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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

हमें क्या हो गया है

छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2

जय श्री कृष्णा

छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - 2

माता को मम्मी कहना, पिताजी को डेडी कहना शान है,
मित्र को माई डियर, बहन को सिस्टर में अभिमान है,
घरवाली को वाइफ कहकर हम pahchaan कराएँ , हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - 2


भारतीय नृत्य भूले, सब पर डिस्को का भूत सवार है

सूनी पड़ी रामलीला, सिनेमा में भीड़ का नहीं पार है

ठुमरी दादरा भूल गए हम लैला हो लैला गायें, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


लाज शर्म सब त्यागी, अंधे नक़ल में होकर झूमते

पाश्चात्य सभ्यता को गले से लगा कर हम है चुमते

लड़की पहने पेंट शर्ट, अब लड़का बाल बढ़ाये, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


भारत की सभ्यता छोड़ी, छोड़ा आदर मान सम्मान रे

भूल गए नेतिकता हम, करते बड़ों का अपमान रे

व्याकुल होकर अक्षय ने अब अपनी कलम चलायी, हमें क्या हो गया है - २
छोड़ हिंद की हिंदी को इंग्लिश की टांग अड़ाए, हमें क्या हो गया है - 2
छोड़ हिंद की पावन धारा पश्चिम में बह जाए, हमें क्या हो गया है - २


कैलाश चन्द्र लड्ढा "अक्षय"

"Sanwariya"

दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,

दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,



दुनिया में कभी किसी अच्छे इंसान की तलाश मत करो,
बल्कि खुद अच्छे इंसान बनो,
हो सकता है आपके इस काम से,
किसी और की तलाश खत्म हो जाये

ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,

ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,


ज़िन्दगी है छोटी , हर पल में खुश रहो,
ऑफिस में खुश रहो, घर में खुश रहो।

आज पनीर नहीं है, दाल में ही खुश रहो,
आज जिम जाने का समय नहीं, दो कदम चल के ही खुश रहो।

आज दोस्तों का साथ नहीं, टीवी देख कर ही खुश रहो,
घर जा नहीं सकते तो, फ़ोन करके ही खुश रहो।

आज कोई नाराज़ है, उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो,
जिसे देख नहीं सकते, उसकी आवाज़ में ही खुश रहो।

जिसे पा नहीं सकते, उसकी याद में ही खुश रहो,
लैपटॉप न मिला तो क्या, डेस्कटॉप में ही खुश रहो।

बिता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी यादों में ही खुश रहो,
आने वाले पल का पता नहीं, सपनों में ही खुश रहो।

हंसते-हंसते ये पल बीत जाएंगे, आज में ही खुश रहो,
ज़िन्दगी है छोटी, हर पल में खुश रहो!

by
"Sanwariya"
www.sanwariya.webs.com

कृष्ण कि जगह राधे राधे

कृष्ण कि जगह राधे राधे

श्री राधा जी ने अपने महल मै तोते पाल रखे थे और उन्हें रोज़ हरे कृष्ण
हरे कृष्ण कहती थी तो तोते भी सारा दिन हरे कृष्ण हरे कृष्ण बोलते रहते
और सब सखियाँ भी हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहती | एक दिन राधाजी यमुना किनारे
विचर रही थी सखियाँ दूर झुंड मै किकोल कर रही थी | इतने मै उनकी सामने नज़र पड़ी तो क्या देखती है की शामसुंदर नारद जी से बतिया रहे है | श्रीजी को क्या सूझी वो छिप कर उनकी बातें सुनने लगीं | नारद जी कह रहे थे कि जहाँ भी
मैं जाता हूँ वहीं पूरे ब्रज मै हरे कृष्ण हरे कृष्ण कि गूँज सुनाई देती
है | ठाकुरजी बोले पर मुझे तो राधे राधे नाम प्रिय है | इतना सुनते ही राधाजी कि आँखों
से अश्रूयों कि धरा बहने लगी वो तुरंत अपने महल पर लौट आयीं | उन्होने अब अपने तोतों से
हरे कृष्ण कि जगह राधे राधे कहने लगी | जब सखियों ने कहा लोग तुम्हे अभिमानी
कहेंगे कि तुम अपने नाम कि जय बुलवाना चाहती हो | श्री जी ने कहा कि अगर मेरे
प्रियतम को यही नाम पसंद है तो मैं तो यही नाम लूंगी चाहें लोग कुछ भी कहें |

कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता 

कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता 

वाणी में जिसके चीनी हो मुस्कान बड़ी नमकीनी हो
 दिल काला हो तो हुआ करे लेकिन मन में रंगीनी हो

 हरदम हारों का ग्राहक हो उपहारों का भी चाहक हो
 कुर्सी माइक डंडे जूते,सब पर जिसका पहला हक़ हो


 रोजी रोटी के बदले में ,   रोजी रोटी के बदले में 
जनता को भाषण देता,  कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता


जो सब विषयों का ज्ञाता हो, जो सभी जगह मिल जाता हो
 जो लोगो को पीछे धकेल , फोटो में आगे आता हो
 चंदा ही जिसका धंधा हो,  व्यापार न जिसका मंदा हो,
 जो सदाचार का भाषण दे, व्यवहार मगर कुछ गन्दा हो
 सर्दी गर्मी कम करने को, सर्दी गर्मी कम करने को
 चुपके से थोड़ी पी लेता, कहते है उसको नेता, कहते है उसको नेता


सर्दी में देश सुहाता हो,  गर्मी में लन्दन जाता हो,
बरसात बिता वाशिंगटन,  पेरिस में मून मनाता हो
दफ्तर में जिसका साला हो,  और समधी पैसे वाला हो,
मंत्री जी जिसके मामा हो, अंटी में जिसके साला हो
परमिट से लेकर पासपोर्ट तक , परमिट से लेकर पासपोर्ट तक
जिसका उल्लू चेता, कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता

कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता
 कहते है उसको नेता,कहते है उसको नेता

सकल पदारथ है जग माहीं,करमहीन नर पावत नाहीं

सकल पदारथ एहि जग मांही, कर्महीन नर पावत नाही।

 

विधाता से विधान,विधान से विधि


तुलसीदास जी ने कहा है कि "सकल पदारथ है जग माहीं,करमहीन नर पावत नाहीं",लेकिन कर्म को करवाने के लिये जो शक्ति साथ चलती है उसके बारे में भी कहा है,-"बिनु पग चलै सुनै बिनु काना,कर बिनु करम करै विधि नाना",जब सभी कर्म वह शक्ति करवाती है तो शक्ति को समझने के लिये भी लिखा है,-"उमा दारु ज्योतिष की नाईं,सबहि नचावत राम गुसांई".

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।

 

India is not a poor country

“Indians are poor but

India is not a poor country “says one of the swiss bank directors.

He says that “ 280 lacs crore” of Indian Money is deposited in swiss banks

which can be used for ‘taxless’ budget for 30 years.

Can give 60 crore jobs to all Indians.

From Any village to Delhi 4lane Roads.

forever free power supply to more that 500 Social projects.

Every citizen can get monthly 2000/- for 60 years.

No need of world bank & IMF loan.

Think how our money is blocked between rich politicians.

We have full right against corrupt politicians.

Itna forword karo ki pura INDIA padhe.

