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शुक्रवार, 14 जून 2024

सोशल मीडिया पर चल रहे कि अयोध्या में विकास के दौरान तोड़े गए दुकानों व मकान के कारण अयोध्या में हारी भाजपा, इस पर जिला प्रशासन ने दिया जवाब

प्रेस विज्ञप्ति/ सूचना विभाग

सोशल मीडिया पर चल रहे कि अयोध्या में विकास के दौरान तोड़े गए दुकानों व मकान के कारण अयोध्या में हारी भाजपा, इस पर जिला प्रशासन ने दिया जवाब

अयोध्या।
जिलाधिकारी नितीश कुमार ने बताया कि अयोध्या धाम की ऐतिहासिक एवं पौराणिक विरासतों को संजोते एवं संवारते हुये एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने की संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुये अयोध्या में यातायात एवं आवागमन की सुविधा को आधुनिक एवं सुगम बनाने के लिए विभिन्न प्रमुख मार्गो/पथों का उनके किनारे स्थित दुकानदारों, भवन स्वामियों एवं भू-स्वामियों से समन्वय स्थापित कर तथा उन्हें नियमानुसार पुर्नस्थापित कर अनुग्रह धनराशि व मुआवजा प्रदान करते हुये सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण किया गया है। 
उन्होंने बताया कि रामपथ, भक्तिपथ, रामजन्मभूमि पथ एवं पंचकोसी एवं चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग के सौन्दर्यीकरण एवं चैड़ीकरण से कुल 4616 दुकानदार प्रभावित हुये, जिसमें से 4215 दुकानदार/व्यापारी जिनकी दुकानें आंशिक रूप से चैड़ीकरण में प्रभावित हुई, इन सभी को कुछ अन्तराल के लिए व्यापार प्रभावित होने के एवज में प्रति दुकानदार (आंशिक रूप से तोड़ी गयी दुकान के आकार के आधार पर) अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया। साथ ही प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का व्यापक सौन्दर्यीकरण भी कराया गया और ये सभी दुकानदार उसी स्थान/दुकान पर अपने-अपने व्यापार/दुकान का संचालन कर रहे है और वर्तमान समय में उनका व्यापार कई गुना बढ़कर सुचार रूप से चल रहा है। इसी के साथ ही उक्त मार्गों के सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण में कुल 401 दुकानदार पूर्ण रूप से स्थानान्तरित हुये जिनमें से 339 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा दुकान आवंटित किया गया है तथा इनका व्यापार अन्य स्थल पर स्थानान्तरित होने पर कुछ अन्तराल के लिए व्यापार प्रभावित होने के एवज में प्रति दुकानदार एक से 10 लाख रूपये तक (हटायी गयी दुकान के आकार के आधार पर) अनुग्रह धनराशि का भुगतान उनके खाते में अलग से किया गया है। उक्त मार्गो/पथों के सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण से पूर्ण रूप से स्थानान्तरित कुल 79 परिवारों को बसा दिया गया है। इस कार्य से कुल 1845 भू-स्वामी/भवन स्वामी प्रभावित हुये, जिन्हें नियमानुसार रू0 300.67 करोड़ की धनराशि मुआवजे एवं अनुग्रह धनराशि के रूप में उनके खाते में प्रदान किया जा चुका है।
इसी प्रकार अयोध्या धाम तक हवाई आवागमन की सुविधा को सुगम बनाने हेतु नवनिर्मित महर्षि बाल्मीकि अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण के लिए प्रभावित समस्त परिवारों को नियमानुसार पुर्नवासित कराया गया है तथा प्रभावित खातेदारों से समन्वय स्थापित कर उनके सहमति के आधार पर भूमि अर्जन का कार्य किया गया, जिसमें कुल 952.39 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामियों/भवन स्वामियों के खाते में किया गया।   
*रामजन्म भूमि पथ:-*
01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-14
02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-07
03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर0 एण्ड आर0 का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 14 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।
04. पूर्ण विस्थापित 07 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकाने आवष्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर0 एण्ड आर0) का भुगतान किया गया। 
05. मकान व जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त 11 भू-स्वामी/भवन स्वामी से सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर मुआवजे का भुगतान किया गया।
06. रामजन्म भूमि पथ में कुल 14.12 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।

*भक्ति पथ:-*
01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-397
02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-88
03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 397 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया। 
04. उक्त पथ पर 309 दुकानदार जो विस्थापित नहीं हो रहे थे उनको मूल्यांकन के उपरान्त अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया तथा प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का सौन्दीर्यकरण कराया गया। वर्तमान समय में उनका व्यापार सुचारू रूप से पूर्व के भांति चल रहा है।
05. विस्थापित होने वाले 88 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकानें आवण्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर० एण्ड आर०) का भुगतान किया गया। यह भी स्पष्ट करना है कि भक्ति पथ से विस्थापित सभी दुकानदार हनुमानगढ़ी के परिधि में विभिन्न पटिटयों में सम्मानित महन्थों से सम्पर्क स्थापित कर पूर्व के भांति किराये पर दुकान लेकर व्यवसाय कर रहे हैं। 
06. मकान व जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त कुल 09 भू-स्वामी/भवन स्वामी से सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर मुआवजे का भुगतान किया गया।
07. भक्ति पथ में कुल 23.66 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।

