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सोमवार, 16 जनवरी 2023
भाषा की दरिद्रता : नाम हिन्दूओं के एक बहुत बड़े वर्ग को न जाने हो क्या गया है?
कीकर और बबूल का गोंद सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है।
कहा जाता हैं कि सर्दियों में गर्म तासीर वाली चीजें खानी चाहिए, इससे ठंड नहीं लगती है और सीजनल बीमारियां भी दूर रहती हैं। यही वजह है कि सर्दियों में लहसुन,अदरक और काली मिर्च का खूब सेवन किया जाता है। सर्दियों में तो गोंद के लड्डू भी बड़े चाव से खाए जाते हैं। बबूल गोंद को अक्सर लोग साधारण पेड़ समझ लेते हैं, लेकिन इसके हर हिस्से का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवा और घरेलू उपचार में किया जाता है। लेकिन गोंद सेवन से आपकी ढलती उम्र में भी कमसिन नजर आएंगे। ये चीज है बबूल की गोंद, बबूल के तने को चीर लगाने पर जो रस निकलता है। वो सूखने पर ठोस और भूरा हो जाता है, इसे ही गोंद कहते हैं। लेकिन यह भी जानने की जरूरत है कि हर पेड़ का गोंद खाने लायक नहीं होता। कीकर और बबूल का गोंद सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। मार्केट में आपको खाने वाला गोंद आसानी से मिल जाएगा।
गोंद खाने का तरीका:
बबूल का एक चम्मच गोंद मिश्री मिले दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत का संचार होता है, बबूल की गोंद को मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक हो जाती है, बबूल की गोंद, फली और छाल को बराबर मात्रा में लेने से कमर दर्द से छुटकारा मिलता है।
-सर्दियों में गोंद का सेवन दिमागी तरावट और जोड़ों में दर्द व जोड़ों की अन्य समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।
-गोंद खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सुधरती है। इसीलिए सर्दियों में गोंद के लड्डू खाए जाते हैं।
गोंद में बहुत औषधीय गुण होते हैं साथ ही ये रक्त को शुद्ध करता है,जिससे कील मुंहासे आदि से छुटकारा मिल जाता है।
-गोंद हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। यह डिप्रेशन से भी बचाव करता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
-गोंद स्किन के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह एक स्किन केयर एजेंट के तौर पर काम करता है।
-जिन लोगों को फेफड़ों से संबंधित समस्या है, कमजोरी और थकान महसूस होती है, उन लोगों के लिए गोंद बड़े ही काम की चीज है।
स्त्रियों के लिए शारीरिक थकावट और बदन दर्द दूर करने का एक सामान्य परंतु कारगर तरीका
स्त्रियों के लिए बड़ी अजीब सी बात है कि दिन भर खटने के बाद जब महिलाए रात में बिस्तर पर पहुंचती हैं तो आधे घंटे तक दर्द से कराहती रहती हैं ।
इसके कई कारण हैं ।
1 युवावस्था में दो फुल्के खाकर काम चला लेना ।
2 जंक फ़ूड ज्यादा मात्रा मे सेवन करना।
4 पानी बहुत कम पीना ।
5 छोटी छोटी बीमारियों को नज़रअंदाज करना ।
5 कास्मेटिक्स का ज्यादा मात्रा में प्रयोग करना ।
6 खान-पान मे लापरवाही करना ।
शारीरिक थकावट और बदन दर्द दूर करने का एक सामान्य परंतु कारगर तरीका :-
