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सोमवार, 12 दिसंबर 2022

मनमोहन सिंह के समय 2004 से 2013 तक के आंकड़े देखें तो इन 10 सालों में 9,739 आतंकी घटनाएं हुईं।

 

शांतिदूत, अमित शाह आज तक के भारत के सर्वश्रेष्ठ गृह मंत्री है।

अमित शाह को कांग्रेस सरकार के गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में झूठा फंसाया था, बाद में कोर्ट ने गहन जांच के बाद अमित शाह को बाइज्जत बरी कर दिया था।

अमित शाह के गृह मंत्री बनने से पहले देश में सीरियल बम ब्लास्ट आम बात हुआ करती थी।

मनमोहन सिंह के समय 2004 से 2013 तक के आंकड़े देखें तो इन 10 सालों में 9,739 आतंकी घटनाएं हुईं।

मगर अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से भारत में सीरियल बम ब्लास्ट बंद हो गए हैं, यह होता है गृह मंत्री👇👇👇👇


मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है?

मन्त्रों के पीछे का विज्ञान क्या है?

किसी स्त्री की उत्तेजित आवाज़ से तुमने स्वयं में उत्तेजना महसूस की होगी, किसी व्यक्ति के गाली देने पर तुम भड़क भी गए होंगे, जरा सी डाट से तुम्हे अपमानित भी महसूस होता होगा, पड़ोस में बज रहे गाने पर कई बार तुम्हे नृत्य करने का भी मन हुआ है, किसी से प्रेम भरे शब्दो को सुनकर तुम्हारे दिल को तसल्ली मिली होगी।

देखो, यहाँ सब अनुभव की बात है। कोई दर्शन शास्त्र की बात नही है। कोई रटी रटाई बात नही है। यह सब तुम्हारे ही अनुभव की बात है। तुम किसी गाने में लड़की की अजीब वाली आवाज़ सुनकर उत्तेजित हुए होंगे। वह क्या था? शब्द शक्ति थी। शब्द स्फोट था। जिसने तुम्हारे अंदर यह उत्तेजना पैदा की। जिसने तुम में गाली सुनने के बाद क्रोध पैदा किया है, जिसने तुम में संगीत को सुनकर नृत्य के लिए विवशता पैदा की है। यह सामान्य बात है। आँखों देखी बात है। यह सब शब्द की शक्ति से सम्पन्न हुआ है।

मन्त्र भी शब्द ऊर्जा से ओतप्रोत है। जिनमे भयंकर ऊर्जा है। बड़ी तेज ऊर्जा है। यह ऊर्जा विस्फोटक भी है। प्रत्येक शब्द में ऊर्जा है और यही ऊर्जा तीनो स्तर पर कार्य करती है। आध्यात्मिक, अधिभौतिक और आधिदैविक स्तर पर कार्य करती है।

अगर तुम इस शब्दो की ऊर्जा के रूपांतरण को समझ लोगे तो तुम में सम्मोहन विधि आ जायेगी, तुम अपने शब्दों से घटनाओं को बदल सकते हो।

मन्त्र विज्ञान भी ऐसा ही है। मन्त्र शब्दों की शक्ति का ही रूप है। जिसे स्पष्ट उच्चारण करने पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है।

देखो, जरा सी बात है। सीधी सी बात है। इसमें कोई दुविधा नही है। सरल बात है। तुम जब कोई शब्द सुनते हो तो वह मस्तिष्क तक इलेक्ट्रोकेमिकल ट्रांसमिशन द्वारा पहुँच जाता है। तुम्हारे मस्तिष्क पर प्रभाव करता है। किसी ने गाली दी तो तुम भी गाली दे देते हो, या फिर अपमानित महसूस करते हो। तुम्हारी जैसी वृत्ति है, वैसा ही निर्णय तुम ले लेते हो। कई बार तो तुम किसी के शब्द सुनकर क्रोध में आकर अनिष्ट भी कर देते हो। क्योंकि यह शब्द तुम्हे उकसा देते है।

