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मंगलवार, 26 जून 2018

वृंदावन में टटिया स्थान

"   तटिया या टटिया स्थान "

स्थान - श्री रंग जी मंदिर के दाहिने हाथ यमुना जी के जाने वाली पक्की सड़क के आखिर में ही यह रमणीय टटिया स्थान है.विशाल भूखंड पर फैला हुआ है

किन्तु कोई दीवार,पत्थरो की घेराबंदी नहीं है केवल बॉस की खपच्चियाँ या टटियाओ से घिरा हुआ है इसलिए तटिया स्थान के नाम से प्रसिद्ध है. संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी महाराज की तपोस्थली है.

यह एक ऐसा स्थल है जहाँ के हर वृक्ष और पत्तों में भक्तो ने राधा कृष्ण की अनुभूति की है,संत कृपा से राधा नाम पत्ती पर उभरा हुआ देखा है.

स्थापना - स्वामी श्री हरिदास जी की शिष्य परंपरा के सातवे आचार्य श्री ललित किशोरी जी ने इस भूमि को अपनी भजन स्थली बनाया था.उनके शिष्य महंत श्री ललितमोहनदास जी ने सं १८२३ में इस स्थान पर ठाकुर श्री मोहिनी बिहारी जी को प्रतिष्ठित किया था.

तभी चारो ओर बॉस की तटिया लगायी गई थी तभी से यहाँ के सेवा पुजाधिकारी विरक्त साधू ही चले आ रहे है.उनकी विशेष वेशभूषा भी है.
विग्रह - श्रीमोहिनी बिहारी जी का श्री विग्रह प्रतिष्ठित है.

मंदिर का अनोखा नियम...
ऐसा सुना जाता है कि श्री ललितमोहिनिदास जी के समय इस स्थान का यह नियम था कि जो भी आटा-दाल-घी दूध भेट में आवे उसे उसी दिन ही ठाकुर भोग ओर साधू सेवा में लगाया जाता है.

संध्या के समय के बाद सबके बर्तन खाली करके धो माज के उलटे करके रख दिए जाते है,कभी भी यहाँ अन्न सामग्री कि कमी ना रहती थी.

एक बार दिल्ली के यवन शासक ने जब यह नियम सुना तो परीक्षा के लिए अपने एक हिंदू कर्मचारी के हाथ एक पोटली में सच्चे मोती भर कर सेवा के लिए संध्या के बाद रात को भेजे.

श्री महंत जी बोले -वाह खूब समय पर आप भेट लाये है.महंत जी ने तुरंत उन्हें खरल में पिसवाया ओर पान बीडी में भरकर श्री ठाकुर जी को भोग में अर्पण कर दिया कल के लिए कुछ नहीं रखा.

असी संग्रह रहित विरक्त थे श्री महंत जी.
उनका यह भी नियम था कि चाहे कितने मिष्ठान व्यंजन पकवान भोग लगे स्वयं उनमें से प्रसाद रूप में कणिका मात्र ग्रहण करते सब पदार्थ संत सेवा में लगा देते ओर स्वयं मधुकरी करते.

मंदिर में विशेष प्रसाद -

इस स्थान के महंत पदासीन महानुभाव अपने स्थान से बाहर कही भी नहीं जाते स्वामी हरिदास जी के आविर्भाव दिवस श्री राधाष्टमी के दिन यहाँ स्थानीय ओर आगुन्तक भक्तो कि विशाल भीड़ लगती है.

श्री स्वामी जी के कडुवा ओर दंड के उस दिन सबको दर्शन लाभ होते है.
उस दिन विशेष प्रकार कि स्वादिष्ट अरबी का भोग लगता है ओर बटता है.जो दही ओर घी में विशेष प्रक्रिया से तैयार की जाती है यहाँ का अरबी प्रसाद प्रसिद्ध है. इसे सखी संप्रदाय का प्रमुख स्थान माना जाता है.

जब मजदूर का घड़ा अशर्फियों से भर गया
एक दिन श्रीस्वामी ललितमोहिनी देव जी संत-सेवा के पश्चात प्रसाद पाकर विश्राम कर रहे थे,किन्तु उनका मन कुछ उद्विग्न सा था. वे बार-बार आश्रम के प्रवेश द्वार की तरफ देखते, वहाँ जाते और फिर लौट आते.