Take this seriously, you can forword

जय श्री कृष्णा, आप सभी का मेरे ब्लॉग में स्वागत है

 WWW.SANWARIYA.ORG


"साँवरिया"
आप सभी साँवरिया सेठ के बारे मैं जानते होंगे | साँवरिया सेठ प्रभु श्री कृष्ण का ही एक रूप है जिन्होंने भक्तो के लिए कई सारे रूप धरकर समय समय पर भक्तों की इच्छा पूरी की है | कभी सुदामा को तीन लोक दान करके, कभी नानी बाई का मायरा भरके, कभी कर्मा बाई का खीचडा खाकर, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, प्रभु किसी न किसी रूप में भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं | और आप, मैं और सभी मनुष्य तो केवल एक निमित्त मात्र है | भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि "मैं सभी के लिए समान हूँ " मनुष्य को अपने कर्मो का फल तो स्वयं ही भोगना पड़ता है | आप सभी लोग देखते हैं कि कोई मनुष्य बहुत ही उच्च परिवार जेसे टाटा बिरला आदि में जन्म लेता है और कोई मनुष्य बहुत ही निम्न परिवार जेसे आदिवासी आदि के बीच भी जन्म लेता है कोई मनुष्य जन्म से ही बहुत सुन्दर होता है कि कोई भी उस पर मोहित हो जाये और कोई मनुष्य इतना बदसूरत पैदा होता है कि लोग उसको देखकर दर जाए, किसी के पास तो इतना धन होता है कि वो धन का बिस्तर बनवाकर भी उसपर सो सकता है और कोई दाने दाने का भी मोहताज़ है, कोई शारीरिक रूप से इतना बलिष्ठ होता है कि कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता और इसके विपरीत कोई इतना अपंग पैदा होता है जिसको देखकर हर किसी को दया आ जाये | कई बच्चे जन्म लेते ही मार दिए जाते है या जला दिए जाते है या किसी ना किसी अनीति का शिकार हो जाते है जबकि उन्होंने तो कुछ भी नहीं किया तो फिर नियति का एसा भेदभाव क्यों ?
क्या भगवान् को उन पर दया नहीं आती ?
आप सोच रहे होंगे कि इसका मतलब भगवान ने भेदभाव किया, नहीं !!!
आपने देखा होगा एक ही न्यायाधीश किसी को फांसी कि सजा देता है और किसी को सिर्फ अर्थ दंड देकर छोड़ देता है तो क्या न्यायाधीश भेदभाव करता है ? नहीं ना ?
हम जानते हैं कि हर व्यक्ति को उसके अपराध के अनुसार दंड मिलता है बिलकुल उसी प्रकार मनुष्य का जन्म, सुन्दरता, कुल आदी उसके कर्मों के अनुसार ही निर्धारित होते है इसलिए मनुष्य को अपने कर्मों का आंकलन स्वयं ही कर लेना चाहिए और
कलियुग में पाप तो स्वतः हो जाते हैं किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते है |
"अपने लिए तो सभी करते हैं दूसरों के लिए कर के देखो " - Kailash Chandra Ladha
मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ | जीवन में कई सारे अनुभव से गुजरते हुए में आज अपने आप को आप लोगों के सामने स्थापित कर पाया हूँ . बचपन से लेकर आज तक आप सभी लोगो ने अपने जीवन में कई लोगो को भूखे सोते देखा होगा, कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास पहनने को कपडे नहीं है, किसी को पढना है पर किताबें नहीं है, कई बालक नहीं चाहते हुए भी किस्मत के कारण भीख मांगने को मजबूर हो जाते है | इन सभी परिस्थितियों को हम सभी अपने जीवन में भी कही ना कही देखते ही हैं लेकिन बहुत कम लोग ही उन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते है या उन लोगो के बारे में सोच पाते है किन्तु भगवान् की दया से आज मुझे उन सभी की मदद करने की प्रेरणा जागृत हुई और इसलिए आज मेने एक संकल्प लिया है उन अनाथ भाई बहिनों की मदद करने का, जिनका इस दुनिया में भगवान् के अलावा कोई नहीं है और मेने निश्चय किया है कि उन भाइयों की मुझसे जिस भी प्रकार कि मदद होगी मैं करूँगा | मैं इसमें अपना तन -मन -धन मुझसे जितना होगा बिना किसी स्वार्थ के दूंगा . आज दिनांक 31-07-2005 से सावन के महीने में भगवान का नाम लेकर इस अभियान हेतु इस वेबसाइट www.sanwariya.webs.com की शुरुआत कर रहा हूँ | और इस वेबसाइट को बनाने का मेरा और कोई मकसद नहीं है बस मैं सिर्फ उन निस्वार्थ लोगो से संपर्क रखना चाहता हूँ जो इस तरह की सोच रखते है और दुसरो को मदद करना चाहते है मुझे उनसे और कुछ नहीं चाहिए बस मेरे इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुझे अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद ज़रूर देना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के गरीब लोगो की मदद कर सकूँ .
ये वेबसाइट www.sanwariya.org आप जेसे लोगों से संपर्क रखने के उद्देश्य से बनाई है
अगर आप मेरे इस काम मैं सहयोग करना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धानुसार तन-मन-धन से जिस भी प्रकार आप से हो सके आपके स्वयं के क्षेत्र में ही आप अपने घर में अनुपयोगी वस्तुऐ, कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि सभी प्रकार के एसी अनुपयोगी वस्तुएं जो आपके काम नही आ रही है तो जो आपके काम नही आ रही हो उन्हे फेंके नही बल्कि किसी निराश्रित बेसहारा गरीब के लिये एकत्र किजिये बेसहारा, निर्धन, व अनाथ व्यक्तियों के लिये उपलब्ध कराकर आप बिना पैसे पुण्य कमा सकते है और लाखों निराश्रितों को इससे फायदा मिलेगा और यदि आप सक्षम है या पैसे की मदद कर सकते है तो अपने जेब खर्च या धार्मिक बचत को गरीब निर्धन कन्याओं के विवाह, मरीजो की दवाईयाँ और गौ सेवा के लिये एकत्रित किजिये क्योंकि आपकी छोटी सी मदद किसी गरीब के लिये जीवनोपयोगी साबित हो सकती है और यदि आप ये सब हमे देना चाहते है तो हमसे सम्पर्क किजिये या हम तक पहुँचा दिजिये ताकि साँवरिया द्वारा उपरोक्त कपड़े, किताबे, दवाईया, मेडिकल उपकरण, पुराने कम्प्यूटर, चश्में, चद्दर, बिस्तर, रजाई, कम्बल, जूते, चप्पल, स्वेटर, जर्सी, बेग, खिलोने, साईकिल आदि को उचित बेसहारा निर्धन व्यक्तियों मे वितरीत किया जाता है। और आप इस तरह के काउन्टर अपने घर या क्षेत्र में लगाकर इस पुनीत कार्य में कड़ी बन सकते है।
फेसबुक, वाट्सअप, यूट्यूब व सभी सोशियल मीड़िया के माध्यम से इस कार्य मे सभी को माध्यम बनाने मे ज्यादा से ज्यादा सहयोग करे प्रेरित करें।
और अपनी धार्मिक बचत आदि से यदि एक गरीब व्यक्ति का पढाने, रोजगार सीखकर, रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता करना शुरू करे तो भारत में गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नही लगेगा

