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सोमवार, 27 मार्च 2023

एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!जिसे केवल 1 वोटों से संसद भवन में गिरा दिया गया था!


एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!
जिसे केवल 1 वोटों से संसद भवन में गिरा दिया गया था!
और इटली की शातिर महिला गुलाबी होंटों से मंद मंद मुस्करा रही थी,  वाजपेयी हाथ हिला हिला कर अपनी शैली मे व्यस्त थे!
जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही,वो राम के बताये मार्गपर चलती रही।
मर्यादा, नैतिकता, और शुचिता, इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी

फिर होता है नरेन्द्र मोदी  का पदार्पण! ........मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा को मोदी जी, कर्मयोगी श्री कृष्ण की राह पर ले आते हैं !
श्री कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। ...........छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से , अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है!

इसीलिए वो अर्जुन को केवल कर्म करने की शिक्षा देते हैं !


बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं ! इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें! .........केवल ये देखें कि अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी ?

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा: पार्थ, देख क्या रहे हो ? ......इसे समाप्त कर दो!

संकट में घिरे कर्ण ने कहा: यह तो अधर्म है !

भगवान श्री कृष्ण ने कहा: अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले, और द्रौपदी को भरे दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें करना शोभा नहीं देता है !!

आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रहा है, तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं !

विश्वास रखो, महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था ! आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा !
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !

चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है!

साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, 
जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं !

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं !

उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है !
धर्म की जय हो अधर्मी का नाश हो🚩
प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो वसुधैव कुटुंबकम
 हर हर महादेव जय महाकाल🚩

कांग्रेस और हिंदुत्व**इतने के बाद भी हिन्दू कांग्रेस को नहीं समझ सके*

*कांग्रेस और हिंदुत्व*

*इतने के बाद भी हिन्दू कांग्रेस को नहीं समझ सके*




अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950) 
एचआरसीई अधिनियम (1951) 
एचसीबी एमपीएल (1956) 
धर्मनिरपेक्षता (1975) 
अल्पसंख्यक अधिनियम (1992) 
पीओडब्ल्यू अधिनियम (1991) 
वक्फ अधिनियम (1995) 
राम सेतु हलफनामा (2007) 
भगवा आतंकवाद (2009) 

अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया 

उन्होंने अनुच्छेद 28 में हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली 

लेकिन अनुच्छेद 30 में मुस्लिम और ईसाई को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी 

उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 बनाकर हिंदुओं से सभी मंदिर और मंदिरों का पैसा छीन लिया जो सरकारी खजानें में जाता है  

उन्होंने हिंदु बहुविवाह को समाप्त कर दिया तलाक कानून, 

हिंदू कोड बिल के तहत दहेज कानून द्वारा परिवारों को नष्ट कर दिया 

लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीया कानुन) को हाथ नहीं लगाया। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या में वृद्धि करते रहें 
1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सके 

उन्होंने आपातकाल लगाया और जबरदस्ती संविधान में *सेकुलरिज्म* शब्द जोड़ा और जबरन भारत को *धर्मनिरपेक्ष* बना दिया 

लेकिन कांग्रेस यहीं नहीं रुकी। 

1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम लाए और मुस्लिम को अल्पसंख्यक घोषित किया, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक अल्पसंख्यक नहीं हो सकते है 

उन्होंने अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत मुसलमानों को छात्रवृत्ति, सरकारी लाभ जैसे विशेष अधिकार दिए 

1992 में, उन्होंने हिंदुओं को कानूनी तरीके से अपने मंदिरों को वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा हिंदुओं से 40000 मंदिरों को छीन लिया

कांग्रेस यहीं नहीं रुकी 1995 में ,

उन्होंने वक्फ बोर्ड एक्ट द्वारा मुस्लिम को किसी भी जमीन पर दावा करने, किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दिया और मुस्लिम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया। 

और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 था जब कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को आतंकवादी धर्म घोषित किया वहीं कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी भी इस्लामिक आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया 

कांग्रेस धीरे-धीरे बहुत चालाकी से हिंदुओं से एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते गए और अब हिंदू पूरी तरह से नग्न हो गए हैं 
और मजेदार बात यह है कि अधिकांश हिंन्दुओं को इस छल कपट का पता भी नहीं है और कुछ को इन बातों का ज्ञान है पर पदलोभ और मुफ्तखौरी के कारण शतुर्मुर्ग की तरह अपना सर जमीन में गाडे़ हुए है  |

उनके पास अपना मंदिर नहीं है, उनके पास उनकी धार्मिक शिक्षा व्यवस्था नहीं है, उनके बाप दादा की पुश्तेनी जमीन उनकी स्थायी नहीं है। 

और वे सवाल भी नहीं पूछते हैं क्यों मस्जिद और चर्च मुक्त हैं लेकिन मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं 

सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसा, कॉन्वेंट मिशनरी स्कूल क्यों हैं लेकिन सरकार द्वारा वित्त पोषित गुरुकुल नहीं? 

वक्फ अधिनियम क्यों है लेकिन हिंदू भूमि अधिनियम नहीं? 

 मुस्लिम पर्सनल लाॕ बोर्ड क्यों है लेकिन हिंदू पर्सनल लाॕ बोर्ड नहीं? 
एक देश में दो कानुन क्युं ?

अगर भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो बहुसंख्यक अल्पसंख्यक क्यों है? 

स्कूलों में रामायण महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती? 

औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियम, बिल का इस्तेमाल किया 

और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने किया। 

और फिर मीडिया है। 
अगर कोई इन सवालों को पूछने की कोशिश करता है, तो उसे सांप्रदायिक, भगवा आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है 
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कहा जाता है 

*याद रखें कि इसमें सिर्फ 80 साल लगे शक्तिशाली रोमन धर्म का गिरना ।*
*हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए। कोई बाहरी ताकत उन्हें पराजित नहीं कर सकती थी, वे अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन एन द्वारा ईसाई धर्म से आंतरिक रूप से हार गए थे।*

शनिवार, 25 मार्च 2023

विनायक चतुर्थी आज

विनायक चतुर्थी आज
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विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से गणेश जी की भक्ति करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम या पूजा पाठ के समय सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है। हिंदू पंचांग की प्रत्येक मास की चतुर्थी को भगवान गणेश का व्रत किया जाता है। ये दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बहुत शुभ होता है। इस दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। मान्यता है विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणपति भगवान की विशेष कृपा मिलती है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि
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शनिवार, 25 मार्च 2023
चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 24 मार्च 2023 को शाम 5:00 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त : 25 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 23 मिनट पर

विनायक चतुर्थी की पूजन विधि 
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें ,भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें ।
भगवान गणेश के समक्ष धूप ,दीप , फल ,फूल अर्पित करें।
गणेश जी को दूर्वा अति प्रिय होती है , गणपति को दूर्वा अर्पित करें
गणेश जी को लड्डू, मोदक और मिष्ठान का भोग लगाए ।
विनायक चतुर्थी की कथा पढ़े और गणेश जी की आरती करें।

विनायक चतुर्थी की कथा
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पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है जब भगवान शंकर तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। वहां पर माता पार्वती ने भगवान शिव से समय व्यतीत करने के लिये चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शिव चौपड़ खेलने के लिए तैयार तो हो गए, लेकिन इस खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए कोई नही था ।भगवान शिव ने आस पास देख तो कुछ घास के तिनके पड़े हुए थे। भगवान शिव ने कुछ तिनके इकट्ठे किए और उसका एक पुतला बना दिया । उसकी प्राण-प्रतिष्ठा कर दी और पुतले से कहा- 'बेटा, हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, परंतु हमारी हार-जीत का फैसला करने वाला कोई नहीं है इसीलिए तुम ही बताना कि हम दोनों में से कौन हारा और कौन जीता?'

उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का चौपड़ खेलने लगे ।दोनो ने यह खेल 3 बार खेला और संयोग से तीनों बार माता पार्वती जीत गई। खेल समाप्त होने के बाद जब बालक से हार-जीत का फैसला करने के लिए कहा गया, तो उस बालक ने कहा कि चौपड के खेल में भगवान शिव जीते हैं ।
बालक की यह बात सुनकर मां पार्वती को गुस्सा आया।उन्होंने बालक को अपाहिज रहने के श्राप दे दिया। यह सुनकर बालक को बहुत दुख हुआ उसने माता पार्वती से माफी मांगी और कहा कि यह हे मां पार्वती मुझसे गलती से अज्ञानतावश ऐसा हुआ है,ये मैंने किसी द्वेष भाव में नहीं किया।

बालक द्वारा क्षमा मांगने पर माता ने कहा श्राप तो वापिस नहीं हो सकता लेकिन इसका पश्चाताप हो सकता है। तुम ऐसा करना 'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम गणेश व्रत करो, ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे।' यह कहकर माता पार्वती शिव के साथ कैलाश पर्वत पर चली गईं।
जब उस स्थान पर नागकन्याएं आईं, तब बालक ने उनसे श्री गणेश के व्रत की विधि पूछी । उस बालक ने 21 दिन तक लगातार गणेशजी का व्रत किया। उसकी यह श्रद्धा से गणेशजी प्रसन्न हो गए। उन्होंने बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा।
उस पर उस बालक ने कहा- 'हे विनायक! मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं।
भगवान गणेश बालक को यह वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर पहुंच गया और कैलाश पर्वत पर पहुंचने की अपनी कथा उसने भगवान शिव को सुनाई।
चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती शिवजी से भी विमुख हो गई थीं अत: देवी के रुष्ट होने पर भगवान शिव ने भी बालक के बताए अनुसार 21 दिनों तक श्री गणेश का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती के मन से भगवान शिव के लिए जो नाराजगी थी, वह समाप्त हो गई।
मान्यता है कि जो भी भगवान गणेश की आराधना करता है उसके सारे दुख दूर होते हैं।

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व 
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हिंदू धर्म में गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है उनके बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी तिथि पर उनकी पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। विनायक चतुर्थी का व्रत करने से गणेश जी का आशीर्वाद मिलता है। जो महिला विनायक चतुर्थी का व्रत करती है उसे कभी संतान दुख नहीं होता। भगवान गणेश की कृपा से उसके सारे दुख दूर होते हैं।

गुरुवार, 23 मार्च 2023

गणगौर व्रत आज

गणगौर व्रत आज
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हिन्दू धर्म में पति की लंबी आयु और संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं कई व्रत रखती हैं।

हिन्दू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनेकों व्रतों का पालन करती हैं जिनमें से कुछ नियमित होते हैं तो कुछ विशेष स्थान रखते हैं। खास व्रतों की इसी सूची में से एक है गणगौर का व्रत। 

इस साल गणगौर 24 मार्च, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। गणगौर के दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पड़ रही है। तृतीया तिथि का शुभारंभ 23 मार्च, दिन गुरुवार (गुरुवार के दिन न करें इन चीजों का दान) को शाम 6 बजकर 20 मिनट से होगा वहीं, इसका समापन 24 मार्च को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल गणगौर का व्रत मार्च की 24 तारीख को रखा जाना है।

गणगौर का महत्व
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गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। गण का अर्थ है भगवान शिव और गौर का अर्थ है माता गौरा अर्थात मां पार्वती। गणगौर के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमाएं अपने हाथों से बनाती हैं और फिर उनका श्रृंगार कर उनकी पूजा करती हैं।

गणगौर के व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस व्रत का पालन महिलाएं अपने पति से छुपकर करती हैं। गणगौर का व्रत सिर्फ विवाहित ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। गणगौर का पर्व मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है। मान्यता है कि गणगौर का व्रत रखने से मन चाहा वर प्राप्त होता है और शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभग्य मिलता है।

गणगौर की पूजा सामग्री
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गणगौर की पूजा में लकड़ी का साफ़ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, दीपक, गमले, कुमकुम (कुमकुम को पैरों में लगाने के लाभ), अक्षत, सुहाग से जुड़ी चीज़ें जैसे: मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, काजल, रंग, शुद्ध और साफ़ घी, ताजे फूल, आम के पत्ते, पानी से भरा हुआ कलश, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, घेवर, हलवा, चांदी की अंगुठी, पूड़ी आदि का प्रयोग किया जाता है।

गणगौर की पूजा विधि
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प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
स्नान के पश्चात अगर आप विवाहिता हैं तो अपना पूर्ण श्रृंगार करें।
अगर आप अविवाहित हैं तो बस स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
श्रृंगार कर एक लोटे में ताजा जल भरें। उस जल में फूल और दूब मिलाएं।
साथ ही किसी स्वच्छ बगीचे से कंकड़-पत्थर रहित मिट्टी घर लाएं।
उस साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को साथ में स्थापित करें।
अब गणगौर को सुंदर वस्त्र पहनाकर रोली, मोली, हल्दी, काजल, मेहंदी आदि सुहाग की चीजें अर्पित करें।
गणगौर का को वस्तुएं अर्पित करते हुए गीत गाएं।
घर की दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी व काजल की लगाएं।
एक थाली में जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार करें।
दोनों हाथों में दूब लेकर सुहागजल से गणगौर को छींटे लगाएं।
बाद में महिलाएं खुद के ऊपर भी इस जल को छिड़कें।
आखिर में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनें।
शाम के समय गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में विसर्जित कर दें।

गणगौर व्रत की पावन कथा
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मान्यता के अनुसार एक बार माता पार्वती, भगवान शिव और नारद मुनि किसी गांव में गये थे। गांव के लोगों को जब यह बात पता चली कि उनके गांव में स्वंय देवता पधारे हैं, तो उन्होंने भगवान को प्रसन्न करने के लिए पकवान बनाने शुरू कर दिए। इसी प्रक्रिया में गांव की अमीर महिलायें भगवान को प्रसन्न करने के लिए पकवान बनाने लगी, जबकि गरीब महिलाओं ने भगवान को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

गरीब महिलाओं की सच्ची आस्था को देख कर माता पार्वती ने उन्हें सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। तभी दूसरी तरफ से अमीर घरों की महिलायें पकवान लेकर भगवान के पास पहुंचती हैं, जिसके बाद सभी महिलायें मां पार्वती से पूछती हैं कि अब आप हमें क्या आशीर्वाद प्रदान करेंगी। ऐसे में माता पार्वती उनसे कहती हैं कि जो भी महिला उनके लिए सच्चे मन से आस्था लेकर आयी है, उन सभी के पात्रों पर माता के रक्त के छींटे पड़ेंगे। इसके बाद माता पार्वती ने अपनी ऊंगली काटकर अपना थोड़ा-सा लहू उन महिलाओं के बीच छिड़क दिया, जिससे उन महिलाओं को निराश होकर घर वापस जाना पड़ता है, जो मन में किसी भी तरह का लालच लेकर भगवान से मिलने आयीं थीं।

गणगौर व्रत को अपने पति से गुप्त क्यों रखा जाता है?
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इसके बाद देवी पार्वती, भगवान शिव और नारद मुनि को वहीं छोड़ कर नदी में स्नान करने के लिए चली जाती हैं। वहां नदी के तट पर माता भगवान शिव की रेत की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करती हैं और उन्हें रेत के लड्डू का भोग लगाती हैं। जब वो वापस पहुंचती हैं, तो भगवान शिव उनसे देर से आने की वजह पूछते हैं। तब माता पार्वती उन्हें बताती हैं कि नदी से लौटते हुए उनके कुछ रिश्तेदार मिल गए थे, जिन्होंने उनके लिए दूध भात बनाया था, उसी को खाने में उन्हें विलम्ब हो गया। लेकिन शिव जी तो अन्तर्यामी ठहरे। उन्हें सारी बात पता थी इसलिए वो देवी पार्वती के रिश्तेदारों से मिलने की इच्छा जताते हैं। तब माता पार्वती अपनी माया से वहां एक महल का निर्माण कर देती हैं, जहां भगवान शिव और नारद मुनि की खूब आवभगत की जाती है। 

भगवान शिव और नारद मुनि वहां से प्रसन्न होकर लौट रहे होते हैं तब भगवान शिव नारद मुनि से कहते हैं कि वे अपनी रुद्राक्ष की माला वहीं महल में भूल गए हैं, इसलिए नारद मुनि वापस जाकर उनके लिए वह माला ले आएं। नारद मुनि वहां पहुंचते हैं, तो वहां उन्हें कोई महल नहीं मिलता और भगवान शिव की माला उन्हें एक पेड़ की टहनी पर टंगी हुई दिखती है। जब नारद मुनि भगवान शिव को यह बात बताते हैं, तो भगवान शिव मुस्कुराते हुए नारद मुनि को देवी पार्वती की माया के बारे में बताते हैं। बस इसी के बाद से गणगौर पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गयी, जहां पत्नी अपने पति को देवताओं की पूजा के बारे में कोई जानकारी नहीं देती।


