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मंगलवार, 11 जुलाई 2023

किसी को अपना सिर्फ़ बैंक डिटेल देने से क्या वो मेरे पैसे को चोरी कर सकता है?


प्रश्न: किसी को अपना सिर्फ़ बैंक डिटेल देने से क्या वो मेरे पैसे को चोरी कर सकता है?

उत्तर:

एक शब्द में इसका जवाब है - नहीं

तीन शब्दों में इसका जवाब है - नहीं , नहीं ,नहीं

यह सब व्हाट्सअप WhatsApp विश्वविद्यालय द्वारा फैलाया हुआ भ्रम और अफवाह है , जिस पर बिना सोचे समझे पढ़े लिखे लोगों ने भी यकीन कर लिया और मीडिया ने चटपटे दार खबर छापने की लालच में इसे हवा देकर और बढ़ाया।

एक रियल लाइफ परिदृश्य से इसे समझें मैं अभी आईटी विभाग का प्रमुख हूं और 20,000 से ज्यादा लोगों के बैंक अकाउंट के डिटेल को जानता हूं। इस जानकारी का मैं दुरुपयोग कैसे कर सकता हूं ? बैंक डिटेल के अलावा उनके पैन और आधार नंबर भी मुझे पता है लेकिन इस सबके बावजूद कोई भी गड़बड़ी करना असंभव है जब तक कि संबंधित कर्मचारी ही कोई बेवकूफी न करे।

नेट बैंकिंग के लिए एक आई डी + दो पासवर्ड की जरूरत पड़ती है (1 लॉग इन और 2 ट्रांसेक्शन हेतु )

चौथा ओ टी पी

पाँचवा बैंक से रजिस्टर्ड मोबाइल जिस पर ओ टी पी आएगा।

5 = एक मुट्ठी इतनी मजबूत , एक पंजा जिसमें सब हो महफूज।

यानी नेट बैंकिंग द्वारा पैसा निकालने हेतु मुझे 4 जानकारियां + उनके मोबाइल तक पहुँच चाहिए। सो बैंक डिटेल रहते हुए भी किसी के खाते से पैसा निकालना असंभव है।

फिर ऐसे जो खबरें आती हैं - वे कैसे ?

ज्यादातर ए टी एम कार्ड से संबंधित होती हैं।

**

कुछ मामलों में आपके परिचित या हैकर आपके कंप्यूटर या मोबाइल में की लोगर या स्क्रीन रिकॉर्डर फाइल इंस्टॉल कर देते हैं । तो जब भी आप नेट बैंकिंग करते हैं आपके सारे आईडी एवं उन के पासवर्ड बाद में उन्हें पता चल जाते हैं। लेकिन ओ टी पी और बैंक से रजिस्टर्ड मोबाइल जिस पर ओ टी पी आएगा उनके पास नहीं है सो वो एक पैसा भी नहीं निकाल सकते हैं। इसके लिए ये फ्रॉड लोग बैंक के प्रतिनिधि का नाटक कर आपसे ओ टी पी जानने की कोशिश कर सकते हैं । लेकिन वो कहावत है न

शिकारी आएगा जाल बिछाएगा

दाना डालेगा लोभ से उसमें फँसना नहीं

**

फ्रॉड कॉल करेगा , बैंकर की एक्टिंग करेगा,

एकाउंट और कार्ड बंद करने को डरायेगा

डर के उसको ओ टी पी बताना नहीं।


  • लेकिन बात इतनी आगे बढ़ने ही क्यों दें ?
  1. कुछ एप /प्रोग्राम कभी भी इंस्टॉल न करें (सिवाय कंप्यूटर एक्सपर्ट/गीक के ) जैसे : एनी डेस्क, टीम व्यूअर , जोहो असिस्ट , कनेक्ट वाइज कंट्रोल इत्यादि। इनसे कोई विश्व के किसी भी कोने से आपके कंप्यूटर/मोबाइल को कंट्रोल कर सकता है।
  2. ऑफिस कंप्यूटर पर रिमोट एक्सेस ऑफ रखें
  3. मेल/sms में अनजान नंबर /एड्रेस से आये लिंक पर कभी क्लिक न करें।
  4. फ्री वीडियो , फ्री ई बुक इत्यादि डाऊनलोड करते वक़्त कुछ भी और डाऊनलोड होने न दें या डाऊनलोड के बाद बिना खोले डिलीट कर रिसायकल बिन क्लीन करें
  5. नेटबैंकिंग का एड्रेस हमेशा टाइप करें और पेडलॉक चिन्ह देखें।

क्या वो बैंक के साइट से हैक कर सकते हैं ?

