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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

लड़कों की त्वचा को बिल्कुल बेदाग करने के लिए क्या करना चाहिए?

फिटकरी, जिसे एलम के नाम से भी जाना जाता है, वो आपको ग्रॉसरी शॉप पर बड़ी आसानी से मिल जाती है। खासकर पुरुषों को इसकी जरूरत तब पड़ती है जब वे अपनी शेविंग कराने के लिए सलून में जाते हैं। दरअसल, शेविंग के दौरान अगर उनके चेहरे पर कहीं पर कट लग जाता है तो फिटकरी खून को रोकने में काफी मदद करती है। फिटकरी आमतौर पर अधिकतर लोगों के घरों में होती है और न भी हो तो ये बहुत ही आसानी से बाजार में मिल जाती है। फिटकरी को पानी में डालने पर वह पानी को साफ करती है।फिटकरी आपके चेहरे को कैसे चमकता हुआ निखार दे सकता

त्वचा के दाग धब्बे हटाने के लिए फिटकरी एक बढ़िया उपाय है। आप चाहें तो नियमित रूप से चेहरे पर फिटकरी से मसाज करें या फिर फिटकरी केपानी से चेहरे को साफ करें। त्वचा बेदाग हो जाएगी। नेशनल इंस्टिट्यूट ने फिटकरी पर एक विस्तृत अध्ययन किया है जो इस बात की पुष्टि करता है कि फिटकरी कई प्रकार की मेडिकल कंडीशन के उपचार में काफी मदद कर सकती है। वहीं, नेशनल सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के फिटकरी पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को निखारने और एंजिन के प्रभाव को काम करने के लिए काफी सक्रिय भूमिका निभाता है। इसके साथ-साथ एंटी ऑक्सीडेंट की क्रिया स्किन पोर्स को खोलकर चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे को भी दूर करने में काफी मददगार मानी जाती है। हालांकि, इस बात पर विशेष ध्यान देना है कि फिटकरी का सेवन नहीं करना है बल्कि इसका चेहर पर या शरीर की त्वचा पर केवल इस्तेमाल करना है नहीं तो इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण से भरपूर होने के कारण यदि आप फिटकरी का इस्तेमाल अपने चेहरे पर करते हैं तो यह गुण आपके चेहरे सूजन को कम करके मुंहासों की समस्या से आपको बचा सकती है। जबकि एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को निखारने के लिए सक्रीय रूप से कार्य करता है। आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ एक चम्मच नींबू का रस निकाल लें और फिटकरी को इसमें डुबोकर इसे अपने चेहरे पर इस्तेमाल करें। इसे हफ्ते में दो से तीन बार इस्तेमाल करें, इसके बाद आपको खुद ही इसका फर्क दिखने लगेगा। फिटकरी को चेहरे पर इस्तेमाल करते हुए इस बात पर भी विशेष ध्यान दें कि यह आपकी आंखों में न लगने पाए, नहीं तो इसके कारण आंखों में जलन भी उत्पन्न हो सकती है। वह पानी को साफ करती है।फिटकरी आपके चेहरे को कैसे चमकता हुआ निखार दे सकता है-

 

पतंजलि ब्रांड का शहद सर्दियों में क्यों जम जाता है ?

 

पतंजलि ब्रांड का शहद सर्दियों में क्यों जम जाता है, जबकि अन्य ब्रांड जैसे डाबर और झंडू का शहद वैसे का वैसा ही रहता है? क्या पतंजलि ब्रांड के शहद में चीनी का घोल मिलाया हुआ हो सकता है, जिसके कारण ये कम तापमान पर जम जाता है?

अस्वीकरण :—

चूँकि मैं नीदरलैंड्स में रहता हूँ, अतः भारतीय शहद का उपभोग एक विलासिता ही है। अतः यह आलेख भारतीय बाजार में उपलब्ध किसी एक विशेष शहद की गुणवत्ता के बारे में न होकर शहद की गुणवत्ता के बारे में है। अतः यह किसी भी छाप-विशेष के समर्थन अथवा विरोध में नहीं है।


मधुमक्खियों के छत्ते में उत्तम प्रकार का मधु बन सके इसके लिए मधुमक्खियाँ छत्ते का तापमान लगभग ३५° सेंटीग्रेड के निकट बना कर रखती हैं। इस तापमान से शहद में उपस्थित नमी की मात्रा तो कम होती ही है, साथ ही शहद का रासायनिक स्वरूप भी चिरकाल तक स्थाई रहता है। शहद मुख्यतः शर्कराओं का अतिसंतृप्त विलयन है। शहद में लगभग १७% पानी ३१% ग्लूकोज (२५-४०% तक), ३८% फ्रुक्टोज (३०-४५% तक), ७% माल्टोज, १.५% शर्करा (सूक्रोज), ४% उच्चतर शर्कराएँ (लम्बी शृंखला वाले कार्बोहाइड्रेट), तथा ०.५% एंजाइम, खनिज, विटामिन होते हैं। शहद में शर्कराओं तथा पानी का अनुपात सामान्य रूप से पानी में इन शर्कराओं के घुल सकने की क्षमता से कहीं अधिक होता है। इस प्रकार के किसी भी संतृप्त विलयन में केलासीकरण सामान्य है।

