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गुरुवार, 30 जुलाई 2020

उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है


उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है

कंपनी खोलना एक जुलाई से बहुत आसान हो गया है. घर बैठे सिर्फ आधार के जरिये कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा. सरकार ने सेल्फ डिक्लरेशन (स्व-घोषणा) के आधार पर कंपनी के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए नए दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं. नये दिशानिर्देश एक जुलाई 2020 से प्रभावी होंगे. अभी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कई तरह के दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि यह इनकम टैक्स और जीएसटी की प्रणालियों के साथ उद्यम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को जोड़ने से संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि जो भी जानकारियां प्रदान की जायेंगी, उनका सत्यापन स्थायी खाता संख्या (पैन संख्या) और जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) से किया जा सकता है.


एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "आधार नंबर के आधार पर किसी उद्यम को पंजीकृत किया जा सकता है. अन्य विवरण किसी भी कागज को अपलोड करने या जमा करने की आवश्यकता के बिना स्व-घोषणा के आधार पर दिये जा सकते हैं. इस तरह से अब किसी भी डॉक्यूमेंट को अपलोड करने की जरूरत नहीं होगी.’’ अधिसूचना में यह भी कहा गया कि अब लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) इकाइयों को उद्यम के नाम से जाना जायेगा. यह शब्द उपक्रम शब्द के अधिक करीब है. इसी तरह पंजीकरण प्रक्रिया को अब ‘उद्यम पंजीकरण’ कहा जायेगा.

जैसा कि पहले घोषित किया गया था, ‘प्लांट, मशीनरी अथवा उपकरण’ में निवेश और 'कारोबार' अब एमएसएमई के वर्गीकरण के लिये बुनियादी मानदंड हैं. अब किसी भी उद्यम के टर्नओवर की गणना करते समय वस्तुओं या सेवाओं या दोनों के निर्यात को उनके टर्नओवर की गणना से बाहर रखा जायेगा, भले ही संबंधित उपक्रम सूक्ष्म हो या लघु हो या मध्यम.

बयान में कहा गया, "पंजीकरण की प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा सकती है. पोर्टल की जानकारी एक जुलाई 2020 से पहले सार्वजनिक कर दी जायेगी.’’ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एक जून 2020 को निवेश एवं कारोबार के आधार पर एमएसएमई के वर्गीकरण के नये मानदंडों की अधिसूचना जारी की थी. नये मानदंड एक जुलाई 2020 से प्रभावी होने वाले हैं.

एमएसएमई मंत्रालय ने उसी के आधार पर शुक्रवार को एक विस्तृत अधिसूचना जारी की. एमएसएमई मंत्रालय ने जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर सिंगल विन्डो सिस्टम के रूप में एमएसएमई के लिये एक मजबूत सुविधा तंत्र भी स्थापित किया है. बयान में कहा गया, "यह उन उद्यमियों की मदद करेगा, जो किसी भी कारण से उद्यम पंजीकरण दर्ज करने में सक्षम नहीं हैं. जिला स्तर पर, जिला उद्योग केंद्रों को उद्यमियों की सुविधा के लिये जिम्मेदार बनाया गया है."

जिन लोगों के पास वैध आधार नंबर नहीं है, वे इस सुविधा के लिये सिंगल विन्डो सिस्टम से संपर्क कर सकते हैं. आधार नामांकन अनुरोध या पहचान के साथ, बैंक फोटो पासबुक, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस और सिंगल विंडो सिस्टम उन्हें आधार संख्या प्राप्त करने के बाद पंजीकरण करने में सुविधा प्रदान करेगा. एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के वर्गीकरण, पंजीकरण और सुविधा की नयी प्रणाली एक अत्यंत सरल, तेज, सहज और पूरी दुनिया में सबसे आसान होगी. यह कारोबार सुगमता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा.