कतई नहीं

क्यों नहीं ?

बैंक समेत सारे संवेदनशील साइट DMZ (De Militarized Zone ) डी मिलेट्राइज़्ड जोन कैटेगिरी के होते हैं । यह कंप्यूटर सुरक्षा के लिहाज से उच्चतम केटेगरी होती है। वहाँ कोई भी अटैक या आक्रमण नहीं हो सकता है । यह मेटल डिटेक्टर से संचालित गेट सा है जो मेटल (अवांछित कमांड ) भांपते ही ब्लॉक कर देता है। अखबार में जो भी खबरें पढ़ते है उनमें किसी न किसी भूतपूर्व कर्मचारी का हाथ होता है।

© लेखक

फुटनोट

नक़ली या फेक वेबसाइट को कैसे पहचानें?


 

 बढती इन्टरनेट की पहुँच के कारण ढेरों ऐसी नकली वेबसाइट की बाढ़ सी आ गयी है जिन्हें पहचानना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक हो गया है |

क्या आप जानते हैं कि स्कैम करने वाले भी ऐसी वेबसाइट बना देते हैं कि वह देखने में बिलकुल असली वेबसाइट जैसी ही लगती है |

हमारे साथ ऐसा कई बार हुआ है कि हमने अपने बैंक और यहाँ तक की अमेज़न की फेक वेबसाइट को रिपोर्ट किया है |

आप यह स्क्रीनशॉट देखें -

अब आते हैं आपके प्रश्न पर कि नकली वेबसाइट को पहचाने कैसे?

इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें -

१. यदि आपको कोई शॉपिंग या ऑफर की वेबसाइट दिखती है और आपको उसके बारे में पता नहीं है तब आप सतर्क हो जाएँ और अपनी जानकारी न साझा करें | आप देखें कि उस वेबसाइट का डोमेन एक्स्टेंशन .com है या कोई अन्य जैसे - freeoffers.xyz, या shoptillyoudrop.live |

यदि ऐसा है तब सतर्क हो जाएँ क्योंकि यह फेक हो सकती है |

२. एड्रेस बार पर पैडलॉक आइकॉन और सुरक्षा के लिए https देखें |

३. जब आप इस पैड आइकॉन को क्लिक करेंगे तब आपको सर्टिफिकेट की वैधता भी जांचनी है | कई बार नकली वेबसाइट में सब कुछ सही होते हुए भी यह सर्टिफिकेट एक्सपायर हो जाता है |

४. वेबसाइट के अबाउट, प्राइवेसी पालिसी और डिस्क्लेमर पेज जरूर देखें यदि आपको जरा सा भी शक है |

५. अब चलिए आपको बताते हैं एक ऐसा तरीका जिसका हम करीब एक दशक से इस्तेमाल कर रहे हैं |

  1. अपने ब्राउज़र पर खोलें - Scamadviser.com | check a website for risk | check if fraudulent | website trust reviews |check website is fake or a scam
  1. जो भी वेबसाइट को जांचना है उसे डालें |
  2. जैसे मान लें हमारे पास ABC न्यूज़ की एक वेबसाइट है -

4. अब जैसे ही हम इसे स्कैम एडवाइजर में डालेंगे तब कुछ ऐसा दिखेगा -

जैसे ही आप थोडा और नीचे स्क्रॉल करेंगे तब आपको और भी जरूरी जानकारी मिल जाएगी -

5. अब चलें ABC न्यूज़ की असली वेबसाइट देखें -

6. आप को अब यह परिणाम मिलेगा -

आशा है आगे से अब आप लोग भी नकली और असली वेबसाइट का फर्क साफ़ साफ़ बता पाएँगे |

अगर आपको जरा सा भी संसय हो कि अमुक वेबसाइट फेक हो सकती है तब कृपया इसपर कोई भी लेन देन न करें और न ही अपनी कोई जानकारी साझा करें |

धन्यवाद |

बैंक फ्रॉड से बचने के लिए क्या आवश्यक बिंदु

 

तकनीक के जमाने मेँ धोखाधडी के तरीके भी बदल रहे हैँ

धोखाधडी करने वाला आपके भय या लोभ का प्रयोग करके आपको शिकार बनाता है।

वैसे तो धोखाधडी के तरीकोँ मेँ लगातार थोडा बहुत बदलाव आता है लेकिन उनमेँ कुछ न कुछ एकरूपता भी रहती है।


