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बुधवार, 3 सितंबर 2025

बैंक फ्रॉड से बचने के लिए क्या आवश्यक बिंदु है?

 

तकनीक के जमाने मेँ धोखाधडी के तरीके भी बदल रहे हैँ

धोखाधडी करने वाला आपके भय या लोभ का प्रयोग करके आपको शिकार बनाता है।

वैसे तो धोखाधडी के तरीकोँ मेँ लगातार थोडा बहुत बदलाव आता है लेकिन उनमेँ कुछ न कुछ एकरूपता भी रहती है।

प्रचलित धोखाधडी की प्रक्रियाओँ और तरीकोँ को समझ लेते हैँ।

- धोखाधडी करने वाला आपके बैंक या मान्य संस्था की और से आपको किसी प्रकार से सम्पर्क करता है। यह सम्पर्क ईमेल द्वारा , मेसेज द्वारा, या फोन काल द्वारा हो सकता है।

- इनमेँ या तो आपको किसी प्रकार का लाभ देने की बात होती है या आपकी कोई समस्या या हानि बताई जाती है।

- लाभ की बात जैसे कि आपने एक लाख रुपए का पुरस्कार जीता है। या सरकार की ओर से आप इस योजना के तहत दस हजार रुपए दिए जा रहे है इत्यादि। या आपकी दस वर्ष पुरानी पालिसी है जिसमेँ आपने कुछ ही किस्त जमा की थी। एक और किस्त जमा करने पर आपके दो लाख रुपए हो रहेँ है जो आप निकलवा सकते हैँ।

- समस्या या हानि की बात जैसे आपका अकाउंट या कार्ड ब्लाक होने वाला है। आपने बिजली बिल नहीँ जमा किया है इसलिए आपका कल तक कनेक्सन कट जाएगा। ये सब ऐसी बाते है जिनके होने की सम्भावना काफी है और इसलिए आपको सरलता से यकीन आ जाएगा।

- सम्पर्क के बाद ये आपसे वह जानकारी प्राप्त करना चाहते है जिसका प्रयोग करके ये आपके खाते या कार्ड से ऑनलाइन लेन देन कर पाएँ।

- आपसे सम्पर्क किए जाने का प्रत्यक्ष कारण उस समय के चलन के अनुसार बदलता रहता है। यदि कोई लोकप्रिय सरकारी योजना आई है तो उसका नाम लेकर सम्पर्क किया जाएगा । यदि कौन बनेगा करोडपति चल रहा है तो उसके नाम से सम्पर्क हो सकता है इत्यादि। लेकिन प्रक्रिया लगभग यही होती है।


धोखे की पहचान और सावधानियाँ

- पहला स्तर तो यही है कि नम्बर भारत से बाहर का है तो फ्रॉड होने की बहुत सम्भावना है। बहुत बार ये लोग पाकिस्तानी भी होते है । भारत के नम्बर +91 से आरम्भ होते है और पाकिस्तान के +92 से ।

- बैंक के आधिकारिक मेसेज भी साधारण मोबाइल नम्बर से नहीँ आते हैँ । अक्सर बैंक के मेसेज पर भेजने वाले का एक सांकेतिक नाम होता है। जैसे AD-ICICI , AX-ICIBNK, VM-SBICRD .. सभी मुख्य संस्थाओँ ने इस प्रकार के संकेतिक नाम पंजीकृत कराए होते हैँ और आपके संदेश पर यह अलग दिखाई देते हैँ। जबकि धोखाधडी वाले मेसेज साधारण मोबाइल नम्बर से आते हैँ । यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए ही है इसका प्रयोग करेँ।

नीचे उदाहरण दिया गया है।

तो मोबाइल नम्बर से आए मेसेज को फ्राड ही माने। सावधानी के लिए किसी भी मेसेज की कडी क्लिक न करेँ।

