सूर्य मकर संक्रान्ति : 15 जनवरी, 2012 को......
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l 17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l 17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l
आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l
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