प्रचलित धोखाधडी की प्रक्रियाओँ और तरीकोँ को समझ लेते हैँ।

- धोखाधडी करने वाला आपके बैंक या मान्य संस्था की और से आपको किसी प्रकार से सम्पर्क करता है। यह सम्पर्क ईमेल द्वारा , मेसेज द्वारा, या फोन काल द्वारा हो सकता है।

- इनमेँ या तो आपको किसी प्रकार का लाभ देने की बात होती है या आपकी कोई समस्या या हानि बताई जाती है।

- लाभ की बात जैसे कि आपने एक लाख रुपए का पुरस्कार जीता है। या सरकार की ओर से आप इस योजना के तहत दस हजार रुपए दिए जा रहे है इत्यादि। या आपकी दस वर्ष पुरानी पालिसी है जिसमेँ आपने कुछ ही किस्त जमा की थी। एक और किस्त जमा करने पर आपके दो लाख रुपए हो रहेँ है जो आप निकलवा सकते हैँ।

- समस्या या हानि की बात जैसे आपका अकाउंट या कार्ड ब्लाक होने वाला है। आपने बिजली बिल नहीँ जमा किया है इसलिए आपका कल तक कनेक्सन कट जाएगा। ये सब ऐसी बाते है जिनके होने की सम्भावना काफी है और इसलिए आपको सरलता से यकीन आ जाएगा।

- सम्पर्क के बाद ये आपसे वह जानकारी प्राप्त करना चाहते है जिसका प्रयोग करके ये आपके खाते या कार्ड से ऑनलाइन लेन देन कर पाएँ।

- आपसे सम्पर्क किए जाने का प्रत्यक्ष कारण उस समय के चलन के अनुसार बदलता रहता है। यदि कोई लोकप्रिय सरकारी योजना आई है तो उसका नाम लेकर सम्पर्क किया जाएगा । यदि कौन बनेगा करोडपति चल रहा है तो उसके नाम से सम्पर्क हो सकता है इत्यादि। लेकिन प्रक्रिया लगभग यही होती है।


धोखे की पहचान और सावधानियाँ

- पहला स्तर तो यही है कि नम्बर भारत से बाहर का है तो फ्रॉड होने की बहुत सम्भावना है। बहुत बार ये लोग पाकिस्तानी भी होते है । भारत के नम्बर +91 से आरम्भ होते है और पाकिस्तान के +92 से ।

- बैंक के आधिकारिक मेसेज भी साधारण मोबाइल नम्बर से नहीँ आते हैँ । अक्सर बैंक के मेसेज पर भेजने वाले का एक सांकेतिक नाम होता है। जैसे AD-ICICI , AX-ICIBNK, VM-SBICRD .. सभी मुख्य संस्थाओँ ने इस प्रकार के संकेतिक नाम पंजीकृत कराए होते हैँ और आपके संदेश पर यह अलग दिखाई देते हैँ। जबकि धोखाधडी वाले मेसेज साधारण मोबाइल नम्बर से आते हैँ । यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए ही है इसका प्रयोग करेँ।

नीचे उदाहरण दिया गया है।

तो मोबाइल नम्बर से आए मेसेज को फ्राड ही माने। सावधानी के लिए किसी भी मेसेज की कडी क्लिक न करेँ।

- इसी प्रकार बैंक के कॉल भी किसी प्रकार के आधिकारिक नम्बर से आते हैँ। ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । इस प्रकार के नम्बर दिए जाने की प्रक्रियाएँ सामान्य नम्बर से अधिक जटिल है इसलिए इस बात की सम्भावना कम है कि धोखाधडी वाले के पास ऐसे नम्बर होँ। फोन नम्बर की पहचान के लिए आजकल नम्बर पहचानने वाले एप्प भी आतेँ हैँ।

- मेसेज या कॉल की तरह ईमेल की इस प्रकार की कोई पहचान नहीँ है इसलिए सबसे असुरक्षित ईमेल ही है। जैसे पोस्ट ओफिस पत्र भेजने वाले की पहचान की जाँच नहीँ करता केवल दिए गए पते पर पत्र पहुँचाता है इसी प्रकार ईमेल भी काम करता है। ईमेल दिए गए पते पर पहुँच जाता है लेकिन भेजने वाले की कोई प्रमाणिकता नहीँ होती। जैसे किसी अन्य के नाम से पत्र भेजा जा सकता है वैसे ही किसी अन्य के नाम से ईमेल भी भेजा जा सकता है।