एक किलो मेथी दाने घी में भूनकर पीस लीजिए । अब इसमें 250 ग्राम बबूल का गोंद घी
में भून कर और पीस कर मिला दीजिए । सुबह शाम 1-1 चम्मच यानी 5-5 ग्राम पानी से निगल लीजिए । जब तक यह पूरी दवा खत्म होगी आप अपने आपको अधिक सुन्दर,
ताकतवर महसूस करेंगी । पूरे बदन में दर्द का कहीं नामोनिशान नहीं रहेगा और एक नयी
स्फूर्ति का अनुभव होगा ।
मातृभूमि से बढ़कर कोई और देश नही हो सकता,भारत मे जो अपनापन है वो किसी भी देश मे नही मिल सकता।
डा. मीनाक्षी दो साल बाद लंदन से भारत लौटी हैं। वहाँ हर तरीके से सब कुछ बढ़िया होते हुए भी वो चैन से नही थी। विदेशी भूमि को उनका परिवार कभी अपना नहीं पाया। अब पटना लौट कर चैन की सांस आई है।
दीपावली की कुछ शॉपिंग करने अपने प्रिय पटना मार्केट आई थीं।
तभी एक संभ्रांत महिला ने टोका, "मैडम, बहुत दिनों के बाद देखा आपको। आप शायद इंग्लैंड चली गई थीं...कितने दिनों के लिए आई हैं"।
वो बहुत अभिभूत सी थीं। वहां लंदन में कोई पहचानता भी नही था...किसी को किसी से कोई मतलब ही नही होता था और यहाँ इस महिला ने देखते ही पहचान लिया और रोक कर स्नेहप्रदर्शन भी किया। उन्होने भी उतनी ही कोमलता से उस महिला से बात की।
अभी थोड़ा आगे बढ़ी ही थीं कि एक बड़े साड़ी शोरूम से एक सज्जन निकले और उनका अभिवादन किया,
"आप मैडम मीनाक्षी! बहुत दिनों के बाद दिखाई दी हैं। कहां रही इतने दिन?"
वो भी राकेश बाबू को पहचान कर बड़ी खुश हो गई, "अरे भाईसाहब, आपने हमें पहचान लिया। हमारी ननद के विवाह की काफ़ी खरीदारी आपके यहां से ही तो की गई थी"।
वो भी बहुत आत्मीयता से बोले, "जी बिल्कुल याद है। आपने तो मेरे पोते को नया जीवन दिया था। मेरा परिवार तो आपका सदा ही ऋणी रहेगा।"
उन्होने उनको शोरूम के अंदर आकर कॉफी़ पीने का आग्रह किया। वो उस स्नेही आग्रह को ठुकरा नहीं सकीं...सारे कामों की लिस्ट उनके मन में उछलकूद मचा रही थी पर उस स्नेह...उस आत्मीयता... उस प्यार भरी मनुहार को कैसे टाल दें जिसके लिए वहाँ सुदूर इंग्लैंड में वो हर पल...हर क्षण तड़पती रही थीं।
कॉफी़ पीते पीते उन्हें बुआजी की याद आ गई। आज सुबह ही तो वो कितना अचरज कर रही थी, "अरे मीनू, इतना बढ़िया जॉब, इतना ठाठबाट... सबसे बढ़ कर इतना सुंदर देश...सब छोड़छाड़ कर तुम लोग यहाँ वापस कैसे आ गए? जो एक बार जाता है.. बस वहीं का होकर रह जाता है।"
उस समय तो वो सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई थीं पर अब बुआजी की बात का...उनके अचरज का जवाब देने का मन हो रहा था...देखिए बुआजी... यही अपनापन...यही अपनी पहचान ...जो शायद वहां की चमकदमक में कहीं ओझल सी हो गई थी...वहाँ की सुंदर राजसी सड़कों पर कोई पहचानने वाला नहीं था...यहाँ तो कदम कदम पर अपने लोग हैं...अपनापन है।
उसके बाद डॉ मीनाक्षी ने मुड़कर लंदन नही देखा और यही रख कर लोगो का कम पैसे में इलाज किया ताकि जरूरतमन्दों का सफल इलाज कर सकें।
💐💐शिक्षा💐💐
दोस्तों, अपनी मातृभूमि से बढ़कर कोई और देश नही हो सकता,भारत मे जो अपनापन है वो किसी भी देश मे नही मिल सकता।
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