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शनिवार, 28 जून 2025

क्या आने वाले समय में स्कूल एडमिशन का फॉर्म भी "फ्लाइट टिकट" जैसा होगा?

#स्कूल_या_एयरलाइन: टिकट लीजिए, क्लास चुनिए!

पाली के कुछ प्राइवेट स्कूलों में दाखिला लेना अब किसी इंटरनेशनल फ्लाइट में सीट बुक कराने जैसा हो गया है। माता-पिता जब अपने बच्चों का एडमिशन करवाने पहुंचते हैं, तो सबसे पहले उनसे पूछा जाता है—
"सर, इकोनॉमी क्लास चाहिए या बिजनेस क्लास?"

✈️ "एसी क्लासरूम—सिर्फ विशेष यात्रियों के लिए!"

अब स्कूल में पढ़ाई भी एक लग्जरी सर्विस हो गई है। अगर आप प्रीमियम कैटेगरी में हैं, तो आपका बच्चा एसी क्लासरूम में बैठेगा, डिजिटल बोर्ड पर पढ़ेगा और टीचर भी एक्स्ट्रा स्माइल देंगे! और अगर आप 'नॉन-प्रीमियम' हैं, तो बच्चा पंखे के नीचे बैठेगा, बोर्ड पर चॉक घिसता देखेगा और टीचर भी शायद उतनी ही गर्मी में पढ़ाएंगे जितनी क्लास में होगी।

बात सिर्फ इतनी नहीं है! अब क्लासरूम के अंदर भी सुविधा के नाम पर भेदभाव साफ दिखने लगा है। स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, डिजिटल बोर्ड और एसी जैसी सुविधाएं केवल उन्हीं बच्चों के लिए हैं जिनके माता-पिता मोटी रकम चुका सकते हैं। बाकी बच्चों के लिए बस ब्लैकबोर्ड और पुरानी डेस्क-कुर्सियां ही नसीब हैं।

📚 "बुक्स, यूनिफॉर्म और स्कूल शूज़—एक्सक्लूसिव ऑफर!"

बाहर दुकान से किताबें खरीदने का झंझट क्यों लें जब स्कूल खुद आपको 'स्पेशल एडिशन' किताबें बेच रहा है—बस दाम थोड़े ज्यादा हैं, लेकिन लग्जरी का सवाल है!

यूनिफॉर्म का डिज़ाइन हर साल बदला जाता है ताकि पुराने कपड़े किसी काम न आएं।

और जूते? स्कूल में मिलने वाले "ब्रांडेड" शूज़ पहनिए, वरना आपका बच्चा 'लोअर क्लास' कैटेगरी में आ जाएगा!

किताबों और यूनिफॉर्म के नाम पर मनमाना मुनाफा कमाना अब स्कूलों के लिए आम बात हो गई है।


💳 "भविष्य की तैयारी: EMI पर शिक्षा!"

अब शिक्षा भी फाइनेंसिंग के दायरे में आ गई है। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में स्कूल वाले एडमिशन फॉर्म के साथ बैंक का लोन फॉर्म भी दे देंगे।
शायद EMI प्लान भी आ जाए—
"आज ही एडमिशन लें, आसान किश्तों में फीस चुकाएं!"
और हो सकता है कि कुछ स्कूल "स्कॉलरशिप लॉटरी" भी शुरू कर दें—
"खुशखबरी! इस महीने की लकी ड्रॉ में जीतने वाले बच्चे को स्मार्ट क्लास फ्री!"

🚀 "शिक्षा की ऊंची उड़ान, बस किराया चुकाइए!"

अब स्कूल में दाखिला लेना वैसा ही हो गया है जैसे एयरलाइन में सीट चुनना—

"विंडो सीट" चाहिए तो थोड़ा एक्स्ट्रा चार्ज

ज्यादा लेग स्पेस चाहिए तो 'बिजनेस क्लास' का टिकट लीजिए

और अगर सबसे पीछे वाली सीट से काम चला सकते हैं तो 'इकोनॉमी' में एडमिशन पाइए


फर्क सिर्फ इतना है कि यहां गंतव्य ज्ञान नहीं, बल्कि स्टेटस है! क्लासरूम अब सामाजिक बराबरी का मंच नहीं, बल्कि आर्थिक हैसियत का प्रतीक बन गए हैं।

🎯 "शिक्षा अब सेवा नहीं, प्रीमियम पैकेज है!"