किसी भी प्रकार के संदेश के बाद सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उस पर कोई जानकारी न देँ और न कुछ करेँ बस यह कह देँ आप स्वयम् बैक या उस संस्था से सम्पर्क करेँगेँ । यदि व्यक्ति बात न माने तो भी आप फोन काट देँ। ईमेल और मेसेज का कोई उत्तर न देँ और न ही किसी कडी या लिंक पर क्लिक करेँ। इसके बाद आप उस संस्था से स्वयम् सम्पर्क करेँ ।

बैंकिग से बात करके कोई काम करना हो तो तभी करेँ जब आपने बैंक को सम्पर्क किया है बैंक ने आपको नहीँ ।


बैंक या संस्था से सम्पर्क करना

- संस्था से सदैव उसके आधिकारिक माध्यम पर ही सम्पर्क करेँ। यदि बिजली का बिल ऑनलाइन भरना है तो बिल पर दी गई बेबसाइट या एप्प पर ही करेँ किसी ईमेल या मेसेज या फोन पर बताए गए पते पर नहीँ। बिजली के बिल बहुप्रचलित एप्प जैसे अमेजन, पेटीम द्वारा भी किए जा सकते हैँ। किसी मेसेज मेँ प्राप्त नए एप या नई वेबसाइट का प्रयोग न करेँ ।

- आप किसी अन्य के मोबाइल या लैपटाप का प्रयोग करते हुए बैंक के काम न करेँ। जानकारी चोरी करने के गुप्त तरीके प्रचलित हैँ जिनकी व्याख्या का लाभ नहीँ होगा।

- बैँक की वेबसाइट को बुकमार्क करके रखेँ । भविष्य मेँ इसी बुकमार्क का प्रयोग करेँ इससे आप किसी गलत या छ्द्म वेबसाइट पर जाने से बचे रहेँगे।

- एप्प का प्रयोग वेबसाइट के प्रयोग से अधिक सुरक्षित है यदि आप इस एप्प का प्रयोग पहले ही करते रहेँ है। एप्प को बुकमार्क करने की आवश्यकता नहीँ होती। लेकिन पहली बार एप्प इंस्टाल करते समय इतना सुनिश्चित करना होगा है कि एप्प आधिकारिक है।

- यदि लोगिन करने के लिए OTP विकल्प है तो उसी विकल्प का प्रयोग करेँ । इसमेँ आवश्यक है जिसमेँ मोबाइल नम्बर आज से पहले ही कभी दिया गया हो । यदि आप आज ही मोबाइल नम्बर रजिस्टर कर रहेँ तो अन्य माध्यम से सुनिश्चित करेँ कि वेबसाइट या एप्प आधिकारिक है।

- लोगिन करने के बाद कोई लेन देन करने से पहले अपने कुछ पुराने लेन देन देख लेँ यदि ये लेन सही है तो काफी सम्भावना है कि यह सही वेबसाइट या एप्प है।

- बैंक के आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर अपने पास रखेँ । ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । मोबाइल नम्बर से आई काल पर जो भी सूचना आपको दी गई हो । उनसे कहेँ कि आप स्वयम् सम्पर्क करेँगेँ फिर आप आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर पर कॉल करेँ ।

- अब यदि ईमेल द्वारा सम्पर्क किया गया है तो उस पर तो कुछ भी न करेँ । आप अन्य प्रकार से ही बैँक को सम्पर्क करेँ ।

यदि ऑनलाइन तरीकोँ से आप सहज नहीँ है तो पुराने तरीके ही प्रयोग करते रहेँ।


पासवर्ड सुरक्षा

- बैकिंग पासवर्ड अपने अन्य सभी पासवर्ड से अलग रखेँ। यदि आपके अन्य पासवर्ड चोरी हो जाते हैँ तो भी बैंकिग बच सकते हैँ। किसी भी पासवर्ड याद रखने वाली सुविधा को बैंक के पासवर्ड याद न कराएँ।

- अपने लैपटाप पर बैंकिग पासवर्ड याद रखने का विकल्प न चुने । यदि आपका पासवर्ड आपका ब्राउजर स्वयम् भर रहा है तो यदि किसी को आपके लैपटाप या मोबाइल को प्रयोग करने का अवसर मिले तो यह चोरी हो सकता है। इसको चोरी कर पाने की सरलता अदभुद है। यह लगभग 5 सेकेण्ड का काम है। बिंदु दिखाने का कारण केवल पासवर्ड भरते समय की सुरक्षा है।

