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सोमवार, 23 मई 2022

हर मन्दिर दो से ढाई हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। यह काम तो हजार करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।

ध्यानपूर्वक पढ़ें
*मंदिर चाहिये या रोजगार ?*
इस प्रश्न में दूषित मानसिकता छिपी है। लेकिन क्या इसका उत्तर वही है, जो हम दे रहे है।

वो पिछले दिनों मैं अपने परिवार के साथ मंदिर गया ।पूजा से पहले दुकान से प्रसाद लिया , चढ़ाने के लिए माला ली । हम तो तुरंत दर्शन कर लिये , बाकी लोग विधि विधान के साथ पूजा पाठ कर रहे थे। 

जिज्ञासु प्रवृत्ति से मैं मंदिर के चारों तरफ घूमने लगा। हर दुकान , हर ठेलिया को देखे कौन क्या बेच रहा है।
फिर सब लोग एक जगह चाट खाये , एक जगह जलेबी , फिर एक दुकान से महिलाओं ने अपने लिए श्रृंगार आदि के सामान लिए फिर आगे आकर सब लोग चाय पीये।

फिर अचानक ध्यान आया यह मंदिर दो से ढाई हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। यह काम तो हजार करोड़ लगाकर कोई कम्पनी नहीं कर सकती है।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात है। मंदिर किसको रोजगार दे रहा है ! यह वह लोग है ,जिनके पास किसी संस्थान से डिग्री नहीं है। इतना धन नहीं है कि कोई बड़ा निवेश कर सकें। अर्थव्यवस्था में समाज के निचले स्तर के लोग है।
*मंदिर*
*करोड़ो लोगों को रोजगार देते हैं।*
*कैसे...... ????*

१.धार्मिक पुस्तक बेचने वालों को और उन्हें छापने वालों को रोजगार देते हैं।

२. माला बेचने वालों को घंटी-शंख और पूजा का सामान बेचने वालों को रोजगार देते हैं।

३. फूल वालों को माला बनाने और किसानों को रोजगार देते हैं।

४. मूर्तियां-फोटुएं बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।

५. मंदिर प्रसाद बनाने और बेचने वालों को रोजगार देते हैं।

६. कांवड़ बनाने-बेचने वालों को भी रोजगार देते हैं।

७. रिक्शे वाले गरीब लोग जो कि धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं को पहुंचाते हैं उन रिक्शा और आटो चालकों को रोजगार देते हैं।

८. लाखों पुजारियों को भी रोजगार देते हैं।

९. रेलवे की अर्थव्यवस्था का १८% हिस्सा मंदिरों से चलता है।

१०. मंदिरों के किनारे जो गरीबों की छोटी-छोटी दुकानें होती है उन्हें भी रोजगार मिलता है।

११. मंदिरों के कारण अंगूठी-रत्न बेचने वाले गरीबों का परिवार भी चलता है।

१२. मंदिरों के कारण दिया बनाने और कलश बनाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।

१३. मंदिरो से उन ६५,००० खच्चर वालों को रोजगार मिलता है जो किश्रद्धालुओ श्रद्धालुओं को दुर्गम पहाड़ों पर प्रभु के द्वार तक ले जाते हैं।

१४. भारत में दो लाख से अधिक जो भी होटल हैं और धर्मशालाएं हैं उनमें रहने वाले लोगों को मंदिर ही तो रोजगार देतें हैं।

१५. तिलक बनाने वाले- नारियल और सिंदूर आदि बेचने वालों को भी ये मंदिर रोजगार देते हैं।

१६. गुड-चना बनाने वालों को भी मंदिर रोजगार देते हैं।

१७. मंदिरों के कारण लाखों अपंग और भिखारियों और अनाथ बच्चों को रोजी-रोटी मिलती है।

१८. मंदिरों के कारण लाखों वानरों की रक्षा होती है और सांपों की हत्या होने से बचती है।

१९. मंदिरों के कारण ही हिंदू धर्म में पीपल-बरगद -पिलखन- आदिहै वृक्षों की रक्षा होती है।

२०. मंदिर के कारण जो हजारों मेले हर वर्ष लगते हैं- मेलों में जो चरखा-झूला चलाने वालों को भी तो रोजगार मिलता है।

२१. मंदिरों के कारण लाखों टूरिस्ट मंदिरों में घूमते हैं और छोटे-छोटे चाय-पकौडे-टिक्की बेचने वाले सभी गरीबों का जीवन यापन भी तो चलता है।

सनातन धर्म उन करोड़ों लोगों को रोजगार देता है जो गरीब हैं।
जो ज्यादा पड़े लिखे नहीं हैं और जिन के पास धन-जमीन और खेती नहीं है जो बचपन में अनाथ हो गए।