शिक्षा, जो कभी समाज का आधार मानी जाती थी, अब एक महंगी सर्विस बन चुकी है, जहां ज्ञान नहीं, बल्कि सुविधाओं का सौदा होता है। सवाल यह है कि क्या आने वाले समय में क्लासरूम में भी 'फ्लाइट अटेंडेंट' होंगे जो कहेंगे—
"प्रिय छात्रो, कृपया अपनी सीट बेल्ट बांध लें, हम आपको आज शिक्षा की ऊंचाइयों तक ले जाने वाले हैं—बशर्ते आपने सही टिकट खरीदी हो!"


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अगर शिक्षा सेवा है, तो भेदभाव क्यों? अगर शिक्षा अधिकार है, तो प्रीमियम क्यों? क्या आने वाले समय में स्कूल एडमिशन का फॉर्म भी "फ्लाइट टिकट" जैसा होगा? 🤔

हमारी "सनातन संस्कृति परम्परा" के गुरुकुल में क्या-क्या पढाई होती थी !*

*इंग्लैंड में पहला विद्यालय १८११ में खुला ! उस समय भारत में ७,३२,००० गुरुकुल थे!*

*सोचिए और खोजिए - हमारे गुरुकुल कैसे बन्द हुए ?*

*गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये ?*

*आपको पहले ये बता दें, कि हमारी "सनातन संस्कृति परम्परा" के गुरुकुल में क्या-क्या पढाई होती थी !*

*आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद, ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी, ये जान लेना आवश्यक है!*

*इस शिक्षण को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें, और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें!*

