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सोमवार, 6 फ़रवरी 2023

कुछ देने के लिए आदमी की हैसियत नहीं , दिल बड़ा होना चाहिए, हमारे पास क्या है ? और कितना है ? यह कोई मायने नहीं रखता


*पुराने कपड़े*
पुरानी साड़ियों के बदले बर्तनों के लिए मोल भाव करती एक सम्पन्न घर की महिला ने अंततः दो साड़ियों के बदले एक टब पसंद किया . "नहीं दीदी ! *बदले में तीन साड़ियों से कम तो नही लूँगा." बर्तन वाले ने टब को वापस अपने हाथ में लेते हुए कहा .*

*अरे भैया ! एक एक बार की पहनी हुई तो हैं.. ! बिल्कुल नये जैसी . एक टब के बदले में तो ये दो भी ज्यादा हैं , मैं तो फिर भी दे रही हूँ . नहीं नहीं , तीन से कम में तो नहीं हो पायेगा ." वह फिर बोला .*

एक दूसरे को अपनी पसंद के सौदे पर मनाने की इस प्रक्रिया के दौरान गृह स्वामिनी को *घर के खुले दरवाजे पर देखकर सहसा गली से गुजरती अर्द्ध विक्षिप्त महिला ने वहाँ आकर खाना माँगा...*

आदतन हिकारत से उठी महिला की नजरें उस महिला के कपडों पर गयी....

अलग अलग कतरनों को गाँठ बाँध कर बनायी गयी *उसकी साड़ी उसके युवा शरीर को ढँकने का असफल प्रयास कर रही थी....* 

एकबारगी उस महिला ने मुँह बिचकाया . पर *सुबह सुबह का याचक है सोचकर अंदर से रात की बची रोटियाँ मँगवायी* . उसे रोटी देकर पलटते हुए उसने बर्तन वाले से कहा -

*अपनी जीत पर मुस्कुराती हुई महिला दरवाजा बंद करने को उठी तो सामने नजर गयी*... गली के मुहाने पर बर्तन वाला अपना गठ्ठर खोलकर उसकी दी हुई दोनों  *साड़ियों में से एक साड़ी उस अर्ध विक्षिप्त महिला को तन ढँकने के लिए दे रहा था ! !!*

हाथ में पकड़ा हुआ टब अब उसे चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था....! *बर्तन वाले के आगे अब वो खुद को हीन महसूस कर रही थी*. ......
कुछ हैसियत न होने के बावजूद बर्तन वाले ने उसे परास्त कर दिया था ! !! वह अब अच्छी तरह समझ चुकी थी कि बिना झिकझिक किये उसने मात्र दो ही साड़ियों में टब क्यों दे दिया था .

शिक्षा-कुछ देने के लिए आदमी की हैसियत नहीं , दिल बड़ा होना चाहिए, हमारे पास क्या है ? और कितना है ? यह कोई मायने नहीं रखता ! हमारी सोच व नियत सर्वोपरि होना आवश्यक है हैसियत तो इंसान कभी भी बढ़ा सकता हैं, लेकिन औकात बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास व संगति करनी पड़ती हैं।”

जय् श्री राम

ब्राह्मणों की आंख खोलने वाली जानकारी जो स्वयं केन्द्र मंत्री नितीन गडकरी जी ने ट्विटर पर पोस्ट की है पढ़े और महत्व को समझें*


Jai Sri Ram Jai Sri Parshuramji

*ब्राह्मणों की आंख खोलने वाली जानकारी जो स्वयं केन्द्र मंत्री नितीन गडकरी जी ने ट्विटर पर पोस्ट की है पढ़े और महत्व को समझें*


श्री गडकरी ट्वीट करके कहा है कि आज के जमाने में असली दलित ब्राह्मण हैं। उन्होंने अपनी बात को बल देने के लिए एक *फ्रांसीसी पत्रकार फ्रांसिस गुइटर* की रिपोर्ट भी शेयर की है जिसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं : 


*दिल्ली के 50 शुलभ शौचालयों में तकरीबन 325 सफाई कर्मचारी हैं। यह सभी ब्राह्मण वर्ग के हैं।*

*दिल्ली और मुंबई के 50% रिक्शा चालक ब्राह्मण हैं। इनमें से अधिकतर पांडे, दुबे, मिश्रा, शुक्ला, तिवारी यानी पूर्वांचल और बिहार के ब्राह्मण हैं।*