इसी प्रकार भारत के उच्च परिवारो की जन्मदिन/शादी समारोहो व अन्य कार्यक्रमों में बचे हुये भोजन/पानी की जो अनावश्यक बर्बादी होती है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मे भूखे सोने वाले व्यक्तियों में बांट दिया जाये तो आपकी खुशिंया दुगुनी हो सकती है और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की दुआयें आपको मिलेगी तथा भूखमरी के कारण देश में होने वाली लूटपात/चोरी/डकैती जैसी घटनाओ कम होकर देश मे भाईचारे की व्यवस्था फिर से पनपने लगेगी और एक दिन एसा आयेगा जब देश मे शायद ही कोई भूखा सोयेगा। हर तरफ स्वच्छता, निरोगी काया, शान्ति व सुलभ जीवन यापन होगा।
इसी प्रकार विद्यालयों में पेरेन्ट्स मिटींग में सभी पेरेन्ट्स से स्कूल में सहयोग बैंक बनाकर उसमे पुराने विद्यार्थीयों की स्कूल सामग्री जैसे स्कूल ड्रेस, किताबें, कोपीयां, पेन, पेन्सिल, रबर, शार्पनर, बेग, स्वेटर जर्सी, व अन्य उपकरण, पुरानी साईकिल इत्यादि जो काम नही आ रहे है उन्हे जमा कराये जाये और जिन्हे चाहिये वे उनके लिये निःशुल्क उपलब्ध हो सभी सरकारी व निजी विद्यालयों को इस अभियान में जुड़ना चाहिये इसी प्रकार गौ सेवा हेतु अपनी अपनी काॅलोनीयों में प्रतिदिन रोटी सब्जी, फलो के छिलके हेतु अलग अलग बाल्टी अथवा टिफिन में एकत्र कर गौमाता हेतु भिजवाया जा सकता है अथवा किसी निर्धन बेरोजगार को इस कार्य के लिये नियुक्त कर पास की गौशाला अथवा गायो हेतु पंहुचाने का कार्य किया जा सकता है
"साँवरिया" का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले जैसा हो जाये |

"सर्वे भवन्तु सुखिनः "
हो गई है पीर पर्वत-सी अब पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए आग जलनी चाहिए
www.sanwariya.org

जय महेश
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