जिनका कोई नहीं उनका राम है।
उनका श्याम है उनका शिव है।

यह मंदिर कई सौ वर्ष तक रहेगा।
तब तक रोजगार देता रहेगा।

यह सामाजिक , धार्मिक उन्नयन का केंद्र है।
यदि आर्थिक दृष्टि से देखे तो मंदिर , अपने निवेश से कई हजार गुना रोजगार दे रहा है।
शायद हमनें अपनी धार्मिक आस्था के कारण इसको देखा नहीं। हमारे मंदिर , आर्थिक वितरण के बहुत बड़े , स्थाई केंद्र है। 

आप सभी मित्रो से मैं आशा करता हूं आप सभी मंदिर जरूर जाएं 🙏
🚩🚩 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे 🚩🚩
🚩🚩हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। 🚩🚩🌱

यति क्रिएशन, जोधपुर द्वारा निर्देशित "संस्कारी इवेंट" मे सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

 जय श्री कृष्णा

जोधपुर दिनांक 22 मई 2022, शाम 6 बजे से श्रीराम एंपाइयर होटल मे यति क्रिएशन द्वारा निर्देशित "संस्कारी इवेंट" जोधपुर मे सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसके आयोजक श्री अभिषेक शर्मा ने बताया कि जोधपुर मे 8 वर्ष से 60 वर्ष तक के उभरती प्रतिभाओ को मंच प्रदान करने हेतु सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया| मंच संचालन युगल जोड़ी श्रीमती वंदना शर्मा एवं अभिषेक शर्मा द्वारा किया गया| जिसमे सर्व प्रथम दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया जिसमे यति शर्मा द्वारा गणेश वंदना पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति से सभी प्रतिभागियों का मन मोह लिया, उसके बाद सबसे छोटे प्रतिभागी कुंज माहेश्वरी ने आ लौट के आजा मेरे मीत गाकर दर्शको को अभिभूत कर दिया| कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि श्री कमलेश जी पुरोहित (निराला), सोनू जी जेठवानी थे, सोनू जी जेठवानी को साँवरिया के संस्थापक श्री कैलाश चंद्र लढा द्वारा दुपट्टा पहना कर सम्मानित किया


कार्यक्रम के संयोजक मानवता की सेवा मे समर्पित साँवरिया ग्रूप के संस्थापक श्री कैलाश चंद्र लढा  ने बताया की कार्यक्रम मे ओल्ड ईज़ गोल्ड पुराने गानो की झलकियाँ दिखाई दी कुंज माहेश्वरी ने आ लौट के आजा मेरे मीत गाकर दर्शको को अभिभूत कर दिया जिस पर सोनू जेठवानी ने मंच पर ही उठकर कुंज माहेश्वरी को पुरूस्कृत किया| विभा व्यास ने बाज़ीगर ओ बाज़ीगर डॉ सुधा मोहता ने तूने ओ रंगीले केसा जादू किया, अमित पेडीवाल ने मेरे रशके कमर, अभिलेश वडेरा ने ये जमी गा रही है योगिता टाक ने तिरछी टोपी वाले, महेन्द्र मालपानी ने मेरे टूटे हुए दिल से कोई तो आज ये पूछे, अजय दवे ने रात कली एक ख्वाब मे आई,  विमल सोनी अंजना सोनी ने युगल गीत अक्सर इस दुनिया मे गाकर समा बाँध दिया, पूरे कार्यक्रम मे सभी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, कार्यक्रम मे 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमे यति शर्मा, कुंज माहेश्वरी, अंजना सोनी, मनीषा गोयल, योगिता टाक, संतोष जांगिड़, विभा व्यास, कृष्णा खत्री, डॉ. सुधा मोहता, विनीता, वंदना शर्मा, कैलाशचंद्र लढा, अभिषेक शर्मा, विमल सोनी, अजय दवे, अमित पेडीवाल , महेंद्र मालपनि, गौरव महेचा, अर्जुन गर्ग, मुकेश, आसिफ़, साहिल, अभिलेश, प्रकाश गोयल, एस. एन व्यास, दिलीप टाक आदि प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी | साउंड हेम प्रजापत द्वारा लगाया गया, कार्यक्रम के अंत मे सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि कमलेश जी पुरोहित (निराला) द्वारा दुपट्टा व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया, कार्यक्रम के अंत मे अभिषेक शर्मा व वंदना शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया|
कार्यक्रम के अंत मे प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए गर्ल्स सेव यूथ असोसियेशन के संस्थापक कनिष्क शर्मा ने बताया इसके अगले आयोजन की जल्द घोषणा की जाएगी
 

कार्यक्रम की झलकिया



























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