1 जुलाई 2020 के बाद में जिन व्यक्तियों का उद्योग आधार या एमएसएमई रजिस्ट्रेशन किया हुआ है उन्हें उद्यम रजिस्ट्रेशन में कन्वर्ट करना जरूरी है अन्यथा वह एमएसएमई यूनिट lepsed माने जाएंगे और उन्हें MSME आधार पर जो सब्सिडी एवं सरकारी सहायता प्राप्त होती है उद्यम रजिस्ट्रेशन के बिना वे यूनिट इसके लिए eligible नहीं होगी

उद्यम रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में एक जुलाई 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक पैन कार्ड और जीएसटी नंबर अनिवार्य नहीं है इसके बाद पैन कार्ड एवं जीएसटी नंबर अनिवार्य रहेगा
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गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है

*बेईमानी का पैसा*
 *पेट की एक-एक आंत*
 *फाड़कर निकलता है।*

        *एक सच्ची कहानी।*
रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, 
उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया 
जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है 
और शायद उस पाप से, जिस में वह भागीदार बना, उस से भी बचा सकता है।
      मेडिकल स्टोर अपने स्थान के कारण, काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। 
लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि *धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है*
 और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई।

रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। 

अपनी कमाई से मैंने जमीन और कुछ प्लॉट खरीदे और अपने मेडिकल स्टोर के साथ एक क्लीनिकल लेबोरेटरी भी खोल ली।

 लेकिन मैं यहां झूठ नहीं बोलूंगा। मैं एक बहुत ही लालची किस्म का आदमी था, क्योंकि मेडिकल फील्ड में दोगुनी नहीं, बल्कि कई गुना कमाई होती है।

शायद ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे, कि मेडिकल प्रोफेशन में 10 रुपये में आने वाली दवा आराम से 70-80 रुपये में बिक जाती है।

 लेकिन अगर कोई मुझसे कभी दो रुपये भी कम करने को कहता तो मैं ग्राहक को मना कर देता। 
खैर, मैं हर किसी के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं।

वर्ष 2008 में, गर्मी के दिनों में एक बूढ़ा व्यक्ति मेरे स्टोर में आया। 
उसने मुझे डॉक्टर की पर्ची दी। मैंने दवा पढ़ी और उसे निकाल लिया। उस दवा का बिल 560 रुपये बन गया।

 लेकिन बूढ़ा सोच रहा था। उसने अपनी सारी जेब खाली कर दी लेकिन उसके पास कुल 180 रुपये थे। मैं उस समय बहुत गुस्से में था क्योंकि मुझे काफी समय लगा कर उस बूढ़े व्यक्ति की दवा निकालनी पड़ी थी और ऊपर से उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे।

बूढ़ा दवा लेने से मना भी नहीं कर पा रहा था। शायद उसे दवा की सख्त जरूरत थी। 
फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, "मेरी मदद करो। मेरे पास कम पैसे हैं और मेरी पत्नी बीमार है।
 हमारे बच्चे भी हमें पूछते नहीं हैं। मैं अपनी पत्नी को इस तरह वृद्धावस्था में मरते हुए नहीं देख सकता।"  

लेकिन मैंने उस समय उस बूढ़े व्यक्ति की बात नहीं सुनी और उसे दवा वापस छोड़ने के लिए कहा। 

यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि वास्तव में उस बूढ़े व्यक्ति की दवा की कुल राशि 120 रुपये ही बनती थी। अगर मैंने उससे 150 रुपये भी ले लिए होते तो भी मुझे 30 रुपये का मुनाफा ही होता। 
लेकिन मेरे लालच ने उस बूढ़े लाचार व्यक्ति को भी नहीं छोड़ा। 

फिर मेरी दुकान पर खड़े एक दूसरे ग्राहक ने अपनी जेब से पैसे निकाले और उस बूढ़े आदमी के लिए दवा खरीदी। 
लेकिन इसका भी मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। मैंने पैसे लिए और बूढ़े को दवाई दे दी।

वक्त बीतता चला.....
 वर्ष 2009 आ गया। मेरे इकलौते बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया। 
पहले तो हमें पता ही नहीं चला। लेकिन जब पता चला तो बेटा मृत्यु के कगार पर था। 
पैसा बहता रहा और लड़के की बीमारी खराब होती गई।

