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रविवार, 10 अक्तूबर 2021

पांच प्रकार की तुलसी का अर्क का सेवन करने से कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है।

5 तरह की तुलसी से मिलेंगे 10 ऐसे-ऐसे लाभ कि आप दंग रह जाएंगे 


हिन्दू धर्म में तुलसी को मां लक्ष्मी का रूप मानकर घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया जाता है। लेकिन इसके अलावा भी तुलसी के वैज्ञानिक व आयुर्वेद की दृष्टि से कई लाभ मिलते हैं। इस अनमोल पौधे के कुल 5 प्रकार होते हैं, जो स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 
तुलसी मुख्यतः 5 प्रकार की होती है.

    श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी / काली तुलसी
    राम तुलसी
    विष्णु तुलसी या श्वेत तुलसी
    वन तुलसी
    नींबू तुलसी


तुलसी के पांचों प्रकारों को मिलाकर इनका अर्क निकाला जाए, तो यह पूरे विश्व की सबसे प्रभावकारी और बेहतरीन दवा न सकती है। एक एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी- बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इफ्लेमेन्ट्री व एंटी डिजीज की तह कार्य करने लगती है। जानिए इस अनमोल दवा के यह बेशकीमती फायदे -
 1. पांच प्रकार की तुलसी का अर्क निकालकर इसके मिश्रण का सेवन करने से कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। एक ग्लास पानी में एक या दो बूंद अर्क मिलाकर इस मिश्रण को 1 लीटर पानी में डालकर रखें और कुछ देर बाद इसका सेवन करें। पीने के पान में इसका प्रयोग कर रोगाणुओं से बचा जा सकता है।


2.पांच तुलसी का यह अर्क सैकड़ों रोगों में लाभदायक सिद्ध होता है। बुखार, फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, सर्दी, खांसी, जुखाम, प्लेग, मलेरिया, जोड़ों का दर्द, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट में कृमि, हेपेटाइटिस, जलन, मूत्र संबंधी रोग, गठिया, दम, मरोड़, बवासीर, अतिसार, आंख दर्द , खुजली, सिर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, वीर्य की कमी, हार्ट ब्लॉकेज आदि समस्याओं से एक साथ निजात दिलाने में सक्षम है।
3. यह मिश्रण एक बेहतरीन विष नाशक की तरह कार्य करती है। इसके रोजाना सेवन से शरीर से हानिकारक एवं अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर के आंतरिक अंगों की भी सफाई होती है। श्री तुलसी स्मरण शक्ति को बढ़ाने के लिए बेहद कारगर उपाय है ।

4. इसके सेवन से लाल रक्त कणों में इजाफा होता है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है। एक बूंद श्री तुलसी का प्रतिदिन सेवन करने से पेट संबंधी बीमारियां धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं में उल्टी की परेशानी होने पर भी यह लाभकारी है।
5. खांसी या जुकाम होने पर इसका प्रयोग शहद के साथ करना फायदेमंद होता है। गले में दर्द, मुंह में छाले, आवाज खराब होने पर या मुंह से दुर्गंध आने की स्थिति में इसकी एक बूंद मात्रा का सेवन भी बेहद कारगर साबित होगा। दांत का दर्द, दांत में कीड़ा लगना, मसूड़ों में खून आने जैसी समस्याओं में इसकी 4 से 5 बूंद पानी में डालकर कुल्ला करें।

6. शरीर की त्वचा जल जाने पर इसका रस लगाना लाभदायक है वहीं किसी विषैले जीव-जंतु के काटने पर इसे लगाने राहत मिलती है और जहर भी उतरता है। इसकी कुछ बूंदें शरीर पर लगाकर सोने से मच्छरों से बचा जा सकता है।
7. कान में दर्द होना या कान बहने जैसी समस्याओं में तुलसी का रस हल्का गुनगुना कर कान में डालने से फायदा होगा। वहीं नाक की समस्या या फोड़े–फुंसियां होने पर इसका गुनगुना रस डालने से लाभ होगा।