*राम पथ:-*
01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-2338 
02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-306
03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 2338 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।
04. उक्त पथ पर 2038 दुकानदार जो विस्थापित नहीं हो रहे थे उनको मूल्यांकन के उपरान्त व्यापार पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया तथा प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का सौन्दीर्यकरण कराया गया। वर्तमान समय में उनका व्यापार सुचारू रूप से पूर्व के भांति चल रहा है। 
05. विस्थापित होने वाले 306 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकानें आवण्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर0 एण्ड आर0) का भुगतान किया गया।
06. ऐसे परिवार जो पूर्ण रूप से विस्थापित हुए हैं उनको चक्रतीर्थ के मां० काशीराम कालोनी में बसाया गया।
07. रामपथ पर 2173 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया।
08. राम पथ में कुल 114.69 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।

*पंचकोसी परिक्रमा मार्ग:-*
01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-510
02. पूर्ण विस्थापित परिवार-25 
03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहो था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 510 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैडाई के क्रम में पी०डब्लूडी द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया। 
04. उक्त पथ पर ऐसे दुकानदार जिनका विस्थापित नहीं हो रहा है। वह अपने बचे हुए भू-भाग पर दुकान बना करके व्यवसाय कर रहे हैं। प्रभावित भू-भाग का मूल्यांकन के अनुसार व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर० एण्ड आर०) का भुगतान किया गया।
05. विस्थापित होने वाले 25 परिवारों को उनके निकट स्थान पर पुर्नवासित कराया गया है तथा इनके मकान का मूल्यांकन कराते हुए मकान का सहमति के आधार पर रजिस्ट्री कराया गया और उनके मुआवजे का भुगतान किया गया।
06. पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले कुल 153 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया।
07. पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में कुल 29.00 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।

*14 कोसी परिक्रमा मार्ग:-*
01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-1357
02. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 1357 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी०डब्लू०डी० द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।
03. चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले 826 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया। 
04. चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग में कुल 119.20 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।

*एयरपोर्ट:-*
01. कुल भूमि 823.21 एकड़
02. खातेदारों की निजी भूमि-499.6846 एकड
03. सहमति के आधार पर क्रय (रजिस्ट्री) की गयी भूमि 478.774 एकड़ (95.82 प्रतिशत)
04. अर्जन के माध्यम से प्राप्त भूमि-20.910 एकड़ (4.18 प्रतिशत)
05. कुल परिसम्पत्तियों की संख्या जिन्हें क्रयध् रजिस्ट्री कराया गया-668
06. ग्राम-जनौरा के मजरे राजाबोध पुरवा, भुजवा की बगिया, शंकर का पुरवा, त्रिभवन नगर, बल्दी पाण्डेय का पुरवा ग्राम-गंजा, ग्राम-धरमपुर सहादत तथा ग्राम-कुशमाहा के ऐसे परिवार जो एयरपोर्ट विस्तारीकरण में विस्थापित हुए उनको मलिकपुर, अचारी सगरा, सरेठी, पूरा हुसैन खां, हांसापुर, शमसुद्दीनपुर आदि उपलब्ध स्थानों पर परिवारों की संख्या को देखते हुए पुर्नवासित कराया गया।
07. परियोजना में कुल 952.39 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी को किया गया।
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दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ

दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह स्पष्ट हुआ कि भाजपा को केवल 240 सीटें मिलेंगी। उस समय श्री मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह और नड्डा ने विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया कि हम विपक्ष में बैठेंगे। और गठबंधन के साथियों को फोन कर सूचित किया गया कि आप स्वतंत्र हैं अपना निर्णय लेने के लिए। इंडी अलायंस को शासन करना चाहिए। सबसे पहले चिराग पासवान और शिंदे ने कहा कि हम आपके फैसले में शामिल हैं और हम भी विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं। ध्यान दें कि मोदी पार्टी कार्यालय में दोपहर चार बजे आने वाले थे, लेकिन वे देर शाम आए, इसका कारण यही था।
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में रहने वाले मेरे एक मित्र ने यह रोमांचक और बेहद नाटकीय घटनाक्रम, जो एक आम आदमी की समझ से परे है, मुझे 5 जून को ही बताया था।