Hide commentsतापमान कम होने पर शहद में उपस्थित शर्करा केलासित होने लगती हैं। शहद का केलासीकरण होने से इसकी श्यानता बढ जाती है।

इसके तीन कारण हैं :—

शहद का तापमान कम होने पर शर्कराएँ केलासित लगती हैं, लगभग १०° सेंटीग्रेड अथवा कम का तापमान इस प्रक्रिया को बढावा देता है।

परागकणों की उपस्थिति से केलासीकरण की प्रक्रिया के आरम्भ होने के लिए ठोस केन्द्र मिलने से केलासीकरण सरलता से होता है। वास्तव में शहद में परागकणों की उपस्थिति मधु के प्राकृतिक होने का द्योतक है। यदि शहद में शक्कर का घोल मिलाया गया हो तो परागकणों की सान्द्रता कम हो जाएगी, इससे केलासीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।

शहद में उपस्थित ग्लुकोज तथा फ्रुक्टोज का अनुपात भी शहद के केलासीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, अधिक ग्लूकोज का अर्थ अधिक सरलता से केलासीकरण। ध्यान रहे कि हम ग्लूकोज को सरलता से पचा सकते हैं, किन्तु फ्रुक्टोज को पचा पाने के उपयुक्त एंजाइम हमारे पाचनतन्त्र में उपस्थित नहीं।


शहद के केलासीकरण से इसमें खनिज, एंजाइम तथा विटामिन की सान्द्रता बढती है। यदि शहद में ग्लूकोज की मात्रा अधिक है तो शहद का केलासीकरण अधिक सरलता से होता है। इस प्रकार के शहद में छोटे, मक्खन के जैसे चिकने शर्करा के कण बनते हैं। कुछ स्थानों पर इस प्रकार का श्वेत, गाढ़ा, क्रीम के जैसा शहद मिलता है, जिसे उत्तम गुणवत्ता वाला माना जाता है। यदि शहद का केलासीकरण धीमी गति से होता है तो बडे और पारभासक केलास भी बन सकते हैं।


यदि शहद जम जाए तो इसे काँच के बर्तन में रखकर उस बर्तन को मन्द आँच पर उबलते पानी में कुछ देर रखें, शहद को हलके-हलके चम्मच से हिलाते रहें, यह पुनः द्रवित हो जाएगा।

शहद को सामान्य से कुछ ठंडे तापमान (२०-२५° सेंटीग्रेड) तथा कम नमी वाले स्थान पर संग्रहित करें।

वैसे जमा हुआ शहद खाने योग्य भी है, और कम नमी वाला होने से पौष्टिकता से भरपूर भी। जमा हुआ दानेदार शहद और दानेदार घी शुद्धता का संकेत देते हैं।


शहद की शुद्धता जाँचने के लिए कुछ घरेलू उपाय :—

१. शुद्ध शहद ठंडे पानी में अपेक्षाकृत कठिनाई से घुलता है। एक बूँद शहद पानी में टपकाने कर देखें कि इसमें कितना समय लगता है।

२. शहद में बत्ती डुबो कर दिया जलाइए, शुद्ध शहद में बत्ती सरलता से जलेगी, किन्तु यदि इसमें शक्कर का घोल है तो तड़कने की आवाज आएगी।

३. चखकर देखें।

४. ब्रांड वाले शहद में उसके घटकों की सूची पढें, शुद्ध शहद में मात्र एक घटक शहद ही होगा।

५. शुद्ध शहद की सामान्य रूप से उपभोग की कोई अन्तिम तिथि नहीं होती है।

इनमें कोई एक उपाय प्रामाणिक रूप से शुद्धता नहीं बता सकता है, अतः एक से अधिक प्रकार से जाँच करें। तथा, संतुष्टि के लिए स्वयं मिलावट कर उपरोक्त परीक्षण करें।


युरोपीय संघ में शहद की गुणवत्ता के लिए उच्च प्रतिमान बनाए गए हैं। यूरोपीय संघ में शहद के रूप में बेचा जाने वाला कोई भी उत्पाद कानून द्वारा मिलावट से मुक्त होना चाहिए, जिसमें मधुमक्खियों को निरोग रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स भी शामिल हैं।

अब थोड़ा शहद की गुणवत्ता के बारे में उसकी कीमत से भी अनुमान कर सकते हैं।

फूलों का शहद (जो जम कर क्रीम बन गया है) €१५.९६ प्रति किलोग्राम (लगभग ₹१३५०)।

सामान्य फूलों का शहद € ४.३८ प्रति किलोग्राम (लगभग ₹ ३७५)।



What Do You Do With Crystallized Honey?

https://www.powerblanket.com/blog/why-does-honey-crystallize/

How to Prevent Raw Honey from Crystallizing | Asheville Bee Charmer

Real Raw Honey Crystallizes. And That's A Good Thing

How to Verify the Purity of Honey

क्या यह सच है कि लाखामंडल मंदिर में शव के अंदर आत्मा वापिस आ जाती है ?

