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रविवार, 22 मई 2022

10वीं की पढ़ाई छोड़ शुरू की गांव के विकास की मुहिम - लक्ष्मण सिंह लापोड़िया

 10वीं की पढ़ाई छोड़ शुरू की गांव के विकास की मुहिम, मिलिए 100 गांवों की तकदीर बदलने वाले लक्ष्मण सिंह से


लक्ष्मण सिंह ने तीन कामों पर फोकस करके गांवों की दशा सुधारने का काम किया. पहला-जल संरक्षण, दूसरा पौधरोपण और तीसरा स्कूल बनाना. इन तीनों कामों से लक्ष्मण सिंह ने गांवों की बड़ी समस्याओं को काफी हद तक सुलझा दिया.जयपुर से 80 किलोमीटर दूर लापोड़िया गांव में रहने वाले लक्ष्मण सिंह ने आज से करीब 40 साल पहले अपने गांव की सूरत बदलने की कोशिश जब शुरू की थी तो सपने में भी उनको इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस काम का नतीजा इस कदर सुंदर हो सकता है. लक्ष्मण सिंह (66 वर्ष) का जन्म जयपुर के लापोड़िया गांव में हुआ था. उन्होंने पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई अपने लापोड़िया गांव से ही की. गांव में आगे पढ़ाई के लिए स्कूल नहीं था. इसलिए पढ़ाई करने के लिए लक्ष्मण सिंह अपनी ननिहाल जयपुर चले गए.


जयपुर में जब लक्ष्मण सिंह दसवीं की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान वे एक बार अपने गांव आए. उस समय उनकी उम्र करीब 18 साल थी. गांव की हालत देखकर लक्ष्मण सिंह को बहुत ही अफसोस हुआ. उस समय गांव में पानी की भारी किल्लत थी. लोग पीने का पानी भरने के लिए कुओं में नीचे तक उतरते थे. पानी की कमी के कारण खेती-बाड़ी बर्बाद हो रही थी. लोग मजदूरी करने के लिए शहरों की तरफ भाग रहे थे. इस हालत ने लक्ष्मण सिंह को कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित किया, जिससे गांव की हालत सुधर सके. फिर युवा लक्ष्मण सिंह ने कुछ ऐसी कोशिश की कि उनसे लोग जुड़ते गए और धीरे-धीरे कारवां बनता गया.

पुराने तालाब की मरम्मत से हुई शुरुआत
शुरू में लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव के पुराने तालाब को ठीक करने का बीड़ा उठाया. लेकिन इसके लिए मजदूरों को पैसा देना सबसे बड़ी समस्या थी. इस समस्या को सुलझाने के लिए उन्होंने खुद श्रमदान करने का फैसला किया. पहले करीब 18 लोगों को जोड़कर लक्ष्मण सिंह ने तालाब की मरम्मत का काम शुरू किया. धीरे-धीरे और भी लोग उनसे जुड़ते गए और तालाब ठीक हो गया. तालाब ठीक होने के बाद बरसात अच्छी हुई और उसमें पानी जमा हुआ. लोगों को लक्ष्मण सिंह का काम समझ में आ गया.

इसके बाद तो गांव के लोगों ने मिलकर कई तालाब बनाने का काम किया. लक्ष्मण सिंह ने इसके बाद अपने गांव के युवकों को संगठित करने के लिए ‘ग्राम विकास नवयुवक मंडल लापोड़िया’ बनाया. यह कोई रजिस्टर्ड संस्था नहीं थी. लेकिन फिर भी इसके 80 सदस्य अपने गांव में तालाब बनाने के काम में सहयोग करने के लिए स्वयंसेवा करने को तैयार रहते थे. अपने गांव के तालाबों को ठीक करने के बाद लक्ष्मण सिंह ने अपनी संस्था के लोगों को दूसरे गांवों में भी लोगों को तालाब बनाने के लिए प्रेरित करने भेजा.

