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बुधवार, 21 अगस्त 2019

ट्रू कॉलर से क्या खतरे हो सकते हैं ?

ट्रू कॉलर से क्या खतरे हो सकते हैं ?
Truecaller
इसका प्रयोग अधिकांश लोग करते है हो सकता है आप भी करते होंगे बस अपनी एक छोटी सी सुविधा के लिए कि आप इसकी मदद से अनजाने नंबर से आने वाले फोन या संदेश का पता लगा सकते है कि ये किस महाशय का नंबर है।
हमको आज भी याद है कि 5-6 साल पहले की बात है कि हमने पहली बार खुद का नंबर लिया और कुछ दिन बाद हमने हमारे अंग्रेजी के गुरुजी को वॉट्सऐप संदेश भेजा (गुरुजी के पास हमारा नंबर नहीं था ) हमने कोई प्रोफ़ाइल फोटो भी नहीं लगाई थी कि उनको पता चले कि ये हमारा नंबर है फिर उनका जवाब आया कि केसे हो टीकेंद्र।
मै बिल्कुल आश्चर्यचकित हो गया आखिर गुरुजी को पता केसे चला कि ये मेरा नंबर है।
True caller प्रथम दृष्टया तो बड़े काम की एप्लीकेशन लगती है कि कोई भी नंबर टाइप करो और पता लगा लो कि यह किसका नंबर है।
लेकिन जरा रुके एक बार सोचिए कि true caller को कैसे पता कि कौन सा नंबर किस महाशय का है।
तो अब आप को समझाते हैं कि True caller काम कैसे करता है जैसे ही आप true caller को अपने फोन में Install करते हैं तो वह आपके Contact  की अनुमति (Allow) मांगता है यहां अनुमति देते ही आपके सारे contact True Caller के पास चले जाते हैं और अब कोई और किसी ऐसे नंबर को सर्च करेगा जो मेरे कांटेक्ट में था तो True Caller उसको मैंने जिस नाम से सेव किया है वह दिखा देगा।
अब आप कहेंगे True Caller  तो बड़े काम की चीज है इसमें खतरा किस बात का लेकिन जरा रुकिए True Caller आपसे आपके Contact की ही नहीं बल्कि कुछ और परमिशन मांगता है।
यहां देखिए Contact के अलावा Camera, Location, माइक्रोफोन, फोन, SMS, Storage इतनी सारी परमिशन True Caller मांगता हैं और यह सारी परमिशन देते ही True Caller के पास आपकी फोन कॉल्स आप किस से बातें करते हैं क्या बातें करते हैं कहां रहते हैं सारी जानकारियां ट्रूकॉलर के पास चली जाती है और वहां इन जानकारियों को बाजार में बेचा जा सकता है।
आपके पास आने वाले सारे Messege  जिनमें बैंक से संबंधित OTP भी हो सकते हैं True Caller देख सकता है।
अब आप सोच सकते हैं कि True Caller हमारी प्राइवेसी के लिए कितना नुकसानदायक है। यहां आपके थोड़े से फायदे के लिए आपकी अमूल्य जानकारियां अपने पास रख लेता है। तो आप एक बार True Caller का इस्तेमाल करने से पहले जरूर सोच लीजिएगा।

जर्मनी के बारे में ऐसा हैं जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं?