*१. अग्नि विद्या (Fire Technology)*

*૨. धातु शास्त्र (Metallurgy)*

*३. वायु विद्या (Air Technology)*

*४. वायुयान शास्त्र (Aircraft & Flight Engineering)*

*५. जल विद्या (Water Technology)*

*६ नाविक शास्त्र (Navigation)*
 
*७.अंतरिक्ष विद्या (Space Sciences)*
 
*८. पृथ्वी विद्या (Earth Sciences)*

 *९. यर्यावरण शास्त्र (Environment)*

*१०. सूर्य विद्या (Solar Study)*
 
*११. चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)*

*१२. मेघ विद्या (Study of the Rain)*

*१३. ऋतु शास्त्र (Weather Forecasting)*

*१४. पदार्थ विद्युत विद्या (Power Storage or Battery Engineering*

*१५. सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)*

*१६. दिन-रात्रि विद्या (Earth Axis Rotation Study)*

*१७. सृष्टि विद्या (Cosmos & Space Research)*
 
*१८. खगोल विद्या (Astronomy)*

*१९. भूगोल विद्या (Geography)*

*२०. काल विद्या (Time)*

*२१. भूगर्भ विद्या (Geology & Mining)*

*२२. रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)*

*२३.गुरुत्वाकर्षण विद्या (Gravity)*

*२४. प्रकाश विद्या (Study of Light & Brightness)*

*२५. तार विद्या (Study of Transmision & Communications)*

*२६. विमान विद्या (Aircraft Engineering)*

*२७. जलयान विद्या (Water Vessels)*

*२८. आग्नेय अस्त्र विद्या (Arms, Ammunitions & Missile Technology)*

 *२९. जीव-जंतु (जैविक) विज्ञान विद्या (Zoology & Botany)*

*३०. यज्ञ विद्या (Material Sciences)*

*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की!*

*अब बात करते हैं व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की!*

*३१. वाणिज्य विद्या (Tade & Commerce)*

*३२. कृषि विद्या (Agriculture)*

*३३. पशुपालन (Animal Husbandry)*

*३४. पक्षिपालन (Bird Keeping)*

*३५. पशु प्रशिक्षण (Domesticating & Training Animals)*

*३६. यान यन्त्रकार (Mechanics)*

*३७. रथकार (Vehicles Designing & Engineering)*

*३८. रत्न कार (Gemology)*

*३९. सुवर्णकार (Jewellery Designing)*

*४०. वस्त्रकार (Textile, Garments or Apparels Designing & Engineering)*

*४१. कुम्भकार (Pottery)*

*४२ लौहकार (Metallurgy)*

*४३. तक्षक (Coast Guards)*

*४४. रंगसाज (Dyeing & Printing)*

*४४. खटवाकर (Spinning & Weaving)*

*४५. रज्जुकर (Logistics)*

*४५. वास्तुकार (Architecture & Interior Designing)*

*४६. पाकविद्या (Cooking)*

*४७. सारथ्य (Driving)*

*४८. नदी प्रबन्धक (Rivers Engineering & Water Management)*

*४९. सुचिकार (Data & Knowledge Management, & Information Technology)*

 *५०. गोशाला प्रबन्धक (Cattle Management)*

*५१. उद्यान पाल (Gardens Management)*

*५२. वन पाल (Forestry)*

*५३. नापित (Paramedicals Managment)*

*ये सारी विद्यायें गुरुकुल में सिखाई जाती थीं ! पर समय के साथ, गुरुकुल लुप्त हुए, तो इन विद्याओं का श्रेय भी लुप्त हो गया! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा है, तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है!*

*भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे समाप्त कर दिए गये? कॉन्वेंट स्कूलों के द्वारा किया सर्वनाश!*

*१८५८ में Indian Education Act बनाया गया! इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी!*

*लेकिन उसके पहले अंग्रेजों ने यहाँ (भारत) की शिक्षण व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था!*

*उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षण व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी!*

*अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther, और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने अलग अलग विस्तारों का अलग-अलग समय सर्वेक्षण किया था!*

*Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वेक्षण किया था, उसने लिखा है कि यहाँ ९७% साक्षरता है!*

*और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वेक्षण किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो शत प्रति शत साक्षरता है!*

*मैकाले का स्पष्ट कहना था, कि "भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है, तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षण व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा, और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षण व्यवस्था” लानी होगी! और तभी इस देश में "शरीर से हिन्दुस्तानी, लेकिन दिमाग से अंग्रेज" तैयार होंगे! और जब इस देश की विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) से विद्यार्थी निकलेंगे, तो हमारे हित में काम करेंगे!"*

*मैकाले एक मुहावरे का उपयोग कर रहा है, “जैसे किसी खेत में, कोई फसल लगाने से पहले, पूरी तरह जोत दिया जाता है, वैसे ही इस शिक्षण व्यवस्था को जोतना होगा, और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।”*

*इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया! जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए, तो उनको मिलने वाली सहायता, जो समाज की तरफ से होती थी, वो गैरकानूनी हो गयी!*

*फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया, और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर समाप्त कर दिया गया!*

*उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा- पीटा, जेल में डाला!*

*१८५० तक इस देश में ७ लाख ३२ हजार गुरुकुल हुआ करते थे! और उस समय इस देश में गाँव थे ७ लाख ५० हजार! यानि हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल थे!*

*और ये जो गुरुकुल होते थे, वो सारे के सारे आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे! उन सबमे २०-२५ विषय पढाए जाते थे!* 

*और ये गुरुकुल समाज के नागरिक मिलके चलाते थे, न कि राज्य चलाने वाले राजा, महाराजा!*

*गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी!*

*इस तरह से सारे गुरुकुलों को समाप्त किया गया, और फिर अंग्रेजी शिक्षण को कानूनी घोषित किया गया, और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया!*

*उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था!*

*इसी कानून के द्वारा भारत में "कलकत्ता यूनिवर्सिटी" बनाई गयी, "बम्बई यूनिवर्सिटी" बनाई गयी, "मद्रास यूनिवर्सिटी" बनाई गयी! ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं!*

*मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी! बहुत मशहूर चिट्ठी है वो! उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे, जो देखने में तो भारतीय होंगे, लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे; और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा! इनको अपनी संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा! इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा! इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे! जब ऐसे विद्यार्थी होंगे, इस देश में से अंग्रेज भले ही चले जाएँ, इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी!”*

*उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है!*

*और उस एक्ट की महिमा देखिये, कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है! अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा!* 

*हम तो स्वयं में हीन हो गए हैं, जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा?*

*कुछ लोगों का तर्क है, कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है! दुनिया में २०४ देश हैं, और अंग्रेजी भाषा सिर्फ ११ देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है! फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ॽ*

*शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं, दरिद्र भाषा है! इन अंग्रेजों की जो "बाइबल" है, वो भी अंग्रेजी में नहीं थी! और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे!* 

*ईसा मसीह की भाषा और बाइबल की भाषा अरमेक थी! अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी! समय के कालचक्र में वो भाषा भी विलुप्त हो गयी!*

*संयुक्त राष्ट संघ जो अमेरिका में है! वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है! वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है! जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है, उसका कभी भला नहीं होता! और यही मैकोले की रणनीति थी! जिसमें लगभग वो विजय पा चुके, क्यों कि आज का युवा भारत को कम, यूरोप को अधिक जानता है!*

*भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है! लेकिन पाश्चात्य देशों को नकल करता है!*

*धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी, वामपंथियों का समर्थन करता है!*

*सभी बन्धुओ से एक चुभता हुआ प्रश्न - हम सभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये! क्योंकि धर्म ही हमें "राष्ट्र धर्म" सिखाता है! धर्म ही हमें "समाजिकता" सिखाता है! धर्म ही हमें माता-पिता, गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देता है! परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है! जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते हैं, उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है!*

*जयतु गुरुकुलम्, जयतु भारतम् ...*
🙏🏼🛕🚩🇮🇳🕉️🙏

फोटो के नाम पर बेशर्मी पर तमाचा ध्यान से पढ़ना या सुनना।

फोटो के नाम पर बेशर्मी पर तमाचा 
ध्यान से पढ़ना या सुनना।

सेक्स और रिलेशनशिप के विषय में आज की पीढ़ी से संवाद करना समुद्र मंथन करने जैसा है। 
"प्री वेडिंग शूट" का ट्रेंड यानी रिवाज आज से  लगभग सात आठ साल पहले शुरू हुआ था। 

कांसेप्ट यह था की होने वाले वर वधु सगाई के बाद और शादी से पहले के समय में किसी सुनसान लोकेशन पर जाते हैं। 
उनके साथ कैमरा मैन होते हैं जो उस लोकेशन पर विभिन्न मुद्राओं में उनकी तस्वीरें खिंचते हैं और वीडियो शूट कर के उनके बीच फूट रहे प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। 

यह ट्रेंड यानी रिवाज़ तब तक सबको बहुत सुहा रहा था जब तक फोटो या वीडियो साधारण हुआ करते थे। 

साधारण यानी लड़का लड़की हाथों में हाथ डाले नदिया किनारे टहलते दिखाई देते थे। एक दूजे की आंखों में आखें डाल कर मुस्कुराते दिखाई देते थे। 

फिर इस साधारण से ट्रेंड को कुछ जोड़ों ने असाधारण बनाने की ठान ली। 
प्री वेडिंग शूट में एक दूजे से लिपटना ....एक दूजे को चूम लेना आदि इत्यादि होने लगा। कुल मिला कर प्री वेडिंग शूट को ........"सेक्सी" बनाने का ट्रेंड चलने लगा। 

हालांकि एक दूजे को गले लगाना या चूमने से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है।

लेकिन आपत्ति तब होती है जब एक दूजे पर प्रेम वर्षा कर रहे जोड़ों का यह वीडियो शादी के समय मेहमानों के आगे बड़ी स्क्रीन पर चलाया जाता है। 

