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सोमवार, 31 दिसंबर 2018

स्टेट बैंक की कहानी

स्टेट बैंक की कहानी :

कोई भी इस हास्य व्यंग्य को पर्सनली न ले

जरूरी नहीं, की
*पापों के प्रायश्चित के लिए* दान पुण्य ही किया जाए।

*स्टेट बैंक में खाता*
*खुलवा कर भी*
प्रायश्चित किया जा सकता है..

छोटा मोटा पाप हो, तो
*बैलेंस पता करने चले जाएँ।*

चार काउन्टर पर धक्के खाने के बात पता चलता है, कि
*बैलेंस गुप्ता मैडम बताएगी।*

*गुप्ता मैडम का काउन्टर कौनसा है,*
ये पता करने के लिए
*फिर किसी काउन्टर पर जाना पड़ता है।*

*लेवल वन कम्प्लीट हुआ।* यानी गुप्ता मैडम का
*काउन्टर पता चल गया है।* लेकिन अभी थोड़ा वेट करना पड़ेगा, क्योंकि
*मैडम अभी सीट पर नहीं है।*

आधे घंटे बाद चश्मा लगाए,
पल्लू संभालती हुई,
*युनिनोर की 2G स्पीड से* चलती हुई गुप्ता मैडम
*सीट पर*
*विराजमान हो जाती है।*
आप मैडम को
खाता नंबर देकर बैलेंस पूछते है।

मैडम
*पहले तो*
*आपको इस तरह घूरती है,*
जैसे
*आपने उसकी*
*बेटी का हाथ मांग लिया है।* आप भी
*अपना थोबड़ा ऐसे*
*बना लेते है*
*जैसे सुनामी में आपका सबकुछ उजड़ गया है,*
और आज की तारीख में
*आपसे बड़ा*
*लाचार दुखी कोई नहीं है।*

गुप्ता मैडम को
*आपके*
*थोबड़े पर तरस आ जाता है,* और
*बैलेंस बताने जैसा भारी काम करने का मन बना लेती है।* लेकिन
*इतना भारी काम, अकेली अबला कैसे कर सकती है?*
तो मैडम सहायता के लिए आवाज लगाती है~

*"मिश्रा जीsss, ये बैलेंस कैसे पता करते है?"*

मिश्राजी,
*अबला की*
*करुण पुकार सुनकर*
अपने
*ज्ञान का*
*खजाना खोल देते है।*

पहले तो खाते के अंदर जाकर क्लोजिंग बैलेंस पर क्लिक
करने पर बैलेंस आ जाता था। लेकिन अभी सिस्टम
चैंज हो गया है। अभी आप
*f5* दबाएँ,
और इंटर मार दे तो
बैलेंस दिखा देगा.."

गुप्ता मैडम
चश्मा ठीक करती है,
*तीन बार मोनिटर की तरफ और तीन बार की-बोर्ड की तरफ*
नजर मारती है।
फिर उंगलियाँ की-बोर्ड पर
*ऐसे फिरातीं है, जैसे कोई तीसरी क्लास का लड़का वर्ल्ड मैप में सबसे छोटा देश मस्कट ढूंढ रहा हो।*

मैडम फिर मिश्रा जी को
मदद के लिए पुकारती है~
"मिश्रा जी,
*ये f5 किधर है..??"*

*मैडम की उम्र पचास से ऊपर होने के कारण*.
शायद मिश्रा जी
*पास आकर मदद करने की जहमत नहीं उठाते।*
इसलिए
*वहीँ बैठे बैठे*
जोर से बोलते है~

की बोर्ड में
सबसे ऊपर देखिये मैडम.."

"लेकिन सबसे ऊपर तो
सिर्फ तीन बत्तियां जल रही है.."

"हां उन बत्तियों के नीचे है।
लम्बी लाईन है
*f1 से लेकर f12* तक.."

*फायनली,*
मैडम को f5 मिल जाता है। मैडम झट से बटन दबा देती है। मोनिटर पर आधे घंटे
*जलघड़ी, ( कुछ लोग उसे डमरू समझते है  😊)*
बनी रहती है।

*अंत में*
एक मैसेज आता है~
*"Session expired. Please check your connection.."*

*मैडम अपने हथियार डाल देती है।*
एक नजर, आपके
*गरीबी लाचारी से पुते चेहरे पर*
डालती है और कहती है~
*"सॉरी, सर्वर में प्रोब्लम है.."*

कहने का टोन
*ठीक वैसा ही*
होता है, जैसे
*पुरानी फिल्मो में डॉक्टर ओपरेशन थियेटर से बाहर आ कर*
कहता था~

*"सॉरी।*!!!!

*हमने बहुत कोशिश की*
*पर ठाकुर साहब को*
*नहीं बचा पाए.."*

😊😊

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये

*११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहीये:-*

*१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे? नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहियेगा।*

*२) किसी की मृत्यू होने पर "RIP" मत कहिये. कहीये "ओम शांती", "सदगती मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ती हो"। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है।*

*३) अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा। ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं।*

*४) मूर्ती पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें यह कहकर की "अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है। "सारे धर्मों में मूर्तीपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें। कुछ मुर्दों को पूजते हैं कुछ काले पत्थरों को कुछ लटके हुए प्रेषितों को।*

*५) गणेशजी और हनुमानजी को "Elephant god" या "Monkey god" न कहें। वे केवल हाथीयों तथा बंदरों के देवता नहीं है। सीधे सीधे श्री गणेश एवं श्री हनुमानजी कहें।*

*६) हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें। मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह। वह प्रार्थनागृह नहीं होते. मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती।*

*७) अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें. अग्निदेव को न बुझाएं। अपितु बच्चों को दीप की पार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं". ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।*

*८) कृपया "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें. हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था। या विज्ञान और धर्म में, इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है।*

*९) "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें। हम हिंदूओं मे केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है. पाप अधर्म का हिस्सा है।*

*१०) ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें, यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं।*

*११) क्या आप भगवान से डरते है? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं। इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं। भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें, तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहीये।*

*ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है।*

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है ?

