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बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीपावली व लक्ष्मी पूजन

*दीपावली व लक्ष्मी पूजन*
4 नवंबर गुरुवार
दिपावली को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है। 
मान्यता है दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है। माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते है।
मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से.
अमावस्या तिथि समाप्त: 05 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक
*पुजन शुभ मुहूर्त*
प्रातः 6:47 बजे से 8:10 तक शुभ का इस के बाद
चर 10:56 से 12:19 तक 
लाभ 12:19 से  1:42 तक
अमृत  1:42 से  3:03 तक 

इस दिन राहुकाल 01:30 से  3:00 तक रहेगा इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते है।
इसके बाद फिर
शाम 4:38 से 6:03 तक शुभ का चौघड़िया 
6:03 से 7:30 तक अमृत का चौघड़िया
सर्वश्रेष्ठ मूहुर्त प्रदोषकाल सांयकाल 5:51 से 8:27 तक रहेगा।
प्रदोषकाल स्थिर लग्न वृषलग्न व कुम्भ का नवमांश रहेगा।
अमृत व चर का चौघड़िया शाम 5:51 से 9:06 रात्रि तक
रात्री 12:22 से 1:56 लाभ का चौघड़िया
लाभ मध्य रात्रि 12:19 से 1:55  तक अंतरात्रि शुभ व अमृत 03:32 से 6:47अगली सुबह तक रात्रि में श्रेष्ठ लग्न वृषलग्न सांय 6:32 से 8:27 सिंह लग्न मध्य रात्रि 12:59 से 3:13 इन मुहूर्त पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

*गोवर्धन पूजा* 
05 नवंबर शुक्रवार
इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त -
प्रातः 06:35 से 08:47 तक
गोवर्धन पूजा का सायंकाल 3:21 से 5:33 तक

*भाई दूज* 
6 नवम्बर शनिवार
भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है।
 शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय  दोपहर 01ः10 से 03ः21 मिनट तक

चकाचौंध में चायनीज के घर कुम्हार का खाली है,कैसे बोलो फिर कह दूँ की भारत में दीवाली है।

चकाचौंध में चायनीज के घर कुम्हार का खाली है,
कैसे बोलो फिर कह दूँ की भारत में दीवाली है।

धन तेरस से लेकर जो त्यौहार दूज तक जाता है,
इतने दिन में ड्रैगन हमसे अरबों नोट कमाता है।

हिंदुस्तानी रुपया जितना पहुँच चीन को जायेगा,
वही पाक से होकर के वापिस आतंक मचायेगा।

नहीं चाइना की झालर समझो शकुनी के पांसे हैं,
एक एक झालर से ही चलती ड्रैगन की साँसे हैं।

पाक चीन ये परम मित्र हैं दोनों पर आघात करो,
दुश्मन से केवल दुश्मन की भाषा में ही बात करो।

अब अपने त्यौहारों में न दुश्मन को समृद्ध करो,
मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो।

हिन्द देश के वासी हो अपने भारत से प्यार करो,
चायनीज की बली चढ़ा निज सैनिक का सत्कार करो।

अपने घर की लक्ष्मी को यूँ ऐसे ना बर्बाद करो,
त्यौहारों के मौसम में न दुश्मन को आबाद करो।

पाक हितैषी चीनी सेना के मंसूबे पस्त करो,
लात मार के सामानों में अर्थव्यवस्था ध्वस्त करो।

चायनीज सामान यहाँ जितने हमने धिक्कार दिए,
समझो उतने दुष्ट पाक आतंकी हमने मार दिए।

मिलकर के सब करो प्रतिज्ञा कड़ी जोड़के रख दोगे,
घर बैठे ही दुश्मन की तुम कमर तोड़के रख दोगे।

सेना लड़ती है सीमा पे तुम भीतर से युद्ध करो,
मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो।

मेरे प्यारे देशवासियों तुम भारत के संबल हो,
भूमिपुत्र की आशा तुम्हीं हो तुम ही सैनिक का बल हो।

राष्ट्रभक्ति के नायक भी तुम स्वदेशी अनुयायी भी,
सावरकर अरविन्द घोष गंगाधर की परछायी भी।