8. बालों में किसी भी प्रकार की समस्या जैसे- बाल झड़ना, सफेद होने पर इस रस को तेल में मलाकर लगाना लाभकारी होगा। वहीं जुएं य कीड़े होने पर रस की कुछ
बूंदें नींबू के रस में मिलाकर लगाएं और कुछ घंटों के बाद धो लें। इससे काफी लाभ होगा।
9. त्वचा की हर समस्या का समाधान है इसके पास। नींबू के रस के साथ इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की सफाई होगी और चेहरा दमकने लगेगा। सुबह और शम के वक्त चेहरे पर इसका इस्तेमाल करने पर कील, मुंहासे, दाग-धब्बे और झाइयों से निजात मिलेगी। इसे नारियल तेल के साथ लगाने से सफेद दाग भी ठीक हो जाता है।

10.वजन घटाने के लिए भी तुलसी बेहद काम की चीज है। इसके नियमित सेवन से आपका मोटापा तो कम होगा ही, यह कोलेस्ट्रॉल को कम कर रक्त के थक्के जमने से रोकती है। इससे हार्ट अटैक की संभावना भी कम होती है।

राम तुलसी और श्याम तुलसी में अंतर –

1) राम तुलसी सामान्यतः दिखने वाली तुलसी होती है, जिसके पत्ती हलके हरे रंग के होते हैं. राम तुलसी का पूजा आदि में अधिक प्रयोग होता है.

2) श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी (Black tulsi) एक ऐसी प्रजाति होती है, जिसकी पत्ती, मंजरी व शाखाएं बैंगनी-काले से रंग के दिखते हैं. सेहत की दृष्टि से श्यामा तुलसी आमतौर पर मिलने वाली राम तुलसी से ज्यादा फायदेमंद होती है.

3) राम तुलसी का बोटैनिकल नाम Ocimum sanctum है. श्यामा तुलसी का बोटैनिकल नाम Ocimum Tenuiflorum है.

4) राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी का स्वाद ज्यादा तेज (Crisp & peppery) और गर्म महसूस होता है.

5) हरे पत्तों वाली राम तुलसी बच्चों के लिए और जामुनी रंग वाली श्यामा तुलसी जवान और बड़े उम्र लोगों के लिए अधिक लाभकारी होती है.
Shyam Tulsi or Krishna Tulsi
श्यामा तुलसी
श्यामा तुलसी के गुण – Shyam tulsi benefits in hindi 

– श्याम तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला, शरीर में गैस नाशक, टयूमर नाशक, शरीर के विषैलें पदार्थों का नाशक, तनाव दूर करने वाला, सिरदर्द नाशक होता है. ये तुलसी एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ट्यूबरक्लोसिस होती है.

– श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी मलेरिया बुखार, कॉलरा, उलटी आना, कान का दर्द, फेफड़े के रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, डायबिटीज, ल्यूकोडर्मा, दांत का दर्द, कफ की समस्या का इलाज किया जाता है.
श्यामा तुलसी के फायदे और उपयोग – Kali Tulsi or Krishna Tulsi benefits in hindi 

बुखार ठीक करे – श्याम तुलसी का काढ़ा किसी भी तरह के बुखार को ठीक करता है. काढ़ा बनाने के लिए तुलसी के 8-10 पत्ते एक गिलास जितना पानी में उबालें. उबल जाने पर इसमें थोड़ा गुड़ मिला लें. पानी आधा हो जाये तो थोड़ा गुनगुना ठंडा करके पी लें.

स्टैमिना (दमखम) और इम्युनिटी बढाये – श्याम तुलसी स्टैमिना बढ़ाने में सहायक होता है. ये तुलसी मेटाबोलिज्म को सही बनाये रखता है और ठंडी के मौसम में होने वाले रोगों, इन्फेक्शन से सुरक्षा प्रदान करता है.

आँखों के लिए – काली तुलसी या कृष्ण तुलसी के पत्तों का रस पानी में मिलाकर धोने से आँखों की रौशनी तेज होती है.

महिलाओं के लिए श्याम तुलसी – औरतों में पानी आने की बीमारी ल्यूकोरिया में श्याम तुलसी या काली तुलसी का अधिक सेवन करें, जरुर फायदा होगा. मासिक स्राव या पीरियड में ब्लड ज्यादा आने पर भी काली तुलसी को पीसकर पानी में मिलाकर पीयें.

पेशाब की समस्या – पेशाब खुलकर न आता हो या बूँद-बूँद आता हो तो श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी का रस पियें.

मानसिक तनाव और एलर्जी से राहत – कृष्ण तुलसी (Kali Tulsi) का रस सभी प्रकार की एलर्जी से राहत दिलाता है. यह टेंशन, स्ट्रेस दूर करता है और बदलते मौसम से होने वाली जुकाम ठीक करता है.