बुधवार, 22 मार्च 2023

चेटीचंड पर्व आज

चेटीचंड पर्व आज
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चेटीचंड सिंधी समुदाय की ओर से मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व सिंधी समाज के आराध्य देवता भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे झूलेलाल जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार के साथ ही सिंधी नव वर्ष की शुरुआत होती है। चेटी चंड पर्व चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस मौके पर सिंधी समाज के लोग जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए वरुण देवता की पूजा करते हैं। क्योंकि भगवान झूले लाल को जल देवता का अवतार माना जाता है। चेटी चंड पर्व अब धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है बल्कि सिंधु सभ्यता के प्रतीक के तौर पर भी जाना जाने लगा है।

चेटीचंड का मुहूर्त
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मार्च 22, 2023 को 20:23:34 से द्वितीया आरम्भ।

मार्च 23, 2023 को 18:23:22 पर द्वितीया समाप्त।

चेटीचंड की पूजा विधि
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चेटी चंड के अवसर पर सिंधी समुदाय द्वारा भगवान झूले लाल की शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसके अलावा इस दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

1.  चेटी चंड की शुरुआत सुबह टिकाणे (मंदिरों) के दर्शन और बुज़ुर्गों के आशीर्वाद से होती है।
2.  चेटी चंड के दिन सिंधी समाज के लोग नदी और झील के किनारे पर बहिराणा साहिब की परंपरा को पूरा करते हैं। बहिराणा साहिब, इसमें आटे की लोई पर दीपक, मिश्री, सिंदूर, लौंग, इलायची, फल रखकर पूजा करते हैं और उसे नदी में प्रवाहित किया जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य है, मन की इच्छा पूरी होने पर ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना और जलीय जीवों के भोजन की व्यवस्था करना।
3.  इस मौके पर भगवान झूले लाल की मूर्ति पूजा की जाती है। पूजन के दौरान सभी लोग एक स्वर में जय घोष करते हुए कहते हैं ‘’चेटी चंड जूं लख-लख वाधायूं’’ ।
4.  चेटी चंड के मौके पर जल यानि वरुण देवता की भी पूजा की जाती है। क्योंकि भगवान झूले लाल को जल देवता के अवतार के तौर पर भी पूजा जाता है। इस दिन सिंधु नदी के तट पर ‘’चालीहो साहब’’ नामक पूजा-अर्चना की जाती है। सिंधी समुदाय के लोग जल देवता से प्रार्थना करते हैं कि वे बुरी शक्तियों से उनकी रक्षा करें।
5.  चेटी चंड के मौके पर सिंधी समाज में नवजात शिशुओं का मंदिरों में मुंडन भी कराया जाता है।

चेटीचंड से जुड़ी पौराणिक कथा
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चेटी चंड पर्व सिंधी नववर्ष का शुभारंभ दिवस है। इसी दिन विक्रम संवत 1007 सन 951 ईस्वी में सिंध प्रांत के नरसपुर नगर में भगवान झूले लाल का जन्म रतन लाल लुहाना के घर माता देवकी के गर्भ से हुआ था। भगवान झूले लाल को लाल साईं, उडेरो लाल, वरुण देव और ज़िंदा पीर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान झूले लाल ने धर्म की रक्षा के लिए कई साहसिक कार्य किये। भगवान झूलेलाल ने हिंदू-मुस्लिम की एकता के बारे में अपने विचार रखे और एक ईश्वर के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘’ईश्वर एक है और हम सब को मिलकर शांति के साथ रहना चाहिए’’। इस वजह से भगवान झूले लाल की वंदना हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय करते हैं।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

What happens if you do not link your Aadhaar and PAN?

*What happens if you do not link your Aadhaar and PAN?*

If you fail to link Aadhaar and PAN within the due date, you may have to face the below-mentioned consequences:

1.  PAN becomes inoperative
If an individual does not link PAN to Aadhaar within the due date, his/her PAN will become inoperative. Once PAN becomes inoperative, it will not be possible to furnish, intimate, or quote the PAN number anywhere. This may further result in:
•  Higher tax rate applied for income tax purposes
•  Higher TDS collection 
•  Inability to file income tax returns, which can further attract interest, penalty and even prosecution as a result of not furnishing details of income generated
•  Penalty for not quoting PAN during certain financial transactions

1) Link to Check PAN Aadhar Linking Status::

https://www.pan.utiitsl.com/panaadhaarlink/forms/pan.html/panaadhaar


2)Link to Link PAN & Aadhar with Charges:

https://eportal.incometax.gov.in/iec/foservices/#/pre-login/bl-link-aadhaar

*If your PAN & Aadhar is Linked then no need to go for 2nd link..*

www.sanwariyaa.blogspot.com

सोमवार, 20 मार्च 2023

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कैलाश चन्द्र लढा

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फूलन देवी के कंधे पर बंदूक रख कर हिन्दु को तोड़नें वाले बौद्धिक डकैतो का नंगा सच !

 फूलन देवी के कंधे पर बंदूक रख कर हिन्दु को तोड़नें वाले बौद्धिक  डकैतो का नंगा सच !

राई का पहाड़ ~
♦️आप फूलन देवी पर कुछ तथ्य जानिए और आप चाहे तो जालौन जिले में फूलन देवी के गांव जाकर इन तथ्यों को पता कर सकते हैं कि फूलन देवी पर जुल्म किसने किए है

इसके सगे चाचा ने इसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था..10 साल की उम्र में इसने अपनी मां से पूछा की मां हमारे चाचा के पास हमसे ज्यादा जमीन क्यों है तब इसकी मां ने बताया कि उन्होंने हमारी जमीन पर जबरदस्ती हथिया ली है क्योंकि उनके लड़के हमसे ताकतवर हैं

तब ये 9 साल की उम्र में अपने चाचा का सर फोड़ दी थी क्योंकि यह एक बच्ची थी इसलिए कोई पुलिस केस नहीं हुआ था।

♦️10 साल की उम्र में फूलन देवी के बाप ने इसे एक 45 साल के बूढ़े को ₹3000 में बेच दिया था इसका बूढ़ा पति भी इसी के जाति का था और इसके ऊपर बहुत अत्याचार करता था।
♦️एक दिन फूलन देवी पति के अत्याचार से तंग आकर अपने मायके आ गई.. कुछ दिन के बाद इसके भाइयों ने इसे जबरदस्ती इसके पति के घर भेज दिया वहां जाकर पता चला कि उसके पति ने कोई और महिला से शादी कर ली है फिर इसके पति और इसके पति की दूसरी पत्नी ने इसे घर से भगा दिया फिर यह वापस अपने गांव आ गई,,
 ♦️पर मायके में सगे भाइयों से इसका बहुत झगड़ा हुआ तब उसके सगे भाइयों ने इसके विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करवा दी, जिससे यह थाने में बंद हो गई तब गांव के ठाकुरों ने ही यह सोचकर इसका जमानत करवाई कि गांव की लड़की जेल में बंद हो तो यह गांव के लिए शर्मनाक बात है।

♦️एक दिन इसकी गांव में विक्रम मल्लाह नामक एक डकैत में धावा बोला और उसने फूलन देवी के साथ बलात्कार किया और विक्रम मल्लाह 4 दिन तक गांव में रुका छुपा रहा और जाते हुए वह फूलन देवी को भी अपने साथ बीहड़ में लेकर चला गया।
♦️विक्रम मल्लाह डकैतों की गैंग का सरदार नहीं था बल्कि सरदार बाबू गुर्जर था। एक दिन बाबू गुर्जर ने फूलन देवी का बलात्कार किया जिससे गुस्से में विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर की हत्या कर दी और पूरी गैंग की कमान अपने हाथ में ले लिया फूलन देवी विक्रम मल्लाह की रखैल बन गई उसके बाद फूलन देवी विक्रम मल्लाह के साथ अपने पति के गांव गई और अपने पति को और अपने पति के दूसरी पत्नी को मरणासन्न हालत तक पीटा और बीच-बचाव करने आए दो लोगों को गोली मार दी।

डकैतों के एक दूसरे गैंग का मुखिया दादा ठाकुर जो मीणा/मैना था वह बाबू गुर्जर की हत्या से विक्रम मल्लाह से नाराज था ,,ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी।