तुम्हारी भावना बदल देते है। जज्बात बदल देते है। तुम्हारी बॉडी पर बहुत प्रभाव करते है।

अब मन्त्र की बात कर लो। मन्त्र का हर शब्द कम्पन करता है। ब्रह्मण्ड में सब कम्पन ही तो कर रहा है। शब्द ही कम्पन करता है। करेगा ही। ऊर्जा का रूप है, कम्पन तो करेगा ही। तुम कहोगे की शब्द में कम्पन नही होता, तो तुम अपने आस कभी तेज आवाज में संगीत बजाना, ढोल बजाना, फिर देख लेना कि कैसे तुम्हारे कमरे की अलमारी में कम्पन होता है। कैसे तुम्हारे आस पास कम्पन महसूस होता है। यह सब शब्दो का कम्पन है।

मन्त्र के शब्दों में भी कम्पन है। अधिक कम्पन है। हर शब्द में अलग अलग फ्रीक्वेंसी का कम्पन है। यही कम्पन हमारे शरीर में अलग अलग प्रभाव छोड़ते है। अलग अलग तरह की ऊर्जा बदलते है। हर मन्त्र का कार्य अलग अलग होता है। क्योंकि हर शब्द की फ्रीक्वेंसी अलग अलग होती है। जब बार बार एक ही शब्द या एक ही मन्त्र को दोहराया जाता है तो frictional energy उतपन्न होती है। घर्षण शक्ति उतपन्न होती है। जब यह घर्षण शक्ति आने लगे तो अब मन्त्र अपने पूर्ण प्रभाव में आने लगता है। जैसा मन्त्र होगा वैसा ही कार्य करेगा।

मन्त्र का उच्चारण जब स्थूल स्तर पर करते है तब भी आंतरिक रूप में यह सूक्ष्म स्तर पर कम्पन करता है और सूक्ष्म स्तर पर जब कम्पन करते करते घर्षण शक्ति होने लगती है तो फिर हम में परिवर्तन शुरू हो जाता है। हममें परिवर्तन आने लगता है। हम मन्त्र के अनुरूप होने लगते है। मन्त्र की वृत्ति जैसे बनने लगते है।

हमारी वृत्ति मन्त्र से मिलने लगती है। अंत में हम स्वयं ही मन्त्र होते है। मन और बुद्धि के स्तर पर जब कम्पन होता है तो हम अब मन्त्र के उद्देश्य को पूर्ण करने पर आतुर होते है। मन्त्र चार अवस्थाओं से गुजर कर सिद्ध होता है, उसके बाद ही यह अपने पूर्ण रूप में कार्य करता है। इसके लिए मन्त्र सिद्धि की विधान है। मन्त्र सिद्धि में एक निश्चित संख्या में जो कियाजाता है। फिर उस मन्त्र ल दशांश हवन, मार्जन तर्पण आदि किया जाता है तब जाकर मन्त्र के प्रयोग शुरू होते है।

मन्त्रो के बारे में अधिक गूढ़ और विस्तृत विज्ञान है जिसको एक उत्तर में नही समझाया जा सकता।

क्योंकि मन्त्र भी हर व्यक्ति के लिए अलग अलग उपयोगी होते है। कोई मन्त्र किसी के लिए लाभ देता है तो अन्य व्यक्ति के लिए नुकसान दे सकता है। यह मन्त्र के प्रथम शब्दो से स्पष्ट पता चल जाता है।

इसलिए किसी मन्त्र को सिद्ध करने के लिए गुरु की उपयोगिता है। वह जानता है कि कौनसा मन्त्र ठीक रहेगा। कौनसा मन्त्र सही रहेगा। उस का निर्देश तुम्हे देगा। इसलिए किताब से सिद्धि नही मिलती।

मैंने मन्त्रो का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा है। यह रजोगुणी विद्या है। स्पष्ट और लय में रहकर ध्यान के साथ जब मन्त्र उच्चारण करे तो आप कम्पन महसूस कर सकते है। इसमें कोई दोहराय नही। मैंने मन्त्रो के चमत्कार प्रत्यक्ष देखा है। इसलिए मुझे कोई संशय नही है। तुम भी मत रखो, प्रयोग करके देख लो।

चित्र स्त्रोत- गूगल


सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??

