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सोमवार, 31 जुलाई 2023

जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?

*जिनकी पूजा दरगाहों में होती है, उन्होंने कौन से महान काम किये थे ?*
भारत में आपको जगह जगह सडको किनारे दरगाहें मिल जायेंगी। उन छोटी छोटी दरगाहों के अलावा देश में कुछ बहुत ही मशहूर दरगाहें भी मौजूद हैं, जिनमे लाखों की संख्या में लोग मन्नत मांगने जाते हैं। लेकिन अगर किसी से यह सवाल पूँछों कि यह किस महापुरुष की मजार है और इसने अपने जीवनकाल में कौन सा महान काम किया था?
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तो वह यह बगलें झाँकने लगेगा। अब जिस व्यक्ति ने अपने जीवन भी कोई महत्त्वपूर्ण कार्य न किया हो उसकी लाश का अवशेष (अब तो वह भी नहीं बचा होगा) आपका क्या भला कर सकता है? दरगाह पूजा को लेकर और भी कई भ्रम हैं। हिन्दू समझते हैं कि यह मुसलमानो की पूजा पद्धति है और वे अपनी सद्भावना दिखाने के लिए ऐसा करते है।

लेकिन अगर इस्लाम के जानकार से पूछोगे तो वह भी यही बतायेगा कि दरगाह पूजा इस्लाम के खिलाफ है। तो फिर आखिर यह दरगाह पूजा किस धर्म का हिस्सा है और लोग क्यों पूजा करते हैं? मुसलमान जो करते हैं वो करते रहें लेकिन कम से कम हिन्दुओं को तो उस व्यक्ति के बारे में पता लगाना ही चाहिए, जिसकी कब्र की वो पूजा कर रहे हैं।

अगर बड़ी और मशहूर दरगाहों की बात करें तो उनमे अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बहराइच में गाजी बाबा और मुंबई के पास हाजी अली की दरगाह प्रमुख है। जो हिन्दू इन दरगाहों पर माथा टेकने जाते हैं कम से कम उनको यह तो पता करना ही चाहिए कि उक्त पीर ने उनके पूर्वजों, देश और धर्म के साथ क्या क्या  किया है।

सबसे पहले बात करते हैं बहराइच के गाजी बाबा की। गाजी बाबा का असली नाम सालार मसूद था। वह महमूद गजनवी का भतीजा था। जिस तरह से महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ और मध्य प्रदेश की भोजशाला का विध्वंश कर, गाजी की उपाधि प्राप्त की थी वैसे ही वह अयोध्या का विध्वंश कर गाजी कहलाना चाहता था।

उसने दिल्ली, मेरठ, बदायूं, कनानौज, आदि को लीत लिया था और अयोध्या की तरफ बढ़ रहा था। तब बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने अपने आस पास के साथ अन्य राजों को साथ मिलाकर उसे कड़ी टक्कर दी और उसकी सेना का समूल नाश कर दिया। बाद में तुगलक ने सालार मसूद के नाम पर दरगाह बनाकर उसे गाजी बाबा बना दिया।

अगर अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की बात करें तो वह मोहम्मद गौरी का साथी था। मोहम्मद गौरी की प्रथ्वीराज चौहान के हाथों हुई हार के बाद, गौरी तो वापस चला गया परन्तु वह यही रह गया था। थोडा बहुत जादू मन्तर करके यहाँ के लोगों को फुसलाया और मोहम्मद गौरी के लिए जानकारियाँ जुटाने के लिए काम करता रहा।

जयचन्द और उसके मित्रों को प्रथ्वीराज चौहान के खिलाफ भड़काने का काम भी चिश्ती ने ही किया था। उसके बाद हुए मोहम्मद गौरी के हमले में भारत (प्रथ्वीराज) की हार की सबसे बड़ी बजह चिश्ती ही था। अजमेर में मंदिर को तुड़वाया (जिसे अढाई दिन का झोपड़ा कहा जाता है) लोगों का धर्म परिवर्तन कराया महिलाओं पर अत्याचार किये।

इसी प्रकार तैमूर लंग ने जब भारत पर हमला किया तो दिल्ली में कत्लेआम करने के बाद हिन्दुओं के पवित्र तीर्थ हरिद्वार का विध्वंश करने चल पड़ा। लेकिन ज्वालापुर की लड़ाई में महाबली जोगराज सिंह गुर्जर, हरवीर जाट, रामप्यारी, आदि ने अपनी पंचायिती सेना और नागा साधुओं के सहयोग से तैमूर को हरिद्वार से भागने पर मजबूर कर दिया।

1405 में तैमूर के मरने के बाद मचे, उत्तराधिकार के गदर में शाह अली नाम का मौलवी तैमूर के खजाने से पैसा चुरा भाग निकला और हिंदुस्तान के सिंध इलाके में आकर व्यापारी बन गया। उसने उस धन में से एक हिस्सा अरब के शाह को भी दिया। अपनी छवि एक नर्मदिल इंसान की बना ली। लोग उसे हाजी शाह अली बुखारी के नाम से जानने लगे।

*(मेरे कई मित्रों ने मेरा लेख व्हाट्सएप पर पाने के लिए मुझे इस नंबर 8527524513 पर मिस्ड कॉल तो किया है लेकिन मेरा ये नंबर दिलीप पांडे के नाम से सेव नहीं किया है इसीलिए उनको मेरे लेख नहीं मिल रहे हैं अगर वो मिस्ड कॉल के बाद नंबर भी सेव कर लेंगे तो उनको मेरे लेख जरूर मिलेंगे !)*

उधर उत्तराधिकार की जंग फ़तेह करने के बाद, गद्दी पर बैठा शाहरुख मिर्ज़ा। सुलतान बनने के बाद उसने उस चोर और गद्दार साथी की तलाश का हुक्म दिया। शाह अली मदद के लिए फकीर का वेश बनाकर अरब के लिए भाग निकला। अरब का शाह नहीं चाहता था कि हाजी शाह अली बुखारी की मदद करके खूंखार उज्बेकों से दुश्मनी मोल ले।

तब उसने शाह अली से छुटकारा पाने के लिए, उसे जिन्दा ही एक संदूक में बंद करके समुद्र में फिकवा दिया। इत्तेफ़ाक़ से संदूक बहता हुआ  मुम्बई के पास के एक टापू पर आ लगा। मछुआरों ने संदूक खोला तो उसमें फकीर के लिबास में एक लाश थी। इस लाश को कुछ मछुआरों ने पहचान लिया और उसे उसी टापू पर दफ़न कर दिया गया।

संदूक में मिली फ़क़ीर की लाश की चर्चा फैलने लगी और तमाम कहानियां भी प्रचलित हो गयीं और शाह अली, पीर हाजी शाह अली बुखारी बन गया। उसके बाद हिन्दुओं ने वहां जाकर माथा टेकना शुरू कर दिया। ऐसे सूतियापे तो हिन्दुओं की पुरानी पहचान है। क्रूर हत्यारे तैमूर और शाहरुख मिर्ज़ा के साथी की कब्र कोहाजी अली दरगाह कहने लगा।

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इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"

इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश ......
"बापू की हजामत और पुन्नीलाल का उस्तरा"
‘‘बापू कल मैंने हरिजन पढा।’’ पुन्नीलाल ने गांधीजी की हजामत बनाते हुए कहा।
‘‘क्या शिक्षा ली!’’
‘‘माफ करें तो कह दूं।’’
‘‘ठीक है माफ किया!’’
‘‘जी चाहता है गर्दन पर उस्तरा चला दूं।’’
‘‘क्या बकते हो?’’
‘‘बापू आपकी नहीं, बकरी की!’’
‘‘मतलब!’’
‘‘वह मेरा हरिजन अखबार खा गई, उसमें कितनी सुंदर बात आपने लिखी थी।’’
‘‘भई कौनसे अंक की बात है ??
‘‘बापू आपने लिखा था कि "छल से बाली का वध करने वाले राम को भगवान तो क्या मैं इनसान भी मानने को तैयार नहीं हूं " और आगे लिखा था "सत्यार्थ प्रकाश जैसी घटिया पुस्तक पर बैन होना चाहिए, ऐसे ही जैसे शिवा बावनी पर लगवा दिया है मैंने।’’
आंखें लाल हो गई थी पुन्नीलाल की।
 ‘‘तो क्या बकरी को यह बात बुरी लगी ?"
‘‘नहीं बापू अगले पन्ने पर लिखा था "सभी हिन्दुओं को घर में महाभारत नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे झगड़ा होता है और रामायण तो कतई नहीं, लेकिन कुरान जरूर रखनी चाहिए"
"बकरी तो इसलिए अखबार खा गई, कि हिन्दू की बकरी थी ना, सोचा हिन्दू के घर में कुरान होगी तो कहीं मेरी संतान को ये हिन्दू भी बकरीद के मौके पर काट कर न खा जाएं।’’
पुस्तक: मधु धामा लिखित, इतिहास की अनकही प्रामाणिक कहानियां, का एक अंश

रविवार, 30 जुलाई 2023

कारगिल हुआ ही क्यो..??