विक्रम मल्लाह की हत्या से नाराज होकर फूलन देवी ने मीणा जाति के गैंग के सदस्य ठाकुर लालाराम मीणा को मार दिया।
इससे दादा ठाकुर ने एक गांव में घुसकर मल्लाह जाति के 25 लोगों को मार दिया।

♦️फूलन देवी को शक था गांव के छत्रिय यानी ठाकुर समाज के लोग दादा ठाकुर मीणा के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उसे संरक्षण देते हैं तब उसने बेहमई गांव में एक बारात को गोलियों से भून डाला जिसमे पुरुष,महिला और बच्चे भी सम्मिलित थे और एक 6 महीने की बच्ची को उठाकर आसमान में फेंक दिया जिससे वह बच्ची जमीन पर गिरी और उसकी गर्दन की हड्डी और रीढ़ की हड्डी टूट गई वह बच्ची आज भी जिंदा है लेकिन न चल सकती है ना बैठ सकती है वह बच्ची आज एक जिंदा लाश बन कर एक युवती बन चुकी है।

यह सारे फैक्ट है:👇
📍लेकिन मीडिया ने फूलन देवी को यह कहकर हीरोइन बना दिया कि उच्च जातियों के अत्याचारों से तंग आकर फूलन देवी ने बदला लिया !

अब आप स्वयं विचार करिए कि फूलन देवी पर अत्याचार करने वाले कौन लोग थे❓

क्या फूलन देवी का पिता दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी को 45 साल के बूढ़े को बेच दिया❓

क्या फूलन देवी का चाचा दोषी नहीं है जिसने फूलन देवी के जमीन पर कब्जा किया❓

क्या फूलन देवी के सगे भाई दोषी नहीं है जो उसे बार-बार उसके अत्याचारी पति के पास छोड़ आते थे❓

क्या फूलन देवी का पति दोषी नहीं है जो उसके ऊपर अत्याचार करता था❓

क्या विक्रम मल्लाह दोषी नहीं है जिसने देवी का बलात्कार किया और उसे उठाकर बीहड़ लेकर चला गया और उसे अपराध की दुनिया में ढकेल दिया❓

फूलन देवी ने जिन 22 ठाकुरो की हत्या बेहमई गाव मे की थी उनमे से किसी का भी कभी फूलन से कोई लेना देना नही था। वे सभी एक शादी मे उस गाव मे आये थे। सिर्फ ठाकुर जाति का होने की वजह से मरे।❓

हां पर ,,गाँव के ठाकुर ही दोषी होंगे जिन्होंने फूलन को गाँव की लड़की होने के नाते ज़मानत करवा कर पुलिस कैद से मुक्त करवा ली⁉️

लेकिन दुःख है कि लोगों को यही बताया जाता है दोषी तो उच्च वर्ग के लोग हैं।

#भगवाएहिन्द 🚩🚩

लगभग 60 साल तक भारत पर राज करने वाली कांग्रेस से ये 58 सवाल पूछे जाएं :


 लगभग 60 साल तक भारत पर राज करने वाली कांग्रेस से ये 58 सवाल पूछे जाएं :

1- कितने करोड़ युवाओं को रोजगार दिया?
2- गंगा मैया इतनी गन्दी क्यों हुई?
3- बुलेट ट्रेन की परिकल्पना क्यों नहीं कर पाए?
4- विदेशों से तकनीकी भीख मांगने की जगह मेक इन इंडिया पर ध्यान क्यों नहीं दे पाए?
5- कितने दागी नेता जेल गए?
6- धारा 370 क्यों लगाई?
7- कश्मीरी पंडितों को घर से बेघर क्यों करवाया ?
8- डीजल पेट्रोल इतना महँगा क्यों हुआ?
9- मंहगाई इतनी क्यों बढ़ी?
10- लाहौर और कराची पर कब्जा क्यों नहीं कर पाए?
11- सेना को कार्यवाही की छूट क्यों नहीं दी?
12- चीन को तिब्ब्त और अरुणाचल के कुछ भागों पर कब्ज़ा क्यों करने दिया?
13- देश ईमानदार देशों की श्रेणी में आखरी नंबर पर क्यों आ गया?
14- स्टार्ट-अप जैसे आईडिया क्यों नहीं लागू कर पाए ?
15- जवानों के खाने पर क्यों नहीं ध्यान दिया?
16- बिहार में सदैव जंगल राज बना रहा और केंद्र से मिले पैसों की कितनी लूट-पाट की?
17- अलगाववादी नेताओं को इतनी सुविधाएं क्यों दी?
18- ओवैसी और वाड्रा जैसे देशद्रोही और भू-माफियाओं को जेल क्यों नहीं भेजा?
19- मोदी जी की तरह विदेशों में भारत की साख क्यों नहीं बढ़ाई ?
20- राम मन्दिर का निर्माण क्यों नहीं होने दिया?
21- गुलाबी क्रांति गौ हत्या को क्यों पनपने दिया ?
22- डॉलर का मूल्य रूपये के मुकाबले इतना क्यों बढ़ा?
23- देश में स्मार्ट सिटी का निर्माण क्यों नहीं किया?
24- सांसद निधि से कितने पिछड़े गांवों का विकास किया? कितने गाँव खुशहाल हुए?
25- महिलाओं पर अत्याचार क्यों बढ़ा?
26- बीफ एक्सपोर्ट में भारत को एक नम्बर क्यों बना दिया?
27- देश को लूट कर विदेशों में कितना काला धन जमा किया?
28- कितने गरीब लोगों की भूख से न मरने देने की व्यवस्था की?
29- आतंकवाद और नक्सलवाद को क्यों बढ़ावा दिया?
30- देश में घूसखोरी की प्रथा क्यों चालू की ?
31- देश में कितनी खुशहाली आई ?
32- देश में नदियों और शहरों में स्वच्छता अभियान क्यों नहीं चलाया ?
33.नागरिकों पर टैक्स का इतना बोझ क्यों बढ़ाया?
34. इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा क्यों दिया?
35. बैंक का अरबों डकारने वाले कितने पूंजीखोरों को जेल भेजा?
36. पार्टी के नाम पर काली कमाई वाले कितने नेता जेल गए?
37.गरीबों के लिए अच्छी शिक्षा व कम फ़ीस के कितने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल खुले?
38. हिंदी का उपयोग कितना बढ़ा?
39. सिंचाई की सुविधा कितनी बढ़ी?
40. किसानों की आत्महत्या इतनी क्यों बढ़ी?
41. परमाणु बम परीक्षण में डरते क्यों रहे?
42. 70 साल के शासन के बाद भी सबको आवास क्यों नहीं दे पाए?
43. अदालतों में केसों के ढेर क्यों लग गए, शीघ्र निस्तारण के लिए क्या किया?
44. भारत विश्वगुरू क्यों नहीं बन पाया?
45. कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं लागू कर पाए?
46. बलूचिस्तान को खुला समर्थन दे कर भारत में क्यों नहीं मिला पाए?
47. नेपाल से रिश्ते ख़राब क्यों किये?
48. देश की इकॉनोमी सब्सिडी और विदेशी कर्ज़ पर क्यों आधारित कर दी ?
49. हिन्दू तिथि से नववर्ष को सरकारी मान्यता क्यों नहीं दी?
50. रामसेतु को ऐतिहासिक स्थल क्यों नहीं बनाया?
51. संसद, विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण क्यों नहीं दिया?
52. लोकपाल क्यों नहीं नियुक्त किये ?
53. कितनी नदियों को जोड़ा गया?
54. एक परिवार के सिवाय देशवासिओं का सर्वांगीण विकास क्यों नहीं हुआ?
55. दाऊद को क्यों भारत से भागने दिया व उसे क्यों नहीं पकड़ पाए?
56.देश में तुष्टिकरण को क्यों बढ़ावा दिया?
57.मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया?
58.पाकिस्तान के आगे हमेशा घुटने क्यों टेके, सैनिकों के सर कटने के बाद भी चुप क्यों रहे???
साभार...