 "सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ??
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बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी, इन "प्रश्नों" पर, "विचार" करें!
जिस -"सम्राट" के नाम के साथ, -"संसार" भर के, "इतिहासकार"- “महान” शब्द लगाते हैं
जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र"-" भारतीय", "अपने ध्वज" में लगाते है l
जिस -"सम्राट" का -"राज चिन्ह", "चारमुखी शेर" को, "भारतीय",- "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर,:- " सरकार" चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को "अपनाया" है l
जिस देश में - "सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान", "सम्राट अशोक" के "नाम" पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l
जिस -"सम्राट" से -"पहले या बाद" में :- "कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...l जिसने : -"अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, "बड़े भूभाग" पर:-"एक-छत्र राज" किया हो l
 सम्राट अशोक" के ही, समय में :- "२३ विश्वविद्यालयों" की "स्थापना" की गई l जिसमें :-  तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि "विश्वविद्यालय", "प्रमुख" थे l इन्हीं "विश्वविद्यालयों" में "विदेश" से "छात्र", "उच्च शिक्षा" पाने, :- "भारत आया करते थे"
 जिस -"सम्राट" के "शासन काल" को -"विश्व" के "बुद्धिजीवी" और "इतिहासकार", "भारतीय इतिहास" का सबसे -"स्वर्णिम काल" मानते हैं
 जिस -"सम्राट" के "शासन काल" में :- "भारत"-  "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता -"खुशहाल" और "भेदभाव-रहित" थी l
जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे "प्रख्यात" "महामार्ग", :- "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई -"हाईवे" बने l २,००० किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर, "दोनों ओर", "पेड़" लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए  l "पशुओं को मारना बंद" करा दिया गया l
 ऐसे -"महान सम्राट अशोक", जिनकी -"जयंती" उनके -"अपने देश भारत" में :-"#क्यों नहीं मनायी जाती"#?? न ही, कोई -"छुट्टी" घोषित की गई है?*
दुख: है, कि :-जिन नागरिकों को ये -"जयंती", "मनानी" चाहिए..? वो अपना -"इतिहास" ही, "भुला" बैठे हैं l और , जो :- "जानते" हैं ? "वो":-  "ना जाने क्यों" ? "मनाना":- "नहीं चाहते"
*पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त
*माताजी का नाम - सुभद्राणी
"जो जीता, वही:- "चंद्रगुप्त" ना होकर ...? "जो जीता", वही :-"सिकन्दर" कैसे हो गया
जबकि - "ये बात" सभी जानते हैं, कि:- "सिकन्दर" की सेना ने -"चन्द्रगुप्त मौर्य" के "प्रभाव" को देखते हुए ही, :- "लड़ने से मना कर दिया" था! बहुत ही ,"बुरी तरह" से "मनोबल टूट गया था"! और "वापस लौटना" पड़ा था ।
कृपया - अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें l और हम सब मिल कर, बाक़ी साथियों को भी,"जागरूक" करें!
आइए  मिल कर - इस "ऐतिहासिक भूल" को, "सही करने" का,:-


कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे
कुछ लोग नही भेजेंगे
लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे🙏🙏🙏

रोचक जानकारी - इसे "Tree of Life (जीवन का पेड़)" भी कहा जाता है।

 

ऊपर के फोटो में दिख रहे दैत्याकार पेड़ का नाम है "बाओबाब"

[1]

ये मुख्यत: अफ्रीकन महाद्वीप में पाए जाते हैं। इस प्रजाति के कई पेड़ 1000 वर्ष से भी पुराने हैं।