*कारगिल हुआ ही क्यो..??*

कारगिल होने की मूल जड़ में जाएंगे तो पता चलेगा कि कारगिल इंटेलीजेंस फैलियर के कारण हुआ.... 
.. *पर क्या इंटेलिजेंस फेलियर 1 दिन की घटना हो सकती है क्या इंटेलिजेंस फेलियर एक अधिकारी की घटना हो सकती है* 

*जब आपका पूरा सिस्टम ही ध्वस्त करा दिया गया हो तो कारगिल एक बहुत छोटी सी घटना थी..... इसी कारण पूरे देश में बम विस्फोट और आतंकी घटनाएं होती थी*

 आखिर इसके पीछे कौन था इसे समझना है... *तो एक पुरानी पोस्ट को फिर से आज के संदर्भ में पढ़िए आपको समझ आ जाएगा कि यह कारगिल तो क्या इससे भी बड़ा युद्ध होने की संभावना थी यदि 2014 में मोदी सरकार नहीं आई होती*

इस देश को सबसे बड़ा नुक्सान दो प्रधानमंत्री के काल में हुआ - *जिसमे पहला नाम है इंद्र कुमार गुजराल*  उर्फ़ *गुमराह* 
*इंद्र कुमार गुजराल - पैदाइशी कम्युनिष्ट जो कांग्रेस में गया और फिर जनता दल में  .. 1996 में जब देवेगौड़ा प्रधानमंत्री थे तब कम्युनिष्टों की पसंद IK Gujral को विदेश मंत्री बनाया और तबसे ही इसने भारत के विदेश मामलों को ख़राब करना चालू कर दिया* .. 

इसके काल में भारत पाकिस्तान से आगे की सोच ही नहीं पाया  .. *फिर जब ये प्रधानमंत्री बना तो इसने पाकिस्तान के साथ उस समझौते को किया जिसमे लिखा था कि भारत अपने सारे केमिकल हथियार ख़त्म कर देगा*  ..

 जबकि इसके PM बनने के पहले भारत कहता आया था... *कि उसके पास केमिकल हथियार हैं ही नहीं  .. मतलब इस गुजराल ने विश्व में ये साबित करवाया की भारत झूठ बोलता रहा है*...... एक और काम जो इसने किया वो ये *कि इसने भारत के PMO से ख़ुफ़िया विभाग और RAW का पाकिस्तान डेस्क खत्म कर दिया*  .. 

*August 1997 में अमेरिका में पाकिस्तान के PM से मुलाकात होते ही वहीँ से इसने आदेश किया की इसके भारत लौटने तक RAW का पाकिस्तान डेस्क ख़त्म होना चाहिए* ...  

इसके बाद इस दौरान भारत के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी, कुवैत, यमन, UAE आदि जगहों पर स्थित *100 के ऊपर एजेंट मारे गए*  .. एक हफ्ते में सारा खुफिया विभाग ध्वस्त हो गया और RAW नेस्तनाबूद हो गई  .. .....*पूरा का पूरा ख़ुफ़िया ढाँचा नेस्तनाबूद हो गया पाकिस्तान से लेकर फिलिस्तीन तक*  .... 
*उसका नतीजा ये हुआ कि भारत को OIC इलाके में उसके खिलाफ हो रहे षडयंत्रो का पता ही नहीं चलता था  ... भारत में 1997 से लेकर 2001 तक का समय बेहद कठिन रहा*,  .........*भारत बिना किसी ख़ुफ़िया जानकारी के रहा और कोई ऐसा महीना नहीं गया जब भारत में बम विस्फोट से लेकर सीमा पर छिटपुट आतंकी हमले न हुए* .. 

*1998 में वाजपेयी सरकार आई और 1999 में कारगिल हुआ*, ख़ुफ़िया फेलियर पर खूब कोसा गया सरकार को ........*लेकिन कम्युनिष्ट मीडिया ने गुजराल डोक्टराइन नामक उस बेहूदे कागज़ के पुलिन्दे को गोल कर गई जिसको उसको लेकर कम्युनिष्टों को अभी मुहब्बत है क्योंकि उसमे भारत की नाकामी है* ...

*भारत के ख़ुफ़िया विभाग को ख़त्म करके और RAW को नेस्तनाबूक करके, उसके लोगिस्टिक को बर्बाद और एजेंटों के खात्मे के बाद हाल बहुत खराब हो गया  ... Indian Airline का हाईजैक होकर कंधार जाना, संसद भवन हमला, कोइम्बटूर हमला, अक्षरधाम, लाल किला हमला आदि होता गया और भारत सरकार पूरे 3 वर्ष तक कुछ जान ही नहीं पाई ख़ुफ़िया से ... अटल सरकार ने आने के कुछ महीने में ही फिर से RAW का पाकिस्तान डेस्क और इंटेलिजेंस का OIC विंग चालू किया था जिसको भारत में ही खड़ा करने में 2002 तक का समय लग गया* .. फिर उसका विदेशों में एजेंट बनाना आदि करते करते... *2004 में भारत के MC नागरिको ने प्याज की कीमत के चलते अटल सरकार को रवाना कर दिया*....... और छिले हुए प्याज को खुद की _____में भर लिया |

*लोगों को अक्सर कारगिल और IC814 के हाईजैक को लेकर अटल सरकार पर हमला करते पाया जाता है लेकिन गुजराल के कारनामे ने भारत का जो नुक्सान कराया उस पर कभी बात ही नहीं हुई*  .... 
*पेट्रोल डीज़ल, आलू - मटर - टमाटर के भाव, IT के स्लैब में बदलाव और एरियर को अपना सबसे बड़ा समस्या समझने वाली जनता को पता ही नहीं कि देश को असुरक्षा के किस दल दल में धकेल दिया गया था*  ... समय रहते अटल सरकार ने कदम उठाया लेकिन ध्वस्त करना आसान है, खड़ा करना मुश्किल - वो भी ख़ुफ़िया जैसा विभाग जिसमे कई वर्ष लगते हैं एक एजेंट खोजने में ... 
*अगले है देश के कलंक सदी के सर्वश्रेष्ठ अनर्थ शास्त्री MC के शहंशाह मादरणीय प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह  G* ... जिन पर कोई छीटा नहीं पड़ता  ...... *ये अगर दिल्ली के नज़फगढ़ नाले में कूद के निकलें तो भी गंगोत्री में नहाए जैसे साफ़ निकलते हैं  .... इन्होने गुजराल जैसा तो नहीं किया और RAW तथा intelligence तो टच नहीं किया लेकिन पाकिस्तान और भारत के कम्युनिष्टों के बनाए भंवरजाल और जालसाज़ी को खूब ढील दिया* ....... *इन्होने intelligence और सुरक्षा विभाग को इस लायक न छोड़ा की देश में मुंबई का हमला से लेकर अनेकों शहरों, ट्रेनों में बम विस्फोट को न पहले जान पाए और न रोक पाए* .... 
*2007 - 2008 के आस पास पाकिस्तान के लाहौर में एक घटना घटी ... पाठ्यपुस्तकों में भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु तथा सुखदेव के लिए लिखा गया कि "भगत सिंह और उसके दो काफिर साथियों ने पडोसी देश के आज़ादी के लिए काम किया, उस देश के लिए जो हमारा दुश्मन है और जिसकी आज़ादी की लड़ाई से हमें कोई सरोकार नहीं*, हम उनके बारे में क्यों पढ़े  ... ये उनके हीरो हैं, हमारे हीरो हमारे खुद के देश में हैं जिनको हम पढ़ेंगे  ... "  .. इस तरह के मामले की शुरुवात होंने के खिलाफ मोर्चा खोला पाकिस्तान के मशहूर columnist और लेखक हसन निसार ने  ... *हसन निसार खुले मंचों पर भगत सिंह को पाकिस्तान देश की आज़ादी का सिपाही और हीरो घोषित करने लगे*  ... उन्होंने लाहौर चौक का नाम भी भगत सिंह चौक रखने का मांग रखा  ..... इस सबके बीच ये बात चलाई गई कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दोनों देश के लोगों में कोई संवाद नहीं है .. दोनों देश के लोगों के बीच संवाद बढ़ना चाहिए  .. *इस संवाद को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के अखबार The Jung और भारत के Times of India ने आपस में मिल कर कार्यक्रम चालू किया  ... गायक, कलाकार, खिलाड़ी लोगों का आना - जाना, मुशायरों का आयोजन  ... सब चालू किया*  ... बस यहीं पर पाकिस्तान ने भारत के अंदर बहुत अंदर तक घुसपैठ कर लिया  ...

