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शनिवार, 19 दिसंबर 2020

प्रणाम परिणाम बदल देता है

प्रणाम परिणाम बदल देता है

 प्राचीन काल में मृकण्ड नाम के एक विख्यात मुनि थे। उनका एक पुत्र था।ऋषि दंपत्ति द्वारा श्रेष्ठ संस्कार मिलने से वह बालक 5 वर्ष की अल्पवय में गुणवान हो गया
 एक दिन किसी सिद्ध ज्ञानी ने उस बालक की ओर देखा और बहुत देर तक ठहर कर उसके जीवन के विषय में विचार किया। बालक के पिता ने पूछा कि मेरे पुत्र की कितनी आयु है...? इस पर सिद्ध बोले कि इसके जीवन में अब केवल 6 माह और शेष रह गए हैं। 
उस बालक की आयु केवल 5 वर्ष 6 माह की थी।
 उस सिद्ध ज्ञानी की बात सुनकर बालक के पिता ने बालक का उपनयन संस्कार कर दिया और उससे कहा बेटा तुम जिस किसी मुनि को देखो उन्हें प्रणाम करो।
 सप्तऋषियों ने उस बालक को दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया । इतना करने के बाद जब उन्होंने उसकी आयु पर विचार किया तब 5 ही दिन की आयु शेष जानकर उन्हें बड़ा दु:ख हुआ। वे उस बालक को लेकर ब्रह्मा जी के पास गए,  बालक ने ब्रह्मा जी के चरणों में प्रणाम किया। ब्रह्मा जी ने भी उसे चिरायु होने का आशीर्वाद दिया।
 पितामह का वचन सुनकर ऋषियों को बड़ी प्रसन्नता हुई ,तत्पश्चात ब्रह्मा जी ने उनसे पूछा "आप लोग किस काम से यहां आए हैं तथा यह बालक कौन है.....?" ऋषियों ने कहा यह बालक मृकण्ड का पुत्र है, इसकी आयु क्षीण हो चुकी है। इसका सब को प्रणाम करने का स्वभाव हो गया है।  एक दिन हम लोग उधर से जा रहे थे, इस बालक ने सब को प्रणाम किया। उस समय हम लोगों के मुख से चिरायु होने का आशीर्वाद निकल गया। आप भी इसे चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दे चुके हैं। अतः इस बालक को बचाइए।
ब्रह्माजी बोले यह बालक मार्कंडेय, आयु में मेरे समान होगा। यह कल्प की आदि और अंत में भी श्रेष्ठ मुनियों से घिरा हुआ सदा जीवित रहेगा।
 इस प्रकार सप्त ऋषियों ने ब्रह्मा से वरदान दिलवाकर  उस बालक को पुन: पृथ्वी पर भेज दिया
 कहा भी गया है - 
 *अभिवादनशीलस्य,  नित्यं वृध्दोपसेविनः ।*
*चत्वारि तस्य वर्धन्ते, आयुर्विद्या यशोबलम् ।।*

अर्थात् जो प्रतिदिन वरिष्ठ लोगों का अभिवादन तथा उनकी सेवा करता है, निश्चित ही उसकी आयु, विद्या, यश तथा शक्ति में वृद्धि होती है।

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