रविन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम की तुम परिभाषा हो,
वर्तमान में देश बदलने की तुम अंतिम आशा हो।

बालकृष्ण राजीव भाई तुम रामदेव की आँधी हो,
स्वदेशी का साथ निभाने वाले महात्मा गाँधी हो।

भरतभूमि की शान स्वयं की संस्कृति के रखवाले हो,
तुम होली के रंग और दियों के तुम्हीं उजाले हो।

चीनी सेना की ताकत को तुम मिलकर अवरुद्ध करो,
मिट्टी वाले दीप जलाकर भूमण्डल को शुद्ध करो।

दिवाली के इस शुभ अवसर पर अपने इर्द-गिर्द रामराज्य स्थापित कीजिए स्वर्ग स्थापित कीजिए और परम आनंदित रहिए।

सभी को मेरा नमस्कार आपका जीवन सुखमय हो ईश्वर आपकी सारी संतुलित मनोकामनाएं पूर्ण करें आज दीपावली का शुभ अवसर आज ही के दिन भगवान श्री राम अयोध्या में रामराज्य स्थापित करने को बुराई के प्रतीक रावण राज्य को नष्ट कर पधारे। 

मित्रों इसी दिन हम भारतीयों के लिए नया साल भी शुरू होता है क्यों नहीं हम हमारे घर में हम जहां तक कर सकते हैं वहां तक राम राज्य के नियमों का पालन करें आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे आपके अपने एरिया में आपके देखने में सुख ही सुख उत्पन्न हो जाएगा दुख के गहरे सागर में भी आप अपनी आत्मा का दर्शन कर प्रभु को अपने नजदीक पाकर परमानंद महसूस कर सकते हैं।

मेरा यह लेख काफी लंबा है और मेरी पुस्तक जीवन उत्सव का एक पार्ट है। दुख के इस गहरे सागर में भी हम कैसे सुखी रहे इस पर यह लेख हैं। कदाचित पढ़ने के बाद आपको यह लगे कि हमने समय खराब नहीं किया इसी आशा में मैं आगे लिख रहा हूं।

तो मुझे किसी ने पूछा क्या हम मरने के बाद स्वर्ग में जाएंगे या नर्क में तो मैंने जवाब दिया मेरे ख्याल से स्वर्ग और नर्क दोनों यही है वर्तमान में है और अपने अपने कार्यों से हम इनका अनुभव करते रहते हैं कोई इंसान परम आनंदित रहता है हर हाल में परम आनंदित रहता है और कोई इंसान अपने आप को हर समय बहुत दुखी महसूस करता है। शारीरिक आर्थिक मानसिक और कई तरह की तकलीफ दोनों को होती है लेकिन कोई उस में भी परम आनंदित रहता है दुख तो उसको भी होता है लेकिन प्रभु इच्छा मानकर उसमें भी दिल में और चेहरे पर मुस्कुराहट होती है संतोष होता है चित शांत होता है विश्वास होता है हर कमी के बाद भी हम मानव जीवन में सर्वोत्तम ही करेंगे। वे यह नहीं देखते कि उनके साथ क्या हो रहा है क्या बर्ताव हो रहा है बल्कि वे इस पर ध्यान देते हैं हम क्या सर्वोत्तम कर सकते हैं और सर्वोत्तम करके दुखों के गहरे सागर में भी परम आनंदित महसूस करते हैं और अपने आप को स्वर्ग में रहना ही महसूस करते हैं हमारे पर क्या बीतेगी या क्या बीत रही है इस पर हमारा कंट्रोल नहीं है लेकिन हम क्या कर सकते हैं इस पर पूरा पूरा हमारा कंट्रोल है तो क्यों नहीं हम बेस्ट करें और जो रिजल्ट आता है उसको सहजता से स्वीकार करें बस स्वर्ग में रहने के लिए यही चाहिए और नहीं तो सर्वोत्तम प्राप्त करके भी कोई न कोई कमी निकाल कर आप दुखी रह सकते हैं आपको इससे कोई नहीं रोक सकता आपको खुद को ही समझाना पड़ेगा और आत्मा से परमात्मा को मिलता हुआ तभी आप देख सकते हैं।