 *पाकिस्तान से जो आते थे वो सब ISI की निगरानी में उनके सिखाए, उन पर निगाह रखने वाले, और सीधे ISI एजेंट उनके मैनेजर आदि के रूप में खूब आए  .. भारत के intelligence और RAW को इनके दूर रहने का आदेश मनमोहन सरकार ने दिया* .. *सरकार ख़ुफ़िया विभाग से पाकिस्तान की तरफ से आने वाले लोगों की लिस्ट से लेकर कार्यक्रम आदि सब छिपा के रखती थी ... उधर से आए ये ISI के एजेंट यानी "अमन की आशा" गिरोह पूरे भारत की रेकी करते, अपने स्लीपर सेल बनाते और निकल जाते और फिर पीछे से भारत में मुम्बई हमला, कई अलग अलग शहरों में बम ब्लास्ट, कश्मीर में बेरोक टोक हमले कराते रहते*....... .. *कश्मीर में तैनात सेना पर इल्जाम लगा के जेल में डालना आदि जैसे कारनामे मनमोहन सरकार ने अंजाम दिए इसी कम्युनिष्टों के "अमन की आशा गैंग के निर्देश पर ... भारत की अधिकतर मूर्ख जनता इन अमन की आशा वालों के जाल में फंसी हुई नुसरत फतह अली आदि के गीतों पर झूमती रही* ... *जबकि उसका खरीदा हर एक CD /DVD का पैसा पाकिस्तान परस्ती और उसके अपने ही सेना के खून बहाने में लगता*  .. 

*इधर से जो जाते थे उनको पाकिस्तानी पश्तून - कश्मीरी - अफगानी - उक्रैन की लड़कियां, महँगी शराब  .. महँगी घडिया आदि देकर अपने ओर रखते थे  .. अय्याशी के गर्त में डूबे इन अन्धों और लालची अमन की आशा वाले लोगों ने इस कांसेप्ट के कारण खूब पलीता लगाया देश को*  ... इस गैंग को प्रायोजित करने का काम भी *मनमोहन सरकार* ने किया है ... पाकिस्तान में हुए भगत सिंह वाली घटना के बाद ही भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाले कम्युनिष्टों ने उनको अपना हीरो बनाकर पेश करना चालू किया ...... *कम्युनिष्टों के पाकिस्तानी मिलीभगत से किए जा रहे इस जालसाज़ी को बाद में खोलेंगे* ... 
*इधर 4 साल से अमन की आशा गैंग का धंधा बंद है  .. कश्मीर में आतंकी मारे जा रहे हैं  .. देश में गड़बड़ी फैलाने से पहले स्लीपर सेल वाले दबोच लिए जा रहे हैं  .. पत्थरबाज बक्शे नहीं जा रहे हैं  .. मनमोहन सरकार द्वारा फंसाए गए सारे सेना के अफसर आदि न्यायालय से बरी किए जा रहे हैं*  ... *पाकिस्तान और म्यांमार सीमा पार करके आतंकियों के खिलाफ सेना सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है  ... पाकिस्तानी गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है  .. कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तानी मीडिया मोदी सरकार आने के बाद अपने 1600 के ऊपर सैनिक मारे जाने का दावा करके कृन्दन कर रही थी*  ... भारत अपनी सुरक्षा के लिए फ्रंट फुट पर खेल रहा हैं  .. अभी भारत को ऐसे ही करना चाहिए  ... *यूँ ही नहीं पाकिस्तान से लेकर चीन मीडिया में रोज एक प्रोग्राम मोदी पर होता ही है*  ........ 🙏🏻🚩🇮🇳

*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

*महाराज जी का यह छायाचित्र सन - 1983 का है*
*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी  रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

"एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए।"

एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं। 

मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन वो 22 भाषाओं में बोल सकते हैं इसके अलावा 100 से ज्यादा पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं।
एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मुस्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ? 

ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया... लेकिन तब संकट मोचन बने श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (हाईकोर्ट का नाम अब भी वही है) में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।

 रामजन्म मंदिर महिं मंदिरहि तोरि मसीत बनाय ।
 जबहि बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्ही हाय ।।
 दल्यो मीर बाकी अवध, मंदिर राम समाज ।
 तुलसी रोवत हृदय अति, त्राहि त्राहि रघुराज ।।

 चारो ओर जय जय कार हो गई, रामभद्राचार्य जी महाराज की उनके प्रोफाइल पर गौर कीजिए, आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, कवि, विद्वान, दार्शनिक, गीतकार, गायक, साहित्यकार और कथाकार। 24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी। उनका बचपन का नाम था गिरिधर। 

प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 फरवरी 1989 में सभी संत समाज द्वारा स्वामी गिरिधर को श्री रामभद्राचार्य की उपाधि दे दी गई।

श्री रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य हैंडिकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलपति भी हैं विश्व हिंदू परिषद के रूप में भी वो हिंदुओं को प्रेरणा दे रहे हैं।

हृदय तब गद-गद हो गया जब जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज जी ने चैनल पर एंकर से कहा- ‘मैं जन्म से दृष्टिहीन हूँ, फिर भी सभी वेद कंठाग्र हैं मुझे। डेढ़ लाख से अधिक पन्ने कंठस्थ हैं"

अब और कौन सा चमत्कार देखना बाकी है... ??

सनातन धर्म ही सर्वश्रेठ है!
प्रणाम है ऐसे महान संत को...🙏

जय श्री राम

टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD

टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD
इन दिनों टेलिवजन पर एक एड तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इस एड में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार यमराज बनकर टर्म इंश्योरेंस के फायदे गिनाते नजर आते हैं। आमतौर पर लोग सामान्य इंश्योरेंस को ही टर्म इंश्योरेंस मानने की गलती कर बैठते हैं, लेकिन इन दोनों में बुनियादी अंतर होता है। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको विस्तार से जानकारी दे रहे हैं कि आखिर टर्म इंश्योरेंस होता क्या है और इसके फायदे क्या हैं।

सबसे पहले जानिए कि आखिर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के कितने प्रकार होते हैं..

क्या होती है टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी?

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि टर्म प्लान इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे विशुद्ध स्वरूप होता है। जीवन बीमा लेने का सबसे सरल तरीका टर्म इंश्योरेंस ही होता है। इसमें बीमा लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय तक प्रीमियम का भुगतान करता रहता है। यदि निश्चित अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो सम एश्योर्ड या एक मुश्त राशि उसके परिवार या नॉमिनी को दे दी जाती है। टर्म प्लान में हर साल मामूली प्रीमियम देने के बाद आपको कुछ विशेष सालों के लिए कवर उपलब्ध करवाया जाता है। आमतौर पर टर्म पॉलिसी 10 साल,15 साल, 20 साल, 25 साल और 30 सालों के लिए ली जाती हैं।

उदाहरण से समझिए:

अगर आपने 15 साल की समय अवधि के लिए 55 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस खरीदा है। इसके लिए आपको हर साल 4 हजार रुपए का प्रीमियम भुगतान बीमा कंपनी को करना है। वहीं अगर इस पॉलिसी की मैच्योरिटी के दौरान बीमाधारक मृत्यु हो जाती है तो आपके परिवार को यह 55 लाख रुपए की राशि दे दी जाएगी। लेकिन अगर 15 वर्षों तक आप स्वस्थ रहते हैं तो भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले में आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।

टर्म इंश्योरेंस प्लान के दो बड़े फायदे:

क्यों जरूरी होता है टर्म इंश्योरेंस?

टर्म इंश्योरेंस परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने के बाद भी परिवार को वित्तीय संकट से सुरक्षित रखता है। घर का मुखिया परिवार में आय का मुख्य स्रोत होता है। उस व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर बीमारी से उसके अक्षम हो जाने के बाद अक्सर परिवार में अन्य सदस्यों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर पर्याप्त राशि का टर्म इंश्योरेंस लिया गया है परिवार की आर्थिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। साथ ही उन्हें नियमित आय का सहारा रहता है। टर्म इंश्योरेंस के अंतर्गत गंभीर बीमारी, अकस्मात मृत्यु, स्थायी बीमारी जैसी चीजें आती हैं। कई कंपनियां परिवार के सदस्यों को टर्म इंश्योरेंस में नियमित आय का भी विकल्प देती हैं।
अधिक जानकारी हेतु आज ही *आदित्य बिड़ला लाईफ़ इन्स्योरेन्स सलाहकार* से सम्पर्क करे!
KAILASH Chanda Ladha
9352174466
Bhupendra ji
9785008009

आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है?


आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है? क्या आपका कोई अच्छा या बुरा अनुभव है जो आप साझा करना चाहेंगे?


मेरे पास तो कम से कम 20 से 25 बार काॅल आ चुके हैं धोखाधड़ी के लिए। लेकिन हर बार मैं अपनी समझदारी के कारण बच गया हूँ और फ्राड काॅलर अपना सिर धुनते रह गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है।

मैं एक ग्राफिक डिज़ाईनर हूँ और पिछले 20 सालों से मैं कम्प्यूटर/आनलाइन कार्य करता हूँ और काफी जानकारी भी एकत्रित करता रहता हूँ इस कारण धोखेबाज़ों के जाल में नहीं फंसा।

इस प्रश्न के उत्तर में अपना अनुभव आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ, ताकि और लोग भी सचेत हो सके।

मेरे पास किस तरह के फ्राड काॅल आते हैं उनके बारे विस्तार से लिख रहा हूँ -

बैंक एटीएम की जानकारी के लिए - धोखेबाज़ कई बार फोन करके एटीएम नंबर और पिन माँग चुके हैं। एक अनुभव साझा करता हूँ - मेरे पास एक काॅल आया, ‘आप अलाउदिन अंसारी बोल रहे हैं। मैं एसबीआई/इंडिया बैंक से फलाना मैनेजर बोल रहा हूँ। आपका एटीएम कार्ड ब्लाॅक होने वाला है एक-दो दिन में। आप अगर वेरिफिकेशन करवा लेते हैं तो आपका एटीएम बंद नहीं होगा।’’ (अपना नाम और बैंक के बारे सुनकर आम लोग सोचते हैं कि बैंक से ही फोन होगा, जबकि सच्चाई यह है कि आपका सारा डाटा आनलाइन चोर मार्केट में मिल सकता है, 1 रूपये से भी कम में।) उसने मुझे भरोसे में लेने के लिए कहा कि हम आपसे कार्ड का नंबर और खूफिया जानकारी नहीं मांगेंगे। मुझे तो समझ आ गया कि यह एक फ्राड काल है।

मैंने कहा बताइए कैसे वेरिफिकेशन करेंगे। तो काॅलर ने मुझसे पूछा आपका कार्ड वीसा कंपनी का है या मास्टर कार्ड का। मैंने बताया कि वीसा कंपनी का। तो उसके कहा मैं आपको नंबर कंफर्म करा रहा हूँ, और उसने मेरे कार्ड के 16 नंबरों में से शुरूआती 4 नंबर बता दिए और फिर मुझसे बाकी के नंबर पूछने चाहे। मैंने मना कर दिया। क्यों? क्योंकि वीज़ा/अमेरिकन एक्सप्रेस/मास्टर कार्ड सबके शुरूआती नंबर कंपनी के हिसाब एक ही होते हैं। इन शुरूआती 4 डिज़िट से ही कार्ड किस कंपनी द्वारा जारी किया गया है पता चलता है। इस कारण मैंने उसको साफ मना कर दिया। काफी देर तक उसने मुझपर दबाव डाला तब मैंने कहा कि "भाई साहब मैं साइबर सेल में हूँ और आपसे इसलिए इतनी देर से बात कर रहा कि आपका काल ट्रेस हो सके।" बस इतना सुनना था कि सामने वाले का काल कट गया।

अब इतनी आदत हो गई है कि 5 सेकेंड में पता चल जाता है काॅल फ्राड है कि सही। कई बार मैं आफिस में होता हूँ और ज्यादा बात करने का समय नहीं होता तो साफ बोल देता हूँ तुम फ्राड कालर हो और फोन कट जाता है।

सुझाव-

याद रखें बैंक वाले कभी भी आपसे आपका पिन या कार्ड नंबर नहीं मांगेंगे। अगर उन्हें ज़रूरत भी होगी तो आपको ही ब्रांच में बुलाएंगे। आप कभी भी अपना पिन या फिर मोबाईल पर आया हुआ ओटीपी किसी को न बताएँ। क्योंकि धोखेबाज़ों के आप आप की अधिकतर जानकारी होती है, कार्ड नंबर, सीवीवी कोड और मोबाइल नंबर तक उनको पता होता है। बस लेनदेन के लिए जो ओटीपी आता है वो आपके मोबाइल पर ही आयेगा इसलिए धोखोबाज आपको फोन पर पहले ही फंसा लेते है और जब उनको लगता है कि आप ओटीपी बता देंगे तो वो आॅनलाइन किसी चीज़ का भुगतान करते हैं (आपके कार्ड की डिटेल्स से)। आप जैसे ही ओटीपी बतायेंगे तो आपके बैंक से कट जाएंगे।

कृपया ऐसे फोन काॅल से सावधान रहें।

नौकरी के झांसे वाले काॅल - एक बार नौकरी.काॅम से ई-मेल आया था। जिसमें एक अच्छे पैकेज का आफर था। उन्होंने रिज्यूमे माँगा और 10 मिनट बाद ही मुझे फोन आया कि आपको सेलेक्ट कर लिया गया है। चूंकि मेल नौकरी.काॅम की मेल सर्विस से आया था तो मैंने फ्राड काॅल नहीं समझा। कुछ देर बाद मुझे फिर से एक काॅल आया कि 5000/- रूपये रजिस्ट्रेशन फीस जमा करो तो आपको कल ही ज्वाईनिंग लेटर भेज दिया जाएगा और सैलरी भी लगभग 40 हजार के आस-पास फाइनल हो गई है।

बस यहीं मेरे दिमाग की बत्ती जली। फिर मैंने ईमेल एड्रेस, जिससे मेल आया था उसको ध्यान से पढ़ा तो पता चला कि सिर्फ एक अक्षर का अंतर था कंपनी और फ्राड ईमेल एड्रेस में।

बस इस जरा सी सावधानी से मैं एक बार फिर बच गया। मेरा एक पड़ोसी जो इंजीनिरिंग कर चुका था उसने ऐसे ही फ्राड ईमेल के झांसे में आकर धीरे-धीरे 60-70 हज़ार रूपये गंवा दिए थे। इसका मुझे बाद में पता चला।

सुझाव -

नौकरी के ऐसे आफर की सत्यता की जाँच कंपनी के आफिशियल वेबसाईट पर करें। किसी की भी चिकनी-चुपड़ी बातों में आसानी से न आएँ, दो-तीन लोगों से सलाह लें जो इंटरनेट के अच्छे जानकार हों और सबसे जरूरी वक्त लें थोड़ा, जल्दबाजी न करें।

लकी नंबर वाला फ्राॅड - मेरे पास कई ऐसे फोन भी आए हैं जिनमें कहा गया कि आपका आयडिया का नंबर लकी नंबर के रूप में चुना गया है। आपको मोबाईल/बाईक/कार/घर ईनाम के रूप में मिलेगा। बस आपको सिक्यूरिटी के रूप में 10/20/30/40 हज़ार रूपये जमा करने पड़ेंगे। अब जाहिर सी बात है कोई जबरन में आपको काॅल करके क्यों गिफ्ट देगा वो भी आपके बिना भाग लिए हुए। सोचने वाली बात है।

सुझाव-

कृपया लालच न करें। यह कलयुग है, सतयुग नहीं। कोई भी आपको अपनी जेब से गिफ्ट नहीं देगा, वो भी जबरदस्ती। ऐसे काॅल को महत्त्व न दें।

आनलाईन खरीदी के बाद वाला फ्राॅड काल- यह नया-नया फ्राॅड है। मेरे साथ 2 बार हो चुका है। मैंने फ्लिपकार्ट से एक सामान आर्डर किया। दूसरे ही दिन मेरे पास काॅल आया कि आपने फ्लिपकार्ट से अमुक समान खरीदा है, इतने रूपये का और आपके इस एड्रेस पर डिलीवरी होनी है। (इतने में आम लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि कंपनी से ही काॅल आया होगा) मेरे हाँ में जवाब देने पर काॅलर ने कहा ‘‘बधाई हो आप एक बाईक जीत गए हैं, फिलिपकार्ट पर शाॅपिंग करने के लिए’’। बस मेरे लिए इतना ही काफी था फेक अलार्म पकड़ने के लिए। मैंने उसे साफ मना कर दिया मैं कोई पैसा नहीं दूँगा आपको तो सामने वाले काॅल कट कर दिया।
होम शाॅप 18 से भी खरीदी करने पर भी मेरे साथ एक बार यही चीज़ हो चुकी है।