वहाँ रह रहे संत ने पूंछा - स्वामी जी ! किसको देख रहे है आपको किसका इन्तजार है?
स्वामी जी बोले - एक मुसलमान भक्त है श्री युगल किशोर जी की मूर्तियाँ लाने वाला है उसका इन्तजार कर रहा हूँ.

इतने मे वह मुसलमान भक्त सिर पर एक घड़ा लिए वहाँ आ पहुँचा और दो मूर्तियों को ले आने की बात कही.श्री स्वामी जी के पूंछने पर उसने बताया,कि डींग के किले में भूमि कि खुदाई चल रही है

मै वहाँ एक मजदूर के तौर पर खुदाई का काम कई दिन से कर रहा हूँ. कल खुदाई करते में मुझे यह घड़ा दीखा तो मैंने इसे मुहरो से भरा जान कर फिर दबा दिया ताकि साथ के मजदूर इसे ना देख ले.

रात को फिर मै इस कलश को घर ले आया खुदा का लाख लाख शुक्र अदा करते हुए कि अब मेरी परिवार के साथ जिंदगी शौक मौज से बसर होगी घर आकर जब कलश में देखा तो इससे ये दो मूर्तियाँ निकली,एक फूटी कौड़ी भी साथ ना थी.

स्वामी जी - इन्हें यहाँ लाने के लिए तुम्हे किसने कहा ?
मजदूर - जब रात को मुझे स्वप्न में इन प्रतिमाओ ने आदेश दिया कि हमें सवेरे वृंदावन में टटिया स्थान पर श्री स्वामी जी के पास पहुँचा दो इसलिए में इन्हें लेकर आया हूँ.

स्वामी जी ने मूर्तियों को निकाल लिया और उस मुसलमान भक्त को खाली घड़ा लौटते हुए कहा भईया ! तुम बड़े भाग्यवान हो भगवान तुम्हारे सब कष्ट दूर करेगे .

वह मुसलमान मजदूर खाली घड़ा लेकर घर लौटा,रास्ते में सोच रहा था कि इतना चमत्कारी महात्मा मुझे खाली हाथ लौटा देगा - मैंने तो स्वप्न में भी ऐसा नहीं सोचा था.आज की मजदूरी भी मारी गई.घर पहुँचा एक कौने में घड़ा धर दिया और उदास होकर एक टूटे मांझे पर आकर सो गया

पत्नी ने पूँछा - हो आये वृंदावन ?
क्या लाये फकीर से ?
भर दिया घड़ा अशर्फिर्यो से ?
क्या जवाव देता इस व्यंग का ?

उसने आँखे बंद करके करवट बदल ली.
पत्नी ने कोने में घड़ा रखा देखा तो लपकी उस तरफ देखती है कि घड़ा तो अशर्फियों से लबालव भरा है,

आनंद से नाचती हुई पति से आकर बोली मियाँ वाह ! इतनी दौलत होते हुए भी क्या आप थोड़े से मुरमुरे ना ला सके बच्चो के लिए ?

अशर्फियों का नाम सुनते ही भक्त चौककर खड़ा हुआ और घड़े को देखकर उसकी आँखों से अश्रु धारा बाह निकली.

बोला मै किसका शुक्रिया करू,खुदा का ,या उस फकीर का जसने मुझे इस कदर संपत्ति बख्शी.फिर इन अशर्फिर्यो के बोझे को सिर पर लाड लाने से भी मुझे बारी रखा कैसी रहमत ?

वृंदावन में टटिया स्थान

"   तटिया या टटिया स्थान "

स्थान - श्री रंग जी मंदिर के दाहिने हाथ यमुना जी के जाने वाली पक्की सड़क के आखिर में ही यह रमणीय टटिया स्थान है.विशाल भूखंड पर फैला हुआ है

किन्तु कोई दीवार,पत्थरो की घेराबंदी नहीं है केवल बॉस की खपच्चियाँ या टटियाओ से घिरा हुआ है इसलिए तटिया स्थान के नाम से प्रसिद्ध है. संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी महाराज की तपोस्थली है.

यह एक ऐसा स्थल है जहाँ के हर वृक्ष और पत्तों में भक्तो ने राधा कृष्ण की अनुभूति की है,संत कृपा से राधा नाम पत्ती पर उभरा हुआ देखा है.

