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गुरुवार, 19 मई 2022

इंडोनेशिया में कंडी सुकुह नामक स्थान पर खुदाई में मिले शिवलिंग के बारे में जानकारी

 

इंडोनेशिया में कई हिंदू मंदिर हैं । इनमें से कई मंदिरों के रहस्य आज के विज्ञान के युग में भी नहीं खुल पाए हैं । सैकड़ों वर्ष पूर्व सुकुह नामक स्थान पर शिवलिंग कंडी की खुदाई हुई थी ।

जावा द्वीप पर स्थित इस शिव मंदिर के क्रिस्टल शिवलिंग को लेकर एक ऐसा ही रहस्य सामने आया है ।

जब इस मंदिर की खुदाई की गई तो कई बहुमूल्य कलाकृतियां मिलीं । जिन्हें अब इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है । इस क्रिस्टल के शिवलिंग में एक जलयुक्त पदार्थ होता है ।

160 जर 07 L ००० क्या होना चाहिए । लेकिन ऐप में खोलें के अनुसार मंथन से अमृत निकलता है वह इस शिवलिंग तरल रूप में होता है ।

स्रोत : ज़ी टीवी

हालांकि , वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह क्या होना चाहिए । लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार मंथन से जो अमृत निकलता है वह इस शिवलिंग में तरल रूप में होता है ।

द्रव दिव्य होने का दावा करता है सैकड़ों साल पहले खोजे गए इस शिवलिंग का पानी आज भी बरकरार है , इसलिए इस तरल को दिव्य माना जाता है ।

सैकड़ों साल पहले इस शिवलिंग का द्रव्य आज भी सूख नहीं पाया है ।

यह द्रव्य क्या होना चाहिए , यह वैज्ञानिक नहीं समझ पाए हैं , लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार इस शिवलिंग में मंथन से निकलने वाला अमृत द्रव रूप में है । यह द्रव्य भी दिव्य होने का दावा किया जाता है ।

स्रोत : वेब वर्ल्ड

जब यहां खुदाई शुरू हुई तो पीतल के बर्तन में पानी जैसे तरल के साथ क्रिस्टल शिवलिंग मिला । यह भी समझा जाता है कि पीतल के इस बर्तन का पानी इतने सालों बाद भी नहीं सूखता था।

तस्वीर इंटरनेट

ताली बजाने पर इस कुंड का पानी उपर आने लगता है - तिलिस्मी कुंड

कुदरत की बनाई इस दुनिया में आज भी कई ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं जिसका खुलासा आजतक नहीं हो पाया है। हालांकि शुरु से ही वैज्ञानिकों ने विश्व में छुपे रहस्यों की गुथी सुलझाने की कोशिश की है लेकिन सफलता नहीं मिली है।

Image source google

आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य आजतक कोई नहीं सुलझा पाया है।

कौन है वह कुंड और क्या है उसका रहस्य?

भारत (India) के झारखंड (Jharkhand) राज्य के बोकारो शहर से 27 किलोमीटर दूर स्थित इस रहस्यमयी कुंड का नाम दलाही कुंड (Dalahi Kund) है। इस कुंड के बारे में यह मान्यता है कि ताली बजाने पर इस कुंड का पानी उपर आने लगता है। अपने इसी तिलिस्मी गुण के कारण दूर-दूर से सैलानी इस चमत्कार को देखने आते हैं।

मौसम के विपरीत गर्म औ ठंडा होता है इस कुंड का पानी

दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी खौलते पानी की तरह गर्म होता है। यह इतना गर्म होता है कि इसमें चावल भी पकाए जा सकते हैं। इसके बारे में यह कहा जाता है कि इस कुंड का पानी मौसम के विपरीत गर्म और ठंडा होता है। गर्मियों के मौसम में इस कुंड का पानी ठंडा और शीतऋतु के मौसम में पानी गर्म होता है।

वैज्ञानिक कर चुके हैं शोध

कई वैज्ञानिक दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में शोध कर चुके हैं। ऐसे में उनका मानना है कि इस कुंड का पानी जमुई नाले से होता हुआ गरगा नदी में जाता है, जहां पानी एकदम नीचे होता है। अधिक नीचे होने के कारण ताली बजाने पर ध्वनीतरंगे उत्पन्न होती है जिसके वजह से पानी उपर आता है। हालांकि, वहां के स्थानीय लोग इसे आस्था की तरह मानते हैं।

इस कुंड में स्नान करने से होती है मन्नते पूरी

दलाही कुंड (Dalahi Kund) के बारे में लोगों के बीच यह आस्था भी है कि इस कुंड के पानी में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इसलिए सुदूर से श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इसका पानी त्वचा सम्बंधी रोगों को भी ठीक कर देता है। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है इसकी पुख्ता पुष्टि नहीं हो सकी है।

भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं

झारखंड के रामगढ़ में एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं.


मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है. यह पूजा सदियों से चली आ रही है. माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है. भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है


झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से जानते है. मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई पड़ा. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की पूजा होती है

मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली. प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है. मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है

मां गंगा की जल धारा का रहस्‍य...

सवाल यह है कि आखिर यह पानी अपने आप कहा से आ रहा है. ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है. कहा जाता है कि भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं. यहां लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं. यहां लोगों को पानी के लिए हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे गिरता रहता है. वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है

दर्शन के लिए बड़ी संख्‍या में आते हैं श्रद्धालु

लोग दूर-दूर से यहां पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है

ॐ नमः शिवाय🚩

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