गांवों में स्कूल खोल फैलाई शिक्षा की रोशनी

लक्ष्मण सिंह ने एक और काम भी किया. उन्होंने गांवों में स्कूल चलाने का अभियान शुरू किया. जिन गांवों में स्कूल नहीं थे, वहां लक्ष्मण सिंह ने स्कूल खोले और सभी पढ़े-लिखे लोग बारी-बारी से इन स्कूलों में पढ़ाते थे. लक्ष्मण सिंह ने तीन कामों पर फोकस करके गांवों की दशा सुधारने का काम किया. पहला-जल संरक्षण, दूसरा पौधरोपण और तीसरा स्कूल बनाना. इन तीनों कामों से लक्ष्मण सिंह ने गांवों की बड़ी समस्याओं को काफी हद तक सुलझा दिया. धीरे-धीरे लक्ष्मण सिंह ने 40 से 50 गांवों में स्कूल खोले.

इन गांवों में लोगों की नियमित बैठकें होती थीं और उनमें तालाब बनाने, गोचर जमीन के सुधार और स्कूलों में बच्चों को भेजने के बारे में बातें होती थीं. जो गांव ऐसा करने में आनाकानी करते थे या कोई रुचि नहीं दिखाते, ऐसे गांवों को लक्ष्मण सिंह बाद में छोड़ देते. बाद में कई गांव खुद आगे आकर धीरे-धीरे लक्ष्मण सिंह के साथ खुद को जोड़ने लगे और ग्राम विकास का उनका काम तेजी से आगे बढ़ने लगा. उन्होंने स्कूलों में लिखवाया था, ‘ये न सरकारी स्कूल है, न प्राइवेट स्कूल है, ये गांव का स्कूल है.’ इन स्कूलों में कोई फीस नहीं ली जाती और बच्चे हों या बुजुर्ग, यहां पर सभी लोग पढ़ सकते थे. गांव के जो पढ़े-लिखे लोग होते थे, वही इन स्कूलों में पढ़ाते थे.


सरकारी स्कूल खुले तो लक्ष्मण सिंह ने बंद किए स्कूल

लक्ष्मण सिंह ने 1980 से 2006 तक इन स्कूलों को चलाया और उसके बाद इन स्कूलों को छोड़ दिया. इसके बारे में लक्ष्मण सिंह ने कहा कि पहले तो सरकार गांव में स्कूल खोलने के लिए संसाधन उपलब्ध ही नहीं करा पाती थी. लेकिन 2006 के बाद सरकार ने हर गांव में स्कूल खोल दिए. इसलिए उन्होंने अपने स्कूल बंद कर दिए. लक्ष्मण सिंह ये भी कहते हैं कि मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र ने उनको सलाह दी थी इन स्कूलों को बंद न करें. क्योंकि आपके जैसे स्कूल सरकार नहीं चला पाएगी. उनकी ये भविष्यवाणी आगे चलकर सही साबित हुई.

गोचर जमीन के विकास के लिए किया कठिन संघर्ष

गोचर जमीन के विकास के लिए लक्ष्मण सिंह ने जो कठिन संघर्ष किया, उसकी मिसाल शायद ही कहीं मिलती है. सबसे पहले तो गांव की पंचायतों को लगा कि लक्ष्मण सिंह अब गोचर की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में लगे हैं. जबकि लक्ष्मण सिंह के इरादे कुछ और ही थे. जब लक्ष्मण सिंह ने गोचर पर अवैध कब्जा रोकने और हटाने का अभियान चलाया तो इससे गोचर पर कब्जा करने वाले परेशान हो गए. ऐसे लोगों को राजनैतिक संरक्षण भी हासिल रहता था. फिर भी लक्ष्मण सिंह ने हर संकट और परेशानी का सामना करके गोचर जमीन को मुक्त कराया और उसका विकास किया. ऐसा नहीं है कि लक्ष्मण सिंह को हमेशा अकेले संघर्ष करना पड़ा. बाद में सरकार ने उनसे सहयोग मांगा और पाली जिले में उनकी संस्था को पंचायतों को गाइड करके जल संरक्षण और गोचर भूमि विकास का काम सिखाने के लिए नियुक्त किया. इस तरह से उनके काम को सरकारी मान्यता भी मिली.