 प्लॉट बिक गए, जमीन बिक गई और आखिरकार मेडिकल स्टोर भी बिक गया लेकिन मेरे बेटे की तबीयत बिल्कुल नहीं सुधरी। 
उसका ऑपरेशन भी हुआ और जब सब पैसा खत्म हो गया तो आखिरकार डॉक्टरों ने मुझे अपने बेटे को घर ले जाने और उसकी सेवा करने के लिए कहा।

 उसके पश्चात 2012 में मेरे बेटे का निधन हो गया। मैं जीवन भर कमाने के बाद भी उसे बचा नहीं सका।

2015 में मुझे भी लकवा मार गया और मुझे चोट भी लग गई। 
आज जब मेरी दवा आती है तो उन दवाओं पर खर्च किया गया पैसा मुझे काटता है 
क्योंकि मैं उन दवाओं की वास्तविक कीमत को जानता हूं। 

एक दिन मैं कुछ दवाई लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गया और 100 रु का इंजेक्शन मुझे 700 रु में दिया गया। 
लेकिन उस समय मेरी जेब में 500 रुपये ही थे और इंजेक्शन के बिना ही मुझे मेडिकल स्टोर से वापस आना पड़ा। 
*उस समय मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की बहुत याद आई* और मैं घर चला गया।

मैं लोगों से कहना चाहता हूं, कि ठीक है कि हम सभी कमाने के लिए बैठे हैं
 क्योंकि हर किसी के पास एक पेट है। लेकिन वैध तरीके से कमाएं, ईमानदारी से कमाएं । 
गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है,
 क्योंकि *नरक और स्वर्ग केवल इस धरती पर ही हैं, कहीं और नहीं।* और आज मैं नरक भुगत रहा हूं। 

*पैसा हमेशा मदद नहीं करता। हमेशा ईश्वर के भय से चलो।*
 *उसका नियम अटल है क्योंकि*
 *कई बार एक छोटा सा लालच भी हमें बहुत बड़े दुख में धकेल सकता है।*
🙏🙏

34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव -नई शिक्षा नीति 2020

*✅  नई शिक्षा नीति 2020*

*✍️..10वीं बोर्ड खत्‍म, केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड, MPhil होगा बंद, अब कॉलेज की डिग्री 4 साल की!*
कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है.
👉नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा.
👉बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा.
👉अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा.
*👉9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा.*
*👉वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.*
👉3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे, अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे!

*🔅नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदु*

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति आज हमारे सामने है|
भारत का स्वयं ‘विश्वगुरु’ एवं ‘आत्मनिर्भर’ बनने का सपना पूर्ण होने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है||
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने मंत्रालय के नाम में परिवर्तित करने का सुझाव दिया पहले इसे मानव संसाधन मंत्रालय के नाम से जाना जाता था अब इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा|
कुल 27 मुद्दे इस नीति में उठाये गए है जिनमे से 10 मुद्दे स्कूल शिक्षा से सम्बंधित, 10 उच्च शिक्षा से सम्बंधित और 7 अन्य महत्वपूर्ण शिक्षा से जुड़े विषय है|
शिक्षा नीति में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान अपर जोर दिया गया है|
गणित, विज्ञान, कला, खेल आदि सभी विषयो को समान रूप से सीखाने पर जोर दिया गया है|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूल्याङ्कन व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन की बात कटी है और इसमें स्वयं, शिक्षक और सहपाठी के भी भागीदारी की बात करती है|
समग्रता:
पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को एक व्यवस्था मानकर इस पर समग्र विचार हुआ है|
बहुभाषा और भारतीय भाषाओँ के शिक्षण पर जोर देने के साथ ही मातृभाषा में शिक्षण की आवश्यकता को समझते हुए इस पर जोर दिया गया है|
शिक्षा को संकाय (Faculty) के विभाजन से मुक्त करके, शिक्षा की समग्रता पर जोर दिया गया है|
सभी ज्ञानों की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने और सीखने के विभिन्न क्षेत्रों के बीच में हानिकारक पदानुक्रमों को खत्म करने और कला और विज्ञान के बीच, कला और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठिन अलगाव नहीं होगा।
इस प्रकार, यह सभी विषयों - विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, भाषा, खेल, गणित - स्कूल में व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के एकीकरण के साथ समान जोर सुनिश्चित करेगा।
कला, क्विज़, खेल और व्यावसायिक शिल्प से जुड़े विभिन्न प्रकार के संवर्धन गतिविधियों के लिए पूरे साल बस्ता रहित दिनों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति पर जोर:  कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उसके बाद तक, घरेलू भाषा/मातृभाषा /स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी।
व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार: प्रत्येक बच्चा कम से कम एक व्यवसाय सीखे और कई और बातों से अवगत हो। इससे श्रम की गरिमा पर और भारतीय कला और शिल्पकला से जुड़े विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षण-प्रशिक्षण के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम को विशेष महत्व