गंभीर रूप से आर्थिक शारीरिक मानसिक अपराध करने वाले अगर प्रायश्चित कर लेते हैं तो वे भी इस परम आनंद को पा सकते हैं डाकू रत्नाकर ने लाखों लोगों की हत्या की लेकिन जब बाल्मीकि बन गए महर्षि बाल्मीकि कहलाए। सच्चे प्रायश्चित में बहुत बड़ी शक्ति होती है हम कल्पना नहीं कर सकते उससे भी बड़ी होती है लेकिन प्रायश्चित सच्चा होना चाहिए।

देखने में तो यह बातें असंभव लगती है लेकिन जब हम यह समझना शुरू करते हैं की  मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है, तो सब कुछ समझ आने लग जाता है परम आनंद प्राप्त होने लग जाता है बस आप सच्चे होने चाहिए एकदम कोहिनूर की तरह कोई लाग लपेट नहीं कोई धोखा नहीं कोई मन में संशय नहीं बस परम आनंद हर परिस्थिति में चित एकदम शांत प्रभु और खुद पर विश्वास। तो आगे शुरू करते हैं सुख और दुख की इस कहानी को।

हम इस भ्रम में हो जाते हैं कि अगर हम कोई लक्ष्य पा लें जैसे सीए बन जाऊं डॉक्टर बन जाऊं इंजीनियर बन जाऊं या बंगला बन जाए सुंदर बीवी मिल जाए करोड़ों रुपए का बैंक बैलेंस सभी लोग मेरी बातें माने तो मेरी जीवन का लक्ष्य पूरा हो जाए। जिनके यह लक्ष्य पूरे हो जाते हैं तो उनको तुरंत महसूस होता है की दुख तो मेरे को मेरे सारे लक्ष्य पूर्ण करने के बाद भी हो रहा है। आदमी ठगा सा रह जाता है कि यह तो मेरा लक्ष्य ही नहीं था मैं तो यूं ही अपने जीवन के अनमोल वर्ष खत्म कर दिए मायाजाल में ही फंसा रहा सब कुछ है लेकिन अगर शरीर मैं कुछ कमी हो गई या बुढ़ापा आ गया तो कुछ भी नहीं है जिनको हम अपना मानते हैं महसूस होता है वे किसी और को अपना मानते हैं और अपने-अपने दायरे में एक दूसरे को अपना मानते हैं और जिन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य पूरा नहीं किया उनको तो यह बात समझ नहीं आती।

तो फिर जीवन का लक्ष्य क्या है तो मेरा यह कहना है

प्रभु और आत्मा का मिलन ही मेरा लक्ष्य है

इस दुनिया में सबसे बड़ा आशीर्वाद है हर हाल में सहज रहना

दोस्तों यह मत कहिए कि 
इनसे तो कंफर्टेबल हूं और उनसे तनाव हो जाता है।

खुद को सबसे सहजता से मिलाना सिखाइए 

सीखने से बड़ा मजा आएगा।

समय जरूर लगेगा लेकिन सीख जरूर जाएंगे। 

डाली पर बैठने वाली चिड़िया नहीं घबराती की डाली टूट गई तो क्या होगा 

साथ रहकर भी सदैव स्वतंत्र,उपयोगी व आशा की किरण बने रहे

दोस्तों सुखी वही है 
जिसका सामर्थ्यवान होते हुए भी काम क्रोध और मोह पर नियंत्रण है और 
जिसके सब संशय परम ज्ञान द्वारा निर्वत हो गए हैं

निश्चल भाव से संपूर्ण प्राणियों के हित में लीन होकर जिसका मन परमपिता में स्थित है वे ब्रह्मवेत्ता शांति ब्रह्म को प्राप्त होते हैं

अगर आपको सुख से जीना है
स्वावलंबी बनकर जीना है 

तो फिर याद रखिए

शक्नोति जीवितुं दक्षो नालसः सुखमेधते ।

दक्ष मानव सुख से जी सकता है आलसी नहीं । अपने आप को किसी न किसी काम में दक्ष बनाए आपके काम की  मिसाल होनी चाहिए दुनिया यह कहे कि अगर यह काम आपने किया है तो सर्वोत्तम ही होगा