गत वर्ष हमारे एक युवा मित्र की सगाई हुई थी।

 इस वर्ष शादी से पहले कन्या (उनकी होने वाली पत्नी) ने आधी रात बंधु को फोन कर के कहा के ऊन्ने "प्री वेडिंग शूट" की लोकेशन और शूट करने वाले कैमरा टीम फाइनल कर ली है। 
शूटिंग राजस्थान के एक किले में की जायेगी। 

यह सुन के बंधु बिगड़ गया। 
ऊन्ने कहा मैडम मुझसे यो प्री वेडिंग शूट वाला चोंचला ना हो पायेगा। 

बंधु के मना करने पर दोनों में आधी रात लट्ठ बज गया। मने भयंकर लट्ठ बज गया।  

क्या है ना .....आदमी औरत को लड़ने के लिये सारी उम्र मिलती है। परंतु सगाई और शादी के बीच के समय लट्ठ बज जाना .....अच्छी बात नहीं है। 

खैर .....मैं अगले दिन बंधु से मिला। इस विषय पर थोड़ी बहुत बात हुई। 
मैंने भी उसे कहा के भाई ....होने वाली लुगाई है। जिद ना कर । एक आध दिन घूम फिर आ। फोटू खिंचवा ले....वीडियो बनवा ले। 
कन्या भी खुश ....तू भी खुश..... सब खुश.....दिक्कत क्या है? 

लडके ने जो जवाब दिया...... कसम से मेरी बोलती बंद हो गई। 

बोला...... "भाईसाहब *** और मैं एक दूसरे को हग करते हैं या किस करते हैं या फिर एक दूसरे के साथ किसी लोकेशन पर कुछ टाईम बिताते हैं.....ठीक है। कोई दिक्कत ना है। 
 लेकिन हम दोनों के बीच जो हो रहा है .....वह पर्सनल है। मेरे और मेरी होने वाली पत्नी के बीच जो हो रहा है .....वह पर्सनल है। 
जो पर्सनल है उसे कैमरामैन शूट करेगा और शादी के दिन सारी दुनिया देखेगी?

भाई। लडके का जवाब और तमतमाया हुआ चेहरा देख अपनी तो बोलती बंद हो गई। 

बंधु ने कहा..... " मैं *** को बाहों में लेता हूं और उसे बाहों में लेते हुऐ मुझे कैमरा मैन देख रहा है......? यही सब करना है तो सीधा बेडरूम में सीसीटीवी कैमरा लगवा दो ना?" 

मैं तो उसी दिन समझ गया था के लडके की अपनी प्राथमिकता हैं और यो ना झुकेगा। 

कन्या ( जो अब हमारी परम आदरणीय भाभी जी हैं) ......ने पूरा जोर लगा लिया। 
बातचीत बंद हो गई। तलवारें खींच गई। मान मुन्नव्वल हेतु वर और वधू पक्ष तो मध्यस्थता करनी पड़ी। 

लेकिन भाई ना माना। सांड के माफिक बीच सड़क खड़ा हो गया। बोला नहीं होगा तो...... नहीं होगा......। 

खैर .......ब्याह हुआ.....पूरे धूमधाम से हुआ। ब्याह में खूब फोटो खींची गई। 

लेकिन प्री वेडिंग शूट के नाम पर चल रहे ट्रेंड को भाई ने अपने ब्याह से ऐसे फेंक दिया जैसे कोई दूध में से मक्खी निकाल कर फेंक देता है। 

कुल मिला कर बंधु की बात काबिले गौर थी। 

कुछ बातें कुछ लम्हें .......कुछ तस्वीरें ......पर्सनल होती हैं। 
व्यक्तिगत जीवन का एक अटूट हिस्सा होती हैं। 

इस दौर में सबकी अपनी पसंद ......नापसंद है। सार्वजनिक कार्यक्रम में व्यक्तिगत तस्वीरों का प्रदर्शन कहां तक सही है इस विषय पर  विचार होना चाहिये।
Copyed
साभार सोशल मीडिया से 