- वैसे प्रसिद्द संस्थाओँ द्वारा प्रयोग किए जा रहे आपके पासवर्ड उनके सर्वर पर सुरक्षित होते हैँ। यह सुरक्षा कैसे निश्चित होती है? यह इस प्रकार निश्चित होती है कि वे आपके पासवर्ड को कहीँ पर रखते ही नहीँ है बल्कि उसके आधार पर बना एक कूट संकेत रखते है। इसलिए वहाँ से इसे उनका कर्मचारी भी चोरी नहीँ कर सकता है। लेकिन आपके लैपटाप पर या ब्राउजर पर याद किया गया भी पासवर्ड सुरक्षित ही हो आवश्यक नहीँ । ऊपर की विधि से कोई भी पासवर्ड चोरी हो सकता है।

- कम प्रसिद्ध वेबसाइट आपके पासवर्ड को उतना सुरक्षित रखती है कि नहीँ यह पता करना सम्भव नहीँ है। इसलिए यदि आप एक ही लोगिन आई डी का प्रयोग बहुत स्थानो पर कर रहेँ तो पासवर्ड अलग अलग रखेँ ।

- मेरे विचार ट्विटर पर सुरक्षा पर्याप्त नहीँ है। गूग़ल और फेसबुक सहीँ हैँ।

- आपकी पसंद के गानो के बोल या पसंद के दोहे या कविता के बोल आपको जटिल पासवर्ड बनाने और याद रखने मेँ सहयोग कर सकते हैँ। जैसे जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजाकर से यह पासवर्ड बन गया जो याद रखने मेँ सरल होगा Jhggsjktlu@1421 लेकिन इस उदाहरण जैसी अति प्रसिद्ध कविता के प्रयोग से बचेँ।

परिवार में किसी की मृत्यु या जन्म के बाद सूतक क्यों लगता है?

 

मनुष्य के जीवन में अनेक पड़ाव आते हैं जो उसके जन्म के साथ ही शुरू होते हैं और मृत्यु तक चलते ही रहते हैं। हिन्दू धर्म की बात करें तो वैयक्तिक जीवन में आने वाले हर पड़ाव को परंपरा के साथ अवश्य जोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से उनका महत्व और बढ़ गया है।इंसानी जीवन में जितने भी पड़ाव आते हैं उनमें जन्म और मृत्यु शामिल हैं। आप तो यह जानते ही होंगे कि जब भी घर में कोई बच्चा जन्म लेता है या फिर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो पूरे परिवार पर सूतक लग जाता है। सूतक से जुड़े कई विश्वास या अंधविश्वास हमारे समाज में मौजूद हैं। लेकिन क्या वाकई सूतक एक अंधविश्वास का ही नाम है या इसके कोई वैज्ञानिक कारण भी है।

जन्म के समय लगने वाला सूतक

जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है। उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है जब तक कि घर में हवन ना हो जाए।

अंधविश्वास या व्यवहारिक

अकसर इसे एक अंधविश्वास मान लिया जाता है जबकि इसके पीछे छिपे बड़े ही प्रैक्टिकल कारण की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। ये बात तो आप सभी जानते ही हैं कि पहले के दौर में संयुक्त परिवारों का चलन ज्यादा था। घर की महिलाओं को हर हालत में पारिवारिक सदस्यों की जरूरतों को पूरा करना होता था। लेकिन बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है।

उन्हें हर संभव आराम की जरूरत होती है जो उस समय संयुक्त परिवार में मिलना मुश्किल हो सकता था, इसलिए सूतक के नाम पर इस समय उन्हें आराम दिया जाता था ताकि वे अपने दर्द और थकान से बाहर निकल पाएं।

संक्रमण का खतरा

इसके अलावा जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी नहीं हुआ होता। वह बहुत ही जल्द संक्रमण के दायरे में आ सकता है, इसलिए 10-30 दिनों की समयावधि में उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था, उसे घर से बाहर नहीं लेकर जाया जाता था। बाद में जरूर सूतक को एक अंधविश्वास मान लिया गया लेकिन इसका मौलिक उद्देश्य स्त्री के शरीर को आराम देना और शिशु के स्वास्थ्य का ख्याल रखने से ही था।

