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मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018

नवरात्रि के कंजक पूजन के लिए कन्याएं चाहिए

इस कहानी को पूरे दिल से पढ़िए  और एक बार विचार जरूर कीजिए ....
शहर की मशहूर महिला डॉक्टर ने नवरात्रि के व्रत रखें l
कंजक पूजन के लिए कन्याएं चाहिए थी महिला डॉक्टर खुद ही निकल पड़ी घर से कि वह कुछ जाएंगी तो कन्याओं के माता पिता खुद कन्याओं को उसके साथ जल्दी से भेज देंगे तो वह कन्या जल्दी ले आएंगी  l

.
महिला डॉक्टर पड़ोस में आए नए पड़ोसी के घर गई अपना परिचय दिया, पड़ोसन ने आदर सम्मान के साथ अंदर बुलाया और बैठाया l

और अपनी बेटी से मिलाया यह मेरी बड़ी बेटी है l बहुत ऊंची पढ़ाई कर रही है नासा घूम कर आई है  l
और उसी के स्कॉलरशिप की तैयारी कर रही है l

डॉक्टर साहिबा आपको याद नहीं होगा शायद...
 मेरी सास ने मेरा टेस्ट करवाया था आपसे , और गर्भ गिराने के लिए पैसे भी दिए थे पर मैंने उनकी जिद नहीं मानी  lआपने भी काउंसलिंग के नाम पर मुझे गर्भ गिराने के लिए  राजी करने की भरपूर कोशिश की थी l

 उसके बाद मेरी एक बेटी हुई डॉक्टर साहब आपके बेटे की क्लासमेट है l

आपके बेटे से पूछना जो क्लास में फर्स्ट आता है वह कौन बच्चा है वह मेरी बेटी है डॉक्टर साहिबा l

हमारा तलाक हो चुका है l
आप डॉक्टर होने से पहले एक महिला है और चंद पैसो के लिए आप बेटियों को क्रम में मारने की  सलाह देती है और गर्भ गिरवा देती हैं l

आपके वो काउंसलिंग अगर मेरी जगह मेरी सास के साथ हुई होती तो आज मेरा तलाक ना हुआ होता l

हम इस कंजक पूजन में विश्वास नहीं रखते डॉक्टर साहिबा दोगले चरित्र मुझे पसंद नहीं है अगर आप जैसी डॉक्टर और मेरी सास जैसी औरतें इस समाज में है तो कहां से आएंगी कंजक और कितने दिन आएंगी l

आप बैठिए मैं आपके लिए चाय बना देती हूं l इतना कहकर अंदर चली गई और डॉक्टर से उठा नहीं जा रहा था  l
जैसे तैसे  खड़ी हुई और घर जाकर वह सामान अपने नौकर को दे दिया कि जहां भी कन्या मिले उनको दे देना l

बात तो उनकी बिल्कुल सही थी 9 दिन बेटी मां का रूप बाकी पूरे साल अलग विचारधारा क्यों.....???
 कन्या है तो मां है बहन है पत्नी है l उसी से सारे रिश्ते हैं उसी से सारे नाते हैं l बेटी का आदर सम्मान करें l🙏
 IIजय माता दी ll


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6 वर्ष में खत्म हो जायेगे होलसेल और रिटेल व्यपारी