बालों के लिए कृष्ण तुलसी – सर में डैंड्रफ की समस्या हो तो श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी की चटनी बनाकर बाल की जड़ों में लगायें और आधे घंटे बाद धो लें.

पेट के कीड़े – बच्चों के पेट में कीड़े हो तो श्यामा तुलसी (Black Tulsi) के रस में सौंफ या पुदीने के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पेट के कीड़े खत्म होने लगते हैं.

पथरी और स्किन के लिए – यह तुलसी किडनी या ब्लैडर स्टोन, लिवर समस्या से बचाव करता है. स्किन की ऐसी समस्या जिसमें दर्द या खुजली हो श्यामा तुलसी का उपयोग फायदा करता है.
श्यामा तुलसी की चाय पीने के फायदे – Shyama Tulsi tea benefits in hindi 

1) श्यामा तुलसी की पत्तियाँ और अदरक पानी में गर्म करें. उबल जाने के बाद थोडा ठंडा हो जाने पर पियें. चाहे तो थोड़ा गुड़ या शहद मिला लें या सादा ही पियें. इस चाय में एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते हैं. यह चाय पीना पेट, आंत और सांस की नली से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी है.

2) यह चाय हार्ट और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में फायदेमंद है. इसे पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है. इसमें Mild blood thinning गुण होता है, जोकि हार्ट-अटैक की सम्भावनाओं को कम करता है.

3) यह खून साफ़ करता है, रक्त-संचार सही रखता है और बढ़े हुए ब्लड प्रेशर से होने वाले तनाव को कम करता है. यह ब्लड प्रेशर सामान्य करता है और हृदय की धमनियों को सुरक्षित रखता है.

पढ़ें > शहद और दालचीनी की चाय के फायदे 
श्यामा तुलसी के उपाय – Shyama Tulsi mala Benefits 

1) श्याम तुलसी के पौधे की पूजा करना और घर में लगाना अधिक शुभ माना गया है. माँ काली और हनुमान जी को श्यामा तुलसी चढ़ाना अच्छा माना गया है.

2) श्याम तुलसी या कृष्ण तुलसी की माला पहनने से आध्यत्मिक लाभ के अलावा परिवार के सुख और सम्पन्नता में भी बढ़ोत्तरी होती है. श्याम तुलसी या काली तुलसी की माला दिमागी शांति देती है.

3) श्याम तुलसी की माला सम्बन्धों और प्रेम में समस्या को सुधारने का काम भी करती है. ये माला बुरी नजर से बचाती है, निगेटिविटी दूर करती है और सकरात्मक सोच लाती है.

4) काली तुलसी की माला पहनना नकारात्मकता दूर करने के लिए किसी रत्न की तुलना में अधिक असरकारक माना गया है. तुलसी की माला पहनते हैं तो अपना खान-पान सात्विक रखें तभी आप अधिक लाभ पा सकेंगे.

5) इसकी माला चाहे गले में धारण करें या घर के मन्दिर में रखें. इससे भगवान के प्रति भक्ति-भावना बढती है. इस माला को सोमवार, बुधवार, गुरुवार को गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करके पहनना चाहिए.
श्यामा तुलसी का पौधा कैसे लगायें – Shyama Tulsi Plant kaise lagaye in hindi 

– श्याम तुलसी के बीज गमले में लगाने के लिए उपयुक्त है. इसके बीज अंकुरित होने में थोडा अधिक समय (1-2 हफ्ते) ले सकते हैं, इसलिए धैर्य रखें. आप नर्सरी से तैयार पौधे भी लाकर लगा सकते हैं.

– जब तक बीज अंकुरित न हो जाएँ, गमले को थोड़ा छाँव में रखें जहाँ सीधे धूप न आती हो. समय-समय पर पानी देते रहें, जब लगे कि मिट्टी में नमी सूखने वाली है.

– तुलसी के पौधे को खुली धूप और उपजाऊ मिटटी की आवश्यकता होती है. मिट्टी में आर्गेनिक खाद या गोबर की खाद मिलाने से आपके पौधे में घनी पत्तियाँ आयेंगी और बढ़त अच्छी होगी.