मृत्यु के पश्चात सूतक

जिस तरह जन्म के समय परिवार के सदस्यों पर सूतक लग जाता है उसी तरह परिवार के लिए सदस्य की मृत्यु के पश्चात सूतक का साया लग जाता है, जिसे ‘पातक’ कहा जाता है। इस समय भी परिवार का कोई सदस्य ना तो मंदिर या किसी अन्य धार्मिक स्थल जा सकता है और ना ही किसी धार्मिक कार्य का हिस्सा बन सकता है।

गरुण पुराण

गरुण पुराण के अनुसार जब भी परिवार के किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो परिवार पर पातक लग जाता है। परिवार के सदस्यों को पुजारी को बुलाकर गरुण पुराण का पाठ करवाकर पातक के नियमों को समझना चाहिए।

पातक

गरुण पुराण के अनुसार पातक लगने के 13वें दिन क्रिया होनी चाहिए और उस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। इसके पश्चात मृत व्यक्ति की सभी नई-पुरानी वस्तुओं, कपड़ों को गरीब और असहाय व्यक्तियों में बांट देना चाहिए।

स्नान का महत्व

यह भी मात्र अंधविश्वास ना होकर बहुत साइंटिफिक कहा जा सकता है क्योंकि या तो किसी लंबी और घातक बीमारी या फिर एक्सिडेंट की वजह से या फिर वृद्धावस्था के कारण व्यक्ति की मृत्यु होती है। कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इन सभी की वजह से संक्रमण फैलने की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ जाती हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि दाह-संस्कार के पश्चात स्नान आवश्यक है ताकि श्मशान घाट और घर के भीतर मौजूद कीटाणुओं से मुक्ति मिल सके।

हवन

इसके अलावा उस घर में रहने वाले लोगों को संक्रमण का वाहक माना जाता है इसलिए 13 दिन के लिए सार्वजनिक स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गई है। घर में हवन होने के बाद, घर के भीतर का वातावरण शुद्ध हो जाता है, संक्रमण की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं, जिसके बाद ‘पातक’ की अवधि समाप्त होती है।

प्राचीन ऋषि-मुनि

प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों और ज्ञानियों ने बिना किसी ठोस कारण के कोई भी नियम नहीं बनाए। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की जांच और उसे गहराई से समझने के बाद ही दिशा-निर्देश दिए गए, जो बेहद व्यवहारिक हैं। परंतु आज के दौर में उनकी व्यवहारिकता को समाप्त कर उन्हें मात्र एक अंधविश्वास की तरह अपना लिया गया है।

🙏

फोटो स्रोत--गूगल

हर आँखों देखी और कानों सुनी बात सच्ची नहीं होती।

 

इस नवविवाहिता की तस्वीरें देखिए,इन तस्वीरों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर देखकर किसी को भी इसकी खुशकिस्मती पर रश्क हो सकता है।

सुंदर परिधानों का चुनाव,सुरुचिपूर्ण मेकअप आधुनिकता और भौतिकता की शोभा बढ़ा रहा है।

कितनी आदर्श और प्यार से भरी जोड़ी लग रही है।संग जीने मरने की कसमें खाती हुई,साथ साथ enjoy करती हुई।

इनका रोमांटिक अंदाज प्रेम को उसकी परिभाषा बता रहा है कि जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा।

कुछ और तो नहीं चाहिए होता एक अच्छी जिन्दगी में। आपको कोई कमी दिख रही है?

ये फेसबुक की इनकी ये तस्वीरें देखकर दूसरे पति पत्नी एक दूसरे को उकसाएंगे कि हमें भी इसी तरह का जीवन जीना है किन्तु क्या आपको पता है ??

इन मोहक और सुखी दिखने वाली तस्वीरों की कड़वी और वीभत्स सच्चाई ?

  • इस लड़की नैन्सी की इसके ही पति यानी इसी लड़के साहिल के हाथों इसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई है।इन दोनों ने कुछ समय लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद कुछ महीने पूर्व ही धूमधाम से प्रेम विवाह किया था।

हत्या करने का कारण कि पति इसके चरित्र पर शक करता था।नैन्सी के खुले विचार और मित्रों की संख्या उसको क्रोधित करती थीाजब भी वह इसको गुस्सा करके समझाता,वह दहेज के मुकदमें में फंसाने की धमकी देती थी। साहिल का कारोबार चल नहीं रहा था, वह इसकी फिजूलखर्ची से तंग आ गया था।

दूसरी ओर नैन्सी की हत्या के बाद उसके परिवार जनों ने यही इल्जाम साहिल पर लगाया कि दहेज के कारण साहिल ने नैन्सी को मारा।वह अपनी ड्रग्स के लिए नैन्सी से पैसे देने को कहता था,न मिलने पर झगड़ा किया और पत्नी को मार दिया।


पहली नजर में ये तस्वीरें दम्पत्ति के खुशहाल जीवन को दर्शाती हैं।

साहिल की सुनें तो नैन्सी दोषी लगती है कि बेचारा कितने दिन चरित्रहीन और फिजूलखर्च पत्नी को झेलता ?