*उच्च शिक्षा*
3. गुणवत्ता की शर्तें और संकलन- भारत के नागरिक शिक्षा प्रणाली के लिए एक नया और आधुनिक दृष्टिकोण: 
एक व्यक्ति को एक या अधिक विशिष्ट क्षेत्रों का अध्ययन करने में सक्षम बनाना चाहिए गहन  स्तर पर रुचि, और चारित्रिक, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की भावना, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषा सहित विषयों की एक सीमा से परे साथ ही पेशेवर, तकनीकी और व्यावसायिक विषय को शामिल करते हुए  21 वीं सदी की क्षमताओं को विकसित करना  है। 
उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए व्यक्तिगत उपलब्धि और ज्ञान, रचनात्मक सार्वजनिक सहभागिता और समाजोपयोगी  योगदान को सक्षम करना चाहिए। 
4. इंस्टीट्यूशनल रिजल्ट और कंसॉलिडेशन
2040 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को  बहु-विषयक संस्थान बनना होगा, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या अधिक छात्र होंगे।
विकास सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थानों में होगा, जिसमें बड़ी संख्या में उत्कृष्ट सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर जोर होगा

5. एक अधिक ऐतिहासिक और बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम: 
एक समग्र और बहुआयामी शिक्षा मानव के बौद्धिक, सौंदर्य, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तरीके से विकसित करने का लक्ष्य रखेगी। 
भाषा, साहित्य, संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, शिक्षा, गणित, सांख्यिकी, शुद्ध और अनुप्रयुक्त विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या आदि विभागों को सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित और मजबूत किया जाएगा।
7. अंतर्राष्ट्रीयकरण
उच्च प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
11. शिक्षा में योग्यता और समावेश
उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में लैंगिक  संतुलन बढ़ाना 
सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उठाए जाने वाले कदम:
उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अवसर लागत और शुल्क को कम करें|
लोक- विद्या(holistic and Multidisciplinary education) अर्थात, भारत में विकसित महत्वपूर्ण व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ हो जाएगा।
भारतीय भाषाओं में और द्विभाषी रूप से पढ़ाए जाने वाले अधिक डिग्री पाठ्यक्रम विकसित करना
वंचित शैक्षिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए सेतु  पाठ्यक्रम विकसित करना
13. सभी नए क्षेत्रों में गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान
14. नियामक प्रणाली: नियामक प्रणाली में 4 संस्थाओं के निर्माण से सुसुत्रीकरण-स्वागत योग्य कदम है|
17. व्यावसायिक शिक्षा: 
केवल कृषि विश्वविद्यालयों, कानूनी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, तकनीकी विश्वविद्यालयों और अन्य क्षेत्रों में स्टैंड-अलोन संस्थानों का उद्देश्य समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करने वाले बहु-विषयक संस्थान बनना होगा।
यह देखते हुए कि लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलवादी विकल्पों का उपयोग करते हैं, हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अर्थ होना चाहिए, ताकि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष)|
18. भारतीय भाषा, कला, और संस्कृति का प्रचार
भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार न केवल राष्ट्र के लिए बल्कि व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक जागरूकता और अभिव्यक्ति बच्चों में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली प्रमुख दक्षताओं में से एक हैं, ताकि उन्हें विभिन्न  संस्कृतियों और पहचान प्रदान की जा सके।
