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रविवार, 11 अगस्त 2024

आजकल सोशल मीडिया पर और कुछ मित्रों के मन में एक बात जोरों से चल रही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की ऐसी दुर्दशा हो रही है तो इसमें मोदी जी क्या कर रहे हैं...!*

*👇🏽इसे समझें आपके आधे भ्रम दूर हो*


*🔥आजकल सोशल मीडिया पर और कुछ मित्रों के मन में एक बात जोरों से चल रही है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की ऐसी दुर्दशा हो रही है तो इसमें मोदी जी क्या कर रहे हैं...!*

____वे बयानबाजी छोड़ कर बांग्लादेश में हिंदुओं को बचाने के लिए अपनी सेना क्यों नहीं भेज रहे हैं ???

*साथ-ही-साथ ही...* पुच्छले के तौर पर वे ये भी जोड़ दे रहे हैं कि *मोदी जी ने तो बंगाल में भी हिंदुओं के मरने पर भी कुछ नहीं किया था और सिर्फ चिट्ठियां ही लिखते रह गए थे.*

जबकि, चाहते तो उसी समय बंगाल में सेना भेज कर इसे रुकवा सकते थे अथवा वहाँ की सरकार को ही बर्खास्त कर सकते थे.

लेकिन, मोदी जी ने ऐसा कुछ नहीं किया क्योंकि उन्हें तो लाशों जुटा कर वोट हासिल करना है..!

*🛑वास्तव में ऐसे पोस्ट और विचार पढ़़कर एक बारगी मन में आता है कि... पता नहीं भगवान ने हम हिंदुओं को ऐसा लोटा जैसा क्यों बनाया है जिन्हें कोई भी बरगला ले जाता है.*

*👉🏽〰️शायद इसका कारण ये है कि... हम हिन्दू अपना कमाने-खाने में इतना मगन रहते हैं कि हमें शासन-प्रशासन की बेसिक जानकारी तक नहीं होती है.*

इसीलिए, कोई भी धूर्त उनकी भावनाओं को भड़का कर उन्हें कुछ भी सिखा पढ़ा देता है.

और, वे अपनी उसी बात का रट हर समय लगाए रहते हैं.

*जबकि, वास्तविकता कुछ और ही होती है.*

*🔥सबसे पहले बंगाल ....*

भारत एक राज्य नहीं है बल्कि ये राज्यों का एक समूह है अर्थात यहाँ फेडरल स्ट्रक्चर है.
जहाँ केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं.

*यहाँ...* विदेशनीति, पड़ोसी देशों से संबंध, युद्ध, सीमा सुरक्षा, केंद्रीय टैक्स, बैंक, आयात-निर्यात, नागरिकता लेना-देना, रेलवे आदि केंद्र सरकार के कार्य हैं..

*वहीं,* राज्य की सुरक्षा व्यवस्था, कानून अनुपालन, शिक्षा, स्वास्थ्य, लैंड एंड रेवेन्यू राज्य सरकार के अधीन आते हैं.

*अतः...* राज्यों में किसी तरह के उपद्रव की स्थिति में ये पूर्णतया राज्य सरकार का काम होता है कि वो उस उपद्रव को कंट्रोल करे.

*लेकिन,* अगर किसी कारण राज्य सरकार ऐसा करने में खुद को असमर्थ पाती है तो फिर वो पड़ोसी राज्यों अथवा केंद्र से मदद मांगती है.

*फिर,* केंद्र सरकार जरूरत के अनुसार उसे केंद्रीय पुलिस बल (CRPF) , अर्धसैनिक बल (BSF) या फिर सेना उपलब्ध करवाती है.

*⭕यहाँ ध्यान रहे कि...* किसी भी राज्य में केंद्रीय बल राज्य सरकार की अनुशंसा पर ही डिप्लॉय की जा सकती है यूँ ही मनमाने तरीके से नहीं.

और, मांगने के बाद भी केंद्रीय बल सीधे उपद्रव की जगह पर नहीं पहुंच जाते हैं बल्कि इसके लिए एक प्रॉपर प्रोटोकॉल होता है.

उपद्रव की स्थिति में राज्य सरकार के होम सेक्रेटरी अपने संबंधित जिले के SP और कलेक्टर से चर्चा कर अपनी डिमांड बनाते हैं और उसे केंद्र सरकार को भेज देते हैं.

फिर, केंद्र उपर्युक्त सेना या पारा मिलिट्री फोर्स वहाँ भेज देती है.

वो केंद्रीय फोर्स संबंधित राज्य में जाकर वहां के होम सेक्रेटरी को रिपोर्ट करती है.

जहाँ से उन्हें संबंधित जिले में भेज दिया जाता है.

फिर, उस संबंधित जिले के SP और कलेक्टर जरूरत के अनुसार उस फोर्स को संबंधित थाने /ताल्लुक/तहसील में भेज देते हैं... जहाँ उपद्रव हो रहा होता है.