- इसी प्रकार बैंक के कॉल भी किसी प्रकार के आधिकारिक नम्बर से आते हैँ। ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । इस प्रकार के नम्बर दिए जाने की प्रक्रियाएँ सामान्य नम्बर से अधिक जटिल है इसलिए इस बात की सम्भावना कम है कि धोखाधडी वाले के पास ऐसे नम्बर होँ। फोन नम्बर की पहचान के लिए आजकल नम्बर पहचानने वाले एप्प भी आतेँ हैँ।

- मेसेज या कॉल की तरह ईमेल की इस प्रकार की कोई पहचान नहीँ है इसलिए सबसे असुरक्षित ईमेल ही है। जैसे पोस्ट ओफिस पत्र भेजने वाले की पहचान की जाँच नहीँ करता केवल दिए गए पते पर पत्र पहुँचाता है इसी प्रकार ईमेल भी काम करता है। ईमेल दिए गए पते पर पहुँच जाता है लेकिन भेजने वाले की कोई प्रमाणिकता नहीँ होती। जैसे किसी अन्य के नाम से पत्र भेजा जा सकता है वैसे ही किसी अन्य के नाम से ईमेल भी भेजा जा सकता है।

किसी भी प्रकार के संदेश के बाद सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उस पर कोई जानकारी न देँ और न कुछ करेँ बस यह कह देँ आप स्वयम् बैक या उस संस्था से सम्पर्क करेँगेँ । यदि व्यक्ति बात न माने तो भी आप फोन काट देँ। ईमेल और मेसेज का कोई उत्तर न देँ और न ही किसी कडी या लिंक पर क्लिक करेँ। इसके बाद आप उस संस्था से स्वयम् सम्पर्क करेँ ।

बैंकिग से बात करके कोई काम करना हो तो तभी करेँ जब आपने बैंक को सम्पर्क किया है बैंक ने आपको नहीँ ।


बैंक या संस्था से सम्पर्क करना

- संस्था से सदैव उसके आधिकारिक माध्यम पर ही सम्पर्क करेँ। यदि बिजली का बिल ऑनलाइन भरना है तो बिल पर दी गई बेबसाइट या एप्प पर ही करेँ किसी ईमेल या मेसेज या फोन पर बताए गए पते पर नहीँ। बिजली के बिल बहुप्रचलित एप्प जैसे अमेजन, पेटीम द्वारा भी किए जा सकते हैँ। किसी मेसेज मेँ प्राप्त नए एप या नई वेबसाइट का प्रयोग न करेँ ।

- आप किसी अन्य के मोबाइल या लैपटाप का प्रयोग करते हुए बैंक के काम न करेँ। जानकारी चोरी करने के गुप्त तरीके प्रचलित हैँ जिनकी व्याख्या का लाभ नहीँ होगा।

- बैँक की वेबसाइट को बुकमार्क करके रखेँ । भविष्य मेँ इसी बुकमार्क का प्रयोग करेँ इससे आप किसी गलत या छ्द्म वेबसाइट पर जाने से बचे रहेँगे।

- एप्प का प्रयोग वेबसाइट के प्रयोग से अधिक सुरक्षित है यदि आप इस एप्प का प्रयोग पहले ही करते रहेँ है। एप्प को बुकमार्क करने की आवश्यकता नहीँ होती। लेकिन पहली बार एप्प इंस्टाल करते समय इतना सुनिश्चित करना होगा है कि एप्प आधिकारिक है।

- यदि लोगिन करने के लिए OTP विकल्प है तो उसी विकल्प का प्रयोग करेँ । इसमेँ आवश्यक है जिसमेँ मोबाइल नम्बर आज से पहले ही कभी दिया गया हो । यदि आप आज ही मोबाइल नम्बर रजिस्टर कर रहेँ तो अन्य माध्यम से सुनिश्चित करेँ कि वेबसाइट या एप्प आधिकारिक है।

- लोगिन करने के बाद कोई लेन देन करने से पहले अपने कुछ पुराने लेन देन देख लेँ यदि ये लेन सही है तो काफी सम्भावना है कि यह सही वेबसाइट या एप्प है।