सुझाव-

आनलाईन कंपनियाँ जो भी डिस्काउंट या ईनाम देती हैं अपनी वेबसाईट या जो सामान आप खरीद रहे हैं वहीं पर बता देते है। आपकी खरीदारी के बाद नहीं बताती कि आपने यह ईनाम जीता है।

आपका एड्रेस और खरीदारी का अमाउंट धोखेबाज़ कुरियर कंपनी से खरीद लेते हैं इसलिए आप भ्रमित न हों। लोगों से सलाह लें।

आनलाईन जाॅब पोर्टल - एक बहुत बड़ी जाॅब प्रोवाईडर कंपनी है, मैं नाम नहीं लूंगा। इनके काॅल सेंटर से काॅल आया। अच्छी जाॅब दिलाने के बहाने मुझसे रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया। बहुत मनाने के बाद मैंने 3000 रूपये में रजिस्ट्रेशन इस शर्त पर किया की इसके बाद मुझे एक भी रूपये नहीं देने पड़ेंगे और जाॅब के नोटीफिकेशन आने लगेंगे। पर जैसे ही मैंने रजिस्ट्रेशन फीस जमा की उन्होंने और पैसे की माँग की अलग-अलग बहाने से। मैंने मना कर दिया और आनलाईन कंप्लेंट करके बड़ी मुश्किल से अपने पैसे वापस पाए। आप इनको व्हाईट काॅलर धोखेबाज़ बोल सकते हैं।

सुझाव -

किसी भी जाॅब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले सारे तथ्य एवं शुल्क की जाँच कर लें। साथ ही कंपनी के बारे में आनलाइन रिव्यू एवं फीडबैक भी पढ़ लें।

एम्स में गरीबों के इलाज के लिए - एक बार मेरे पास एक काॅल आया जिसमें कहा गया कि एक गरीब बच्चे के टीबी के इलाज के लिए 1 लाख रूपये चाहिए। 60 हजार रूपये आप जैसे लोगों से एकत्रित हो गए हैं, बस 40 हज़ार की और जरूरत है। आपसे जितनी मदद हो सके कर दीजिए कम से कम 1 रूपये से आप कितना भी अमाउंट आप पेटीएम कर सकते हैं।
अब चूंकि मैं काफी संवेदनशील हूँ तो मैंने सोचा थोड़ी बहुत मदद तो मैं कर ही सकता हूँ। फिर भी मैंने सोचा की एक बार कंफर्म तो करना चाहिए ताकि पैसा सही जगह पहुँच जाए। तो काॅलर ने बच्चे का एम्स का एडमिट कार्ड और रसीदें व्हट्सअप पर दिखाई और कहा कि आप एम्स की वेबसाइट पर लाॅगइन करके देख सकते हैं।

मैंने रसीदें चेक की वो तो असली थी, लेकिन उस पर जो तारीख़ लिखी थी उसपर मुझे संदेह हुआ। मुझे फोटोशाॅप की अच्छी जानकारी है मुझे पता है कि तारीख बदलना तो कितना मामूली काम है। इसलिए उस जानकारी से एम्स की वेबसाईट पर लाॅगइन किया तो कोई डिटेल्स नहीं मिली। वह केस शायद बंद हो गया था। यह बात मैंने काॅलर को बताई तो उसने मुझे बरगलाने की कोशिश की, लेकिन फिर मैंने काॅल कट कर दिया। उसके बाद उसके कई काॅल आए अलग-अलग नंबर से धमकाते हुए और कहते हुए कि मेरा समय बर्बाद कर दिया और पैसे भी नहीं भेजे। लेकिन मुझे ऐसे फ्राड लोगों पर पैसे खर्च करने का न तो कोई शौक है और नही लुटाने के लिए पैसे। जब भी मुझे लगता है मैं खुद से ज़रूरतमंदों की मदद कर देता हूँ।

सुझाव -

आम लोग काफी संवेदनशील होते हैं और फ्राड आपके इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा कर इस तरह से आपसे पैसों की माँग करते हैं। हम और आप दान या मदद करने की भावना से पैसे भेज भी देते हैं। मगर हमको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मेहनत से कमाए पैसे सही जगह पहुँचे।

उम्मीद है कि आप सुझावों पर अमल करेंगे।
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यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं

राष्ट्रप्रेमी भाइयों और बहनों

कल मैंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एक क्वालिटी प्रोडक्ट के बारे में आपको बताया था आज उसी की अगली कड़ी | और हमेशा की तरह ये लेख भी राजीव भाई के विभिन्न व्याख्यानों से लेकर प्रस्तुत किया गया है आप ज्यादा से ज्यादा इसे प्रेषित करें


2. बेबी (मिल्क) पावडर
हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है - नेस्ले , नेस्ले बेबी पावडर (डब्बे का दूध) बेचती है | यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं | मैंने यूरोप के कई देशों में देखा है, बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे रहते हैं और सरकार की तरफ से उन होर्डिंगों पर प्रचार किया जाता है कि "आप अपने बच्चे को बेबी पावडर मत खिलाईये" | क्यों ? क्योंकि इसमें जहर है, तो पुरे यूरोप में ये जो बेबी पावडर "बेबी किलर" कहा जाता है वही बेबी पावडर धड़ल्ले से भारत के बाजार में बिक रहा है और बहुत वर्षों तक इस देश में जो बेबी पावडर बिकता था, उसके डब्बे पर कुछ भी लिखा नहीं होता था, जब कुछ अच्छे लोगों ने इस मुद्दे को उठाया, हमारे जैसे विचार वाले कुछ डोक्टरों ने संसद पर दबाव बनाया तब भारत की सरकार ने सिर्फ इतना सा संसोधन कर दिया कि "कंपनियों को बेबी पावडर के डब्बे पर ये लिखना आवश्यक होगा कि माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है", बस बात ख़त्म | होता ये कि भारत सरकार इन डब्बे के दूध को भारत में प्रतिबंधित कर देती, लेकिन नहीं | और भारत की पढ़ी-लिखी माताओं की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं वो उतना ही ज्यादा बेबी पावडर पिलाती हैं अपने बच्चों को | कभी-कभी तो मुझे ये लगता है कि जैसे भारत में जब से बेबी पावडर आया है तभी से बच्चे जवान हो रहे हैं, बिना बेबी पावडर के तो लोग बड़े ही नहीं हुए होंगे इस देश में ? कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है इस देश में पिछले कुछ वर्षों से, और विरोधाभास क्या है इस देश में कि बाजार में बेबी पावडर भी बिक रहा है और "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" इस विषय पर सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं, करोड़ो रूपये खर्च कर के | सीधा ये नहीं करते कि बेबी पावडर को प्रतिबंधित कर दे इस देश में | जिनको समझना चाहिए कि "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" वो सेमिनार में आते नहीं और जिनको ये समझ है वो कोई कैम्पेन चलाते नहीं, ये इस देश का दुर्भाग्य है |
इसे पढ़े ------ http://www. babymilkaction.org/pages/ history.html