दोस्तों मेरा परम विश्वास है की

कर्म आजादी पाने की पहली सीढ़ी है

बहुत प्रसिद्ध जीवन जीने की कला में संस्कृत का एक  श्लोक है

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः

अर्थात हम केवल प्रतिज्ञा कर ले या विचार कर ले 
तो कार्य पूर्ण नहीं होगा जब तक हम लगातार कठोर परिश्रम नहीं करें केवल सिंह रूप से पैदा हो जाने से सिंह की इच्छा मात्र से हिरण  मुंह में नहीं आ जाता सिंह रूपी जन्म लेकर भी संघर्ष तो करना ही पड़ता है

याद रखिए यही स्वर्ग है यही नर्क है

कोई भी कार्य शुरु करने से पहले थोड़ा मुस्कुराए माहौल बदल जाएगा

देखने से पहले मुस्कुराए देखकर नहीं मुस्कुराए बाद में तो यह सोचे कि और क्या बेस्ट कर सकता हूं। समय पर अच्छा ओर मानवीय निर्णय ले और निरन्तर सुधार करते रहे।सभी से प्यार से जुड़े रहे।ईगो बिलकुल नही अपनी बेस्ट परफॉरमेंस पर ध्यान दे। महान,ग्रेसफुल एवं सफल बनने से आपको कोई नहीं रोक सकता

पत्नीे जीवन साथी है परिवार के अन्य सदस्यों के लिए यह नियम रखो

क्या हुआ मेरी तबीयत थोड़ी खराब है तो
क्या हुआ मेरे पास पैसे कम है तो
क्या हुआ किसी ने कुछ बोल दिया तो
क्या हुआ मेरी बात नहीं रही तो
क्या हुआ मेरे मन की नहीं हुई तो
सब कुछ होते हुए भी हम एक है ना
थोड़ा सहारा मैं दूंगा थोड़ा सहारा तू देना
उमंगों से भरा है दिल मेरा
हम जानते हैं खुशियां हमारे मन में हैं कहीं और नहीं
सारे जहां की खुशियां हमारे मन में हैं
हाथों में हाथ डालकर हम सब ठीक कर लेंगे

गमो से कह दो दूर रहो हमसे
अभी हम हंसने के मूड में है

घर में थोड़ा समय दीजिए

किसी के जीवन में कुछ अच्छा करने के लिए आपका अमीर होना या सुंदर होना या ताकतवर होना आवश्यक नहीं है
आवश्यकता है उसको समय देना
आपका उसके प्रति प्रेम व त्याग की भावना
समय समय पर समय देकर सही सलाह देना
विचार विमर्श करना
प्यार और मनुहार से समझाना या समझना

मित्रों हम में से ज्यादातर 60 बरस की उम्र के आसपास है अगर कोई कम का भी है तो सुन ले आगे उसकी भी काम आएगा

60 बरस की उम्र हो गई है आगे की 65 बरस की प्लानिंग इस प्रकार करें

मित्रों 125 वर्ष की उम्र को बहुत लोगों ने जिया है क्या आप इतने समझदार हैं कि आप भी जी सको 
मैं आपको पूछता हूं आप में से कितने लोग 125 वर्ष जीना चाहते हैं और जो नहीं जीना चाहते वह कहीं न कहीं जीने की कला नहीं जानते और जो जानते हैं उनके लिए तो कुछ कहने की जरूरत नहीं है फिर भी मैं कुछ बोलना चाहता हूं

ध्यान रखिए वैसे तो कहा जाता है कि जीवन और मृत्यु प्रभु के हाथ में है लेकिन उसी प्रभु ने आपको, आप अपना जीवन कैसे जिए के लिए, बुद्धि प्रदान की हैं  अगर आप समझदारी से काम लेते हैं तो जीवन को सरलता से एवं बिना इगो के आनंदपूर्वक जी सकते हैं कई बार लोगों को धन सत्ता और अधिकार से यह लगता है कि यही उनका जीवन है और इसी में आनंद है लेकिन सत्यता तो यह है कि दुनिया में कई राजा-महाराजा आए कई बड़े-बड़े नेता बनें  लेकिन उनमें से बहुत सीमित लोगों का नाम आज भी दुनिया में मौजूद है इसलिए आप जो कर रहे हैं समझ रहे हैं क्या दुनिया वही समझती है यह हम को समझना चाहिए और वह काम करना चाहिए जिससे आमजन का बिना कोई पक्षपात किए भला हो सके।