*दक्षिण भारत में ब्राह्मणों की स्तिथि अछूत सी है कुछ जगहों पर। बाकी जगहों पर लोगों के घरों में काम करने वाले 70% बावर्ची और नौकर ब्राह्मण हैं।*

*ब्राह्मणों में प्रति व्यक्ति आय मुसलमानों के बाद भारत में सबसे कम हैं। यहां और अधिक चिंता का विषय यह है कि 1991 की जनगणना के बाद से मुसलमानों की प्रति व्यक्ति आय सुधर रही है लगातार वहीं ब्राह्मणों की और कम हो रही है।*

*ब्राह्मण भारत का दूसरा सबसे बड़ा कृषक समुदाय है। पर इनके पास मौजूद खेती के साधन अभी 40 वर्ष पीछे हैं। इसका कारण ब्राह्मण होने की वजह से इन किसानों को सरकार से उचित मुआवजा, लोन और बाकी रियायतें न मिलना रहा है। अधिकतर ब्राह्मण किसान कम आय की वजह से आत्महत्या या जमीन बेचने को मजबूर हैं।*

*ब्राह्मण छात्रों में "ड्रॉप आउट" यानी पढ़ाई अधूरी छोड़ने की दर अब भारत में सबसे अधिक है। वर्ष 2001 में ब्राह्मणों ने इस मामले में मुसलमानों को पीछे छोड़ दिया और तब से टॉप पर कब्जा किये बैठे हैं।*

*ब्राह्मणों में बेरोजगारी की दर भी सबसे अधिक है। समय पर नौकरी/रोजगार न मिल पाने की वजह से 14% ब्राह्मण हर दशक में विवाह सुख से वंचित रह रहे हैं। यह दर भारत के किसी एक समुदाय में सबसे अधिक है। यह ब्राह्मणों की आबादी लगातार गिरने का बहुत बड़ा कारण है।*

*आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में ब्राह्मण परिवार 500 रुपये प्रति महीने और तमिलनाडु में 300 रुपए प्रति महीने पर जीवन यापन कर रहे हैं। इसका कारण बेरोजगारी और गरीबी है। इनके घरों में भुखमरी से मौतें अब आम बात है।*

*भारत में ईसाई समुदाय की प्रति व्यक्ति आय तकरीबन 1600 रुपए, sc/st की 800 रुपए, मुसलमानों की 750 के आस पास है। पर ब्राह्मणों में यह आंकड़ा सिर्फ़ 537 रुपये है और यह लगातार गिर रहा है।*

*ब्राह्मण युवकों के पास रोजगार की कमी, प्रॉपर्टी की कमी के कारण सबसे अधिक ब्राह्मण लड़कियों के अरेंज विवाह दूसरी जातियों में हो रहे हैं।*

 *उपरोक्त आकंड़े बता रहे हैं कि ब्राह्मण कुछ दशकों में वैसे ही खत्म हो जाऐंगे। जो बचे खुचे रहेंगे उन्हें वह जहर खत्म कर देगा जो सोशल मीडिया पर दिन रात ब्राह्मणों के खिलाफ गलत लिखकर नई पीढ़ी का ब्रेनवाश करके उनके मन में ब्राह्मणों के प्रति अंध नफरत से पैदा किया जा रहा है।* महाशय हम कहाँ जा रहे हैं,ध्यान देना होगा हमे अपने भविष्य पर।

: *ब्राह्मणों से सात यक्ष प्रश्न*
1-ब्राह्मण एक कैसे होंगे और कब होंगे?
2- ब्राह्मण एक दूसरे की सहायता कब करेंगे?
3-ब्राह्मण संगठनों में एकता कैसे होगी?
4-ब्राह्मण अपना वोट एक जगह कब देंगे?
5- ब्राह्मण ब्राह्मण का गुणगान कब करेंगे?
6-उच्च पदों पर बैठे अफसर, ब्राह्मण मंत्री, mp, MLA अपने निहित स्वार्थ से ऊपर उठ कर ब्राह्मणों की बिना शर्त सहायता कब करेंगे?
7-गरीब ब्राह्मणों की सहायता करने के लिए ब्राह्मण महाकोष का गठन कब होगा?
इसका उत्तर एक कट्टर ब्राह्मण चिंतक प्राप्त करना चाहता है
    *यदि आप सही में ब्राह्मण जाति  उद्धार चाहते हैं तो इसे मानना प्रारंभ करें पढ़कर कम से कम दस ब्राह्मणों को अवश्य भेजें!*

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