3. हेल्थ टॉनिक
हमारे देश में हेल्थ टॉनिक के नाम पर कई कंपनियाँ अपने उत्पाद बेचती हैं, जैसे होर्लिक्स, मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान,बूस्ट, प्रोटिनेक्स और खूबी की बात है कि इनमे हेल्थ के नाम पर कुछ भी नहीं है | कैसे ? ये कंपनियाँ इन हेल्थ सप्लीमेंट में मिलाती क्या हैं वो भी आप जान लीजिये | मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान और बूस्ट बनता है मूंगफली (सिंघदाना) की खली से | खली समझते हैं आप ? मूंगफली, सरसों, आदि का तेल निकालने के बाद जो उसका कचरा निकलता है, उसी को खली कहते है और भारत में गाय, बैल,भैंस जैसे जानवरों को खिलाने के लिए इस खली का प्रयोग किया जाता है | ये मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान और बूस्ट इसी मूंगफली की खली से बनाया जाता है, जो खली हमारे देश में जानवरों को खिलाया जाता है वही इस देश में अपने को पढ़े-लिखे और बुद्धिमान कहने वाले लोग खा रहे हैं | बाजार में आप चले जाइये, ये मूंगफली की खली 20 -25 रूपये प्रति किलो के हिसाब से मिल जाएगी आपको | आप सौ डब्बे भी इन हेल्थ टोनिकों के खा लीजिये या अपने बच्चों को खिला दीजिये, कुछ नहीं होने वाला उससे | और इसके बदले मूंगफली/सिंघदाना दीजिये गुड के साथ तो जितना प्रोटीन इससे मिलता है, जितनी कार्बोहाईड्रेट इससे मिलती है, या और भी जितनी स्वास्थ्यवर्धक तत्व इससे मिलती है, उतना 100 पैकेट इन उत्पादों के खाने से भी नहीं मिल सकती | ये अपने डब्बे पर लिखते है कि इससे विटामिन मिलता है, प्रोटीन मिलता है, कैल्सियम मिलता है, वगैरह वगैरह, लिखने में क्या जाता है ? किसी ने कभी टेस्ट कर के कोई समान ख़रीदा है क्या ? अरे मिटटी में भी 18 तरह के Micro Nutrients होते हैं तो क्या हम मिटटी खायेंगे ?
ऐसा ही एक और हेल्थ टॉनिक है - हॉर्लिक्स - हॉर्लिक्स में क्या है ? हॉर्लिक्स में है गेंहूँ का आटा, चने का सत्तू, जौ का सत्तू | बिहार में हमलोग उसको कहते हैं सत्तू और अंग्रेजी में कहते हैं - हॉर्लिक्स | आप किसी से पूछिये कि सत्तू खाओगे ? तो कहेगा कि - क्या फालतू की बात कर रहे हो और पूछेंगे कि हॉर्लिक्स खाओगे तो कहेगा -हाँ खायेंगे | क्योंकि अंग्रेजी का नाम है, और बड़ा भारी नाम है हॉर्लिक्स | उस पर साफ़-साफ़ लिखा है "It's malted " और malted का मतलब ही होता है आटा/सत्तू | जौ का सत्तू, चने का सत्तू बाजार से खरीद लीजिये 50 -60 रूपये किलो मिल जायेगा और और हॉर्लिक्स बिक रहा है 400 रूपये किलो के हिसाब से |
भारतीय बाजार में जितने हेल्थ टोनिक मिल रहे हैं उनसे एक पैसे का हेल्थ नहीं मिलता और भारत के लोग हर साल 1500 करोड़ का हेल्थ टोनिक खरीद कर पैसा विदेश भेज रहे हैं | सिर्फ mental satisfaction है और कुछ नहीं ? हमारे देश के लोग अजीब किस्म के निराशावाद में जी रहे है | ये इग्नोरेंस अनपढ़ लोगों में होता तो मुझे समझ में भी आता लेकिन भारत के पढ़े लिखे लोगों में ये सबसे ज्यादा है | इनमे मिलाये हुए तत्वों की सूचि नीचे दी गयी है जो कि इनके UK की वेबसाइट से ली गयी है, भारत के वेबसाइट पर ये उपलब्ध नहीं है|
Ingredients of Horlicks : Wheat Flour (55%), Malted Barley (15%), Dried Whey, Sugar, Calcium Carbonate, Vegetable Fat, Dried Skimmed Milk, Salt, Vitamins (C, Niacin, E, Pantothenic Acid, B6, B2, B1, Folic Acid, A , Biotin, D, B12), Ferric Pyrophosphate, Zinc Oxide.May contain traces of soyabeans..
Source : http://www.horlicks.co.uk/ downloads/Horlicks- Traditional-2011.pdf

4. लाइफबॉय

दुनिया में तीन तरह के साबुन होते हैं | एक होते हैं- बाथ सोप-मतलब नहाने का साबुन, दुसरे होते हैं-टॉयलेट सोप - मतलब हाथ धोने का साबुन और एक होता है - कार्बोलिक सोप - मतलब जानवरों को नहलाने का साबुन | और ये लाइफबॉय साबुन, कार्बोलिक साबुन है, ये कंपनी वाले कहते हैं, मैं नहीं कह रहा हूँ | और यूरोप के देशों में जिस लाइफबॉय से कुत्ते नहाते हैं, बिल्लियाँ नहाती हैं, घोड़े नहाते हैं उसी लाइफ बॉय से भारत के लोग रगड़-रगड़ के नहाते हैं | प्रचार देख के ऐसा हमारा दिमाग ख़राब हुआ है कि अकेले भारत में ये लाइफबॉय साबुन एक साल में 7 करोड़ बिक जाता है और तो और कुछ दिन पहले तक लाइफबॉय साबुन बिक रहा था "Family Doctors Welfare Association of India द्वारा प्रमाणित" के नाम से | ये कौन सा एसोसिएसन है ? ये कब बना ? और कब इन्होने लाइफबॉय को प्रमाण-पत्र दे दिया थे ? लेकिन रोज इनका विज्ञापन था ये और हम सब ख़ामोशी के साथ बैठे हुए इसको देख रहे हैं कि कैसे देश के साथ भयंकर गद्दारी और बेईमानी का काम चल रहा है | और लाइफबॉय के प्रचार पर ध्यान दीजियेगा, उनका कहना है कि "ये मैल में छिपे कीटाणुओं को धो डालता है" ध्यान दीजियेगा, मैल को धोता है, कीटाणुओं को नहीं धोता और कीटाणुओं को धोता है, मारता नहीं | सबसे घटिया साबुन भारत के बाजार में बिक रहा है और हम इस्तेमाल कर रहे हैं | इसके घटिया होने का प्रमाण क्या है ? साबुन में केमिकल जितना ज्यादा, साबुन उतना ही घटिया | मैं आपको इसका प्रमाण देता हूँ, आप लाइफबॉय से नहाइए, नहाने के बाद जब शरीर सुख जाये तो नाख़ून से शरीर पर लाइन खिचिये, सफ़ेद रंग की लाइन खिंच जाएगी, ये लाइन कैसे खिंची ? लाइफबॉय के केमिकल कचरे ने आपके त्वचा के प्राकृतिक तेल को पू री तरह से सुखा दिया, तो त्वचा एकदम रुखी-सुखी हो गयी और बार-बार जब आप इस प्रयो ग को करेंगे तो एक दिन आपको एक् जीमा होना ही है, सोरैसिस होना ही है, अन्य चमड़े के रोग होने ही वाले हैं | एक दिन मैंने इस कंपनी के बैलेंस शीट में से इस लाइफबॉय का लागत खर्च (Cost of Production) निकाला तो वो है 2 रुपया और भारत के बाजार में बिकता है 18 -20 रुपया में, अब आप इसका लाभ प्रतिशत निकाल लीजिये |
http://www.wisegeek.com/what- is-carbolic-soap.htm

5. रिफाइन

आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं | तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब Inorganic हैं और Inorganic केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका combination जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइन तेल, डबल रिफाइन तेल गलती से भी न खाएं | फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ? तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है | तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है प्रोटीन के लिए | 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |

जब हमने सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डोक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको मैं एक लाइन में बताता हूँ क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है, उन्होंने कहा "तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |" आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotin), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है | 7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है | और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा | क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है |
http://www.healthy-eating/- politics.com/vegetable-oil.htm

क्रमशः ......
जय हिंद
राजीव दीक्षित

भाजपा सत्ता में आई, उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है!

*भाजपा सत्ता में आई, उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है!*

*गुजरात को मीडिया के लोग "हिंदुत्व की प्रयोगशाला" कहते थे!*

*गुजरात पहला राज्य है, जहां भाजपा सत्ता में आई, और जिस जमाने में भाजपा के केवल दो संसद सदस्य थे! उसमें से एक मेहसाना से थे!*

*आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा, कि गुजरात में भाजपा सत्ता में कैसी आई?*

*मित्रों, गुजरात में भाजपा को सत्ता में लाने में कुख्यात "माफिया डॉन अब्दुल लतीफ" का बहुत बड़ा योगदान है*

*अगर अब्दुल लतीफ नहीं होता, तो संभव है भाजपा सत्ता में नहीं आती!* 

*अब्दुल लतीफ इतना कुख्यात डॉन था, कि उसने सबसे पहले एके-५६ का उपयोग किया था! और १२ पुलिस कर्मियों सहित, १५० से अधिक नागरिकों का वध किया था, जिसमें "राधिका जिमखाना" वध  बहुत प्रसिद्ध हुआ था!*

*जब "राधिका जिमखाना" क्लब में लतीफ ने अंधाधुंध गोलीबारी करके, एक साथ ३५ नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था!*

*लतीफ के ऊपर कांग्रेस और जनता दल दोनों के नेताओं का वरदहस्त था!*

*लतीफ की इतनी पहुंच थी, कि वह मुख्य मंत्री चिमन भाई पटेल के चेंबर में, बगैर अपॉइंटमेंट के, चला जाता था, और तस्करी, सोने चांदी की स्मगलिंग, ड्रग्स की स्मगलिंग, इत्यादि में अरबों रुपए कमाये, और उसमें नेताओं को हिस्सा जाता था!*