20 मार्च विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day ) है

 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day ) है





कैसे बुलायें इन्हें वापस—यह तो तय है कि अगर इसी रफ़्तार से इस घरेलू चिड़िया की संख्या में कमी आती रहेगी तो वह दिन दूर नहीं जब इसे भी हमें विलुप्तप्राय प्रजाति की श्रेणी में रखना पड़ेगा

🔘-अपने घर के आस-पास घने छायादार पेड़ लगायें। ताकि गौरैया या अन्य पक्षी उस पर अपना घोसला बना सकें।

🔘-सम्भव हो तो घर के आंगन या बरामदों में मिट्टी का कोई बर्तन रखकर उसमें रोज साफ पानी डालें। जिससे यह घरेलू पक्षी अपनी प्यास बुझा सके। वहीं पर थोड़ा अनाज के दानें बिखेर दें। जिससे इसे कुछ आहार भी मिलेगा। और यह आपके यहां रोज आयेगी।

🔘-बरामदे या किसी पेड़ पर किसी पतली छड़ी या तार से आप इसके बैठने का अड्डा भी बना सकते हैं।

🔘-यदि आपके घर में बहुत खुली जगह नहीं है तो आप गमलों में कुछ घने पौधे लगा सकते हैं जिन पर बैठ कर चिलचिलाती धूप या बारिश से इसे कुछ राहत मिलेगी। गमलों में लगे कुछ फ़ूलों के पौधे भी इसे आकर्षित करते हैं क्योंकि इन पर बैठने वाले कीट पतंगों से भी यह अपना पेट भरती है।

🔘-खुद भी घोसला बना सकते हैं या बाज़ार से बने घोसले भी लगा सकते हैं ।
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20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाने के पीछे दरअसल सोच ही यही थी कि न केवल प्यारी गौरैया बल्कि चिड़ियों तथा जीवों की अन्य विलुप्त हो रही प्रजातियों की तरफ़ लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके।

भौमवती अमावस्या आज भूतड़ी अमावस्या

 भौमवती अमावस्या आज
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प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। पूरे वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती हैं और सभी अमावस्या का अपना अलग महत्व है। चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। चैत्र अमावस्या को हमारे धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। हालांकि, इस दिन का हमारी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां की जाती हैं, जैसे स्नान, दान और सामग्री का दान। चैत्र अमावस्या को पितृ तर्पण जैसे अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है। लोग कौवे, गाय, कुत्ते और यहां तक कि गरीब लोगों को भी भोजन कराते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या को पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। चैत्र अमावस्या व्रत हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय उपवासों में से एक है। अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू होता है और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक चलता है। इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस तिथि का महत्व बहुत अधिक माना गया है।

भूतड़ी अमावस्या की तिथि
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चैत्र मास की अमावस्या तिथि आरंभ: 20 मार्च, रात्रि 01:47 से
चैत्र मास की अमावस्या तिथि  समाप्त: 21 मार्च रात्रि 10:53 पर।
उदयातिथि के अनुसार चैत्र अमावस्या 21 मार्च को मानी जाएगी।

अमावस्या पर बन रहे हैं शुभ योग
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चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। और इस बार मंगलवार को पड़ने के कारण यह  भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। इस दिन शुभ, शुक्ल और सिद्धि नाम के 3 शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है जो इस तिथि का महत्व और भी बढ़ा रहे हैं।

चैत्र अमावस्या क्यों कहलाती है भूतड़ी अमावस्या?
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आप सबके मन में सवाल होगा कि अमवाया तो हर महीने आती है लेकिन सिर्फ चैत्र की अमावस्या को ही भूतड़ी अमावस्या क्यों कहा जाता है। आइए आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं। दरअसल, भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां, कुछ अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं और उग्र रूप धारण कर लेती हैं। इसी उग्रता को शांत करने के लिए नकरात्मक ऊर्जा से प्रभावित लोगों को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करवाया जाता है।

क्या है इस तिथि का महत्व?
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कोई भी अमावस्या हो, इस दिन पितरों का श्राद्धकर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। चैत्र अमावस्या में भी पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन से दर्द, संकट और नकारात्मकता को खत्म करने में मदद मिलती है। पुराणों में उल्लेख किया गया है कि इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान करने से आपके पापों और बुरे कर्मों का नाश होता है।अमावस्या तिथि पर भक्त अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध आदि भी करते हैं, ऐसा करने से  पितृ दोष खत्म होता है।

भूतड़ी अमावस्या पर करें ये उपाय
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भूतड़ी अमावस्या पर छोटे-छोटे उपाय करने से पितरों की कृपा हम पर बनी रहती है।
घर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए धूप-ध्यान करें।
गाय को हरा चारा खिलाएं।
कुत्ते और कौए को रोटी खिलाएं।
संभव हो तो जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े आदि का दान करें।

रविवार, 19 मार्च 2023

हम भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, रट लीजिए* *नव वर्ष 2080,,*

*हम भूलते जा रहे हैं वैदिक कैलेंडर, रट लीजिए* *नव वर्ष 2080,,*
*जैसा की हम जानते ही है,की हमारा नववर्ष चैत्र प्रतिपदा से आरंभ होता है।।*
*1. चैत्र,,* 
*2. वैशाख,,*
*3. ज्येष्ठ,,*
*4. आषाढ़,,* 
*5. श्रावण,,* 
*6. भाद्रपद,,* 
*7. अश्विन,,*
*8. कार्तिक,,*
*9. मार्गशीर्ष,,* 
*10. पौष,,*
*11. माघ,,* 
*12. फाल्गुन,,* 
*चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को नववर्ष मानते हैं। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है।*
 *ऐसे ही बाकी महीने आते हैं,* *फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है। फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की समाप्ती हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नववर्ष आरम्भ होता है।*
*हमारे समस्त वैदिक मास ( महीने ) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं*
*जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ।*
*1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास,*
*2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास,*
*3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास,*
*4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़,*
*5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास,*
*6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद,* 
*7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास,* 
*8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास,* 
*9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास,*
*10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास,* 
*11. माघा मास से माघ मास,*
*12. पूर्वाफाल्गुनी या,* *उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।।*

शनिवार, 18 मार्च 2023

दुर्लभ वनस्पति ‘मोरपंखी/मयूरशिखा’ के औषधीय उपयोग


 दुर्लभ वनस्पति ‘मोरपंखी/मयूरशिखा’ के औषधीय उपयोग

आयुर्वेदिक वनौषधि -"मोरपंखी"

(Thuja occidentalis) आपने भी घर में कई प्रकार के पेड़ पौधे लगाए होंगे जैसे कुछ सजावट के लिहाज से कुछ धार्मिक और वास्तु महत्व होने के लिहाज से। लेकिन आज जिस पौधे के बारे में मैं बताने जा रही हूं वह औषधीय दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इसे घर में लगाने से घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा(positive energy) का प्रवाह बढ़ता है। मोरपंखी का पौधा घर में लगाना शुभ माना जाता है। लेकिन शायद हम इस बात से अनजान हैं कि मोरपंखी (Thuja occidentalis) मनुष्य के कई रोगों के उपचार में भी रामबाण औषधि है।

मोरपंखी पौधे का जिक्र हमारे शास्त्रों में भी किया गया है। ऐसी मान्यता है कि मोरपंखी पौधा लगाने से हमारे घर में छोटी-छोटी बातों पर होने वाले तनाव खत्म हो जाते हैं। ध्यान रखें जहां भी यह पौधा लगाएं वहां पर हल्की-हल्की धूप आती हो जिससे पौधे का विकास होते रहेगा।

Thuja होम्योपैथी में मस्सों या warts (जो कि एक virus 'human papilloma ' के infection से होती है) *सहित कई चर्म रोगों की अचूक दवा होने के साथ-साथ यह विधिपूर्वक प्रयोग करने पर अनेक गंभीर viral एवं असाध्य रोगों की नाशक औषधि भी है।

आइये एक नजर Thuja occidentalis से जुड़े इतिहास पर डालते हैं। अमेरिका के मूल निवासी सदियों से इस पौधे का उपयोग अनेकानेक बीमारियों के इलाज में किया करते थे। बाद में जो यूरोपीय अमेरिका में आकर बस गए वे भी इसका प्रयोग चिकित्सा में करने लगे।

अमेरिका के आदिवासी जंगलों में Thuja के पेड़ों को जलाकर घना धुंआ फैला देते थे। उनका विश्वास था कि ऐसा करने पर बुरी (Negative energy) आत्माओं द्वारा पैदा होने वाले रोग दूर हो जाते हैं। पारंपरिक रूप से मोरपंखी के नये पत्ते एवं टहनियों से बना काढ़ा बुखार खांसी-जुकाम,पेट के कीड़े,..