चौका पद्धति का विकास
गोचर के विकास के लिए लक्ष्मण सिंह ने चौका पद्धति ईजाद की. वह आज पूरी दुनिया में एक मिसाल बन गई है. उन्होंने अपने गांव की 400 बीघा गोचर जमीन पर देखा कि बारिश में पूरा पानी बह जाता है. इससे वहां न तो घास उगती और न पेड़-पौधे. इस गोचर जमीन पर पानी रोकने के लिए वे अजमेर जिले में सरकारी कंटूर बनाने का काम देखने गए. अजमेर में इंजीनियर सरकारी बंजर जमीन पर पानी रोकने के लिए ट्रैक्टरों की मदद से कंटूर बनाते थे. इन कंटूरों में पानी रुकता तो था, लेकिन जैसे ही पानी ज्यादा हुआ, वो कंटूर तोड़कर बह जाता था. इन कंटूरों में ज्यादा पानी जमा होने के कारण न तो जमीन पर कोई घास उगती न कोई पौधा. क्योंकि कंटूर में पानी गहराई तक जमा हो जाता था. इस समस्या को देखकर लक्ष्मण सिंह ने कंटूरों को अपने लिए अनुपयोगी पाया.

कालू दादा ने दिखाई राह

गोचर जमीन के समुचित विकास के लिए लक्ष्मण सिंह अपनी ही धुन में लगे रहे. इस मामले में उनके गांव के ही कालू दादा नामक शख्स ने राह दिखाई. कालू दादा ने लक्ष्मण सिंह को बताया कि पहले गोचर में जमीन पर ज्यादा पानी नहीं रुकता था और वह ओवर फ्लो होकर आगे छोटे तालाब में चला जाता था. इससे वहां घास और पेड़-पौधे उगते रहते थे. अब असली समस्या लक्ष्मण सिंह के सामने ये थी कि गोचर की जमीन में किस तरह से केवल 9 इंच पानी रुके और बाकी पानी को आगे तालाब में भेज दिया जाए. इसके लिए ही उन्होंने चौका तकनीक ईजाद की. इसमें जमीन पर तीन तरफ से मेड़ बना दी जाती है और उसमें छोटे-छोटे गड्ढे खोद दिए जाते हैं.

पहली बरसात के बाद इस पूरे इलाके में देसी घास और खेजड़ी, देसी बबूल जैसे पौधों के बीज छिड़ककर हल से जुताई कर दी जाती है. इससे 400-500 एकड़ के इलाके में घास और पौधे उग जाते हैं. गांव वाले दो महीने तक इसमें अपने पशु नहीं भेजते हैं. जब घास और पौधे 2 फीट की लंबाई के हो जाते हैं तो इसमें पशुओं को भेजा जाता है. इस तरह केवल 5 साल में जंगल तैयार हो जाता है.

चौका तकनीक सिखाने के लिए बुलाए गए इजरायल

एक अंतरराष्ट्रीय संस्था सीआरएस (CRS) ने जब चौका पद्धति को देखा तो उसने इसके कई फायदों को महसूस किया. चौका सिस्टम एक साथ इकोसिस्टम को बैलेंस करता है, जल संरक्षण करता है और साथ ही बिना कोशिश के लाखों पेड़ उगा देता है. उन्होंने इसका अध्ययन किया और अफगानिस्तान और इजरायल में इसको लागू करने की सिफारिश की. क्योंकि वहां सूखे की बहुत समस्या है. चौका सिस्टम की तकनीक बताने के लिए लक्ष्मण सिंह 2008 में इजरायल भी गए, लेकिन वह अफगानिस्तान नहीं गए. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से कोई टीम आकर उनका काम देखे और अपने यहां लागू करे. इसके बाद अफगानिस्तान से 40 सदस्यों की एक टीम आई और उनके काम को देखा और फिर उसको अफगानिस्तान में भी अपनाया गया.




