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बुधवार, 18 दिसंबर 2019

गौर से पढें*, क्यूँ भारत के अस्तित्व के लिए CAB और NRC आख़िरी मौका

*गौर से पढें*, क्यूँ भारत के अस्तित्व के लिए CAB और NRC आख़िरी मौका हैं 👇👇👇

📢 *लेबनान की कहानी*

70 के दशक में *लेबनान* अरब का एक ऐसा मुल्क था । जिसे *'अरब का स्वर्ग'* कहा जाता था । और इसकी राजधानी *बेरूत* को *'अरब का पेरिस'*। लेबनान एक progressive, tolerant और multi-cultural society थी, ठीक वैसे ही जैसे *भारत* है।

लेबनान में दुनिया की बेहतरीन Universities थीं । जहाँ पूरे अरब से बच्चे पढ़ने आते थे । और फिर वहीं रह जाते थे, काम करते थे, मेहनत करते थे। लेबनान की banking दुनिया की श्रेष्ठ banking व्यवस्थाओं में शुमार थी। Oil न होने के बावजूद लेबनान एक शानदार economy थी।

लेबनान का समाज कैसा था ।  इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है ।  कि 60 के दशक में बहुचर्चित हिंदी फिल्म *An Evening in Paris* दरअसल Paris में नहीं बल्कि लेबनान में shoot की गई थी।

60 के दशक के उत्तरार्ध में वहाँ *जेहादी ताकतों* ने सिर उठाना शुरू किया। 70 में जब *Jordan* में अशांति हुई , तो लेबनान ने *फिलिस्तीनी शरणार्थियों* के लिए दरवाज़े खोल दिए - _आइये, स्वागत है!_ 1980 आते-आते लेबनान की ठीक वही हालत हो गयी जो आज *सीरिया* की है।

लेबनान की *Christian आबादी* को शरणार्थी बनकर घुसे जिहादियों ने ठीक उसी तरह मारा जैसे सीरिया के ISIS ने मारा। *पूरे के पूरे शहर में पूरी Christian आबादी को क़त्ल कर दिया गया।* कोई बचाने नहीं आया।

किसी समाज का एक छोटा-सा हिस्सा भी उन्मादी जिहादी हो जाए । तो फिर शेष peace loving society का कोई महत्त्व नहीं रहता। वो irrelevant हो जाते हैं। लेबनान की कहानी ज़्यादा पुरानी नहीं सिर्फ 25-30 साल पुरानी है।

लेबनान के इतिहास से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। और कोई सीखे न सीखे भारत को लेबनान के इतिहास से सीखने की ज़रूरत है। *रोहिंग्याओं, बाँग्लादेशी घुसपैठियों* और *सीमान्त प्रदेशों* में पल रहे जेहादियों से सतर्क रहने की ज़रूरत है।

ऐसी ताकतों के विरूद्ध एकजुट होइये । जो जेहादियों की समर्थक हैं । और इनका समर्थन दे रही  पार्टियों , संस्थाओ, औऱ इनसे जुड़े लोगों का बहिष्कार करिये।
चुप मत बैठिये।
पढ़िए, समझिये और दूसरों को
 भी समझाइए। 

*वंदे मातरम*
जय भारत 
🙏🙏🙏

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