नैन्सी के परिवार वाले अपना दुखड़ा बता रहे हैं कि वह दहेज के कारण उससे मारपीट व दुर्व्यवहार करता था। उनकी बेटी में ऐसा कोई दोष नहीं था।

राम जाने कि सच्चाई क्या है?

  • बढ़ता भौतिकवाद,अनावश्यक खुलापन और विवेकहीनता इस दुर्घटना की जिम्मेदार है कि जिन्दगी पहले तो उलझती है और फिर जिस चक्रव्यूह में खुद ही फंसे थे,उससे निकलने और मन की शान्ति पाने के लिए कल तक जो अपने थे,उन्हीं के लोग जानी दुश्मन बन जाते हैं।
  • नेट पर अपनी सुख सुविधापूर्ण सुखी जिन्दगी का प्रदर्शन करने वाले चित्र अक्सर प्रश्न उठाते हैं कि क्या वाकई इनका जीवन इतना खुशहाल है या पीतल पर चढ़ी हुई सोने की पॉलिश है?
  • हम सब किसी के भी कार, कोठी, बंगले और बैंक बैलेंस से प्रभावित होने से पहले यह सोचें कि ये चीजें खुशी का कारण नहीं है।
  • खुशी की चाबी सम्बन्धों के प्रेम और सौहार्द के पास होती है,जहाँ छोटी छोटी खुशियाँ बड़े उत्सव का सा आभास दे जातीं हैं।
  • घर के अन्दर सुविधाओं के भंडार हों किन्तु उनको भोगने वाले लोग ही आपस में खुश न हों और अपनी तसल्ली के लिए जितनी मर्जी फोटोज खींच कर नेट पर डाल कर दूसरों को जलाते रहें,इससे उनके जीवन की गुणवत्ता को कोई फर्क नहीं पड़ता।
  • अंगारों को यदि खूबसूरत चमकीले कपड़े से ढक दिया जाए तो थोड़ी देर के लिए सुंदर आभास हो सकता है किन्तु देर-सबेर उसमें आग लगती ही है।

इसीलिए यह कहा जाता है कि "हर आँखों देखी और कानों सुनी बात सच्ची नहीं होती।"

पहले विवेक से काम लें,फिर विश्वास करें।

चित्र और समाचार स्रोत:

Nancy Murder Case: पुरानी फोटो देख नैंसी पर शक करने लगा था साहिल, रची हत्या की खौफनाक साजिश

नैंसी हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा, आरोपी ने शव ठिकाने लगाने के बाद यहां खड़ी की थी कार

हिन्दू और मुसलमान में क्या अंतर है ?

 

उन्हें केवल आबादी बढ़ाने का हुक्म मिला है । जैसे बढ़े वैसे बढ़ानी है । एक नर एक मादा और एक ही काम । मादा का गर्भ खाली नही रहना चाहिए, चाहे कोई भी भर दे । मकसद एक है ।  फौज बढ़ानी है ।हिन्दू के बारे में क्या लिखें । आजकल के बच्चे अव्वल तो शादी ही नहीं करते । अगर कहीं उलझ गए तो कैरियर बनाने के नाम पर संतान करना ही नही चाहते।

खानपान ऐसा है कि साग भाजी सलाद का तो वे स्वाद ही नही जानते जो हिन्दू का मुख्य भोजन है ।

उन्हें तो कोई जीव का ही आहार चाहिए ।

रात दिन आबादी बढ़ाने का एक सूत्रीय कार्यक्रम निपटाते निपटाते वे बहुत कामुक हो जाते हैं । कभी किसी मादा की उपलब्धता न होने पर उनके गाय भैंस बकरी या कुत्ते से भी काम चलाना आता है ।

उन्हें मालूम है कि आबादी बढ़ा कर मुल्क पर कब्जा करने का उनका सपना इस जन्म में पूरा नही होगा तो वे मरने के बाद भी 72 हूरों का इंतजाम कर जाना चाहते हैं । इसके लिए लव जिहाद और हत्या अपनाते हैं ।