6 वर्ष में खत्म हो जायेगे होलसेल और रिटेल व्यपारी

1 बार मैं अपने अंकल के साथ एक बैंक में गया, क्यूँकि उन्हें कुछ पैसा कही ट्रान्सफ़र करना था।
ये स्टेट बैंक एक छोटे से क़स्बे के छोटे से इलाक़े में था। वहां एक घंटे बिताने के बाद जब हम व हां से निकले तो उन्हें पूछने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया।
अंकल क्यूँ ना हम घर पर ही इंटर्नेट बैंकिंग चालू कर ले?
अंकल ने कहा ऐसा मैं क्यूँ करूँ ?
तो मैंने कहा कि अब छोटे छोटे ट्रान्सफ़र के लिए बैंक आने की और एक घंटा टाइम ख़राब करने की ज़रूरत नहीं, और आप जब चाहे तब घर बैठे अपनी ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। हर चीज़ बहुत आसान हो जाएगी। मैं बहुत उत्सुक था उन्हें नेट बैंकिंग की दुनिया के बारे में विस्तार से बताने के लिए। इस पर उन्होंने पूछा अगर मैं ऐसा करता हूँ तो क्या मुझे घर से बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी? मुझे बैंक जाने की भी ज़रूरत नहीं?
मैंने उत्सुकतावश कहा, हाँ आपको कही जाने की जरुरत नही पड़ेगी और आपको किराने का सामान भी घर बैठे ही डिलिवरी हो जाएगा और ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट व स्नैपडील सबकुछ घर पे ही डिलिवरी करते हैं।
उन्होने इस बात पे जो जवाब मुझे दिया उसने मेरी बोलती बंद कर दी।
उन्होंने कहा आज सुबह जब से मैं इस बैंक में आया, मै अपने चार मित्रों से मिला और मैंने उन कर्मचारियों से बातें भी की जो मुझे जानते हैं। मेरे बच्चें दूसरे शहर में नौकरी करते है और कभी कभार ही मुझसे मिलने आते जाते हैं, पर आज ये वो लोग हैं जिनका साथ मुझे चाहिए। मैं अपने आप को तैयार कर के बैंक में आना पसंद करता हुँ, यहाँ जो अपनापन मुझे मिलता है उसके लिए ही मैं वक़्त निकालता हूँ।
दो साल पहले की बात है मैं बहुत बीमार हो गया था। जिस मोबाइल दुकानदार से मैं रीचार्ज करवाता हूं, वो मुझे देखने आया और मेरे पास बैठ कर मुझसे सहानुभूति जताई और उसने मुझसे कहा कि मैं आपकी किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हूँ।
वो आदमी जो हर महीने मेरे घर आकर मेरे यूटिलिटी बिल्स ले जाकर ख़ुद से भर आता था, जिसके बदले मैं उसे थोड़े बहुत पैसे दे देता था उस आदमी के लिए कमाई का यही एक ज़रिया था और उसे ख़ुद को रिटायरमेंट के बाद व्यस्त रखने का तरीक़ा भी !
कुछ दिन पहले मोर्निंग वॉक करते वक़्त अचानक मेरी पत्नी गिर पड़ी, मेरे किराने वाले दुकानदार की नज़र उस पर गई, उसने तुरंत अपनी कार में डाल कर उसको घर पहुँचाया क्यूँकि वो जानता था कि वो कहा रहती हैं।
अगर सारी चीज़ें ऑन लाइन ही हो गई तो मानवता, अपनापन, रिश्ते - नाते सब ख़त्म ही नही हो जाएँगे !
मैं हर वस्तु अपने घर पर ही क्यूँ मँगाऊँ ?
मैं अपने आपको सिर्फ़ अपने कम्प्यूटर से ही बातें करने में क्यूँ झोंकू ?
मैं उन लोगों को जानना चाहता हूँ जिनके साथ मेरा लेन-देन का व्यवहार है, जो कि मेरी निगाहों में सिर्फ़ दुकानदार नहीं हैं।
इससे हमारे बीच एक रिश्ता, एक बन्धन क़ायम होता है !
क्या ऐमज़ॉन, फ़्लिपकॉर्ट या स्नैपडील ये रिश्ते-नाते , प्यार, अपनापन भी दे पाएँगे ?
फिर उन्होने बड़े पते की एक बात कही जो मुझे बहुत ही विचारणीय लगी, आशा हैं आप भी इस पर चिंतन करेंगे....
उन्होने कहां कि ये घर बैठे सामान मंगवाने की सुविधा देने वाला व्यापार उन देशों मे फलता फूलता हैं जहां आबादी कम हैं और लेबर काफी मंहगी है।
अपने भारत जैसे १२५ करोड़ की आबादी वाले गरीब एंव मध्यम वर्गीय बहुल देश मे इन सुविधाओं को बढ़ावा देना आज तो नया होने के कारण अच्छा लग सकता हैं पर इसके दूरगामी प्रभाव बहुत ज्यादा नुकसानदायक होंगे।
देश मे ८०% जो व्यापार छोटे छोटे दुकानदार गली मोहल्लों मे कर रहे हैं वे सब बंद हो जायेगे और बेरोजगारी अपने चरम सीमा पर पहुंच जायेगी।
अधिकतर व्यापार कुछ गिने चुने लोगों के हाथों मे चला जायेगा और बाकी जनता बेकारी की ओर अग्रसर हो जायेगी।
मैं आजतक उनको क्या जबाब दूं ये नही समझ पाया हूं, अगर आप को कोई सटीक जबाब मिले तो मुझसे जरुर शेयर करे।
प्रिय मित्रों, अगर आप इन बातों से सहमत हैं तो इस मेसिज को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और अपने दूसरे जानने वालो के ग्रूप्स में भी शेयर करे तथा इसके दूरगामी परिणामों के बारे मे आपकी राय भी मुझे बताये। आप का
🙏 🙏
सुप्रभातम्
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