  • जर्मनी में एक कैदी के लिए कोई सजा नहीं है जो जेल से भागने की कोशिश करता है, क्योंकि यह मुक्त होने के लिए एक स्वाभाविक मानव वृत्ति है।
  • जर्मनी में 65% राजमार्ग (ऑटोबान) की कोई गति सीमा नहीं है।
  • जर्मनी का एक-तिहाई हिस्सा अभी भी जंगलों और जंगली जमीन से भरा है।
  • जर्मनी यूरोप का सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जनसंख्या 81 मिलियन।
  • बर्लिन में यूरोप का सबसे बड़ा ट्रेन स्टेशन है।
  • बर्लिन पेरिस से 9 गुना बड़ा है और इसमें वेनिस की तुलना में अधिक पुल हैं।
  • जर्मनी में 1,500 से अधिक विभिन्न किस्म की बियरें हैं।
  • जर्मनी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है।
  • जर्मनी नौ अन्य देशों के साथ सीमाएँ साझा करता हैं। डेनमार्क, पोलैंड, चेक गणराज्य, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड।
  • जर्मनी दुनिया के सबसे बड़े कार उत्पादकों में से एक है।
  • पहली मुद्रित (प्रिंटिड) पुस्तक जर्मन में थी।
  • जर्मनी दुनिया के प्रमुख पुस्तक राष्ट्रों में से एक है। हर साल लगभग 94,000 शीर्षकों का प्रकाशन होता है।
  • पहली बार देखी गई पत्रिका 1663 में जर्मनी में लॉन्च की गई थी।
  • जर्मन दुनिया भर में सबसे अधिक सिखाई जाने वाली तीसरी भाषा है।
  • Donaudampfschifffahrtselektrizitätenhauptbetriebswerkbauunterbeamtengesellschaft प्रकाशित होने वाला सबसे लंबा शब्द है। यह 79 अक्षर लंबा है।
  • जर्मनी दुनिया का पहला देश था जिसने डेलाइट सेविंग टाइम को अपनाया - DST, जिसे गर्मियों के समय के रूप में भी जाना जाता है। यह 1916 में WWI (world war one) के बीच में हुआ था।
  • जर्मनी में 400 से अधिक चिड़ियाघर हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं।
  • जर्मनी में ज्यादातर टैक्सियां ​​मर्सिडीज हैं।
  • बर्लिन में चांसलर के कार्यालय को स्थानीय रूप से "वॉशिंग मशीन" के रूप में जाना जाता है।
  • जर्मनी में पहली कक्षा के पहले दिन, हर बच्चे को खिलौने और कैंडी से भरा एक विशाल शंकु (cone) मिलता है।
  • जर्मनी में 300 से अधिक विभिन्न प्रकार के ब्रेड पाए जाते हैं।
  • जर्मनी में 1,000 से अधिक प्रकार के सॉसेज हैं।
  • बवेरिया में बीयर को आधिकारिक तौर पर एक भोजन माना जाता है।
  • दुनिया में सबसे बड़ा बीयर फेस्टिवल म्यूनिख, बवेरिया में ओकट्रैफेस्ट है, जहाँ बीयर ग्लास का आकार 500ml नहीं बल्कि एक पूरा लीटर होता है।
  • जर्मनी में एक बियर प्राप्त करने के लिए, आप अपना अंगूठा दिखाते हैं। अपनी पहली उंगली दिखाने का मतलब है कि आप 2 बियर चाहते हैं: एक अंगूठे के साथ, और एक उंगली के साथ।
  • सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध है लेकिन शराब पीना अभी भी कानूनी है।
  • कलेज सभी के लिए मुफ़्त है (गैर-जर्मन लोगों के लिए भी)।
  • सरकार बच्चों के अजीब नामों को अस्वीकार करती है और कर सकती है।
  • वेश्यावृत्ति कानूनी है।
  • रविवार को सब कुछ बंद होता है, सिवाय चर्च और शायद वेश्यालय के।
  • जर्मन चांसलर की अपनी बार्बी डॉल है, मैटल की 50 वीं वर्षगांठ के लिए, कंपनी जर्मनी की चांसलर, एंजेला मर्केल के बार्बी मॉडल के साथ सामने आई।
  • सरकार विकलांगों के सेक्स के लिए भुगतान करती है
  • किसी को पहले ही "जन्मदिन मुबारक" की शुभकामना देना बुरा माना जाता है।
  • जर्मनी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को खत्म कर रहा है, उसने इसके बजाय नवीकरणीय ऊर्जा विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
  • जर्मनी में, "धन्यवाद" का मतलब 'नहीं' होता है
  • वे फैंटा के साथ केक बनाते हैं।
  • खुली खिड़कियां बीमारी का कारण बनती हैं, ये जर्मन लोकगीत आपको बताएंगे।
  • बीच की उंगली दिखाना गैरकानूनी है।
  • जर्मनी लोग पूरा राष्ट्रगान नहीं गाते हैं।