स्थापना - स्वामी श्री हरिदास जी की शिष्य परंपरा के सातवे आचार्य श्री ललित किशोरी जी ने इस भूमि को अपनी भजन स्थली बनाया था.उनके शिष्य महंत श्री ललितमोहनदास जी ने सं १८२३ में इस स्थान पर ठाकुर श्री मोहिनी बिहारी जी को प्रतिष्ठित किया था.

तभी चारो ओर बॉस की तटिया लगायी गई थी तभी से यहाँ के सेवा पुजाधिकारी विरक्त साधू ही चले आ रहे है.उनकी विशेष वेशभूषा भी है.
विग्रह - श्रीमोहिनी बिहारी जी का श्री विग्रह प्रतिष्ठित है.

मंदिर का अनोखा नियम...
ऐसा सुना जाता है कि श्री ललितमोहिनिदास जी के समय इस स्थान का यह नियम था कि जो भी आटा-दाल-घी दूध भेट में आवे उसे उसी दिन ही ठाकुर भोग ओर साधू सेवा में लगाया जाता है.

संध्या के समय के बाद सबके बर्तन खाली करके धो माज के उलटे करके रख दिए जाते है,कभी भी यहाँ अन्न सामग्री कि कमी ना रहती थी.

एक बार दिल्ली के यवन शासक ने जब यह नियम सुना तो परीक्षा के लिए अपने एक हिंदू कर्मचारी के हाथ एक पोटली में सच्चे मोती भर कर सेवा के लिए संध्या के बाद रात को भेजे.

श्री महंत जी बोले -वाह खूब समय पर आप भेट लाये है.महंत जी ने तुरंत उन्हें खरल में पिसवाया ओर पान बीडी में भरकर श्री ठाकुर जी को भोग में अर्पण कर दिया कल के लिए कुछ नहीं रखा.

असी संग्रह रहित विरक्त थे श्री महंत जी.
उनका यह भी नियम था कि चाहे कितने मिष्ठान व्यंजन पकवान भोग लगे स्वयं उनमें से प्रसाद रूप में कणिका मात्र ग्रहण करते सब पदार्थ संत सेवा में लगा देते ओर स्वयं मधुकरी करते.

मंदिर में विशेष प्रसाद -

इस स्थान के महंत पदासीन महानुभाव अपने स्थान से बाहर कही भी नहीं जाते स्वामी हरिदास जी के आविर्भाव दिवस श्री राधाष्टमी के दिन यहाँ स्थानीय ओर आगुन्तक भक्तो कि विशाल भीड़ लगती है.

श्री स्वामी जी के कडुवा ओर दंड के उस दिन सबको दर्शन लाभ होते है.
उस दिन विशेष प्रकार कि स्वादिष्ट अरबी का भोग लगता है ओर बटता है.जो दही ओर घी में विशेष प्रक्रिया से तैयार की जाती है यहाँ का अरबी प्रसाद प्रसिद्ध है. इसे सखी संप्रदाय का प्रमुख स्थान माना जाता है.

जब मजदूर का घड़ा अशर्फियों से भर गया
एक दिन श्रीस्वामी ललितमोहिनी देव जी संत-सेवा के पश्चात प्रसाद पाकर विश्राम कर रहे थे,किन्तु उनका मन कुछ उद्विग्न सा था. वे बार-बार आश्रम के प्रवेश द्वार की तरफ देखते, वहाँ जाते और फिर लौट आते.

वहाँ रह रहे संत ने पूंछा - स्वामी जी ! किसको देख रहे है आपको किसका इन्तजार है?
स्वामी जी बोले - एक मुसलमान भक्त है श्री युगल किशोर जी की मूर्तियाँ लाने वाला है उसका इन्तजार कर रहा हूँ.

इतने मे वह मुसलमान भक्त सिर पर एक घड़ा लिए वहाँ आ पहुँचा और दो मूर्तियों को ले आने की बात कही.श्री स्वामी जी के पूंछने पर उसने बताया,कि डींग के किले में भूमि कि खुदाई चल रही है

मै वहाँ एक मजदूर के तौर पर खुदाई का काम कई दिन से कर रहा हूँ. कल खुदाई करते में मुझे यह घड़ा दीखा तो मैंने इसे मुहरो से भरा जान कर फिर दबा दिया ताकि साथ के मजदूर इसे ना देख ले.

रात को फिर मै इस कलश को घर ले आया खुदा का लाख लाख शुक्र अदा करते हुए कि अब मेरी परिवार के साथ जिंदगी शौक मौज से बसर होगी घर आकर जब कलश में देखा तो इससे ये दो मूर्तियाँ निकली,एक फूटी कौड़ी भी साथ ना थी.