मोदी ने दोपहर में नायडू और नीतीश को फोन किया था ताकि उन्हें यह बता सकें कि आप अपना देख लो, हमें कोई आपत्ति नहीं है। मोदी के इस फैसले को सुनकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। दोनों ही ठंडे पड़ गए क्योंकि उन्हें इंडी दलों की स्थिति का पता था। मोदी के इस निर्णय की खबर इंडी दलों को भी पहुंचाई गई।

खडगे, जयराम रमेश को तो झटका ही लगा क्योंकि वे मानसिक रूप से इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे। फिर भी उन्होंने यह खबर बाहर न आने देते हुए केवल शरद पवार को नीतीश और नायडू से बात करने के लिए कहा। उनकी विनती पर पवार ने नीतीश को फोन किया।
नीतीश ने शरद पवार से पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मोदी विपक्ष में बैठने को तैयार हो गए हैं? शरद पवार ने नीतीश से कहा कि मुझे यह नहीं पता है। मुझे केवल आपके संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। तब नीतीश जी ने शरद पवार को सब कुछ बताया, और यह भी पूछा कि सभी के खाते में 8500 रुपये देने होंगे और संपत्ति का वितरण पिछड़े वर्ग के लोगों को करना होगा, यह दो बड़े वादे कांग्रेस ने लोगों से किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री कौन होगा? यह सुनकर पवार को समझ आया कि उन्हें अंधेरे में रखा गया है। उन्होंने सबसे पहले अखिलेश यादव को फोन किया और बताया कि भाई, ऐसा हुआ है और कांग्रेस हमें अंधेरे में रखकर कुछ साजिश कर रही है। इतने पर पवार ने खडगे को फोन करके नाराजगी जताई कि आपने मुझे क्यों नहीं बताया कि भाजपा विपक्ष में बैठने को तैयार है? खडगे ने पवार से कहा कि यह खबर उड़ते-उड़ते आई थी इसलिए नहीं बताया। पवार ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री तय करें और फिर आगे बढ़ें। इसी बीच अखिलेश यादव ने भी खडगे को फोन करके कहा कि मुझसे पूछे बिना कुछ नहीं करना, नहीं तो मैं अकेला अलग बैठ जाऊंगा। यह खबर इंडी गठबंधन में फैल गई, जबकि नतीजे आ ही रहे थे, लेकिन हर जगह हड़कंप मच गया।
इंडी दलों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि प्रति व्यक्ति 8500 रुपये/माह और अमीर लोगों के पैसे लेकर उनका वितरण पिछड़े वर्ग में कैसे किया जाए, क्योंकि कांग्रेस ने जल्द से जल्द पैसे देने का वादा किया था।
पर्दे के पीछे जबरदस्त उठा-पटक चल रही थी। इंडी दलों को तो छोड़ें, नायडू और नीतीश कुमार को भी उम्मीद नहीं थी कि मोदी और शाह ऐसा फैसला लेंगे।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू ने भाजपा के बड़े नेताओं से फोन पर संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि हम भाजपा के साथ ही रहना चाहते हैं, मोदी को तुरंत सरकार बनानी चाहिए।
भाजपा की 240 सीटें और पासवान, शिंदे सहित अन्य छोटे सहयोगियों को मिलाकर संख्या 264 हो जाती थी। इतना मजबूत विपक्ष होते हुए हम इंडी गठबंधन के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि मोदी और शाह विपक्ष में बैठकर कोई भजन नहीं करने वाले थे, यह निश्चित था।
इधर मोदी और शाह को जयंत चौधरी के माध्यम से इंडी गठबंधन के भीतर के गड़बड़ी का पता चल गया था।
उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा ने मुस्लिम वर्ग में यह अफवाह फैला दी कि कांग्रेस का सरकार बन गई है और बैंक में सभी को 8500 रुपये मिलेंगे। इस वजह से बंगलोर और लखनऊ में बैंकों में मुस्लिम महिलाओं की लंबी कतारें लग गई थीं।