क्या यह सच है कि लाखामंडल मंदिर में शव के अंदर आत्मा वापिस आ जाती है?


विधि का विधान है जिस व्यक्ति का जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है जो एक बार चला जाता है वह कभी वापस नहीं आता । लेकिन जन्म और मृत्यु तो ईश्वर का खेल है ईश्वर के चमत्कार के आगे कुछ भी नहीं है अगर भगवान चाहे तो उनके आगे सृष्टि के नियमों में भी परिवर्तन हो जाता है । भोलेनाथ का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में वापस प्रवेश कर जाती है शायद आपको इस पर यकीन ना हो लेकिन यह सच है ।

लाखामंडल शिव मंदिर का इतिहास.. यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर बसे लाखामंडल नामक स्थान पर मौजूद है । मान्यता के अनुसार द्वापर युग में महाभारत काल के समय दुर्योधन ने पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जला देने के लिए यहां एक लाशाग्रह का निर्माण किया था लेकिन पांडव इस लाशाग्रह से बच निकले थे । पांडव जिस गुफा से बचकर निकले थे वह ऐतिहासिक गुफा आज भी यहां मौजूद है।

लाखामंडल शिवलिंग की खासियत… यहां पर पाए जाने वाले शिवलिंग की खासियत है कि हर शिवलिंग का रंग अलग-अलग है शिवलिंग हजारों साल पुराने हैं लेकिन इतने समय तक जमीन के नीचे दबे रहने के कारण भी इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा । लाखामंडल में मौजूद शिवलिंग को महामंडलेश्वर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के आगमन में एक शिवलिंग है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास में पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने की थी । यह शिवलिंग ग्रेफाइट का बना हुआ है और जब भी इस पर जल चढ़ाया जाता है यह चमकने लगता है इस दौरान इस शिवलिंग में आपका चेहरा बिल्कुल साफ दिखाई देगा।

लाखामंडल शिव मंदिर का चमत्कार… मंदिर के आंगन में इस शिवलिंग के सामने 2 द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करकर खड़े हैं माना जाता है किसी भी मृत व्यक्ति को इनके सामने रख दिया जाता है । पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह फिर से जीवित हो जाता है जीवित होते ही वह देवों के देव महादेव को याद करता है और उनका नाम लेता है ‌। उसके बाद उसे पुजारी के हाथ से चावल, दूध और गंगाजल दिया जाता है गंगाजल ग्रहण करकर उसकी आत्मा फिर से शरीर त्याग कर चली जाती है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका।

द्वारपाल का रहस्य… इस मंदिर में दो द्वारपाल खड़े हैं जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य मंदिर है । मंदिर के प्रांगण में एक चट्टान पर पैरों के निशान मौजूद हैं जिन्हें यहां के स्थानीय लोग माता पार्वती के पैरों के निशान बताते हैं । स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता महादेव सभी की मनोकामना पूरी करते हैं ।

चित्र साभार: गूगल

बैंक वाले चेक के पीछे हस्ताक्षर क्यों करवाते हैं? जबकि वहां हस्ताक्षर के लिए मार्क नहीं होता है।

 

बहोत अच्छा सवाल किया है आपने।

चलीये, इसपर गौर करते है।

मान लो की कोई खाताधारक बँकसे अपने पैसे निकालने हेतू अपना चेक जमा कर देता है, खजांची उसे पैसे दे देता है। वो घर चला जाता है।

काम खतम।

पर क्या होगा, जब थोडेही देरमे वही आदमी खजांचीसे कहता है की मेरा टोकन गुम हो गया, आप मुझे पैसे दे दिजीए।

अब खजांची के पास तो पैसे देनेका कोई सबुत नही है।

ऐसी अवस्थामे चेक के पिछे किया हुआ हस्ताक्षर काम मे आता है।

ये मात्र नियमो के अनुसार पाली गई एक सुरक्षा व्यवस्था है। मैने कभी किसीं को दुबारा पैसे मांगते हुवे नही देखा।

ये इसिलीये भी किया जाता है की टोकन लेनेके बाद अगर सचमे वो उसे घुमा देता है, और कोई गैर आदमी पैसे लेने बँक मे आता है, तो वो सही हस्ताक्षर कर नही पायेगा और पकडा जायेगा।

और एक बात है।

जब बेअरर चेक से पैसे लेनेवाला बादमे पैसे मिलने से इन्कार करता है, तब ये हस्ताक्षर उसे पकडवा सकते है। आपको याद होगा की बेअरर चेक से बडी रकम निकलनेवाले के हस्ताक्षर ऊसके पॅन कार्डसे मिलानेके बाद ही खजांची उसे पैसे दे देता है, साथमे उसका पॅन नंबर भी लिख लेता है।

बँक ये सभी बाते केवल आपके पैसोंकी सुरक्षा के लिये ही करती है!

नमोस्तुते!!

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