स्वामी जी - इन्हें यहाँ लाने के लिए तुम्हे किसने कहा ?
मजदूर - जब रात को मुझे स्वप्न में इन प्रतिमाओ ने आदेश दिया कि हमें सवेरे वृंदावन में टटिया स्थान पर श्री स्वामी जी के पास पहुँचा दो इसलिए में इन्हें लेकर आया हूँ.

स्वामी जी ने मूर्तियों को निकाल लिया और उस मुसलमान भक्त को खाली घड़ा लौटते हुए कहा भईया ! तुम बड़े भाग्यवान हो भगवान तुम्हारे सब कष्ट दूर करेगे .

वह मुसलमान मजदूर खाली घड़ा लेकर घर लौटा,रास्ते में सोच रहा था कि इतना चमत्कारी महात्मा मुझे खाली हाथ लौटा देगा - मैंने तो स्वप्न में भी ऐसा नहीं सोचा था.आज की मजदूरी भी मारी गई.घर पहुँचा एक कौने में घड़ा धर दिया और उदास होकर एक टूटे मांझे पर आकर सो गया

पत्नी ने पूँछा - हो आये वृंदावन ?
क्या लाये फकीर से ?
भर दिया घड़ा अशर्फिर्यो से ?
क्या जवाव देता इस व्यंग का ?

उसने आँखे बंद करके करवट बदल ली.
पत्नी ने कोने में घड़ा रखा देखा तो लपकी उस तरफ देखती है कि घड़ा तो अशर्फियों से लबालव भरा है,

आनंद से नाचती हुई पति से आकर बोली मियाँ वाह ! इतनी दौलत होते हुए भी क्या आप थोड़े से मुरमुरे ना ला सके बच्चो के लिए ?

अशर्फियों का नाम सुनते ही भक्त चौककर खड़ा हुआ और घड़े को देखकर उसकी आँखों से अश्रु धारा बाह निकली.

बोला मै किसका शुक्रिया करू,खुदा का ,या उस फकीर का जसने मुझे इस कदर संपत्ति बख्शी.फिर इन अशर्फिर्यो के बोझे को सिर पर लाड लाने से भी मुझे बारी रखा कैसी रहमत ?

आज का पंचांग 26 june 2018

.           ।। 🕉 ।।
   🌞 *सुप्रभातम्* 🌞
««« *आज का पंचांग* »»»
कलियुगाब्द................5120
विक्रम संवत्...............2075
शक संवत्..................1940
रवि.......................उत्तरायण
मास............................ज्येष्ठ
पक्ष............................शुक्ल
तिथी.......................त्रयोदशी
प्रातः 06.22 पर्यंत पश्चात चतुर्दशी
सूर्योदय...........05.47.12 पर
सूर्यास्त............07.11.26 पर
सूर्य राशि....................मिथुन
चन्द्र राशि...................वृश्चिक
नक्षत्र......................अनुराधा
प्रातः 07.00 पर्यंत पश्चात ज्येष्ठा
योग.............................शुभ
रात्रि 12.46 पर्यंत पश्चात शुक्ल
करण..........................तैतिल
संध्या 07.17 पर्यंत पश्चात गरज
ऋतु............................ग्रीष्म
दिन........................मंगलवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :- 
26 जून सन 2018 ईस्वी |

☸ शुभ अंक.............8
🔯 शुभ रंग...........काला

👁‍🗨 *राहुकाल* :
दोप 03.48 से 05.29 तक ।

🚦 *दिशाशूल* :-
उत्तरदिशा - यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 09.07 से 10.48 तक चंचल
प्रात: 10.48 से 12.28 तक लाभ
दोप. 12.28 से 02.09 तक अमृत
दोप. 03.49 से 05.30 तक शुभ
रात्रि 08.30 से 09.49 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्र* :-
|| ॐ विनायकाय नमः ||

🎙 *संस्कृत सुभाषितानि* :-
अहं च त्वं च राजेन्द्र लोकनाथौ उभावपि ।
बहुव्रीहिरहं राजन् षष्ठीतत्पुरूषो भवान ॥
अर्थात :-
एक भिखारी राजा से कहता है, “हे राजन्, मै और आप दोनों लोकनाथ है । बस फर्क इतना है कि मै बहुव्रीही समास हूँ तो आप षष्ठी तत्पुरूष हो ।।