बचपन से देखभाल और शिक्षा के साथ शुरू होने वाली सभी प्रकार की भारतीय कलाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत  किया जाना चाहिए।
भारतीय भाषाओं के शिक्षण और सीखने को हर स्तर पर स्कूल और उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।भाषाओं के प्रासंगिक और जीवंत बने रहने के लिए, इन भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिकाओं, वीडियो, नाटकों, कविताओं, उपन्यासों, पत्रिकाओं, आदि सहित उच्च गुणवत्ता वाली सीखने और प्रिंट सामग्री की एक स्थिर धारा होनी चाहिए।
भाषाओं को व्यापक रूप से प्रसारित किए जाने वाले अपने शब्दकोषों और शब्दकोशों में लगातार आधिकारिक अपडेट होना चाहिए, ताकि इन भाषाओं में सबसे मौजूदा मुद्दों और अवधारणाओं पर प्रभावी ढंग से चर्चा की जा सके। 
स्कूली बच्चों में भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई पहल- स्कूल के सभी स्तरों पर संगीत, कला और शिल्प पर अधिक जोर; बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए तीन-भाषा सूत्र का प्रारंभिक कार्यान्वयन; जहां संभव हो घर / स्थानीय भाषा में शिक्षण; अधिक अनुभवात्मक भाषा सीखने का संचालन करना; मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में उत्कृष्ट स्थानीय कलाकारों, लेखकों, शिल्पकारों और अन्य विशेषज्ञों की भर्ती; मानविकी, विज्ञान, कला, शिल्प और स्पोर्ट्ससेट में आदिवासी और अन्य स्थानीय ज्ञान सहित पारंपरिक भारतीय ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना।
भारतीय भाषाओं में मजबूत विभाग और कार्यक्रम, तुलनात्मक साहित्य, रचनात्मक लेखन, कला, संगीत, दर्शन, आदि देश भर में लॉन्च और विकसित किए जाएंगे, और 4 वर्षीय बी.एड. इन विषयों में दोहरी डिग्री विकसित की जाएगी।
उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम और अनुवाद और व्याख्या, कला और संग्रहालय प्रशासन, पुरातत्व, पुरातत्व संरक्षण, ग्राफिक डिजाइन और उच्च शिक्षा प्रणाली के भीतर वेब डिजाइन में डिग्री भी बनाई  जाएंगी । 
उच्च शैक्षणिक संस्थानों   (HEI) के छात्रों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करना, जो न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों की विविधता, संस्कृति, परंपराओं और ज्ञान की समझ और प्रशंसा का कारण बनेगा।
संस्कृत को स्कूल में मजबूत प्रस्ताव  के साथ मुख्यधारा में लाया जाएगा - जिसमें तीन-भाषा सूत्र में भाषा के विकल्पों में से एक के साथ-साथ उच्च शिक्षा भी शामिल है। संस्कृत विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के बड़े बहु-विषयक संस्थान बनने की ओर अग्रसर होंगे।
पूरे देश में संस्कृत और सभी भारतीय भाषा संस्थानों और विभागों को काफी मजबूत किया जाएगा
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित प्रत्येक भाषा के लिए, अकादमियों की स्थापना कुछ महान विद्वानों और मूल वक्ताओं से की जाएगी। आठवीं अनुसूची भाषाओं के लिए ये अकादमियां केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श या सहयोग से स्थापित की जाएंगी। अन्य अत्यधिक बोली जाने व भारतीय भाषाओं के लिए अकादमियाँ भी इसी तरह केंद्र और / या राज्यों द्वारा स्थापित की जा सकती हैं।
भारत में सभी भाषाओं, और उनकी संबंधित कला और संस्कृति को एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म / पोर्टल / विकी के माध्यम से प्रलेखित किया जाएगा, ताकि लुप्तप्राय और सभी भारतीय भाषाओं और उनके संबंधित समृद्ध स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित किया जा सके।
स्थानीय मास्टर्स और / या उच्च शिक्षा प्रणाली के साथ भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए सभी उम्र के लोगों के लिए छात्रवृत्ति की स्थापना की जाएगी
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