क्या आप जानते हैं कि ये रूस का यूक्रेन से झगड़ा क्या है
हुआ दरअसल ये था ,कि USSR के जमाने में , जब ये सारे देश जिन्हें Russian Block कहा जाता है , रूस के कब्जे में थे तो रूस की Communist सरकार ने जो पहला काम किया वो इन भौगोलिक क्षेत्रों की अपनी देसी भाषाओं को सुनियोजित तरीके से खत्म कर उनपे रूसी थोप दी । शिक्षा व्यवस्था में और आम सामाजिक जीवन , रहन सहन बोल चाल में लोग अपनी देसी बोलियाँ भाषाएं भूल गए और रूसी हो गए । फिर उसके बाद अगला हमला हुआ खानपान और वेश भूषा पे ........ धीरे धीरे लोग अपनी Ethnic Nationalties भूल के रूसी बन गए ।
कालांतर में गोर्बाचेव के युग में जब ये पूरा Russian Block आज़ाद हुआ तो Cremia और सामरिक व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उसका Port यूक्रेन में चला गया ।

रूसी President पुतिन ने 2012 में Cremia पे वापस कब्जा करने का प्लान बनाया । वहां उसके पास सबसे बड़ा हथियार था वो Russian Speaking लोग , जो मूलतः थे तो यूक्रेन के , परंतु भाषा , खानपान , रहन सहन से रूसी हो गए थे , उनको पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह में खड़ा कर दिया । जनमत संग्रह हुआ और उस जनमत संग्रह में Russain Speaking लोगों ने यूक्रेन छोड़ रूस के साथ जाना तय किया , और इस तरह क्रीमिया यूक्रेन से अलग हो रूस के कब्जे में आ गया ।
अब समझ आया कि जब आपकी भाषा और मजहब बदलता है तो कैसे आपकी Nationality बदल जाती है ? कैसे आपकी आस्थाएँ बदल जाती हैं ?????? जब आप अपनी पारंपरिक वेशभूषा , खान पान , रहन सहन , रीति रिवाज़ भूल के कोई विदेशी रंग ढंग , रीति रिवाज़ अपनाने लगते है तो कैसे आपकी सोच बदलती है ???????

मैंने आजतक किसी हिंदी मीडियम , हिंदी इस्पीकिंग , या फिर किसी देसी आदमी को 25 Dec पे ये हूले लूइया हूले लूइया करते नही देखा ।
गांव देहात में किसी को 25 Dec को नकली पेड़ पूजते , नकली पेड़ पे लाइट लगा के नाचते नही देखा ।

ये चुल्ल सिर्फ शहरी , इंग्रेजी इंगलिसस्स मीडियम पढ़े , अपनी जड़ों से कटे जड़ विहीन लोगों को मचती है ।
एक नई पीढ़ी पैदा की है इस इंग्रेजी शिक्षा ने और इस इंग्रेजी टीवी  ने , जिसने हर विदेशी ब्रांड , बिदेसी कलाकार , बिदेसी Event , बिदेसी त्योहार के पीछे पागलों की तरह नाचते देखा है ।

गोरी चमड़ी के नाम पे Justin बीबर जैसा दो कौड़ी का C ग्रेड तो छोड़ो E , F या G ग्रेड भांड भी भारत मे show करके महफ़िल लूट लेता है ।

जिन मूर्खों ने ने भिंडी , गोभी और पनीर के अलावा ज़िंदगी मे कोई अन्य भारतीय भोजन नही खाया , वो जिनको घीया कद्दू तुरई परवल देख के घिन आती है , वो 600 रु का इतालवी पिज़्ज़ा ऐसे भकोसते हैं जैसे साक्षात महादेव का प्रसाद हो ......... जब आप केक काट के हैप्पी बड्डे मनाने लगें , नारियल फोड़ने की जगह फीता काटने लगें , जब किसी को हाथ से दाल भात खाता देख आपको घिन आने लगे , तो समझ लीजिये कि आपकी Nationality change हो रही है ।

अंग्रेजी भाषा बहुत अच्छी है ,तो उसे सिर्फ ज्ञानार्जन का माध्यम बनाइये , अंग्रेजियत से बचिए ।
इस सांस्कृतिक हूले लूइया से बचिए ।

1 जनवरी को नया वर्ष..??? "एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं

कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नही।
अपनी संस्कृति की झलक को अवश्य पढ़ें और साझा करें ।।
1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?????

* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो।
नया केवल एक दिन ही नही
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:

1. प्रकृति-
एक जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. वही चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I

2. मौसम,वस्त्र-

दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.. लेकिन
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I

3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी मे वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I

4. नया वित्तीय वर्ष-

दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) क्लोजिंग होती है नए बही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I

5. कलैण्डर-

जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I

6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उत्साह I

7. पर्व मनाने की विधि-

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..

जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I

8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है..
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I

एक जनवरी को अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत् ही नया साल है I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थीयों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..???

"एक जनवरी को कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"
आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े
हिन्दुत्व को जगाए
वन्दे मातरम

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