🍃 *आरोग्यं :-*
*मुँहासे हटाने के आयुर्वेदिक उपचार*

*1. तुलसी और हल्दी -*
तुलसी शरीर को फ्री रेडिकल्स से आपको बचाता है, तुलसी की पत्तियों के साथ-साथ इसका तेल प्राचीन काल से भारतीय महिलाओं के सौंदर्य उत्पाद में उपयोग किया जाता रहा है। वहीं हल्दी एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है और त्वचा के लिए इसके बहुत ही लाभ है। मुँहासे हटाने के लिए आप फूड प्रोसेसर में तुलसी की 20 पत्तियां और दो चम्मच हल्दी डालें और इसे अच्छी तरह से पीस लें। सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात्रि के भोजन से पहले आप इसका सेवन कीजिए।

*2. लौकी और नमक -*
विटामिन सी और जिंक से भरपूर लौकी समय से पहले उम्र बढ़ने से निपटने में मदद करता है और चेहरे पर दिखाई देने वाली झुर्रियों को रोकता है। लौकी त्वचा को ठंडा करता है और आपके सिस्टम को साफ करता है, जिससे पाचन और मलत्याग में सुधार होता है। यह आपको बेहतर नींद में भी मदद करता है। इसके लिए आप लौकी को छिल लीजिए और उसे छोटे टुकड़ों में काट लीजिए। फिर इसे अच्छी तरह से फूड प्रोसेसर में ब्लेंड कर लीजिए। अगर जरूरत हो तो इसमें थोड़ा पानी डाल दीजिए। इसमें थोड़ा नमक डालिए और इसे पीजिए। पिंपल्स हटाने के लिए आप इसका सेवन नियमित रूप से कर सकते हैं।

⚜ *आज का राशिफल* :-

🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
कुसंगति से बचें। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में लापरवाही न करें। वाणी पर नियंत्रण रखें।

🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।

👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें।

🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। निवेश व नौकरी लाभप्रद रहेंगे।

🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
शोक संदेश मिल सकता है। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। दौड़धूप अधिक व लाभ कम होगा।

👱🏻‍♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
धन प्राप्ति सुगम होगी। मेहनत का फल कम मिलेगा। कार्य की प्रशंसा होगी। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार मिलेगा। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें।

🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। अपेक्षित कार्यों में बाधा होगी। तनाव रहेगा। लाभ कम रहेगा।

🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
रुका हुआ धन प्राप्त होगा। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि होगी।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
नए अनुबंध होंगे। योजना फलीभूत होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।

🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। अध्यात्म में रुचि रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।

☯ आज मंगलवार है अपने नजदीक के मंदिर में संध्या 7 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें |

।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।

🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩

इतने महान् सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए

*बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष राज किया। हुमायूं को ठोक पीटकर भगा दिया। मुग़ल साम्राज्य की नींव अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब आते आते उखड़ गया।*
*कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है....*
*मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा....!*

*अब इस स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, विज्ञापनों में गीत, ....इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही है।*

*जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था।*
*अब जरा विचार करें..... क्या भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्ष पर्यन्त राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?*
*अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्ष तक टिका रहा। हीरे माणिक्य की हम्पी नगर में मण्डियां लगती थीं।महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने । 5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष , 10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक , 9 नन्दों ने 100 वर्षों तक , 12 मौर्यों ने 316 वर्ष तक , 10 शुंगों ने 300 वर्ष तक , 4 कण्वों ने 85 वर्षों तक , 33 आंध्रों ने 506 वर्ष तक , 7 गुप्तों ने 245 वर्ष तक राज्य किया ।*
*फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था । इतने महान् सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए ।*

*उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर हो जाता है। सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं।*
*वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का मल भक्षण कर, जो उल्टियाँ की उसे ज्ञान समझ चाटने वाले चाटुकारों...!*
*तुम्हे धिक्कार है !!!*

*यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।*

एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है। महाराणा प्रताप के स्थान पर अत्याचारी व अय्याश अकबर को महान होना लिख दिया है। अब यदि इतिहास में हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो कांग्रेस शिक्षा के भगवा करण करने का आरोप लगाती है।

*नोट : दबाकर कॉपी-पेस्ट करें.... ताकी इस आलेख का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सके !*
*जय हिंदू राष्ट्र*

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