तथा गुप्त रोगों के लिए अत्यंत कारगर है।External use(बाहरी प्रयोग) में मोरपंखी की पत्तों को पीसकर बांधने से जलने (burns) गठिया-वात ,जोडो के दर्द,मस्सों, psoriasis आदि रोगों की चिकित्सा की जाती है।

आज जब कोरोना की महामारी से पीड़ित पूरा विश्व इस बीमारी के इलाज के लिए दिन-रात अनुसंधान में लगा हुआ है तो अचानक आज Thuja के बारे में पढ़ते हुए Thuja occidentalis के पौधे में ऐसे अनेक ऐसे गुण मिले, जो कोरोना के बचाव व इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

लगभग 2 वर्ष पूर्व Germany के वैज्ञानिकों ने Thuja occidentalis पर शोध-अनुसंधान करते हुए यह पता लगाया कि इसमें शरीर मे 'T lymphocytes' एवं

'Interleukin 2' के production को बढा कर शरीर के immune system को शक्तिशाली बनाने की चमत्कारी क्षमता है।

इसी प्रकार कुछ अन्य वैज्ञानिकों ने Thuja में सभी वनस्पतियों में से सर्वाधिक‌ Antiviral गुण होने की पुष्टि की। अतः immunity booster एवं Antiviral गुणों के होने के कारण Thuja occidentalis #corona महामारी के विरुद्ध औषधि खोजने में सफलता पूर्वक कारगर साबित हो सकता है।

मयूरपंखी का पौधा यह पौधा है मयूरपंखी का पौधा। मोर के पंखों के समान नजर आने वाले इस पौधे में आश्चर्यजनक रूप से धन के भंडार भरने की ताकत है। देश के कुछ राज्यों में इसे विद्या का पौधा भी कहा जाता है। बच्चे अपनी स्कूल की किताबों में इसकी पत्तियां इस विश्वास के साथ रखते हैं कि उससे अच्छी विद्या आती है। दरअसल विद्या का संबंध भी धन से ही है। यदि पढ़ लिखकर अच्छी विद्या हासिल कर ली तो धन आने का मार्ग खुल जाता है।

मयूरपंखी के पौधे के बारे में मान्यता है कि यह देश के बड़े अमीरों के घर के गार्डन में लगा हुआ है, जिसके कारण ही वे अमीर बने हैं। बहरहाल मान्यता जो भी हो, यह सच है कि इस पौधे में धनवान बनाने की पर्याप्त मात्रा मौजूद है। मयूरपंखी का पौधा लगाने के कुछ नियम बनाए गए हैं ताकि उसका पूर्ण शुभ प्रभाव आपको मिल सके।

मयूरपंखी का पौधा सदैव जोड़े में लगाया जाता है। यानी दो पौधे एक साथ लगाने से ही यह प्रभावकारी बनता है।
मयूरपंखी के पौधे को घर के गार्डन में या इनडोर प्लांट के रूप में घर के अंदर भी लगाया जा सकता है।
यह सजावटी पौधे के रूप में कई घरों की शोभा बढ़ाता है।
मयूरपंखी के पौधे यदि घर के अंदर लगा रहे हैं तो ऐसी जगह का चयन करें जहां से इस पर पर्याप्त धूप पड़ती हो।
इस पौधे को घर के बाहर लगा रहे हैं तो मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक सामने लगाएं।
जिन लोगों को राहु की महादशा चल रही हो उन्हें यह पौधा लगाने से पीड़ा से राहत मिलती है।
घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, पैसा ठहरता नहीं है तो मयूरपंखी का पौधा जरूर लगाएं।
किसी कारणवश यदि मयूरपंखी का पौधा सूख जाए तो उसे निकालकर फेंक दें और तुरंत दूसरा पौधा लगाएं।
मयूरपंखी के पौधे के समीप कभी भी धूप-दीप न लगाएं। इससे पौधे का विपरीत प्रभाव होता है

Morpankhi Ka Paudha – आज एक ऐसे पौधे के बारे में जानेगे जिसकी पत्तियों को कई लोगो ने बचपन में किताबो के बीच में जरूर रखा होगा। अगर आप ने भी इस पौधे की पत्तियों को कभी बचपन में अपनी किताबो की बीच में रखा है, तो जरूर बताएं। जिस पौधे के बारे में हम जानेगे उसका नाम Thuja है, इस पौधे को विद्या का पेड़ के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा Thuja Plant in Hindi को मोरपंखी के नाम से भी जानते है। तो चलिए जानते है, मोरपंखी का पौधा कैसा होता है, और मोरपंखी का पौधा कहां लगाना चाहिए इससे जुड़ी कई अन्य जानकारियां।

मोरपंखी का पौधा की जानकारी Thuja Plant in Hindi  

मोरपंखी का पौधा या विद्या का पेड़ शुरू परिवारी के शंकुधारी पेड़ो की प्रजाति से सम्बंधित है। मोरपंखी का वैज्ञानिक नाम
Platycladus Orientalis है। इसे अंग्रेजी भाषा में Thuja या Oriental Thuja, के नाम से जाना जाता है। इस जीनस में कुल पांच प्रजातियां पाए जाती है, जिसमे से तीन पूर्वी एशिया में, और दो उत्तरी अमेरिका में है। देवदार का पेड़ भी इसी प्रजाति से सम्बंधित होता है।

मोरपंखी का पौधा सदाबहार होता है, इसके ऊपर लाल और भूरे रंग की छाल होती है। इन पेड़ो की ऊंचाई लगभग 3 से 65 मीटर या इससे अधिक भी हो सकती है।

इसकी पत्तियां दोनों तरफ से प्लेन होती है, जिनकी लम्बाई लगभग 1 से 10 मिमी होती है। मोरपंखी के पौधे नर और मादा दोनों तरह के होते है। नर पोधो में शंकु छोटे होते है, और मादा पौधे का शंकु बड़ा होता है। जब पौधा लगभग एक वर्ष का होता है, तो प्रत्येक पक्ति की जोड़ी के पास एक या दो छोटे छोटे बीज होते है।

मोरपंखी Thuja की पांचो प्रजातियां सदाबहार तथा छोटे बड़े पेड़ो वाली होती है। सभी प्रजातियों में पौधों की पत्तियां चपटी पंखे की तरह होती है। इसके बीजो का रंग हल्का हरा होता है। बीज पकने के बाद काले रंग के हो जाते है। मोरपंखी को घर में लगाने के बहुत से फायदे भी होते है। इसके अलावा मोरपंखी को घर तथा बगीचों की शोभा बढ़ाने के लिए भी लगाया जाता है।

Morpankhi Plant Benefits in Hindi

मोरपंखी के फायदे Morpankhi Plant Benefits in Hindi

1. मोरपंखी का पौधा घर की शोभा बढ़ाने के साथ साथ यह कई चीजों में फायदा भी पहुँचता है। मोरपंखी के पौधे को अगर वास्तु के अनुसार लगाया जाए, तो यह घर में सुख समृद्धि का भी प्रतिक माना जाता है। तो आइये जानते है, मोरपंखी के फायदे, और इसे घर में किस दिशा में लगाना चाहिए और भी कई जानकारियां –

2. मोरपंखी के पौधे को वास्तु के अनुसार जोड़े से लगाना चाहिए। अगर विद्या के पेड़ को जोड़े से घर में लगाया जाता है, तो इससे घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा उतपन्न होती है। और यह कई परशानियों से छुटकारा दिलाता है।

3. मोरपंखी के पौधे को ज्यादातार लोग घर की शोभा बढ़ाने के लिए अपने बगीचों में लगते है। लेकिन इसके कई औषधीय गुण भी होते है। इसका उपयोग कई होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। मोरपंखी के पौधे से निकलने वाली ऊर्जा कई बीमारियों से भी बचाती है।

4. मोरपंखी के पौधे के बारे में ऐसा भी माना जाता है, की इस पौधे को घर में लगाने से घर में श्री लक्ष्मी का वास होता है। और श्री लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। अगर आपने अभी तक अपने घर में विद्या का पेड़ या मोरपंखी का पेड़ नहीं लगाया, तो कृपया इसे अपने घर में जरूर लगायें।