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हर रोज सुबह खाली पेट चबाएं पुदीना और तुलसी की पत्तियां, पाचन में होगा सुधार, मिलेंगे ये 5 गजब के फायदेMint And Basil Leaves Benefits: हेल्दी आदतें हमारे स्वास्थ्य को बेहतर रखने का काम करती हैं. सुबह खाली पेट (Empty Stomach) कुछ चीजों का सेवन करने से कमाल के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते है. क्या आप जानते हैं सुबह खाली पेट तुलसी के पत्तों को चबाने के फायदे (Benefits Of Chewing Basil Leaves) कई हैं या पुदीने की पत्तियों को चबाने के फायदे 

(Benefits Of Chewing Mint Leaves) क्या हैं बहुत ही कम लोगों को पता होता है. ऐसे में लोग इन दो आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को प्रयोग करने का तरीका नहीं जानते हैं और तुलसी या पुदीना के स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits Of Basil Or Mint) लेने से चूक जाते हैं. अगर आप आज से ही अपनी सुबह की आदतों में कुछ हेल्दी चीजों को शामिल करते हैं तो आपको न पाचन में सुधार (Improve Digestion) महसूस हो सकता है बल्कि पेट की समस्याओं (Stomch Problems) को दूर करने के साथ कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद मिल सकती है.


ज्यादातर लोग सुबह खाली पेट सबसे पहले चाय पीते हैं जो आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसान से ज्यादा कुछ नहीं करती है. अगर आप चाय की जगह पर कुछ हेल्दी चीजों को लेना शुरू करेंगे तो आपको कमाल के फायदे मिल सकते हैं. जैसे तुलसी के पत्तों को चबाना (Chewing Basil Leaves) या पुदीने की पत्तियों का सेवन. यह दोनों हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती हैं. 

तुलसी के पत्तों (Basil Leaves Benefits) में विटामिन ए, विटामिन डी, आयरन और फाइबर होते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं और संक्रमण को दूर रखने का काम करते हैं. वहीं पुदीना के फायदे (Benefits Of Mint) कफ और वात दोष को कम करने के लिए लिए जा सकते हैं. यह आपकी भूख को भी बढ़ाते हैं और पेट को हेल्दी रख सकते हैं.


तुलसी और पुदीने की पत्तियों के स्वास्थ्य लाभ | 
Health Benefits Of Bsil And Mint Leaves

1. पाचन में होगा सुधार

तुलसी और पुदीने में ऐसे गुण होते हैं जो पेट के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं. तुलसी और पुदीने के पत्तों का नियमित रूप से सेवन किया जाय, तो पाचन को बेहतर बनाया जा सकता है. यह दोनों एसिड रिफ्लक्स को कम करने के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं. पुदीने का रस शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का भी काम कर सकता है. इसके साथ ही यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी फायदेमंद माने जाते हैं.
2. सर्दी-जुकाम के लिए फायदेमंद

पुदीना एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरा होता है. साथ ही तुलसी अपने एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए जानी जाती है. सुबह खाली पेट इन दोनों का सेवन कर सर्दी-जुकाम से राहत पाई जा सकती है. वहीं ये इम्यूनिटी को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकते है. क्योकि इनमें एंटीऑक्सिडेंट भी काफी मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे में यह आपको कई तरह के संक्रमण से बचाने में मददगार हो सकते हैं.
3. तनाव की करेंगे छुट्टी

तुलसी में कई ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो तनाव को कम करने में मददगार हो सकते हैं. तुलसी और पुदीने के पत्ते अडॉप्टोजेन से भरपूर होते हैं जो आपके शरीर में तनाव के स्तर को कम करने में फायदेमंद माने जाते हैं. ये दोनों ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में मददगार हो सकते हैं. यह इंद्रियों को शांत कर रहा है और तनाव को कम करने में योगदान दे सकते हैं. सुबह खाली पेट इन पत्तियों का सेवन काफी लाभकारी हो सकता है.
Mint And Basil Leaves Benefits: स्ट्रेस को कम करने में मददगार हो सकते हैं पुदीना और तुलसी

4. त्वचा के लिए फायदेमंद

हमारी स्किन पेट के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है तभी तो कब्ज होने से स्किन पर दाग और मुंहासे होने लगते हैं. तुलसी और पुदीना शरीर को डिटॉक्स करने का भी काम करते हैं जिससे शरीर को गंदगी बाहर निकली जाती है और स्किन पर नेचुरल चमक देखने को मिल सकती है. खाली पेट तुलसी और पुदीने का सेवन करने से मुंहासे और दानों को कम कर करने में भी मदद मिल सकती है. 
5. ब्लड शुगर लेवल करेंगे कंट्रोल

दोनों में अलग-अलग तरह के एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं तो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोक सकते हैं और इसे मैनेज करने में आपकी मदद कर सकते हैं. तुलसी और पुदीने में कुछ ऐसे घटक होते हैं, जो कोशिकाओं के कामकाज के काम काज को बेहतर बना सकते हैं. ये दोनों पत्तियां इंसुलिन के रिलीज को बेहतर बनाने के लिए लाभकारी हो सकती हैं.