- बैंक के आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर अपने पास रखेँ । ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । मोबाइल नम्बर से आई काल पर जो भी सूचना आपको दी गई हो । उनसे कहेँ कि आप स्वयम् सम्पर्क करेँगेँ फिर आप आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर पर कॉल करेँ ।

- अब यदि ईमेल द्वारा सम्पर्क किया गया है तो उस पर तो कुछ भी न करेँ । आप अन्य प्रकार से ही बैँक को सम्पर्क करेँ ।

यदि ऑनलाइन तरीकोँ से आप सहज नहीँ है तो पुराने तरीके ही प्रयोग करते रहेँ।


पासवर्ड सुरक्षा

- बैकिंग पासवर्ड अपने अन्य सभी पासवर्ड से अलग रखेँ। यदि आपके अन्य पासवर्ड चोरी हो जाते हैँ तो भी बैंकिग बच सकते हैँ। किसी भी पासवर्ड याद रखने वाली सुविधा को बैंक के पासवर्ड याद न कराएँ।

- अपने लैपटाप पर बैंकिग पासवर्ड याद रखने का विकल्प न चुने । यदि आपका पासवर्ड आपका ब्राउजर स्वयम् भर रहा है तो यदि किसी को आपके लैपटाप या मोबाइल को प्रयोग करने का अवसर मिले तो यह चोरी हो सकता है। इसको चोरी कर पाने की सरलता अदभुद है। यह लगभग 5 सेकेण्ड का काम है। बिंदु दिखाने का कारण केवल पासवर्ड भरते समय की सुरक्षा है।

- वैसे प्रसिद्द संस्थाओँ द्वारा प्रयोग किए जा रहे आपके पासवर्ड उनके सर्वर पर सुरक्षित होते हैँ। यह सुरक्षा कैसे निश्चित होती है? यह इस प्रकार निश्चित होती है कि वे आपके पासवर्ड को कहीँ पर रखते ही नहीँ है बल्कि उसके आधार पर बना एक कूट संकेत रखते है। इसलिए वहाँ से इसे उनका कर्मचारी भी चोरी नहीँ कर सकता है। लेकिन आपके लैपटाप पर या ब्राउजर पर याद किया गया भी पासवर्ड सुरक्षित ही हो आवश्यक नहीँ । ऊपर की विधि से कोई भी पासवर्ड चोरी हो सकता है।

- कम प्रसिद्ध वेबसाइट आपके पासवर्ड को उतना सुरक्षित रखती है कि नहीँ यह पता करना सम्भव नहीँ है। इसलिए यदि आप एक ही लोगिन आई डी का प्रयोग बहुत स्थानो पर कर रहेँ तो पासवर्ड अलग अलग रखेँ ।

- मेरे विचार ट्विटर पर सुरक्षा पर्याप्त नहीँ है। गूग़ल और फेसबुक सहीँ हैँ।

- आपकी पसंद के गानो के बोल या पसंद के दोहे या कविता के बोल आपको जटिल पासवर्ड बनाने और याद रखने मेँ सहयोग कर सकते हैँ। जैसे जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजाकर से यह पासवर्ड बन गया जो याद रखने मेँ सरल होगा Jhggsjktlu@1421 लेकिन इस उदाहरण जैसी अति प्रसिद्ध कविता के प्रयोग से बचेँ।

लोगों को ठगने का नया तरीका - लिखा है कि मेरा डिवाइस लॉक कर दिया गया है

 लोगों को ठगने का नया तरीका

चित्र में जो वेबपेज दिख रहा है ये सीआरपीएफ के नाम से है, इसमें लिखा है कि मेरा डिवाइस लॉक कर दिया गया है क्योंकि मैंने ऐसा पेज खोलना चाहा है जो भारतीय नियमों के अंतर्गत प्रतिबंधित है। यदि मुझे लैपटॉप अनलॉक करना है तो अर्थदंड भरना पड़ेगा तैंतीस हजार रुपए।

यदि मैं अर्थदंड भरे बिना लैपटॉप को अनलॉक करता हूँ तो बिलासपुर पुलिस की रैपिड रेस्पॉन्स टीम मुझे गिरफ्तार कर लेगी।

अब इसमें ठगाने जैसा क्या है ?