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ब्रह्मर्षि दधीचि की अमर कथा

ब्रह्मर्षि दधीचि की अमर कथा


🔱 धर्म की रक्षा के लिए अस्थि-दान

पुरातन काल की बात है। दैत्यराज वृत्रासुर ने अपने बल और मायावी शक्तियों से तीनों लोकों में त्राहि-त्राहि मचा दी थी। देवगण पराजित होकर भाग चुके थे। धर्म संकट में था और अधर्म हँस रहा था।

तब भगवान विष्णु ने देवताओं से कहा –
"इस दैत्य का नाश केवल उस अस्त्र से संभव है, जो एक सच्चे तपस्वी की अस्थियों से बने।"

देवताओं की दृष्टि गई उस महान ऋषि की ओर जो तपस्या में लीन थे — ब्रह्मर्षि दधीचि

जब इन्द्र और अन्य देवगण उनके पास पहुँचे और विनम्रता से अपने संकट का वर्णन किया, तो दधीचि मुस्कराए और बोले:

"यदि मेरी मृत्यु से धर्म की रक्षा हो सकती है, तो यह शरीर क्या वस्तु है? इसे अभी त्याग देता हूँ।"

तपस्या से तपे हुए दधीचि ने उसी क्षण योगबल से शरीर त्याग दिया। उनकी अस्थियों से बना गया वह दिव्य अस्त्र — "वज्र", जिसे एकघ्नी भी कहते हैं — इन्द्र को प्राप्त हुआ। उसी वज्र से इन्द्र ने वृत्रासुर का वध किया और तीनों लोकों में पुनः धर्म की स्थापना हुई।


🏹 दधीचि की अस्थियों से बने दिव्य धनुष

1. गांडीव — धर्मयोद्धा अर्जुन का अस्त्र

  • यह धनुष दधीचि की अस्थियों से निर्मित था।
  • ब्रह्मा से होते हुए यह अग्निदेव को मिला और उन्होंने इसे अर्जुन को सौंपा।
  • महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने इसी गांडीव के बल पर अधर्म और कुरु सेना को पराजित किया।
  • गांडीव की तंकार से ही युद्धभूमि काँप उठती थी।

2. सारंग (कोदंड) — श्रीराम का धनुष

  • यह धनुष भी ऋषि दधीचि की तपस्वी हड्डियों से बना था।
  • भगवान विष्णु ने इसे धारण किया और फिर श्रीराम ने इसका उपयोग रावण जैसे आतातायी का संहार करने में किया।
  • श्रीराम ने इसी से धर्म, मर्यादा और नारी सम्मान की रक्षा की।

3. पिनाक — शिवजी का अद्भुत धनुष

  • यह धनुष त्रिदेवों के रचनाकार विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए दधीचि की अस्थियों से बनाया था।
  • रावण ने शिव की तपस्या कर यह धनुष मांगा, परंतु उसका भार न सह पाने के कारण वह उसे जनकपुरी में त्याग कर चला गया।
  • सीताजी प्रतिदिन उस धनुष की पूजा करती थीं।
  • जब राम ने जनकपुरी में धनुष यज्ञ में भाग लिया, तब उन्होंने पिनाक को तोड़ा और वहीं से उनका विवाह सीता से हुआ।

यह केवल विवाह नहीं था, बल्कि अधर्म के अंत और धर्म की स्थापना का आरंभ था।


एकघ्नी वज्र और घटोत्कच की बलिदान

  • ऋषि दधीचि की अस्थियों से बना "एकघ्नी वज्र" सबसे शक्तिशाली अस्त्र था।
  • यह पहले इन्द्र को मिला, फिर उन्होंने इसे दान में कर्ण को दे दिया।
  • कर्ण ने महाभारत के युद्ध में इसका उपयोग अर्जुन के पुत्र घटोत्कच को मारने के लिए किया।
  • घटोत्कच ने मरने से पहले पूरी कौरव सेना को हिला दिया और जब एकघ्नी वज्र से मारा गया, तो पांडवों की बड़ी हानि होते-होते बची।