धन्यवाद आपका ।

हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं

भगवान राम का निजधाम प्रस्थान
अश्विन पूर्णिमा के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अयोध्या से सटे फैजाबाद शहर के सरयू किनारे जल समाधि लेकर महाप्रयाण किया। श्रीराम ने सभी की उपस्थिति में ब्रह्म मुहूर्त में सरयू नदी की ओर प्रयाण किया। जब श्रीराम जल समाधि ले रहे थे तब उनके परिवार के सदस्य भरत, शत्रुघ्न, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति सहित हनुमान, सुग्रीव आदि कई महान आत्माएं मौजूद थीं।
 
 
दरअसल, गरुढ़ पुराण अनुसार, 
‘अतो रोचननामासौ मरुदंशः प्रकीर्तितः रामावतारे हनुमान्रामकार्यार्थसाधकः।’ अर्थात ‘जब देवाधिदेव रामचंद्र अवतरित हुए तब उनके प्रतिनिधि मरुत् अर्थात वायुदेव उनकी सेवा और शुश्रुषा के हेतु उनके साथ अवतरित हुए जिन्हें सभी हनुमान इस नाम से जानते हैं।’
 
 
रामायण के बालकांड अनुसार,
‘विष्णोः सहायान् बलिनः सृजध्वम्’ अर्थात ‘भगवान विष्णु के सहायता हेतु सभी देवों ने अनेकों वानर, भालू और विविध प्राणियों के रूपमें जन्म लिया।’  अतः जब प्रभु राम स्वयं ही अपने धाम वापस चले गए तब सभी वानरों का इस मृत्युलोक में कार्य समाप्त हो चुका था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि तब हनुमान जी कहां चले गए या उनका क्या हुआ?
 
 
कहते हैं कि श्रीराम के अपने निजधाम प्रस्थान करने के बाद हनुमानजी और अन्य वानर किंपुरुष नामक देश को प्रस्थान कर गए। वे मयासुर द्वारा निर्मित द्विविध नामक विमान में बैठकर किंपुरुष नामक लोक में प्रस्थान कर गए। किंपुरुष लोक स्वर्ग लोग के समकक्ष है। यह किन्नर, वानर, यक्ष, यज्ञभुज् आदि जीवों का निवास स्थान है। वहां भूमी के उपर और भूमी के नीचे महाकाय शहरों का निर्माण किया गया है। योधेय, ईश्वास, अर्ष्टिषेण, प्रहर्तू आदि वानरों के साथ हनुमानजी इस लोग में प्रभु रामकी भक्ति, कीर्तन और पूजा में लीन रहते हैं।
 

शास्त्र के प्रमाण
श्रीशुक उवाच। किम्पुरुषे वर्षे भगवन्तमादिपुरुषं लक्ष्मणाग्रजं सीताभिरामं रामं तच्चरण सन्निकर्षाभिरतः परमभागवतो हनुमान्सह किम्पुरुषैरविरतभक्तिरुपास्ते॥ - श्रीमद्भागवतम्
 
 
श्रील शुकदेव गोस्वामी जी ने कहाँ, “हे राजन्, किंपुरुष लोक में भक्तों में श्रेष्ठ हनुमान उस लोक के अन्य निवासियों के साथ प्रभु राम जो लक्ष्मण के बड़े भ्राता और सीता के पति है, उनकी सेवा में हमेशा मग्न रहते हैं।”
 
आर्ष्टिषेणेन सह गन्धर्वैरनुगीयमानां परमकल्याणीं भर्तृभगवत्कथां समुपशृणोति स्वयं चेदं गायति ॥- श्रीमद्भागवतम्
 