इंडी गठबंधन के नेताओं के बीच सवाल खड़ा हो गया कि अगर हम सरकार बनाते हैं, तो हमें वादे के अनुसार तुरंत 100000 रुपये प्रति वर्ष देने होंगे, भले ही हम समान संपत्ति के वितरण को कुछ समय बाद करने का वादा कर सकते हैं, लेकिन यह 8500 रुपये/प्रति माह कैसे देंगे? इस तरह प्रधानमंत्री बनना मतलब सूली पर चढ़ने जैसा होगा। महिलाओं की आधी जनसंख्या को ही मानें तो प्रति महिला एक लाख रुपये के हिसाब से साठ लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष होते हैं। और इधर तो लोग बैंकों में भी आना शुरू कर चुके हैं। भाजपा ने हवा फैला दी कि बैंक जाओ और पैसे ले लो।
इस पर यह समाधान निकला कि फिर ऐसा करें कि नीतीश और नायडू हमें, मतलब इंडी दलों को समर्थन दें, कांग्रेस भी बाहरी समर्थन दिखाएगी और सरकार में शामिल नहीं होगी। मतलब ये पैसे देने और संपत्ति के समान वितरण करने का सवाल ही नहीं उठेगा। कांग्रेस बता सकेगी कि हमारी सरकार नहीं है, हमारी बात नहीं मानी जाती, इसलिए हम सरकार में शामिल नहीं हुए। इससे कांग्रेस फिर से अपनी जनता के बीच अच्छी छवि बनाए रख सकेगी। कांग्रेस एक बार फिर चित भी मेरी पट भी मेरी का खेल खेल रही थी।
इस पर नीतीश और नायडू ने साफ कहा कि कांग्रेस का बाहरी समर्थन देने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने ऐसे ही चरण सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल को बाहरी समर्थन दिया था और फिर अचानक वापस ले लिया था और इन सभी की सरकारें कुछ ही दिनों में गिर गई थीं। हम आपके साथ नहीं आएंगे, और वहां इतनी मजबूत विपक्ष होने पर मोदीजी शांत नहीं बैठेंगे। इतना ही नहीं, बिहार में भाजपा समर्थन वापस लेगी, यह अलग बात है और बिहार में तेजस्वी का मुख्यमंत्री पद का दावा पहले से ही था, जिससे नीतीश कुमार के सामने इधर कुआं उधर खाई जैसी स्थिति थी। सोचिए, नतीजे आने के दौरान कितनी तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था। इसी वजह से नीतीश कुमार और नायडू ठंडे पड़ गए और उन्होंने मोदी और शाह से सरकार बनाने का अनुरोध किया और समर्थन देने का आश्वासन दिया।

गुज्जुभाई मन ही मन हंस रहे थे। उन्होंने यह सब जानबूझकर नाटक किया था। उन्हें एक तरफ इंडी दलों और सभी हितधारकों को दिखाना था कि 8500 रुपये प्रति माह और संपत्ति का समान वितरण का उनका वादा कितना फर्जी है। साथ ही, यह दिखाना था कि यह आने वाले इंडी गठबंधन सरकार के लिए कैसे गले की फांस है। उसी समय, एनडीए के दो प्रमुख घटक दल नीतीश और नायडू की बार्गेनिंग पॉवर कम करनी थी, इसलिए गुज्जुभाई ने हाथ ऊपर उठाकर देने का नाटक किया।
नीतीश और नायडू का दिमाग दो घंटे में ठिकाने पर लाना पहला काम था, जो सफल रहा। फिर अमित शाह ने दूसरा बम फेंका कि सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी पूरी तरह भाजपा की होगी, मतलब गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय हमारे पास रहेंगे। मरता क्या न करता, दोनों ने तुरंत सहमति दी। उसके बाद रात साढ़े सात बजे नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सरकार बनाने का ऐलान किया। मोदी का भाषण कितना आत्मविश्वास से भरा था, यह आप याद करें।
इस तरह तेज राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था, जिसकी वजह से नीतीश कुमार बार-बार एनडीए की बैठक में कहते रहे कि सरकार जल्दी बनाओ और 9 जून की बजाय 8 जून को शपथ लो और हमारा टेंशन दूर करो।
इधर 5 जून और 6 जून को भी लखनऊ और बंगलोर में लोग बैंकों और कांग्रेस कार्यालयों में पैसे लेने आते रहे। भाजपा ने हवा फैला दी थी कि जाओ पैसे मिल रहे हैं।
इसीलिए शाम को इंडी गठबंधन की बैठक में यह निर्णय हुआ कि हम कोई फोड़-फोड़ न करें, नहीं तो हमें लोकक्षोभ का सामना करना पड़ेगा और बदनामी होगी और फिर जनता हम पर विश्वास नहीं करेगी। राहुल गांधी की जल्दी से 8500 रुपये वाली घोषणा ऐसी विपत्ति बन गई।

इसलिए खडगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सही समय आने पर भाजपा सरकार को हराएंगे और हम कोई सरकार नहीं बनाएंगे।
इसे चाणक्य नीति कहते हैं, एक पत्थर से दो पक्षी मारना। एनडीए में नीतीश और नायडू,

 इन दोनों पक्षों को गुज्जुभाई ने ठिकाने लगाया। आज 10 जून को घोषित मंत्रिमंडल के बंटवारे से पूरी स्थिति पर मोदी और शाह का नियंत्रण साबित होता है।
यह अटल और आडवाणी की भाजपा नहीं है, यह ध्यान में रखते हुए हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
इसे ऑफेंसिव डिफेंस कहते हैं।
मोदी पूरी ताकत के साथ एक्शन में हैं।

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