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रविवार, 9 अप्रैल 2023

यह बंद फैक्ट्री है रानीबाग उत्तराखण्ड में एचएमटी की. किसी समय यह भारत का वक्त बताती थी

भुतहा सी नज़र होने वाली यह बंद फैक्ट्री है रानीबाग उत्तराखण्ड में एचएमटी की. किसी समय यह भारत का वक्त बताती थी. भारत की इकमात्र घड़ी कंपनी थी, भारत सरकार का उपक्रम थी. कभी इसकी घड़ी लेने के लिए सालों की वेटिंग होती थी. 
 
इस कंपनी के पास भारत के सर्वश्रेष्ठ डिज़ायनर थे, इंजीनियर थे. बस नहीं थी तो इच्छा शक्ति समय के साथ चलने की, ग्राहकों को भगवान मानने की. सारी दुनिया क्वार्ट्ज़ टेक्नोलॉजी में आ चुकी थी लेकिन एचएमटी की ज़िद थी कि वह मैन्युअल चाभी भरने वाली घड़ियाँ ही बनायेंगे. उसमे भी डिमांड सप्लाई का गैप इतना कि ग्राहकों को सालों इंतज़ार करना पड़ता था, रिश्वत देनी पड़ती थी. 
 
कंपनी का मैनेजमेंट सब तरह से कमाता था. ग्राहकों से ब्लैक में पैसा ले कर. पॉवर फ़ुल लोगों को समय से घड़ी देकर एहसान कर और सबसे ज्यादा क्वार्ट्ज़ की इलेक्ट्रॉनिक घड़ियाँ न बना कर अवैध रूप से विदेशी कंपनियों को मार्केट का हिस्सा देकर. एक समय भारत में बिकने वाली अस्सी प्रतिशत घड़ियाँ अवैध रूप से भारत आती थीं. मज़ेदार बात थी कि उन घड़ियों के विज्ञापन आदि भी होते थे, फुल ऑफिस थे, बस वैध तरीक़े से भारत में बिक नहीं सकती थीं. ग्राहक भी वही ख़रीदते, दुकानदार भी वही बेचते, बस भारत सरकार का भ्रम था कि भारत में हम केवल एचएमटी की घड़ी ही बिकने देंगे.
इसके पीछे एक पहाड़ी नाला बहता है एचएमटी के कर्मचारी प्लास्टिक के डिब्बे में घड़ी के पुर्जे रख कर फेंक देते थे और उनके रिश्तेदार आगे जाकर उसे निकाल लेते थे और उसे घड़ी साजो  को बेचते थे
 
फिर एंट्री हुई टाटा की. टाइटन कंपनी आई. उन्होंने डिसाइड किया कि वह केवल इलेक्ट्रॉनिक घड़ी बनायेंगे. एचएमटी के पास उनसे मुक़ाबले की रण नीति यह कि हम सरकारी हैं सरकार से बोल किसी प्राइवेट कंपनी को न आने देंगे. पर टाटा भी इतने हल्के न थे. टाइटन ने एचएमटी से ही रिआटायर्ड अधिकारी, इंजीनियर लिए. और पचास साल पुरानी कंपनी एचएमटी ने केवल एक साल के अंदर अपनी बादशाहत खो दी और टाइटन नंबर एक कंपनी हो गई. बस तीन सालों के अंदर एचएमटी की घड़ी भारत में कोई मुफ़्त ख़रीदने वाला न बचा.
 
आज यह फैक्ट्री अपने गुजरे कल के इतिहास की गवाह है. गवाह है कि जो व्यवसाय के साथ नहीं चलता है, ग्राहकों का सम्मान नहीं करता है एक दिन वह मिट्टी में मिल ही जाता है. भले ही कभी उसकी मोनोपोली रही हो.
और उन्ही कर्मचारीयों मे से कुछ आज कह रहे होंगे की मोदी ने देश बेच दिया

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं तो जानिये-

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।
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 *राम_चरित_मानस🚩जय श्री राम*

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🚩 *राम काज किये बिना मोहें कहा विश्राम*
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