यह जो वेबपेज है वह खुलने पर फुल स्क्रीन हो जाता है जिसके कारण जब कोई व्यक्ति पेज के बैक बटन पर क्लिक करता है तो वह काम नहीं करता। मैंने भी पहले यही किया था, मैं सोचा बैक काहे नहीं हो रहा है और क्लोज भी नहीं हो रहा है चक्कर क्या है !!!

मेरी जगह कोई और होता तो वह यही समझता कि उसका कंप्यूटर सही में लॉक हो गया है और अब तक शायद अपना डेबिट कार्ड निकाल लेता अर्थदंड भरने के लिए। किंतु मैं भी ऐसा करूँ तो साइबर सिक्योरिटी पढ़ने का लाभ क्या हुआ। मैंने कीबोर्ड पर Esc बटन दबा दिया तो पेज फुल स्क्रीन मोड से बाहर आ गया, तब मुझे समझ में आया ये चक्कर है रे बाबा।

वास्तव में यह वेबपेज किसी chaturbatte.store का है सीआरपीएफ का नहीं। पुलिस से बचने के लिए लोग पैसे भरेंगे ही यह सोच के किसी ने इसे बनाया है।

यही है सोशल इंजीनियरिंग, जिसमें चोर लोग मानवीय भावनाओं का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।

फोन फ्रॉड की कहानी

 

मैंने अपने घर में सबको अलर्ट कर रखा है फोन वाले फ्रॉड की कहानियों से ।

लेकिन मेरे पास भी ऐसे फोन आते रहते हैं ।

एक फोन आया था जिसमें हरयाणवी टोन में एक आदमी अपने को दिल्ली पुलिस का इंस्पेक्टर बता रहा था । बोला आपकी अश्लील वीडियो मिली है , अगर आपको इसको वायरल होने से रोकना है तो अभी बताएं नहीं तो यह वायरल हो जाएगी ।

मैंने उसको बोला कि पहले जामताड़ा , नूंह मेवात के क्रिमिनल तू यह बता कि पुलिस अश्लील वीडियो को रोकने के लिए बनी है या वायरल करने के लिए । और दूसरी बात आंख खोल कर सुन ले , अश्लील वीडियो देखना कोई गुनाह नहीं है पर फर्जी वीडियो बना कर वायरल करना जरूर अपराध है । और तीसरी बात अगर तू इंस्पेक्टर है तो मैं सुप्रीम कोर्ट का वकील हूं , जो उखाड़ना हो उखाड़ ले , अभी तो तेरा नंबर साइबर क्राइम सेल को रिपोर्ट करता हूं ।

बात पूरी करते करते कॉल ही डिस्कनेक्ट हो गई ।


दूसरा मामला दो महीने पहले का है। कुछ बंगाली टाइप का टोन था, फ़ोन करने वाले का।

बोला आप पार्ट टाइम काम करोगे, रोज़ १५००० कमा लोगे, जैसा बताएँगे वैसा करना है।

मैंने अनभिज्ञ बनते हुए बोला हाँ कर लेंगे। बताओ क्या करना है।

वह बोला आपके पास गूगल पे ऐप है।

मैंने बोला वह क्या होता है ?

बोला : अरे आप के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है ?

मैंने कहा नहीं है । आप दिला दोगे, अपने १५००० से काट लेना पहले दिनकी कमाई से ।

छूटते ही वह बोला जो बंगाली ही बोलते हैं

भक साला, कहाँ कहाँ से आ जाते हैं?


