🚩🏵️‼️छॅंठ पूजा की संपूर्ण कथा‼️🏵️🚩
🌞 ❛❛ छठ पूजा भारत का एक प्राचीन और अत्यंत पवित्र पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है ! यह पर्व दीपावली के छह दिन बाद, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है ! चार दिनों तक चलने वाला यह व्रत भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है ! ❜❜
🌞 छठ पूजा की उत्पत्ति और पौराणिक कथाएं : 〰️
🏵️ द्रौपदी और पांडवों की कथा : 〰️
❛❛ महाभारत काल में जब पांडव जुए में अपना सब कुछ, राज्य, धन, और सम्मान हार गए थे, तब वे गहन दुःख में थे ! उस समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी को छठ व्रत करने का उपदेश दिया ! द्रौपदी ने पूरे मन, श्रद्धा और नियम पूर्वक सूर्य देव की उपासना की ! उन्होंने छठी मैया की आराधना कर यह प्रार्थना की कि उनके परिवार को पुनः सुख और सम्मान मिले ! कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट वापस मिल गया ! तभी से छठ व्रत को संकटों से मुक्ति, समृद्धि और सफलता प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है ! ❜❜
🏵️ राजा प्रियवद और रानी मालिनी की कथा : 〰️
❛❛ प्राचीन समय में राजा प्रियवद और रानी मालिनी संतानहीन थे ! संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया ! यज्ञ पूर्ण होने पर महर्षि ने रानी को यज्ञ की खीर दी !
रानी ने वह खीर ग्रहण की, जिससे उन्हें पुत्र प्राप्ति तो हुई, लेकिन दुर्भाग्यवश वह बालक मृत पैदा हुआ ! ❜❜
❛❛ राजा प्रियवद पुत्र-वियोग के दुःख में श्मशान पहुँचे और अपने प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया ! उसी समय आकाश से एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ, और उसमें से एक देवी अवतरित हुईं ! उन्होंने कहा, “राजन, मैं छठी देवी हूँ, सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ ! यदि तुम मेरी पूजा और व्रत करोगे तो तुम्हें जीवित पुत्र प्राप्त होगा" ! ❜❜
❛❛ राजा प्रियवद ने श्रद्धा से छठी देवी की पूजा की ! देवी प्रसन्न हुईं और उन्हें एक सुन्दर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई !
तभी से यह व्रत संतान-सुख और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाने लगा ! ❜❜
🏵️ भगवान श्री राम और माता सीता की कथा : 〰️
❛❛ लंका विजय के बाद जब भगवान श्री राम अयोध्या लौटे और रामराज्य की स्थापना हुई, तब उन्होंने और माता सीता ने भी कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव की उपासना की ! अगले दिन सप्तमी को उन्होंने उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया ! इस प्रकार उन्होंने लोक कल्याण और परिवार की सुख-शांति के लिए यह व्रत किया ! ❜❜
🏵️ सूर्य पुत्र कर्ण की कथा : 〰️
❛❛ महाभारत के महान योद्धा कर्ण सूर्य देव के पुत्र थे ! वे प्रतिदिन कमर तक जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते थे ! सूर्य की उपासना से ही उन्हें अद्भुत शक्ति और तेज प्राप्त हुआ था ! इसी परंपरा के आधार पर आज भी छठ पर्व में जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाती है ! ❜❜
🌸 छॅंठी मैया का स्वरूप और महत्व : 〰️
❛❛ छठी मैया को सूर्य देव की बहन कहा जाता है ! वे संतान की रक्षक और सुख-समृद्धि की दात्री मानी जाती हैं ! कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया भगवान ब्रह्मा की पुत्री या प्रकृति का छठा अंश हैं ! कई ग्रंथों में उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी भी बताया गया है ! ❜❜
🌄 छॅंठ पूजा की विधि और अवधि : 〰️
🏵️ यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है : 〰️
०१. पहला दिन ( नहाय-खाय ) : 〰️
❛❛ व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन करते हैं ! ❜❜
०२. दूसरा दिन ( खरना ) : 〰️
❛❛ दिनभर निर्जला उपवास रखकर शाम को गुड़-चावल की खीर से व्रत की शुरुआत करते हैं। ❜❜
०३. तीसरा दिन ( संध्या अर्घ्य ) : 〰️
❛❛ अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है ! ❜❜
०४. चौथा दिन ( उषा अर्घ्य ) : 〰️
❛❛ उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है ! और ( छठ व्रत का पारण ) व्रती इस दौरान ३६ घंटे तक निर्जल उपवास करते हैं और भगवान सूर्य तथा छठी मैया से संतान, परिवार के सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं ! ❜❜
🌞 छॅंठ पूजा का संदेश : 〰️
❛❛ छठ पूजा न केवल सूर्य देव की उपासना का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति, जल, और जीवन के प्रति आभार व्यक्त करने का उत्सव भी है ! ❜❜
❛❛ यह व्रत मनुष्य में अनुशासन, शुद्धता, संयम और श्रद्धा का भाव जाग्रत करता है ! ❜❜
❛❛ जो व्यक्ति पूरे समर्पण और भक्ति भाव से छठी मैया की पूजा करता है, उसके जीवन में सुख, शांति, संतान-सुख और समृद्धि का वास होता है ••• !!! ❜❜ ✍
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