाया करते थे। भगवान्‌ के मंगल विधान का आश्चर्य देखिये, कैलाश बाबू की मरणासन्न माता आज रात को अंजीर चाहती है और उसकी चाह को पूर्ण करने की व्यवस्था बम्बई में चार दिन पहले ही हो जाती है और ठीक समय पर अंजीर कलकत्ते उनके पास आ पहुँचते हैं! एक दिन पीछे भी नहीं, पहले भी नहीं।

       *!!सीख!!*

*इसे कहते हैं कि परमात्मा जिसको जो चीज देना चाहते हैं उसके लिए किसी न किसी को निमित्त बना ही देते हैं।*

*इसलिए यदि कभी किसी की मदद करने को मिल जाये तो अहंकार न कीजियेगा। बस इतना समझ लीजियेगा कि परमात्मा आपको निमित्त बनाकर किसी की सहायता करना चाह रहे हैं....इसका अर्थ ये हुआ कि आप परमात्मा की नजर में हैं।*

www.sanwariyaa.blogspot.com

function disabled

Old Post from Sanwariya