इनका तना बड़ा ही रोचक आकार लिए हुए होता है जैसे पानी का कोई बड़ा सा ड्रम हो।

और सच में इनके इस ड्रमनुमा तने में ढेर सारा पानी भरा हुआ होता है। इनके तने का व्यास लगभग 30 फीट एवम इनकी हाइट 60 फीट तक चली जाती है। नामीबिया में एक पेड़ तो इस प्रजाति का सूमो बन चुका है जिसका व्यास करीब 87 फीट पहुंच चुका है।

इनके तनो में ये 100,000 लीटर पानी तक जमा कर सकते हैं।

जब बारिश होती है तो ये ढेर सारा पानी जमा कर लेते हैं और फिर सूखे मौसम में अपना काम चलाते हैं। तब भी पत्तियां और फल-फूल उग आते हैं। वहां इसे "Tree of Life (जीवन का पेड़)" भी कहा जाता है। सूखे के समय वे लोग इसकी छाल को खोलकर उसमें से पानी निकालते हैं।

लेकिन…लेकिन एक मिनट रुकिए ! रोचक बात इस अफ्रीकन पेड़ के बारे में नहीं है। रोचक बात तो अब मैं बताने जा रहा हूं।

इसके लिए हम आ जाते हैं सीधे 8000 किमी दूर। याने के अफ्रीका से लगभग 8000 किमी दूर इंदौर के पास मांडू या मांडव नाम की जगह पर।

यहां पर आपको हर जगह एक विशेष फल बिकता हुआ मिल जायेगा जिसे यहां कहा जाता है "मांडू की इमली"

हालांकि जब मैने इसे पहली बार खाया था तब असंतोष हुआ की इसका स्वाद इमली से काफी अलग था। ये इमली इमली जितना खट्टा नहीं होता लेकिन माना जाता है इसमें संतरे से अधिक विटामिन सी होता है।

इसके अंदर से सीताफल के जैसा सफेद गुदा फल के रूप में रहता है। जिसे सुखाकर भी वहां दुकानदार बेचते हैं।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की ये मांडू की इमली बाओबाब प्रजाति के ही पेड़ का फल है। हालांकि मांडू में अफ्रीका जितने विशाल तो नहीं है लेकिन फिर भी ये मोटे तने के पेड़ जिनमे धरती से बहुत ऊपर थोड़े से पत्ते और फल लगे होते हैं बड़े अजीब लगते हैं दिखने में।

ये निश्चित तौर पर पता नहीं की अपनी जन्मस्थली से इतनी दूर ये अफ्रीका से मध्यप्रदेश कैसे आ गए। हैं ना काफी आश्चर्यजनक बात।

इसके अजीब से आकार के बारे में एक लोक कथा कहती है कि बाओबाब का पेड़ इतना ऊँचा था तो उसे अपने कद का बहुत घमंड हो गया था और वह अन्य सभी पेड़ों का मज़ाक उड़ाता था।

तो..भगवान ने इसे सबक सिखाने के बारे में सोचा। भगवान ने तब पेड़ को उखाड़ा और उसे उल्टा लगा दिया, और इसलिए इसकी शाखाएं जड़ों के गुच्छे के समान दिखती हैं।

प्रकृति बड़ी ही रोचक और अजब-गजब है और साथ ही एम.पी. अजब है…!! जैसा कि टूरिज्म वाली टैग लाइन कहती है।

इसके अलावा मांडू अपने पुराने महलों के लिए काफी फेमस है। अधिकांश अब खंडहर बन चुके हैं। फिर भी उस समय की बेहतरीन सिविल इंजीनियरिंग देखी जा सकती है।

कईं महलों में से एक जहाज महल है जो बारिश के मौसम में चारों तरफ से पानी से घिरा होता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे पानी का जहाज हो। बारिश के समय यहां की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं।

मेरे कैमरे के सौजन्य से मांडू की कुछ तस्वीरें:

फुटनोट

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