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने से बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ

पानी, तेल या दूध का कुल्ला करने के चमत्कारिक फायदे, एक बार आजमाकर देखें, बिना दवा के भी रह सकते स्वस्थ





हमारी परम्पराएँ और घरेलु ज्ञान इतना ज़बरदस्त है के अगर हम इन पर थोडा भी ध्यान देवें तो बिना दवा के भी स्वस्थ रह सकते हैं.

आज आपको ऐसी ही एक विधि से परिचित करवा रहें हैं जिसका नाम है कुल्ला.

कुल्ला एक ऐसी विधि है जिससे आप बिना दवा के जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गले के रोग, मुंह के छाले, शरीर को डी टोक्सिफाय करने, गर्दन के सर्वाइकल जैसे रोगों से मुक्ति पा सकते हैं. आइये जानते हैं कुल्ला करने की सही विधि और इसके चमत्कारिक लाभ.

पानी का कुल्ला

मुंह में पानी का कुल्ला तीन मिनट तक भर कर रखें. इससे गले के रोग, जुकाम, खांसी, श्वांस रोग, गर्दन का दर्द जैसे कड़कड़ाहट से छुटकारा मिलता है. नित्य मुंह धोते समय, दिन में भी मुंह में पानी का कुल्ला भर कर रखें. इससे मुंह भी साफ़ हो जाता है.

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोएं. ऐसा दिन में तीन बार करें. जब भी पानी के पास जाएँ मुंह में पानी का कुल्ला भर लें और नेत्रों पर पानी के छींटे मारें, धोएं. मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुनः कुल्ला भर लें. मुंह का पानी गर्म ना हो इसीलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहें.

भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे. आपस में दोनों हाथों को रगड़ कर चेहरा व् कानों तक मलें. इससे आरोग्य शक्ति बढती है. नेत्र ज्योति ठीक रहती है.

गले के रोग, सर्दी जुकाम या श्वांस रोग होने पर थोडा गुनगुना पानी ले कर इसमें सेंधव् (सेंधा) नमक मिला कर कुल्ला करना चाहिए, इस से गले, कफ, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में बहुत फायदा होता है.

तेल का कुल्ला

तेल से कुल्ला एक प्राचीन आयुर्वेदिक विधि है जिससे न केवल असाध्य रोगों से बचा जा सकता है बल्कि इससे कई तरह की बीमारियों को भी रोका जा सकता है। आम तौर पर मुंह के बैक्टीरिया को मारने के लिए ऑयल को मुंह में भरकर हिलाने की प्रक्रिया को तेल से कुल्ला कहते हैं।  सुबह सुबह बासी मुंह में सरसों या तिल का तेल भर कर पूरे 10 मिनट तक उसको चलाते रहें, ध्यान रहे ये निगलना नहीं है, ऐसा करने से मुंह और दांतों के रोग तो सभी ठीक होंगे ही, साथ में पूरी बॉडी डी टोक्सिफाय होगी. अनेक रोगों से मुक्त होने की इस विधि को तेल चूषण विधि कहा जाता है. आयुर्वेद में इसको गण्डूषकर्म कहा जाता है और पश्चिमी जगत में इसको आयल पुल्लिंग के नाम से जाना जाता है.

इससे सिरदर्द से लेकर साइनस ही नहीं तमाम अन्य बीमारियां भी दूर होती है। तो चलिए जानते हैं तेल से कुल्ला करने का सही तरीका.....