वहां गंधर्वों के समूह हमेशा रामचंद्र के गुणों का गान करते रहते हैं। वह गान अत्यंत शुभ और मनमोहक होता है। हनुमानजी और आर्ष्ट्रीषेण जो किंपुरुष लोक के प्रमुख है वे उन स्तुतिगानों को हमेशा सुनते रहते हैं।
 
किम्पौरुषाणाम् वायुपुत्रोऽहं ध्रुवे ध्रुवः मुनिः॥- ब्रह्म वैवर्त पुराण
किंपुरुष लोक के निवासियों में तुम मुझे वायुपुत्र हनुमान जानलो तथा ध्रुवलोक में मुझे ध्रुव ऋषि के रूप में देखो।  

 
कहां हैं किंपुरुष नामक क्षेत्र?
किंपुरुष नेपाल के हिमालययी क्षेत्र में आता है। प्राचीनकाल में जम्बूद्वीप के नौ खंडों में से एक किंपुरुष भी था। नेपाल और तिब्बत के बीच कहीं पर किंपुरुष की स्थिति बताई गई है। हालांकि पुराणों अनुसार किंपुरुष हिमालय पर्वत के उत्तर भाग का नाम है। यहां किन्नर नामक मानव जाति निवास करती थी। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि इस स्थान पर मानव की आदिम जातियां निवास करती थीं। यहीं पर एक पर्वत है जिसका नाम गंधमादन कहा गया है।
 
 
गंधमादन पर्वत कहां हैं?
हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।
 
 
गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं। हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।

चारों युगों के रहस्य -सतयुग -त्रेतायुग - द्वापर युग - कलियुग

सतयुग
17,28,000 वर्ष के सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फिट और उम्र 100000 वर्ष की बतायी गई है। इसका तीर्थ पुष्कर और अवतार मत्स्य, हयग्रीव, कूर्म, वाराह, नृसिंह हैं। इस युग में पाप 0% जबकि 20 विश्वा अर्थात 100 प्रतिशत पुण कर्म करता है मनुष्य। इस युग की मुद्रा रत्न और पात्र स्वर्ण हैं।
 
त्रेतायुग
12,96,000 वर्ष की कालावधि का त्रेतायुग तीन पैरों पर खड़ा है। इस युग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष और लंबाई 21 फिट की बतायी गई है। इसका तीर्थ पुष्कर और अवतार वामन, परशुराम और राम हैं। इस युग में पाप 25% जबकि पुण्य कर्म 75% होते हैं। इस युग की मुद्रा स्वर्ण जबकि पात्र चांदी हैं।
 
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द्वापरयुग
8.64,000 वर्ष की कालावधि का द्वापरयुग दो पैरों पर खड़ा है। इस युग में मनुष्य की आयु 1000 वर्ष और लंबाई 11 फिट बतायी गई है। इस युग का तीर्थ कुरुक्षेत्र और अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं। इस युग में पाप कर्म 10 विश्‍वा अर्थात 50% और पुण्य भी 50% होते हैं। इस युग की मुद्रा चांदी और पात्र ताम्र के थे।
 
कलियुग
4,32,000 वर्ष की कालावधि के इस कलियुग को एक पैर पर खड़ा बताया गया है। इस युग में मनुष्य की आयु 100 वर्ष और लंबाई 5 फिट 5 इंच बतायी गई है। इसका तीर्थ गंगा और अवतार बुद्ध एवं कल्कि बताए गए हैं। इस युग में पाप कर्म 75% और पुण्य कर्म 25% होते हैं। इस युग की मुद्रा लोहा और पात्र मिट्टी के हैं।

क्या गांधारी के 100 बेटे थे, जिसका मतलब है कि एक आदमी उस समय 250 साल के आसपास उम्र का होना चाहिए?


क्या गांधारी के 100 बेटे थे, जिसका मतलब है कि एक आदमी उस समय 250 साल के आसपास उम्र का होना चाहिए?

