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शनिवार, 8 मार्च 2014

श्री हनुमान व शनि दोनों में ही एक समानता है


श्री हनुमान व शनि दोनों में ही एक समानता है और वह है- शिव तत्व से जुड़ाव। शिव तत्व का संबंध कल्याण भाव से है। कल्याणकारी देवता शिव यानी रुद्र के ही अवतार माने जाते हैं श्री हनुमान, वहीं शनि परम शिव भक्त होने के साथ ही शिव कृपा से ही जगत के हर प्राणी की कर्म गति नियत करने वाले न्यायाधीश बने।
इसी तरह हनुमान व शनि के संबंध में एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि जब श्री हनुमान ने लंका में शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया तो शनिदेव ने प्रसन्न होकर यह वचन दिया था कि आस्था, भक्ति व पावनता के साथ श्री हनुमान की भक्ति करने वाले मेरी क्रूर दृष्टि से पीड़ा नहीं उठाएगा।

आप इन दोनों मन्त्र का नियमित जाप करें आपको कष्टों से मुक्ति मिलेगी , बोलिये "जय शनि देव" !

ऊँ रुद्रवीर्य समुद्भवाय नम:

ऊँ आयुष्कारणाय नम:
( द्रोणाचार्य )

क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु है ?

क्या नारी सिर्फ भोग की वस्तु है ?

जब वोडाफोन के एक विज्ञापन में दो पैसो मे लड़की पटाने
की बात की जाती है तब कौन ताली बजाता है?

हर विज्ञापन ने अध्-नंगी नारी दिखा कर ये विज्ञापन
एजेंसिया / कम्पनियाँ क्या सन्देश देना चाहते है इस पर कितने
चेनल बहस करेंगे ?
पेन्टी हो या पेन्ट हो, कॉलगेट या पेप्सोडेंट हो, साबुन
या डिटरजेण्ट हो , कोई भी विज्ञापन हो, सब में ये छरहरे बदन
वाली छोरियो के अधनंगे बदन को परोसना क्या नारीत्व के
साथ बलात्कार नहीं है?
फिल्म को चलाने के लिए आईटम सॉन्ग के नाम पर
लड़कियो को जिस तरह मटकवाया जाता है या यू कहे लगभग
आधा नंगा करके उसके अंग प्रत्यंग को फोकस के साथ
दिखाया जाता है वो स्त्रीयत्व के साथ बलात्कार
करना नहीं है क्या?
पत्रिकाए हो या अखबार सबमे आधी नंगी लड़कियो के
फोटो किसके लिए और क्या सिखाने के लिए भरपूर मात्र मे छापे
जाते है? ये स्त्रीयत्व का बलात्कार नहीं है क्या?
दिन रात , टीवी हो या पेपर , फिल्मे हो या सीरियल, लगातार
स्त्रीयत्व का बलात्कार होते देखने वाले, और उस पर खुश होने
वाले, उस का समर्थन करने वाले क्या बलात्कारी नहीं है ?
संस्कृति के साथ , मर्यादाओ के साथ, संस्कारो के साथ,
लज्जा के साथ जो ये सब किया जा रहा है वो बलात्कार नहीं है
क्या? निरंतर हो रहे नारीत्व के बलात्कार के
समर्थको को नारी के बलात्कार पर शर्म आना उसी तरह है जैसे
मांस खाने वाला , लहसुन प्याज पर नाक सिकोडे
जिस देश में "आजा तेरी _ मारू , तेरे सर से _ _ का भूत उतारू"
जैसे गाने,और इसी तरह का नंगा नाच फैलाने
वाले भांड युवाओ के " आइडल" बन रहे हो वहा बलात्कार और
छेडछाड़ की घटनाए नहीं तो और क्या बढ़ेगा?
कुल मिलाकर मेरे कहने का तात्पर्य ये है की जब तक हम नारी जाती को नारित्य का दर्जा नहीं देंगे तब तक महिला विकास या महिला शास्क्तिकरण की बाते बेमानी लगती है ।।

रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ऐसी बातें और सूत्र बताए गए हैं, जो नारी को महान बनाते हैं।

(बहुत कम लोग जानते है???) जरूर पढें

रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें ऐसी बातें और सूत्र बताए गए हैं, जो नारी को महान बनाते हैं। रामायण में ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने नारी धर्म पूरी निष्ठा के साथ निभाया। ये नारियां आज भी पूजनीय हैं। रामायण की प्रमुख महिला पात्र सीता, कैकेयी, कौशल्या, सुमित्रा, अहिल्या, उर्मिला, अनसूइया, शबरी, मंदोदरी, त्रिजटा और शूर्पणखा, लंकिनी और मंथरा हैं।
इन सभी महिलाओं में सीता, उर्मिला, अनसूइया और मंदोदरी को विशेष स्थान दिया गया है। इनके अतिरिक्त भक्ति-भावना की प्रतिमूर्ति शबरी, लंका में सीता की रखवाली करने वाली त्रिजटा भी प्रमुख हैं।

यहां जानिए इन महिला पात्रों से जुड़ी खास बातें और इन महिलाओं के जीवन से हमें क्या सीख लेना चाहिए...