अपने मन को उत्साहित रखें कोई भी बात दिल पर ना लें इज्जत का सवाल नहीं बनाए

बहुत ज्यादा आसक्ति मोह माया या घृणा नहीं करें अपनी तरफ से जो बेस्ट हो सकता है प्रेम और खुशी से करें 

कोई आप पर जोर से चिल्लाए तो आप किसी हालत में तनाव में नहीं आए प्रभु ने आपको दो कान आर पार दिए हैं और बीच में दिमाग दिया है जो दोनों कानों के थोड़ा सा ऊपर होता है जो काम की बात है उसको तुरंत दिमाग में लेते रहें और जो काम की बात नहीं है और जो किसी और सभी के हित में नहीं है तो आर पार निकाल दे ध्यान रहे अगर किसी को आपसे समस्या है तो आर पार निकालना भारी पड़ सकता है उस समय दिमाग काम लेकर उस समस्या को ठीक करने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास करें बाकी प्रभु पर छोड़ दे।

Friend कम से कम 90 मिनट्स नियम से खुद के लिए निकालें जिसमें योगा कसरत हास्य दौड़ना शामिल हो YouTube में आप देख सकते हैं 95 वर्ष के जवान भी अच्छी दौड़ लगा रहे हैं आप भी शुरुआत में धीमे धीमे और धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा सकते हैं इसके लिए आपको अपने मसल्स अपनी हड्डियों और नसों को मजबूत करना पड़ेगा।
परिवार में टोकाटोकी बंद कर दे नियमों की पालना के लिए कहना भी हो तो प्यार से कहें जिद ना करें। 

अपनी वाकपटुता बढ़ाएं प्यार से मुस्कुराते हुए बोले मन में प्रेम हो घृणा बिल्कुल नहीं हो बदले की भावना शुन्य हो और बोलने का या समझाने का एक मात्र उद्देश्य परिवारजनों का हित हो अपनी बात को इशू नहीं बनाए

 एक बार कह दिया बहुत है एक बार से ज्यादा कहने के लिए कम से कम 100 बार सोचे और 7 दिन का कम से कम गेप दे ताकि आपको समझ आ जाए कि यह बात दूसरी बार कहना जरूरी हैं और उस अंतराल में चिंता बिल्कुल नहीं करें  विश्वास रखे परिवार का हर सदस्य अपनी समझ में बेस्ट कर रहा है और समझदार है। हर बार हम खुद सही नहीं होते कभी कभी हम भी गलत हो सकते हैं यह समझना जरूरी है।
अपने आप को नए सोसिअल कमिटमेंट में लगाएं उन लोगों के लिए काम करें जो समाज में पिछड़े हैं या वह बच्चे जिनको मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली है या वह काम करें जो समाज को एक अच्छी नई दिशा दिखाएं। ऐसे कॉमन विचार वाले लोगों का एक ग्रुप बनाएं और उस कमिटमेंट को पूरा करने के लिए अच्छी तरह से लग जाए।
अगर आर्थिक रुप से कमजोर है और काम भी करना पड़े तो वह काम करें जिसमें सत्यता हो तनाव नहीं हो आप अपनी आंखें खुली रखेंगे तो धीरे-धीरे इस तरीके का काम मिल जाएगा मेरे एक मित्र 60 वर्ष की आयु में जब रिटायर हुए तो उनके पास कुछ भी नहीं था और 95 वर्ष की उम्र में कम से कम ₹5000 करोड रुपए के मालिक है उनका स्वास्थ्य भी बिल्कुल फिट है कारण की उन्होंने जो काम किया वह सामाजिक रुप से गलत नहीं था आंखें खुली रखी और जो बिजनेस का निर्णय लिया उसमें सदैव ग्राहक के हित का भी पूरा ध्यान रखा और सदैव सावधान रहकर अच्छे लोगों के साथ ही काम किया उनको भी इस लेवल तक आने में समय लगा
हर हाल में मस्त रहें प्रभु पर विश्वास रखें आंखें खुली रखें समय समय पर उचित निर्णय लेते रहे अच्छे नियमों का पालन करें कभी कोई ऐसा काम नहीं करें जिस को करने से आपकी आत्मा रोके
 