इस घटना ने यह सिखाया कि हर बलिदान धर्म की राह प्रशस्त करता है


🕊️ दधीचि ऋषि की प्रेरणा

ऋषि दधीचि का जीवन एक संदेश है:

🔸 धर्म की रक्षा में यदि शरीर भी देना पड़े, तो हिचकिचाना नहीं चाहिए।
🔸 एक योगी, तपस्वी और ब्रह्मज्ञानी व्यक्ति भी राष्ट्र और समाज की रक्षा के लिए शस्त्र बन सकता है।
🔸 त्याग की भावना से बना अस्त्र, सैकड़ों वर्षों तक धर्म की सेवा करता है।


🔥 संदेश 🔥

"हे भारत के वीरों! दधीचि ऋषि की तरह शस्त्र उठाओ — अधर्म, अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध।
त्याग ही असली शक्ति है।
धर्म के लिए जीना और मरना ही सच्चा जीवन है!

अब कानून 'अंधा' नहीं... न्याय की देवी की आंखों से उतरी पट्टी, संविधान ने ली तलवार की जगह*

 कानून 'अंधा' नहीं... न्याय की देवी की आंखों से उतरी पट्टी, संविधान ने ली तलवार की जगह*

*16, अक्टूंबर बुधवार 2024 | 8:04 PM*

सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में न्याय की देवी की मूर्ति लगाई गई. इस मूर्ति में नई बात यह है कि पहले न्याय की देवी की मूर्ति में जहां एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार होती थी और आंखों पर पट्टी होती थी, अब नए भारत की न्याय की देवी की आंखों की पट्टी खुल गई है. यहां तक कि उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है.

कुछ समय पहले ही अंग्रेजों के कानून बदले गए हैं. अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश युग को पीछे छोड़ते हुए नया रंग-रूप अपनाना शुरू कर दिया है. ये सब कवायद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की है. उनके निर्देश पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है. ऐसी ही स्टैच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है.

*हाथ में तलवार की जगह संविधान:*

इस तरह देश की सर्वोच्च अदालत ने संदेश दिया है कि अब ‘कानून अंधा’ नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाई गई है और हाथ में तलवार की जगह संविधान को जगह दी गई है. मूर्ति के हाथ में तराजू का मतलब है कि न्याय की देवी फैसला लेने के लिए मामले के सबूतों और तथ्यों को तौलती है. तलवार का मतलब था कि न्याय तेज और अंतिम होगा. अभी तक न्याय की मूर्ति की आंखों पर पट्टी बंधी थी. एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार थी. इससे जुड़ा मुहावरा सुर्खियों में रहता है कि ‘कानून अंधा होता है’. अदालतों में दिखने वाली मूर्ति को लेडी जस्टिस मूर्ति कहा जाता है. इस मूर्ति को मिस्र की देवी मात और ग्रीक देवी थेमिस के नाम से जाना जाता है.

*थेमिस को कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता:*

इसे सद्भावना, न्याय, कानून और शांति व्यवस्था जैसी विचारधाराओं का प्रतीक माना जाता है. ग्रीस में थेमिस को सच्चाई और कानून-व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है. किंवदंती के मुताबिक, डिकी जूस की बेटी थी. वो इलाके के लोगों के साथ न्याय करती थी. वैदिक संस्कृति में डिओस द्वारा ज़ीउस को प्रकाश और ज्ञान का देवता बृहस्पति कहा जाता था. जस्टिसिया देवी डिकी का रोमन विकल्प थी. डिकी को आंखों पर पट्टी बांधे हुए दिखाया गया. न्याय की देवी हाथों में तराजू और तलवार लिए महिला न्यायधीश, आंखों पर पट्टी बांधकर न्याय व्यवस्था को नैतिकता का प्रतीक माना जाता है. जिस प्रकार ईश्वर बिना किसी भेदभाव के समान न्याय देता है, उसी प्रकार यह न्याय की देवी भी देती है.

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