सीता: सीता को धरती की पुत्री माना गया है। राजा जनक को सीता भूमि से प्राप्त हुई थीं। रामायण में सीता को सहनशील, ज्ञानी, पतिव्रता, एक अच्छी बहु, कुशल गृहिणी और सर्वश्रेष्ठ नारी बताया गया है। ये सभी गुण स्त्री को महान बनाते हैं। हजारों सेवक होने पर भी, सीता अपने पति श्रीराम की सेवा खुद ही करती थीं। सीता अपने पति के हर सुख-दुख में भागीदार बनीं और विषम परिस्थितियों में भी अपने पतिव्रत धर्म का उल्लंघन नहीं किया। इसी वजह से सीता आज भी पूजनीय हैं। आज की नारी के लिए सीता एक आदर्श महिला है।

शूर्पणखा: शूर्पणखा के जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि जो स्त्री व्यभिचारी होकर, उन्मुक्त रूप से कई पुरुषों से संबंध बनाती है, उसकी नाक कट जाती है यानी समाज में इज्जत खत्म हो जाती है। कान कट जाते हैं यानी ऐसी स्त्री का लोक और परलोक दोनों स्थानों पर सर्वनाश हो जाता है। अत: ऐसे जीवन से दूर रहकर धार्मिक कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। परपुरुष के संबंध में किसी भी प्रकार के गलत विचार मन में नहीं लाना चाहिए।

उर्मिला: रामायण में उर्मिला सीता की छोटी बहन एवं लक्ष्मण की पत्नी हैं। जब लक्ष्मण श्रीराम और सीता के साथ वनवास गए, तब उर्मिला ने भी 14 वर्षों तक महल में रहकर तपस्वी की तरह जीवन व्यतीत किया। सभी सासों की समभाव से सेवा की। उर्मिला के इसी त्याग की वजह से लक्ष्मण श्रीराम की सेवा पूरी निष्ठा से कर सके। उर्मिला का पूरा जीवन सीता के त्याग से भी कही अधिक महान माना गया है। उर्मिला एक ऐसा उदाहरण है जो पति और ससुराल के प्रति त्याग और समर्पण का भाव सिखाती हैं।
अनसूइया: रामायण में अनसूइया ब्रह्म ऋषि वशिष्ठ की पत्नी हैं। अनसूइया के स्वभाव में किसी भी प्रकार की ईर्ष्या नहीं थी। जबकि, आज के दौर में अधिकांश स्त्रियां ईर्ष्या भाव रखती हैं। ईर्ष्या के कारण स्त्रियां अपना भविष्य और पारिवारिक जीवन को काफी हद तक प्रभावित कर लेती हैं। अनसूइया से सीखा जा सकता है कि ईर्ष्या त्याग कर और सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।

मंदोदरी: राक्षस राज रावण की पटरानी होने के बावजूद मंदोदरी बहुत धार्मिक, गर्वहीन, पतिव्रता महिला थीं। अपने पति को सही सलाह देती थीं एवं समय-समय पर अच्छे-बुरे कर्मों का ज्ञान भी देती थीं। रावण का दुर्भाग्य था, जो उसने मंदोदरी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। मंदोदरी ये जानती थीं कि रावण ने सीता हरण कर एक अधार्मिक कार्य किया था। मंदोदरी ने रावण को बहुत समझाया। वह जान गई थीं कि श्रीराम सामान्य मानव नहीं है और रावण का अंत निकट आ गया है। ऐसे में भी उसने पतिव्रत धर्म निभाया।

त्रिजटा: रावण की लंका में त्रिजटा प्रमुख राक्षसी थी। रावण ने त्रिजटा को सीता की देख-रेख के लिए नियुक्त किया था। राक्षसों के बीच रहकर भी वह धार्मिक प्रवृत्ति की थी। त्रिजटा, माता की तरह सीता का मनोबल बढ़ाती थी। त्रिजटा यह सिखाती है कि हमारा जन्म किसी भी कुल में हुआ हो, किसी भी परिस्थिति में हुआ हो, हमें हमेशा अच्छे कार्य ही करना चाहिए।

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