इसलिए सब्र से उपरोक्त नियमों का पालन करते हुए आप फिट रहते हुए अच्छा काम कर सकते हैं अपने पर पूरा विश्वास रखिए आप ही अपनी जिंदगी बदलोगे कोई और आपकी जिंदगी बदलने के लिए आने वाला नहीं है आप सुधरोगे जग सुधरेगा। मैंने 60 वर्ष के बाद आगे के 65 वर्ष की प्लानिंग बताई है लेकिन बहुत सारे लोग इस से भी आगे चले जाते हैं सब कुछ आप पर खुद पर ही निर्भर है।

सोचो साथ क्या जाएगा अभी नहीं सोचा तो भविष्य में पछतावा रहेगा की इस दुनिया में आए और कुछ नहीं किया शिवाय तेरी और मेरी के

अच्छी नीयत रखिए सो अच्छी तरह से पाएंगे सुख पाएंगे

मन और बुद्धि को संतुलित रखिए
न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्।।

जिस में भावना,मानवता नहीं, जो इंद्रिय सुख में ही लिप्त व लालची है उसे कभी शांति नहीं होती ओजस्वी जीवन, सुखमय परिवार व खुशी के लिए मन और बुद्धि को अच्छे कामों में लगाइए दानी रहिए जीवन सुखमय रहेगा
बड़ी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई,बड़े परिवार से होना या साधन संपन्न होना से भी बड़ी चीज है नियत। नियत अच्छी नहीं होने पर न केवल आप को दुर्भाग्यशाली होते हैं बल्कि हर समय किसी न किसी को अपना मालिक बना कर रखना पड़ता है तनाव में रहना पड़ता है गलत आदतें अपने आप लग जाती है आपका स्वभाव दीन-हीन से क्रूरता तक जितने लेवल तक आपकी नियत खराब है वहां तक पहुंचा देती है मानव होने का सुख आपको नहीं मिल सकता पाशविक सुख मिल भी जाए तो थोड़ी देर का ही होता है।
जिसकी नियत अच्छी नहीं है वह जब चाहे बदल सकता है शर्त यही है कि सच्चा पश्चाताप हो आपकी आंखों में पश्चाताप के आंसू हो आपके चेहरे पर एवं मन में आत्मा में अच्छी नियत अपनाने की दृढ़ता अपने आप दुनिया को दिखने लग जाती है और वह सारे सुख मिलने लग जाते हैं।
सुख भी कई प्रकार के होते हैं इज्जत का सुख धन का सुख शारीरिक सुख स्वस्थता का सुख पारिवारिक सुख आदि आदि और इन सभी सुखों को प्राप्त करने के लिए इन सभी पर आपको मेहनत करनी होती है।
अच्छी नियत साधनहीन को साधन संपन्न बना देती है बस आप में धैर्य लगन, कड़ी मेहनत, विजन,ग्रुप में काम करना आना व समय पर उचित निर्णय लेना आना चाहिए जितने लेवल के यह सब आप में हैं उतने लेवल की सफलता सुनिश्चित है।
ग्रुप में काम करना आना बहुत जरूरी है इसके लिए सबसे पहले न्यायिक सोच ग्रुप में सभी की भावनाओं को उचित स्थान प्रदान करना ट्रांसपरंट रहना मिठास के साथ बोलना भय रहित ओपन कम्युनिकेशन रहना एक दूसरे की सुनना समझना किसी की भी उचित बात को तुरंत समर्थन देना एवं कम से कम एक अच्छे मानवीय कमिटमेंट पर काम करना आना चाहिए।
हम में से ही किसी की बहुत इज्जत होती है और किसी को कोई नहीं या बहुत लिमिटेड लोग पसंद करते हैं इसका मुख्य कारण उपरोक्त में से ही है आइए हम सब अच्छी नियत की तरफ अग्रसर करें और अपने माइंड सेट को समझाएं