मोरपंखी का पौधा कहां या किस दिशा में लगाना चाहिए

  • मोरपंखी के पौधे को हमेशा घर के मुख्य द्वार पर जोड़े में लगाना चाहिए।
  • मोरपंखी के पौधे को कभी भी अकेला नहीं लगाना चाहिए।
  • यह घर को हवादार बनाने के साथ साथ नारात्मक ऊर्जा को भी घर में आने से रोकता है।
  • मोरपंखी के पौधे को कभी भी सूखने नहीं देना चाहिए।
  • जब भी विद्या के पेड़ में पानी सूखने लगे, तो तुरंत पौधे को पानी देना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार मोरपंखी के पौधे को उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए, इससे घर में श्री लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
  • मोरपंखी के पौधे को हमेशा ऐसे जगह पर लगायें जहाँ पर पौधे को पर्याप्त धुप मिल सके।


मोरपंखी का पौधा उगाने के लिए बीज को कैसे तैयार करें

  • मोरपंखी के पौधे पर गर्मियों के दिनों में बीज लगना शुरू हो जाते है।
  • इसके बाद यह अगस्त और सितम्बर के महीनो में पककर तैयार हो जाते है।
  • पकने के बाद इन बीजो का रंग काला और हल्का भूरा हो जाता है।
  • जब मोरपंखी के बीज पक जाए, तो इन्हे पौधे से तोड़ लेना चाहिए, वरना यह कुछ दिन बाद पौधे पर ही फट जाते है, और इनके बीज जमीन पर गिर जाते है।
  • मोरपंखी के पके हुए बीजो को तोड़ने के बाद इनके अंदर से बीज निकल लेने चाहिए।
  • इसके बाद इन बीजो को लगभग तो से तीन दिन धुप या छाया में सुखना चाहिए।
  • इन बीजो को जब तक सुखाये, जब तक इसके अंदर बनी नमी की मात्रा लगभग 10 % ना रह जाए।
  • इसके बाद मोरपंखी के बीजो को किसी एयर टाइट वाले डब्बे में रख देना चाहिए। जिससे की बीज को हवा ना लगे।
  • कुछ लोगो का सवाल होता है, की मोरपंखी के बीजो को लगाने का सही समय क्या है? इन बीजो को मई और जून के महीनो में लगाना चाहिये।

मोरपंखी का पौधा कैसे लगाए How to Grow Morpankhi Plant from Seeds

  • मोरपंखी का पौधा बीज से लगाने के लिए आपको सबसे पहले एक मिटटी का बरता या फिर कोई भी प्लास्टिक की ट्रे लेनी है।
  • गमला या ट्रे का चयन करते समय आपको एक बात का विशेष ख्याल रखना है, की उसके निचे पानी निकलने के लिए छेद होने बहुत जरुरी है।
  • गमला लेने के बाद गमले के निचे वाले छेद पर कुछ कंकड़ रखकर ढक दें।
  • अब एक अच्छी और उपजाऊ मिटटी का मिश्रण तैयार करें।
  • उपजाऊ मिटटी बनाने के लिए बगीचे की सामान्य मिटटी और इसके अंदर बर्मीकम्पोस्ट को मिलकर भी अच्छा मिश्रण तैयार कर सकते है।
  • मिटटी तैयार करने के बाद गमले में भर लें।
  • इसके बाद गमले में भरपूर मात्रा में पानी डाल देना चाहिए।
  • जब गमले में पूरी तरह से नमी हो जाए, तो अपने मोरपंखी के बीजो की संख्या के अनुसार किसी लकड़ी से मिटटी में एक एक इंच की दुरी पर गड्डे कर लेने चाहिए।
  • इसके बाद मोरपंखी के बीजो को गमले में लगभग एक या डेढ़ इंच की गहराई में लगा दें।
  • बीजों को लगाने के बाद एक हलकी सी मिटटी की परत फिर से गमले के ऊपर बिछा दें और गमले के पानी से भर दें।
  • बीजों को लगाने के बाद गमले को ऐसी जगह पर रखें, जहाँ पर सूरज की रौशनी आती हो। ध्यान रहे की अगर ज्यादा गर्मी का मौसम है, तो ऐसे में गमले को हलकी छाया वाले स्थान पर रखे।
  • जब तक बीजो से पौधे उगना शुरू नहीं हो जाते तब तक गमले में नमी बनाये रखे।
  • लगभग एक से दो महीने में मोरपंखी के पौधे दूसरे बड़े गमले में लगाने लायक हो जाएंगे।

मोरपंखी का पौधा लगाने की विधि वीडियो में देखें

How to Grow Morpankhi Plant From Cutting

मोरपंखी का पौधा कटिंग से लगाना बहुत ही आसान है। यह अन्य पौधों की तरह ही कटिंग से लगाया जाता है। जैसे हम गुलाब का पौधा कटिंग से उगाते है, उसी तरह से मोरपंखी का पौधा भी उगाया जाता है। आइये जानते है, मोरपंखी का पौधा कटिंग से कैसे लगाते है

  • मोरपंखी का पौधा कटिंग से लगाने के लिए आपको सबसे पहले पांच से सात इंच की कटिंग लेनी है।
  • इन सभी कटिंग को किसी तेज धार वाले ब्लेड से काटना है, इसके बाद इन कटिंग को लगाने के लिए एक गमले का चयन करना है।
  • गमला लेने के बाद इन कटिंग को लगाने के लिए रेतीली मिटटी का उपयोग करें।
  • गमले में रेतीली मिटटी भरने के बाद, उसमे भरपूर मात्रा में पानी डालें।
  • जब सारा पानी गमले के निचे वाले छेद से बहार निकल जाए, तो गमले की मिटटी में कटिंग की गिनती के अनुसार किसी लकड़ी से छेद कर लें।
  • इसके बाद सभी कटिंग को पानी में भिगोकर इनकी जड़ो पर रूटिंग हार्मोन पाउडर को लगाएं। इससे जड़ें बहुत जल्दी आती है।
  • मोरपंखी की कटिंग पर रूटिंग हार्मोन पाउडर लगाने के बाद इन्हे गमले में किये गए गड्डो में लगाकर ऊपर से पानी गमले में पानी डाल देना चाहिए।
  • इसके बाद गमले को किसी हलकी छाया वाले स्थान पर रखे, और रोज गमले के अंदर पानी का हल्का हल्का छिड़काब करें।
  • इन सभी कटिंग से लगभग ढाई से तीन महीने में जड़ें निकल आएँगी।
  • जब सभी कटिंग से जड़ें निकल आये, तो इन्हे किसी बड़े गमले में लगा देना चाहिए।


पापमोचनी एकादशी आज

पापमोचनी एकादशी आज|


हिंदू धर्म में सभी तिथियों में एकादशी तिथि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन व्रत का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और व्रत का पालन करने से साधकों को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। यह व्रत इस वर्ष 18 मार्च 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी की तिथि
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एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 मार्च 2023 को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त : 18 मार्च 2023 को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर
व्रत पारण का समय : 19 मार्च 06:25 AM - 08:07 AM

शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य जाने-अनजाने में कुछ ऐसे पाप कर बैठता है, जिसके कारण उसे इस जीवन में व अगले जीवन में दंड भोगना पड़ता है। ऐसे में इन पापों से बचने के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व
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धर्म ग्रंथ एवं पुराणों में बताया गया है की एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। वहीं पापमोचनी एकादशी व्रत रखने से अनजाने में हुई गलतियों से साधक को छुटकारा मिल जाता है और उसे सहस्त्र गोदान यानी 1000 गोदान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। जिस तरह भगवान श्रीराम पर रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या का दोष लग गया था और उन्होंने इस दोष की मुक्ति के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था। ठीक उसी प्रकार पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम
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शास्त्रों में बताया गया है कि जाने और अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए साधक को पापमोचनी एकादशी के दिन निर्जला उपवास रखना चाहिए। यदि व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह फलाहारी या जलीय व्रत रख सकते हैं। निर्जला उपवास रखने से पहले दशमी तिथि के दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए और एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की उपासना विधि-विधान से करनी चाहिए। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि पापमोचनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को इस जन्म के साथ-साथ पिछले जन्म के पापों से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

पापमोचनी एकादशी 2023
अद्यतन यूटीसी समय: 2022-03-29 04:25:34
   

पापमोचनी एकादशी 2023
शनिवार, 18 मार्च 2023
एकादशी तिथि प्रारंभ : 17 मार्च 2023 को दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त : 18 मार्च 2023 को सुबह 11 बजकर 13 मिनट पर
व्रत पारण का समय : 19 मार्च 06:25 AM - 08:07 AM
 
पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। पापमोचनी एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। एक वर्ष में लगभग 24 से 26 एकादशी होती हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है, इस प्रकार पापमोचनी एकादशी भी। पापमोचनी एकादशी को पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत कहा जाता है। इस व्रत का वर्णन 'भविष्योत्तर पुराण' और 'हरिवासर पुराण' में मिलता है। हिंदू धर्म में 'पाप' का अर्थ है ऐसे कार्य जो गलत हैं। 'मोचनी' का अर्थ मोक्ष प्राप्त करना है।

ऐसा माना जाता है कि पापमोचनी एकादशी सभी पापों को नष्ट कर देती है और जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ पमोचनी एकादशी का व्रत करता है उसे कभी भी राक्षसों या भूतों का भय नहीं सताता है। पापमोचनी व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सबसे पहले ऋषि लोमश ने राजा मान्धाता को पापमोचनी व्रत के बारे में बताया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को पापमोचनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया। जिनका व्रत प्रचलित हो गया है।

पापमोचनी एकादशी पूजा (पूजा)
पापमोचनी एकादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय के समय उठकर स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति को पूजा स्थल पर रखा जाता है और भक्त भगवान को चंदन का लेप, तिल, फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं। इस दिन 'विष्णु सहस्रनाम' और 'नारायण स्तोत्र' का पाठ करना शुभ माना जाता है।

द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर विदा करें और फिर भोजन करें।

पापमोचनी एकादशी व्रत का पूजा फल और महत्व
पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन 'भविष्योत्तर पुराण' और 'हरिवासर पुराण' में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि पापमोचनी व्रत व्यक्ति को सभी पापों के प्रभाव से मुक्त कर देता है। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से हिन्दू तीर्थ स्थानों पर विद्या ग्रहण करने से गाय दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है। जो लोग इस शुभ व्रत का पालन करते हैं वे सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेते हैं और अंततः भगवान विष्णु के स्वर्गिक साम्राज्य 'वैकुंठ' में स्थान पाते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा
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प्राचीन काल में चित्ररथ नामक एक सुन्दर वन था। इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं और देवताओं सहित इस वन में स्वतन्त्र रूप से निवास करते थे। वहां मेधावी नाम के एक मुनि भी तपस्या कर रहे थे। ऋषि शिव ने पूजा की और अप्सराएँ शिव द्रोहिणी अनंग की दासी थीं।

एक बार कामदेव ने ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजुघोषा नाम की एक अप्सरा को उनके पास भेजा। हाव-भाव, नृत्य, गीत और व्यंग्य पर अप्सरा के काम से युवा ऋषि मोहित हो गए। रति-क्रीड़ा करते-करते 57 वर्ष बीत गए। एक दिन मंजूघोषा ने देवलोक जाने की अनुमति मांगी।

मंजूघोषा की अनुमति माँगने पर मुनि की चेतना जागृत हुई और उन्होंने अनुभव किया कि अप्सरा मंजूघोषा ही मुझे रसातल में ले जाने का कारण हैं। उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। श्राप सुनकर मंजूघोषा कांप उठी और मोक्ष का उपाय पूछा। तब ऋषि ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। मोक्ष का उपाय बताकर वह पिता च्यवन के आश्रम में चला गया। श्राप सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की कड़ी निंदा की और उसे पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने का आदेश दिया। ऋषि मेधावी ने भी पापमोचनी व्रत का पालन किया और अपने पापों से मुक्त हुए। पापमोचनी व्रत के प्रभाव से मंजूघोषा अप्सरा शरीर से मुक्त होकर देवलोक चली गई।



मेरी मोटरसाइकिल एक साल पहले किसी ने चुरा ली थी जो कुछ महीने पहले पुलिस वालों को मिल गई है और पुलिस वाले 4 महीनों से ठीक से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. मुझे मेरी गाड़ी घर लाने के लिए क्या करना पड़ेगा?

 

आपको जवाब सटीक ही दूँगा।

आपकी मोटरसाइकिल चोरी हुई, आपने उसकी चोरी की रिपोर्ट यानी एफ.आई.आर करवाई। अब पुलिस ने आपकी बाइक ढूंढ निकाली और वो पिछले चार महीनों से आपको चक्कर कटवा रहे हैं। अब आप चाहते हैं कि आपकी मोटरसाइकिल आपको दे दी जाए और आप अपनी बाइक पुलिस थाने से अपने घर ले आएं।

तो जनाब आइये आपको बताता हूँ कि चोरी के बाद यदि पुलिस चोरी का माल चाहे वो मोटरसाइकिल हो या कोई और संपत्ति उसको बरामद या ढूंढ लेती है तो आप अपनी संपत्ति को कैसे वापिस पा सकते हैं।

अब क्योंकि चोरी की रिपोर्ट कराने के बाद जो भी माल पुलिस बरामद करती है, वो माल ही चोरी का एक पक्का सबूत भी होता है, जो लोग नही जानते उन सम्मानित पाठकों को बता दूँ कि जब भी चोर पकड़ा जाता है तो उसके ऊपर पुलिस आरोपपत्र न्यायालय में पेश करती है।

अब जब मामला न्यायालय में आ जाता है तो चोर को सज़ा दिलवाने के लिए चोर द्वारा चोरी किया माल भी न्यायालय में पेश करना पड़ता है।

अब क्योंकि चोरी का माल कोर्ट में पेश करके ही चोर को सज़ा दिलवाई जा सकती है, इस कारण से पुलिस चोरी हुए माल को ढूंढ लेने के बाद भी सीधे उस माल के मालिक को माल नहीं दे सकती।

तो जनाब ये माल जो चोरी हुआ, तब तक आपका था, जब तक चोरी नहीं हुआ था। अब क्योंकि चोरी हो गया और पुलिस ने उसे बरामद कर लिया तो ये माल हो गया केस प्रॉपर्टी यानी आसान भाषा में कहें तो मुकदमे का खास सबूत।

अब क्योंकि ये बाइक चोर की चोरी का प्रमाण है, तो यदि आपको वापिस कर दिया पुलिस ने, और कल जब कोर्ट ने पूछा के इस चोर ने कौनसी बाइक चुराई थी, तो पुलिस कैसे दिखा पाएगी कि कौन सी बाइक चोरी की थी इस चोर ने। क्योंकि ये हो सकता है कि आप उस बाइक को बेच चुके हों। या बाइक की हालत खराब होने पर कबाड़ी को बेच दें।

अब क्योंकि आपकी बाइक केस प्रॉपर्टी हो गई है। इस कारण आपकी बाइक को कोर्ट ही आपको देगा। ये बात पुलिस को आपको बता देनी चाहिए थी परंतु नही बताई, ना बताने का कारण होता है पुलिस का आपकी बाइक को पर्सनल रूप से इस्तेमाल करने का लालच। क्योंकि ऐसे मामलों में बरामद वाहनों को जब तक वाहन मालिक कोर्ट से छुड़ा नही लेता तब तक पुलिसवाले कार हो या मोटरसाइकिल खूब चलाते घुमाते रहते हैं।

अब क्योंकि आप जान गए हैं तो आप सीधे अपने संबंधित न्यायालय जाएं, एक वकील करें, फिर संबंधित जुडिशल मजिस्ट्रेट को आपके वकील एक एप्लीकेशन देकर आपकी बाइक आपको सौंपने की प्रार्थना करेंगे। मजिस्ट्रेट साहब पुलिस स्टेशन से लिखित में जानकारी प्राप्त करेंगे कि आपकी बाइक वहाँ है या नहीं।

अब जैसे ही मैजिस्ट्रेट सहाब को पुलिस कहेगी कि आपकी बाइक है थाने में, तब आपसे कोर्ट सबूत मांगेगा बाइक के मालिक होने का। आप बाइक के पेपर्स अपना आधार कार्ड आदि कागज़ जमा करेंगे, अदालत संतुष्ट होने पर आपकी बाइक को आपके हवाले करने के आदेश इस शर्त के साथ देगी कि आप दौरान ऐ मुकदमा, यानी जब तक केस चलता है बाइक को बेचेंगे या नष्ट नही करेंगे, और जब भी केस में जरूरत होगी बाइक को पेश करेंगे।

अब आप कोर्ट के आदेश को लेकर पुलिस स्टेशन जाएंगे, और आदेश को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को देंगे। वो कोर्ट के आदेश अनुसार आपको आपकी बाइक सौंप देगा।

अब आप बाइक लेकर घर आ सकते हैं कोई आपको रोकेगा नहीं। धन्यवाद।

सम्मानित पाठकों का दिल💓 से अभिनंदन💐🙏

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