तीसरा मामला कुछ कुछ साइबर अरेस्ट जैसा था।

कुछ दिन पहले मेरी पत्नी के पास एक फोन आया । बिना अपना नाम बताए , पूछा आपके बेटे का नाम **** है , उसने बोला हां । फिर उसने पूछा कि बेटा कहां है , उससे बात कराओ।

तब तक पत्नी ने फोन मुझे पकड़ा दिया ।

अब वह मुझसे बोल रहा था और टोन बिहारी टाइप की थी । मैं बिहार में दस साल रह चुका हूं । उसने पूछा

बेटा तुम्हारे पिता जी कहां हैं तुमको पता है ।

मैं भी बेटा बन कर बोला जी, वह तो अमेरिका गए हुए हैं । जानबूझ कर अमेरिका बोला कि हो सकता है फिर कुछ ना बोले ।

बोला : तुमको पता है तुम्हारे पापा को अमेरिका की पुलिस ने पकड़ लिया है । हम अमेरिका की पुलिस से बोल रहे हैं ।

लेकिन तुम्हारे पापा से बातचीत में वह बड़े शरीफ लगे तो हमने सोचा कि उनको बचाया जाए । लो उनकी आवाज सुनो । वह मुझे ही मेरी आवाज सुना रहा था । उसमें कोई बच्चों की तरह सिर्फ रो रहा था ।

मैंने भी नाटक किया कि प्लीज मेरे पापा को छोड़ दो , आप जो कहेंगे वह करने को तैयार हूं ।

उसने बोला बेटा , व्हाट्सएप है इस नंबर पर , मैंने कहा हां । बोला उस पर एक लिंक भेज रहा हूं , इसको उठाओ तो आगे की बात होगी ।

अब मैंने उसको गरियाना शुरू किया …

अबे जामताड़ा के कुत्ते , तेरी पुलिस अब अमेरिका में भी काम करने लगी है । तू अमेरिका में फंसे लोगों को भी बिहारी भाषा बोल कर बचाने लगा है । और तेरा व्हाट्सएप नंबर तो पाकिस्तान का है । अभी ऑनलाइन रिपोर्ट करता हूं साइबर क्राइम पोर्टल को , तेरी कॉल मैंने रिकॉर्ड कर ली है ।

फोन ना सिर्फ डिस्कनेक्ट हो चुका था , व्हाट्सएप नंबर भी ब्लॉक हो चुका था ।

इसके अलावा recorded मैसेज वाले फेडेक्स कुरियर के कॉल भी आते रहते हैं जिनमें कुरियर में ड्रग्स पाए जाने का जिक्र रहता है और बात करने के लिए एक दबाने को बोला जाता है ।


आजकल अनेक एप हैं जो आपकी कॉन्टैक्ट लिस्ट कॉपी कर लेते हैं । कुछ लोग पापा , मम्मी , दीदी आदि से नाम सेव कर लेते हैं जिससे इनको कुछ अंदाज लग जाता है रिश्ते का । या कॉलेज आदि से डेटाबेस मिल जाता है मां, बाप के नाम, नंबर के साथ ।

बस यह अंदाज लगा कर शुरू हो जाते हैं ।

आपको कुछ नहीं करना है । सिर्फ उनकी बात सुन कर फोन काट देना है ।

कोई भी असली पुलिस का आदमी आप से ना तो फोन पर रिश्वत मांगेगा ना कोई डील करेगा । उसको अगर कुछ करना भी है तो वह आपको बुला कर सामने से करेगा ।

फेडेक्स से मैं विदेश से सामान मंगा चुका हूं । उनकी एक ईमेल आती है , अगर कस्टम ड्यूटी ड्यू हो और सिर्फ उसको फेडेक्स को ही पे करना होता है , कस्टम वाले सीधे फोन नहीं करते हैं ।

जरा भी आगे बढ़े तो लंबे फसेंगे । फ्रंट कैमरे पर एक कवर भी प्रयोग करें जिससे आपको कोई सीधे ना देख सके वीडियो कॉल में ।

एक कहानी इंटरनेट पर भी मिली है , इसे भी पढ़ सकते हैं ।

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