आपने दो तथ्यों को इस प्रशन में प्रकट किया है जो सत्य है परन्तु इनका आपस मे कोई लेना देना नही हैं।
पहला तथ्य- गांधारी के १०० पुत्र थे।
दूसरा तथ्य- उस समय आदमी कि उम्र २५० वर्ष थी
तो पहले आइए जानते हैं कि कौरवों का जन्म कैसे हुआ ।
धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात् एक बार ऋषि व्यास हस्तिनापुर पहुंचे और तब गांधारी ने उनकी बहुत अच्छे से सेवा की जिससे ऋषि व्यास बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने गांधारी को १०० पुत्रों का आशीर्वाद दिया। इसके कुछ समय बाद गांधारी लगभग दो साल तक गर्भवती रही और प्रसव के दौरान गांधारी ने एक मृत मांस के लोथड़े को पैदा किया। ऋषि व्यास ने आदेश दिया कि उस मांस के लोथड़े को १०० टुकड़ो में काट दिया जाए। परन्तु गांधारी ने उन्हें कहा कि उन्हें एक पुत्री की भी इच्छा है। तब ऋषि व्यास ने लोथड़े को स्वयं १०१ टुकड़ों में काटकर अलग – अलग घड़ों में बंद किया। एक साल बाद उन घड़ों में से गांधारी के १०० पुत्रों और एक पुत्री दुःशला का जन्म हुआ।[1]
तो यहाँ पर आपको समझ आ गया होगा कि सभी का जन्म एक-एक करके अलग-अलग वर्षो में नही अपितु एक ही समय मे अलग-अलग घड़ो में हुआ था।

कौरवों के नाम
1. दुर्योधन
2. दुःशासन
3. दुःसह
4. दुःशल
5. जलसंघ
6. सम
7. सह
8. विंद
9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष
11. सुबाहु
12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण
14. दुर्मुख
15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण
17. शल
18. सत्वान
19. सुलोचन
20. चित्र
21. उपचित्र
22. चित्राक्ष
23. चारुचित्र
24. शरासन
25. दुर्मद
26. दुर्विगाह
27. विवित्सु
28. विकटानन्द
29. ऊर्णनाभ
30. सुनाभ
31. नन्द
32. उपनन्द
33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा
35. सुवर्मा
36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु
38. महाबाहु
39. चित्रांग
40. चित्रकुण्डल
41. भीमवेग
42. भीमबल
43. बालाकि
44. बलवर्धन
45. उग्रायुध
46. सुषेण
47. कुण्डधर
48. महोदर
49. चित्रायुध
50. निषंगी
51. पाशी
52. वृन्दारक
53. दृढ़वर्मा
54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति
56. अनूदर
57. दढ़संघ
58. जरासंघ
59. सत्यसंघ
60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा
62. उग्रसेन
63. सेनानी
64. दुष्पराजय
65. अपराजित
66. कुण्डशायी
67. विशालाक्ष
68. दुराधर
69. दृढ़हस्त
70. सुहस्त
71. वातवेग
72. सुवर्च
73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी
75. नागदत्त
76. उग्रशायी
77. कवचि
78. क्रथन
79. कुण्डी
80. भीमविक्र
81. धनुर्धर
82. वीरबाहु
83. अलोलुप
84. अभय
85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय
87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी
89. विरवि
90. चित्रकुण्डल
91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि
93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान
95. दीर्घबाहु
96. सुजात
97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी
99. विरज
100. युयुत्सु
101. दुहुसलाई
102. दुःशला(पुत्री)
अलग-अलग ग्रंथों में कौरवों के कुछ नामों में परिवर्तन भी मिलते हैं।

अब आते है अपकी दूसरी बात पर,
अगर हम चिरंजीवियों (अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम) की बात नही करे तो ८,६४,०० वर्ष की कालावधि का द्वापरयुग में मनुष्य की आयु 1000 वर्ष और लंबाई 11 फिट बतायी गई है।[2] तो मुमकिन है कुछ व्यक्ति २५० वर्ष या इससे अधिक भी जिवित रहे हो।

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