हालांकि उपरोक्त बातें हर मुस्लिम हेतु सत्य नही हैं क्योंकि जो हाल में ही कन्वर्ट हुए है उनमें इतना साहस ही नही है ।

इतना कुछ करने के बाद भी इनके अरबी भाई इन्हें मुस्लिम मानते ही नहीं ।


कांग्रेस के राज्य में धमाके करते रहेंगे पैरोल पर आकर। हिंदुओ को अपनी 100 यूनिट बिजली से फुर्सत नहीं है।😂😂😂

 कांग्रेस के राज्य में धमाके करते रहेंगे पैरोल पर आकर। हिंदुओ को अपनी 100 यूनिट बिजली से फुर्सत नहीं है।😂😂😂

खैराती चाहे कितना भी पढ़ लिख जाए,

चाहें जिस पद पर रहे,

सबसे पहला फर्ज एक मसलम होने का अदा करता हैं। आतंकी जिहादी, डॉक्टरी के पाठ्यक्रम में तो बम बनाना नहीं सिखाते ...

तो फिर डॉक्टर अंसारी ने अपने क्लिनिक में बम बनाने की ट्रेनिंग कहां से ली ...?

क्रश इंडिया मूवमेंट यानी कि भारत को तबाह करने का आंदोलन चलाने वाला पेशे से डॉक्टर, लेकिन हकीकत में मासूम देशवासियों का हत्यारा है :-

जिहादी जलीस अंसारी

आखिर ये किस की मिलीभगत से.पैरोल पर बाहर आ जाता है ?


#आयुर्वेद में 101 प्रकार की #मृत्यु मानी गई है परन्तु से #धार्मिक #ग्रंथ में 14 प्रकार की मृत्यु है जाने...

 

#आयुर्वेद में 101 प्रकार की #मृत्यु मानी गई है परन्तु से #धार्मिक #ग्रंथ में 14 प्रकार की मृत्यु है जाने...

"मृत्यु के १४ प्रकार"

राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?

रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?

अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है!

तब अंगद ने मृत्यु के १४ प्रकार बताए-

कौल कामबस कृपन विमूढ़ा।

अति दरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।।

सदा रोगबस संतत क्रोधी।

विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।।

तनुपोषक निंदक अघखानी।

जीवत शव सम चौदह प्रानी।।

१. कामवश: जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है।

२. वाममार्गी: जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो, नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।

३. कंजूस: अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याणकारी कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृतक समान ही है।

४. अति दरिद्र: गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वह भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ है। गरीब आदमी को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है। दरिद्र-नारायण मानकर उनकी मदद करनी चाहिए।

५. विमूढ़: अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ ही होता है। जिसके पास बुद्धि-विवेक न हो, जो खुद निर्णय न ले सके, यानि हर काम को समझने या निर्णय लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृतक समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को नहीं समझता।

६. अजसि: जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर-परिवार, कुटुंब-समाज, नगर-राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता, वह व्यक्ति भी मृत समान ही होता है।

७. सदा रोगवश: जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।

८. अति बूढ़ा: अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों अक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार वह स्वयं और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।

९. सतत क्रोधी: २४ घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृतक समान ही है। ऐसा व्यक्ति हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता। पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है। क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरकगामी होता है।

१०. अघ खानी: जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है।

११. तनु पोषक: ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना न हो, ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकी किसी अन्य को मिलें न मिलें, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं। शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है, क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है।

१२. निंदक: अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नजर आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी न किसी की बुराई ही करे, वह व्यक्ति भी मृत समान होता है। परनिंदा करने से नीच गोत्र का बंध होता है।

१३. परमात्म विमुख: जो व्यक्ति ईश्वर यानि परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।

१४. श्रुति संत विरोधी: जो संत, ग्रंथ, पुराणों का विरोधी है, वह भी मृत समान है। श्रुत और संत, समाज में अनाचार पर नियंत्रण (ब्रेक) का काम करते हैं। अगर गाड़ी में ब्रेक न हो, तो कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है। वैसे ही समाज को संतों की जरूरत होती है, वरना समाज में अनाचार पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।

अतः मनुष्य को उपरोक्त चौदह दुर्गुणों से यथासंभव दूर रहकर स्वयं को मृतक समान जीवित रहने से बचाना चाहिए। .......

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