जब जब कोई समस्याएं तो क्या करें

भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास एवं रामराज्य तक में आप क्या सीखते हो?
हमारी महान कथा रामायण हमें सिखाती है
जब कोई रास्ता नजर नहीं आए,
अंधेरों में घिर जाएं
कोई साथ नहीं दे
तो प्रार्थना करें
अपने मन वचन एवं कर्म को एक रखें
दिल और आत्मा की आवाज सुने
धैर्य से प्रभु पर विश्वास रखें
मान अपमान की परवाह नहीं करें
सदैव याद रखें
घोर अंधेरी रात के बाद भी
सुबह की किरण जरूर आती है
उत्तम रास्ता निकलेगा
बस तु आंखें खुली रखकर
निर्णय सच्चा लेना
उस समय एक ही बात याद रखना
प्रभु मेरी परीक्षा ले रहे हैं
मैं नंबर वन ही रहूंगा
उच्चतम स्तर का आदर्श स्थापित रखूंगा

रोज सुबह उठते स्वयं खुद से वादा करें मैं सरल रहूंगा हर बात प्यार से एवं मुस्कुराते हुए करूंगा आटे में नमक से ज्यादा क्रोध नहीं करूंगा

आंखें मन का दर्पण है उनको पढ़ना सीखिए अंतरात्मा प्रभु से जुडी होती है उसको सुनना एवं मानना सीखिए

आंखें इंसान के मन का दर्पण है आंखें पढ़ने वाले को समझ आ जाता है की सामने वाला क्रोधित है,मुस्कुरा रहा है,ईर्ष्या हो रही है,घृणा हो रही है,तारीफ हो रही है,जलन हो रही है,मन में अच्छी या बुरी भावना है,कपट का खेल खेला जा रहा है या स्नेह है कई बार हम को समझ आ जाता है और कई बार हमको समझ नहीं आता लेकिन हमारी अंतरात्मा हमें अलर्ट कर देती है की सब कुछ  ठीक नहीं है जब तक आपको आंखें पढ़ना नहीं आए तब तक और उसके बाद भी आप अपनी अंतरात्मा से जरूर पूछें अंतरात्मा का डायरेक्ट कनेक्शन ईश्वर से होता है वह कभी भी गलत नहीं होती आंखें पढ़ना सीखिए और अंतरात्मा से बात करना भी जरूर  सीखें आपको कभी भी धोखा नहीं होगा।

आत्म संतुष्टि परम आनंद जीने का अर्थ पाने के लिए मन वचन व कर्म एक जैसे रखिए
यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः !चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता !! साधुत्व स्वभाव या महान पुरुष केमन वचन व कर्म में कोई अंतर नहीं होता।इस के लिये अपनत्व सजगता समझदारी, उच्च स्तरीय चरित्र और धैर्य रखें। क्रोध,घृणा,ईगो,ईर्ष्या या बदले की भावना का पूर्णतया त्याग करेंसभी के हितों का भी पूरा ध्यान रखें फिर वह जो बोलते हैं वही बात महान बात बन जाती है। आत्म संतुष्टि परम आनंद जीने का अर्थ वही पा सकते हैं।

दुख का कारण बनते हैं एवं भविष्य बनाते हैं दूसरों के द्वारा किए हुए कर्म के प्रत्युत्तर मे भी आप बहुत अच्छा ही करें

ना किसी के अभाव में जियो ना किसी के प्रभाव में

बंद मुट्ठी आए हैं खाली हाथ जाएंगे
जब तक जीवित है दान और अंत में देह दान दीजिए
हम सब यात्री हैं यात्रा का आनंद लीजिए।

दिवाली के इस शुभ अवसर पर अपने इर्द-गिर्द रामराज्य स्थापित कीजिए स्वर्ग स्थापित कीजिए और परम आनंदित रहिए।

मैं हैप्पीनेस थिंकर बीपी मूंदड़ा आपके सुखद: जीवन की कामना करता हूं। आपको यह लेख अच्छा लगे तो जरूर इस पर अपनी टिप्पणी कीजिए मुझे बहुत अच्छा लगेगा और मैं भी पढ़ने को उत्सुक रहूंगा। Happiness thinker bpmundra

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