*अब इस परिस्थिति में क्या हो जब कोई राज्य सरकार अपने यहाँ उपद्रव होने से ही इंकार कर दे...???*

ऐसे में तो अगर आप जबरदस्ती केंद्रीय फोर्स भेज भी दोगे तो वो उस संबंधित जिले में जाकर बैरक में पड़ी रहेगी..
क्योंकि, केंद्रीय फोर्स को न तो उपद्रव वाले इलाके की जानकारी होती है और न ही वे उस एरिया के भौगोलिक संरचना से परिचित होते हैं.

*★ इसीलिए, ये निहायत ही बेवकूफाना बात है कि फलाने जगह बिना राज्य सरकार की मर्जी के बिना सेना/CRPF काहे नहीं भेज दिए.*

*⁉️अब यहाँ सवाल उठता है कि... फिर वहाँ की सरकार को ही क्यों नहीं हटाते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिए क्योंकि खांग्रेस तो ऐसा ही करती थी.*

*⭕तो, ध्यान रखें कि...* 1994 में एस.आर बोमई vs भारत संघ केस में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि... *कोई भी चुनी हुई राज्य सरकार को आर्टिकल 356 के तहत बर्खास्त नहीं किया जा सकता है जबतक कि वैसा करना बिल्कुल ""अंतिम उपाय"" न हो.*

और, छिटपुट हिंसा जाहिर सी बात है कि न तो गृहयुद्ध की श्रेणी में आता है और न ही अंतिम उपाय की श्रेणी में.

*इसीलिए, वहाँ चाह कर भी जबरदस्ती राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता है.*

और, अगर आवेश में आकर आपने ऐसा कर भी दिया तो अगले ही महीने सुप्रीम कोर्ट आपको लताड़ते हुए राज्य सरकार को बहाल कर देगी.

*इसीलिए,* ऐसी स्थिति में ज्यादा से ज्यादा आप राज्य सरकार को उपद्रव कंट्रोल करने ही बोल सकते हैं, उस पर चिंता जता सकते हैं या फिर उन्हें केंद्रीय मदद की पेशकश कर सकते हैं.

*रही बात कि खांग्रेस सरकार ऐसा कर देती तो आप भ्रम में हैं*

*____क्योंकि, आपको याद रखना चाहिए कि* 2002 के बाद अगले 12 साल तक खांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार भी सिर्फ फड़फड़ाने और बयानबाजी के अलावा मोदी जी अथवा गुजरात सरकार का कुछ नहीं बिगाड़ पाई थी.

*🔥अब रही बात बांग्लादेश की...*

तो, बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र है और अंतरराष्ट्रीय नियम के तहत किसी भी राष्ट्र में जबरदस्ती सेना भेजना उस राष्ट्र के खिलाफ युद्ध माना जाता है.

*इसका मतलब हुआ कि* अगर हम बांग्लादेश में जबरदस्ती अपनी सेना भेज देते हैं तो इसका मतलब हुआ कि हमने बांग्लादेश के खिलाफ ऑफिशियली युद्ध की घोषणा कर दी.

*और चलो.... एक बारगी हमने ऐसा कर भी दिया तो ये बताओ कि* हमारी सेना... बांग्लादेश की सेना से युद्ध करेगी *या बंगलादेश में घुसकर हिंदुओं को बचाएगी ???*

इसीलिए, बिना मदद मांगे हम बांग्लादेश या बर्मा... या फिर, नेपाल तक में अपनी सेना नहीं भेज सकते हैं.

🔘 ज्यादा से ज्यादा... हम वहाँ की वर्तमान सरकार/सत्ताधीश को चेतावनी दे सकते हैं या ऑफर दे सकते हैं कि उपद्रव कंट्रोल करने में यदि आपको हमारी जरूरत हो बोलना..
हम अपनी सेना भेज देंगे.

*इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते हैं.*

इसीलिए, बिना किसी चीज के तकनीकी पहलू को जाने... घर में हल्ला मचाना कहीं से भी बुद्धिमानी नहीं कही जा सकती है.

*भला इससे बड़ी मूर्खता क्या होगी कि.... वहाँ उपद्रव कर रहे हैं मिएँ..*
*और, आप मियों पर गुस्सा दिखाने की जगह गुस्सा दिखा रहे हो अपने नेता पर जो इस परिदृश्य में कहीं है ही नहीं.*

*क्या ये बहुत कुछ वैसा ही नहीं है कि*  सारे अडोस-पड़ोस से पिट कर आने के बाद कोई अपने बीबी-बच्चे को पीटने लगे कि वो काहे कमजोर है ??

*🔴इसीलिए, दुश्मनों के टूलकिट को पहचानें...*
जिसने आपको इतना *भ्रमित* कर रखा है कि आपको सामने दिखता दुश्मन भी नजर नहीं आ रहा है..
*और, आप अपने लोगों को ही दुश्मन मान कर उससे लड़-मरने पर उतारू हैं.*
🙏
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