*यदि लतीफ या लतीफ के गैंग के किसी गुर्गे को कोई हिंदू लड़की पसंद आ जाती थी, तो वो रातों-रात उठा ली जाती थी!*

*लतीफ, जब चाहे तब, किसी हिंदू का बंगला, दुकान खाली करवा लेता था! उस समय भाजपा गुजरात में संघर्ष के दौर में थी*

*नरेंद्र मोदी, शंकर सिंह वाघेला, केशुभाई पटेल साइकिल स्कूटर पर, चप्पल पहन कर घूमते थे!*

*एक दिन, गोमतीपुर में भाजपा की एक सभा थी! भाषण देते देते, केशुभाई पटेल ने जोश में बोल दिया, कि जब भाजपा की सरकार आएगी, तब अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया जाएगा! बोलने के बाद, वह डर गए! उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई! लेकिन गुजरात की जनता के अंदर एक संदेश चला गया, कि आखिर यह कौन से पार्टी के नेता हैं, जो अब्दुल लतीफ के गढ़ में, उसका इनकाउंटर करने की बात कर रहे हैं?*

*केशुभाई पटेल के इस भाषण के बाद, जब चुनाव हुए, तब गुजरात में भाजपा की ३५ सीटे आई, जो अपने आप में बहुत बड़ी विजय थी!*

*उसके बाद, भाजपा ने अब्दुल लतीफ और उसके गुर्गों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया, और अगले चुनावों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई! और अपने वायदे के अनुसार, शंकर सिंह वाघेला ने अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया!*

*अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर भी बड़े जोरदार तरीके से हुआ था! शंकर सिंह वाघेला के सामने डीएसपी जाडेजा आए, और बोले सर लतीफ का एनकाउंटर करना चाहता हूं, क्योंकि इसने मेरे इंस्पेक्टर झाला का मर्डर किया था, जब वह अपनी गर्भवती पत्नी को देखने छुट्टी पर जा रहा था!*

*अब्दुल लतीफ को गिरफ्तार किया गया! और नवरंगपुरा स्थित पुराने उच्च न्यायालय में उसकी पेशी होनी थी! पेशी के पहले, डीएसपी जडेजा ने कहा, "दाबेली खाओगे?" लतीफ ने हां बोला, तो उसकी हथकड़ी खोल दी गई! और फिर उसे ८ गोलियां मार दी गई! और मीडिया में कह दिया गया, लतीफ ने नाश्ता करने के लिए हथकड़ी खुलवाई, और भागने का प्रयास किया! जिसके फलस्वरूप वह मारा गया!*

*उसके बाद, शंकरसिंह वाघेला ने एक और बहुत अच्छा काम किया, कि उन्होंने "अशांत धारा एक्ट" लागू कर दिया, यानी गुजरात के विभिन्न शहरों में बहुत से विस्तार चिन्हित कर दिए गए! और इन विसतारों में किसी हिंदू की संपत्ति, कोई मुस्लिम नहीं खरीद सकता!*

*और उसके बाद भाजपा गुजरात से होती हुई मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बंगाल, इत्यादि अन्य कई जगह बढ़ती चली गई! और आज केंद्र में ३०३ बैठकों के साथ सत्ता में है!* 

*जब एक हिन्दू जागता है, और दूसरे सोये हुए हिन्दुओं को जगाता है, तब ये गुजरात वाला वातावरण बनता है!*

*जब केशूभाई ने लतीफ का एनकाउंटर करने की घोषणा की थी, गुजरातियों ने बिना किसी प्रश्न-उत्तर के भाजपा को अपना भरपूर समर्थन किया था!*

*अगर पूरे देश में गुजरात वाला परिणाम हिन्दुओं को चाहिए, तो सभी को वही करना होगा, जो तब गुजरातियों ने किया था!*

*इसीलिए भाजपा और मोदी को, बिना प्रश्न किये, साथ दें! तभी पूरे देश में से लतीफों का सफाया मोदीजी और भाजपा कर पाएंगे!*

*गुजराती नागरिक सदैव दूर की सोचते हैं, और ये एक पाठ देशवासियों को, और विशेष कर हिन्दुओं को, उनसे सीखना होगा!*

*छोटी-छोटी बातों में मोदीजी और भाजपा का विरोध न करें! बल्कि उन्हें अपना पूरा समर्थन दें! ताकि वे अपना काम पूरी प्रामाणिकता से कर सकें!* 
🤔 🤔 🤔
*केवल २५ हिन्दू मित्रों को भेजिए!*

*ll जय श्री राम ll*

सोमवार, 24 जुलाई 2023

हर खेत, हर गांव, कसबे, शहर मे बारिश का पानी धरती में उतारने का काम होना ही चाहिए...

बहुत ही प्रेरणादायक...

हर खेत, हर गांव, कसबे, शहर मे बारिश का पानी धरती में उतारने का काम होना ही चाहिए...

"विद्या भारती के मार्गदर्शन में भाऊराव देवरस सेवा न्यास भोपाल द्वारा जनजाति क्षेत्र में सरस्वती संस्कार केन्द्र(Singal Teacher School) संचालित है।

 जिसके माध्यम से सामाजिक सरोकार के कार्य किये जाते हैं। इसी कड़ी में वर्षा जल संग्रह कार्य किया जाता है। जिसमें वर्षाकाल में घर के पास सोखता गड्ढा(वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम) बनाकर घर के पानी को उसमें उतारा जाता है।

बैतूल जिले के ग्राम बाचा में इस तरह सोखता गड्ढे बनाये गये। जिसमें आधे घंटे में 500 ली. पानी धरती में समा गया। यह विद्या भारती द्वारा बड़े पैमाने पर समाज हितैषी एवं देश हितैषी कार्य किया जा रहा है।

विद्या भारती द्वारा किये जा रहे कार्य में समस्त ग्रामजन, समाजजन को साधुवाद।"

सोख्ता गड्ढा बनाने की विधि इस प्रकार है-
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1.सोख्ता गड्ढा वहीँ बनायें जहाँ पानी वेस्ट होता हो।
2. सोख्ता गड्ढा की लम्बाई,चोड़ाई और गहराई =1मीx1मीx1मी  
3. इस गड्ढे के बीचो बीच 6 इंच व्यास का 15 फीट का बोर करे
4. अब इस् बोर में पिल्ली ईंटों (नरम ईंटों) की रोड़ी भरें।
5. अब नीचे 1/4 भाग में 5 इंच x 6 इंच साईज़ के ईंटों के टुकड़े,फिर 
1/4 भाग में 4 इंच x 5 इंच साईज़ के ईंटों के टुकड़े भर देते है। 
6. शेष 1/4 भाग में बजरी (2इंचx2इंच साईज़) भर देते है।
7. अब 6 इंच की एक परत मोटे रेत की बना देते है। 
8. एक मिट्टी का घड़ा या पलास्टिक का डिब्बा लेकर उस में सुराख कर देते है फिट उस में नारियल की जटाएं या सुतली जूट भर देते है यह इसलिए कि पानी के साथ आने वाला ठोस गंद उपर ही रह जाएगा और कभी कभी सफाई करने के लिए भी सुविधा हो जाएगी।
9. अब निकास नाली को इस घड़े या डिब्बे के साथ जोड़ देते है वेस्ट पानी इस में सबसे पहले आएगा।   
10. खाली बोरी से गड्ढे को ढक देते है।
11. बोरी के उपर मिट्टी डाल कर गड्ढे को ईंटों से बंद कर देते है।
12. अब तैयार हो गया सोख्ता गड्ढा ..अब यह गड्ढा प्रतिदिन लगभग 500 लीटर बेकार पानी को 5-6 सालों तक सोख्ता रहेगा।

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क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है?

 क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है? पढें भूतभावन भोलेनाथ के पवित्र मास श्रावण में एक उपयोगी एवम विस्तृत प्रस्तुति।





रुद्राभिषेक का महत्त्व तथा लाभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद अनुसार शिव हैं – सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।

 भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा,अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।

भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है वेदः शिवः शिवो वेदः। इसी कारण ऋषियों ने शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है यथा –

यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शत्रुद्रियैः।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।

शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है ।जाबालोपनिषद में याज्ञवल्क्य ने कहा – शतरुद्रियेणेति अर्थात शतरुद्रिय के सतत पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 परन्तु जो भक्त यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय  का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।

महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन अवश्य ही शिवजी का अभिषेक करते हैं।

क्या है  रुद्राभिषेक ?