कैसे करें

तेल से कुल्ला करने के लिए तिल, जैतून या नारियल का तेल लेकर मुंह में घूमाना होता है। करीब 10-15 मिनट तक इसे मुंह के अंदर करना होता है और इसके बाद इसे थूक देना होता है। याद रखें एक बूंद भी अंदर न जाने पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मुंह में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस, कवक और अन्य विषैले तत्व शामिल हो चुके होते हैं।

तेल से कुल्ला करने के फायदे

तेल से कुल्ला से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और दांतों की सेंसिटिविटी कम होती है।

ये थेरेपी सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, दांतदर्द, अल्सर, पेट, किडनी, आंत, हार्ट, लिवर, फेफड़ों के रोग और अनिद्रा में भी राहत देती है।

बॉडी की सूजन का कारण भी इससे ठीक होता है।

कीटाणु और विषैले पदार्थ मुंह से ही जाते हैं लेकिन तेल से कुल्ला से ये रूक सकता है।

तेल से कुल्ला करने से एनर्जी लेवल बढ़ता है।

बॉडी जब डिटॉक्स हो जाती है तो इससे एनर्जी का बढ़ना तय है।

सिरदर्द ,माइग्रेन, साइनस या स्ट्रेस से होने वाला सिर दर्द सब कुछ तेल से कुल्ला से सही हो सकता है।

बॉडी डिटॉक्स होने के कारण पेट का ऐसिडिक लेवल बैलेंस रहता है और इससे माइग्रेन की समस्या नहीं होती है।

बॉडी से जब विषैले तत्व हट जाते हैं तो इससे हार्मोन्स लेवल भी बैलेंस होता है।

तेल से कुल्ला से हार्मोन लेवल का सेक्रिशन भी बेहतर तरीके से होता है।

स्किन के लिए है खास 

बेक्टिरया, वायरस, कवक और दूसरे विषाक्त पदार्थों के बाहर निकलने से त्वचा भी साफ होती है।

चेहरे पर चमक आना इसकी पहली निशानी है कि शरीर आपका डिटॉक्स हो चुका है।

दांतों को मोतियों सा चमकाती है। दांतो की चमक के साथ कई तरह की समस्याएं तेल से कुल्ला से ठीक होती है।

ऑयल में मौजूद नेचुरल एंटीबेक्टिरियल और एंटीबायोटिक गुण होता है जो दांतों को साफ करता है।

2 हफ्ते रोज इसे करने से ही फर्क नजर आ जाएगा।

यह कैविटी, सांसों की दुर्गंध और मसूड़ों से खून आने जैसी दिक्कते भी दूर करता है।


क्या है ऑयल पुलिंग - दरसल ऑयल पुलिंग एक तरह से तेल का कुल्ला करना है। इस प्रक्रिया में ज्यादातर नारियल के तेल का प्रयोग किया जाता है। इसमें तेल को मुंह में डालकर 5 से 10 मिनट तक मुंह में ही घुमाया जाता है, ताकि यह मुंह के कोने-कोने तक पहुंच जाए। और जब यह लार के साथ मिलकर पतला हो जाता है, तो इसे थूक दिया जाता है। कहा जाता है कि यह बैक्टीरिया की सफाई का बढ़िया तरीका है।

नुकसान - 1) इस प्रक्रिया में यह भी संभव है कि तेल की कुछ मात्रा लार के साथ आपके पेट में भी चली जाए। और ऑयल पुलिंग का पहला नुकसान यही है। दरअसल यह तेल अगर पेट में जाता है, तो इसका पाचन काफी मुश्किल होता है और इसके लिए आपके पाचन तंत्र को काफी मेहनत करनी होती है।

2) यह समस्या अगर थोड़ा और बढ़ती है, तो आपके सिर में दर्द भी पैदा होता है जिसे आम भाषा में आप, सिर चढ़ना कहते हैं। तो अगली बार जब भी आप ऑयल पुलिंग करने वाले हों, एक बार इस बारे में जरूर सोच लें।


दूध का कुल्ला.

अगर मुंह में या गले में छाले हो जाएँ और किसी भी दवा से ठीक ना हो रहें हो तो आप सुबह कच्चा दूध (अर्थात बिना उबला हुआ ताज़ा दूध) मुंह में कुछ देर तक रखें. और ध्यान रहे इस दूध को आपको बाहर फेंकना नहीं है. इसको मुंह में जितना देर हो सके 10 से 15 मिनट तक रखें, कुछ देर बाद बूँद बूँद कर के ये गले से नीचे उतरने लगेगा.. इस प्रयोग को दिन में 2-4 बार कर सकते हैं. आपको मुंह, जीभ और गले के छालो में पहले ही दिन में आराम आना शुरू हो जायेगा.


भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

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