गोचर जमीन में लगाए लाखों पेड़ तो पंचायत बनी दुश्मन
गांवों में तालाब बनवाने, स्कूल चलवाने के बाद लक्ष्मण सिंह की नजर में जो सबसे बड़ी बात आई, वो थी गांव की बंजर पड़ी गोचर जमीन के प्रबंधन की. इसके लिए लक्ष्मण सिंह ने सबसे पहले अपने गांव की 400 बीघा गोचर जमीन पर काम करना शुरू किया. गोचर जमीन पर सिंचाई करके पेड़-पौधे और घास उगाना उनके लिए एक बड़ी समस्या बनकर उभरा. लेकिन इसी समस्या ने आज लक्ष्मण सिंह का नाम पूरे देश और दुनिया में फैला दिया है. गोचर जमीन को लक्ष्मण सिंह ने इस तरह विकसित करने की कोशिश की कि वहां देशी पेड़-पौधे और घास उग सके. वहां पानी भी न जमा हो सके और पानी का संरक्षण भी होता रहे. लक्ष्मण सिंह ने जब गोचर की जमीन पर लाखों पेड़ उगा दिए तो पंचायतों ने उन्हें काटने का ठेका दे दिया. लेकिन लक्ष्मण सिंह ने इन पेड़ों को बचाने के लिए मुहिम छेड़ दी. लोगों ने रात भर जागकर पेड़ों की रखवाली की बाद में प्रशासन ने आकर इन पेड़ों को काटने पर रोक लगाई.


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गो पालन से हर परिवार की बढ़ी कमाई

गांव में गोचर की बंजर पड़ी जमीन के उपयोग से लक्ष्मण सिंह ने गो पालन का एक ऐसा काम शुरू किया, जिससे उनके मॉडल को अपनाने वाले हर गांव में हर परिवार को आज कम से कम 40 से 50 रुपये की आमदनी केवल दूध से होती है. लक्ष्मण सिंह ने गुजरात से गिर नस्ल के सांड लाकर भी कई गांवों में छोड़े. जिससे कि गायों की नस्ल सुधार का काम शुरू हुआ और आज यह पूरा इलाका गिर गायों का एक बड़ा केंद्र बन गया है.

बिना दूध बेचे इस गौशाला से होती है हर माह 32 लाख की कमाई!

जल, जंगल सहेजकर रखें गांव

अपनी मेहनत और लगन से राजस्थान के करीब 100 गांवों को हरा-भरा करने वाले लक्ष्मण सिंह आज 66 साल की उम्र में चाहते हैं कि देश के लोग उनके इस काम को अपनाएं. हर गांव के लोग इसे समझें और गांवों की पंचायतें तालाबों और गोचर जमीन के विकास के महत्व को समझें. इससे रोजगार, पर्यावरण सुधार और आय को बढ़ाने का काम एक साथ किया जा सकता है. इससे युवाओं को नौकरी के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा. युवाओं से लक्ष्मण सिंह का यही कहना है कि वे अपने गांव को आधार बनाकर ही कोई काम करें. लक्ष्मण सिंह का ये भी कहना है कि हर गांव में स्कूल इस तरह का होना चाहिए जिसमें लोगों को बुनियादी काम सिखाया जाए. बिना इसके देश में रोजगार और पर्यावरण की समस्या को हल नहीं किया जा सकता है.