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है –  स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में  ही विश्रुत है।

अभिषेक के कई रूप तथा  प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी  जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय  माना गया है।

रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:  अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु  के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु  ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।

 इस युद्ध से नाराज भगवान  रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो  हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए।  कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार ––

एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मृत्यु लोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ  मृत्यु लोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है?

भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ।

जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए  रुद्राभिषेक करता  है  वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है  अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।

रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

जरूर पढ़े “शिवजी को कौन सा फूल चढाने से क्या फल मिलता है”

जानिए शिवजी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
संस्कृत श्लोक

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।

अर्थात

जल से रुद्राभिषेक करने पर —               वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर —        रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर —                  पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —     लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर —     मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —     बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से   —                   पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से —             ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से —                       वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से —      रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से   —-         पाप क्षय हेतू।

इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती  हैं।

क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?

 

क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?

जी हां ये बात बिल्कुल सत्य है। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर बासुदेव जी के जरिए उनको गोकुल में पहुंचाया गया। आप सभी जानते है जब वासुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे। उस समय रास्ते में यमुना जी से होकर उन्हें जाना पड़ा था। जिसमें चलकर श्री कृष्ण को ले जाया गया था। इस बात का सबूत आप गूगल मैप पर देख सकते हो कि मथुरा और गोकुल के बीच में यमुना जी पड़ती है।


दुर्गा सप्तशती में भगवान विष्णु जी कानो के मैल से राक्षस मधु कैटभ ही क्यों उतपन्न हुए? कोई देवता शक्ति क्यों नहीं उतपन्न हुई

 

भगवान ने कौन सा काम क्यों किया यह समझ पाना हमारे वश का नहीं है फिर भी मधु कैटभ की उत्पत्ति और अंत पर कुछ बातें करते हैं।

प्रलय के अंत में सब कुछ जलमग्न था भगवान विष्णु योगनिद्रा के प्रभाव से शयन कर रहे थे लेकिन ब्रह्म जी उनकी कमल नाभि पर बैठे थे। जहां तक मुझे लगता है भगवान विष्णु कभी खाली नहीं रहते कुछ ना कुछ करते ही रहते हैं। ब्रह्म जी को ब्रह्मा होने का अभिमान बहुत बार हो चुका है , इस बार भी ब्रह्मा जी को एक पाठ पढ़ाने के लिए भगवान ने अपने कान के मैल से महा शक्तिशाली मधु कैटभ को उत्पन्न कर दिया है या उत्पन्न होने दिया।

मनु कैटभ उत्पन्न होते ही ब्रह्मा जी को मारने चल दिए, उन भयानक असुरों को देखकर ब्रह्मा जी ने सोचा भगवान तो सो रहे हैं अब उन्हें कौन बचाएगा ? तब ब्रह्म जी ने देवी की स्तुति करना प्रारंभ किया जिनके वश में आकर भगवान विष्णु शयन कर रहे थे।

ब्रह्मा जी ने कहा — " ये जो दोनों असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन दोनों असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो "

तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा इस स्तुति से प्रसन्न हुईं और भगवान विष्णु के नेत्रों से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने खड़ी हो गईं।

योगनिद्रा से मुक्त होते ही जगत के आधार भगवान शेषनाग की शैय्या पर बैठ गए और दो असुर वीरों को ललकारते हुए देखा। जो लाल लाल नेत्र किए ब्रह्मा जी को खाने के लिए उद्यत थे।

भगवान विष्णु को उन महापराक्रमी असुरों ने युद्ध करने को आमंत्रित किया लेकिन भगवान बल के साथ बुद्धि के भी भंडार हैं, वे उन असुरों की स्तुति करके उनसे उन्हीं के मृत्यु का वरदान मांग लिया। तत्पश्चात भगवान ने उनका वध कर दिया।

भगवान के इस लीला से हमें बहुत कुछ मिला जैसे दुर्गा जी की स्तुति करने का तरीका, भगवान की पावन कथा और व्यवहारिक ज्ञान तो मिला ही। अगर भगवान ये सब ना करें तो भवसागर से पार होने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं रहेगा।

मणिपुर से आ रही वीडियो ने देश को बुरी तरह से झंझोर दिया है। इस पर आपकी कोई टिप्पणी?

 

मणिपुर हिंसा वर्तमान समय में लगभग 80 दिनों से उपर से हो रही है। नागा,मैती और कुकी इन तीनो जनजातियों की गलती है हिंसा में। जिन दो महिलाओं की वीडियो को लेकर सारा बबाल हो रहा है वो 3–4 मई की है जो ठीक संसद के मानसून सत्र के पहले आई।सूत्र तो ये भी कहते हैं की कई महिलाओं शायद 200 से लेकर 2000 की इज्जत तार तार हुई।ये वीडियो सामने न आती तो कुछ विशेष प्रवृति के मनावतावादियों के छाती में दूध शायद न उतरता।दरअसल महिलाओं को हमेशा से समाज में एक व्यक्ति के तौर पर नही बल्कि एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।एक ऐसी वस्तु जिसका मान मर्दन कर सामने वाले प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाया जा सके।युद्धकाल और आपातकाल में महिलाएं खासकर कम उम्र की स्त्री की इज्जत को नीलाम करने वाले नरपिचाषों से स्वयं को बचाकर रखना बेहद कठिन कार्य है।इसके बारे में हम मुंह उठाकर कितना भी लिखें परंतु उस स्वाभिमानी नवयोवना के अलावा रूह कंपा देने वाली इस स्तिथि को कोई नहीं समझ सकता जिसने इसका सामना किया हो। कहते हैं किसी महिला ने ही इस कृत्य के लिए इनको उकसाया था।

आज समाज की हालात बद से बद्तर हो चुकी है। इसे सिर्फ मणिपुर तक ही क्यों देखा जाए। महिलाएं स्वयं को एक बाजारू वस्तु के रूप में प्रस्तुत करने में गौरवान्वित महसूस करती है।जीतने कम कपड़े हम उतने हाई क्लास सोच वाले और मॉर्डन।इसे तो समाज सहर्ष स्वीकार कर रहा है।

मणिपुर की घटना गलत तो ये सही कैसे 👇

आज जो गंदगी परोसी जा रही है उसपर समाज क्यूं नही बोलता ,सोचा है कभी कितना नीचे गिर चुके हैं।🤔

मणिपुर गलत तो बंगाल सही कैसे 👇

नीचे की तस्वीर भी मणिपुर की महिलाओं की ही है 👇 ये सही था क्या

नीचे जो तस्वीर है वो सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है बंगाल की ही है हो सकता है न भी हो ।ये नग्न महिला पुलिस को खदेड़ रही है।यहां मानवता कहां गई।

दो अमर्यादित तस्वीर हटानी जरूरी थी सो हटा दी। दूसरे को नसीहत देने से पहले स्वयं के आचरण पर गौर करना चाहिए। उन तस्वीरों से किसी की भावना आहत हुई है खासकर किसी बहन की तो क्षमा चाहूंगा। 🙏पर क्या करूं कुछ लोगों को आईना दिखाना जरूरी हो जाता है। मैं स्वयं मर्यादा का पालन न करूं तो दूसरों से उम्मीद बेमानी है।

सूत्रों के अनुसार ये मुर्शिदाबाद बंगाल की है।मोदी को मानवता और नारीवाद के नाम पर कोसने वाले लिब्रांड कोरापुत्रों अपने मोतियाबिंद वाला काला चश्मा नैनो पर चढ़ा कर लिखते रहो,नारीवाद का एकतरफा RR करने वाले इसपर क्या बोलोगे 👆👇my body my choice इतना काफी है इसे सही साबित करने को क्यूं

एकतरफा सोच रखकर लिखने वाले अपनी पीछे वाली जेब में अपनी पक्षपाती सोच की बत्ती बनाकर डाल लें तो बेहतर रहेगा।

खुद से स्वयं का मॉर्डनाइजेशन के नाम पर दैहिक शौषण करना सही कैसे

ये मोहतरमा कहती है अनपढ़ रूल कर रहे जिसका खुद का पति पूरे देश में पान और गांजा बेचता फिरता है।जिसका सामाजिक बहिष्कार नही होता 🤔अनपढ़ कौन ये या हम।

एक महिला बिना कपड़ों के हो या पूरे कपड़ों में उसे खिलौना ही समझा जाता है जिसमे महिलाएं भी 100% जिम्मेदार हैं ।

बेटियों के साथ साथ बेटों को भी जिस दिन हर घर में बचपन से अच्छे संस्कार मिलेंगे तो शायद स्तिथि थोड़ी बेहतर हो सके

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