अपने सभी बच्चों को कम से कम इस पोस्ट में दिए गए मंत्र वर्ष 2022 के जून तक कंठस्थ हो जाये

 अपने सभी बच्चों को कम से कम इस पोस्ट में दिए गए मंत्र वर्ष 2022 के जून तक कंठस्थ हो जाये* 

इसके लिए पहले तो हम बडो को ही ये कंठस्थ करने होंगे इसके लिए इसमे दिए कुछ मन्त्र रोज के अपने ज़ूम भजन में पढ़े जाएंगे तो साल भर में अपन सभी को ये याद हो जाएंगे



कटु सत्य

ईसाईयों को इंग्लिश आती है वो बाइबिल पढ लेते है
उधर मुस्लिम को उर्दू आती है वो  कुरान शरीफ़ पढ लेते हैं
सिखों को गुरबानी का  पता है  वो श्री गुरू ग्रन्थसाहिब पढ लेते है ।
हिन्दूओ को संस्कृत नही आती वो ना वेद पढ पाते है
और न ही उपनिषद । इस से बडा दुर्भाग्य
और क्या हो सकता है हमारा

🔔🌿

संस्कृत ही विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है इसे अवश्य सीखें

 प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह

🔹प्रात: कर-दर्शनम्🔹
कराग्रे वसते लक्ष्मी
करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः
प्रभाते करदर्शनम्॥
        
 🔸पृथ्वी क्षमा प्रार्थना🔸
समुद्र वसने देवी
पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं
पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

🔺त्रिदेव सह नवग्रह स्मरण🔺

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥
            
  ♥️ स्नान मन्त्र ♥️

गंगे च यमुने चैव
गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी
जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥
           
🌞 सूर्यनमस्कार🌞

सूर्य आत्माजगतस्तस्य
उषश्च आदित्यस्य नमस्कारं
ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि
शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृरे
 ॐ श्री सूर्यनारायणाय नम:

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥
               

 🔥दीप दर्शन🔥

शुभं करोति कल्याणम्
आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥
            
🌷 गणपति स्तोत्र 🌷

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्
सर्वविघ्नोपशान्तये॥
        
⚡आदिशक्ति वंदना ⚡

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
           
🔴 शिव स्तुति 🔴

कर्पूर गौरम करुणावतारं
संसार सारं भुजगेन्द्र हारं।
सदा वसंतं हृदयार विन्दे
भवं भवानी सहितं नमामि॥
              
🔵 विष्णु स्तुति 🔵

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
            
⚫ श्री कृष्ण स्तुति ⚫

कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम॥
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥

मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्‌।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्‌॥
            
⚪ श्रीराम वंदना ⚪

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
              
 ♦️श्रीरामाष्टक♦️

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥
    
🔱 एक श्लोकी रामायण 🔱
आदौ रामतपोवनादि गमनं
हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदेही हरणं जटायु मरणं
सुग्रीवसम्भाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि श्री रामायणम्॥
           
🍁सरस्वती वंदना🍁

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वींणावरदण्डमण्डितकरा
या श्वेतपदमासना ॥
या ब्रह्माच्युत शङ्कर _प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती
निःशेषजाड्याऽपहा॥
            
🔔हनुमान वंदना🔔

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्‌।
दनुजवनकृषानुम् ज्ञानिनांग्रगणयम्‌।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्‌।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगम
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये॥
         
🌹 स्वस्ति-वाचन 🌹

ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्ट्टनेमिः
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु॥
           
 ❄ शांति पाठ ❄

ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्‌ पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥

ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:,
पृथिवी शान्तिराप: शान्ति: रोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्ति: विश्वे देवा: शान्तिः ब्रह्म शान्ति:
सर्व (गुँ ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥

॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

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निवेदन
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बहुत ही सुंदर संग्रह
इसे हर हिन्दू को अपने  'Saver' में डाले या प्रिंट आउट ले ।
ऐसा संग्रह सरलता से नही मिलता ।
एक प्रति परिवार के बच्चों को भी दें!
   
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