सनातन
धर्म में शंख को अत्यधिक पवित्र एवं शुभ माना जाता है । इसका पावन नाद
वातावरण को शुद्ध, पवित्र एवं निर्मल करता है। शंख का उपयोग औषधि के रूप
में भी किया जाता है । शंख का प्रयोग प्रत्येक शुभ कार्य में किया जाता है ।
शंख की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेको कथाये प्रचलित है । एक कथा के
अनुसार शंख की उत्पत्ति शिवभक्त चंद्रचूड़ की अस्थियो से हुई , जब भगवान
शिव ने क्रोधवश होकर भक्त चंद्रचूड़ का त्रिशूल से वध कर दिया, तत्पश्चात
उसकी अस्थियाँ समुद्र में प्रवाहित कर दी गयी।
विष्णु पुराण के अनुसार शंख लक्ष्मी जी का सहोदर भ्राता है। यह समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक है। शंख समुद्र मंथन के समय आठवे स्थान पर प्राप्त हुआ था । शंख के अग्र भाग में गंगा एवं सरस्वती का , मध्य भाग में वरुण देवता का एवं पृष्ठ भाग में ब्रम्हा जी का वास होता है। शंख में समस्त तीर्थो का वास होता है। वेदों के अनुसार शंख घोष को विजय का प्रतीक माना जाता है। महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण भगवान् एवं पांडवो ने विभिन्न नामो के शंखो का घोष किया था। श्री कृष्ण भगवान् ने पांचजन्य, युधिष्ठुर ने अनन्तविजय, भीम ने पौण्ड्र, अर्जुन ने देवदत्त, नकुल ने सुघोष एवं सहदेव ने मणिपुष्पक नामक शंखो का प्रचंड नाद करके कौरव सेना में भय का संचार कर दिया था।
शंख तीन प्रकार के होते है :
वामावर्ती - खुला हुआ भाग बायीं ओर होता है ।
दक्षिणावर्ती - खुला हुआ भाग दायीं ओर होता है ।
मध्यावर्ती - मध्य में खुला हुआ भाग होता है ।
दक्षिणावर्ती शंख शुभ एवं मंगलदायी होता है अतः इसका उपयोग पूजा-पाठ, अनुष्ठानों एवं शुभ कार्यो किया जाता है ।
शंख के उपयोग
दक्षिणावर्ती शंख में प्रतिदिन प्रातः थोड़ा सा गंगा जल भरकर सारे घर में छिड़काव करे। भूत प्रेत बाधा को दूर करने का यह एक अचूक उपाय है ।
शंख में जल भरकर रखा जाता है और पूजा करते समय छिड़का जाता है । शंख में जल, दुग्ध भरकर भगवान का अभिषेक भी किया जाता है ।
पुराणों के अनुसार, घर में दक्षिणावर्ती शंख रखने से श्री लक्ष्मी जी का स्थायी निवास होता है ।
शयन कक्ष में शंख रखने से पति पत्नी के मध्य सदैव प्रेमभाव बना रहता है ।
शंख बजाने से ह्रदय की मांसपेशिया मजबूत होती है, मेधा शक्ति प्रखर होती है तथा फेफड़ो का व्यायाम होता है । अतः श्वास सम्बन्धी रोगों से मुक्ति मिलती है तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ती है ।
शंख की ध्वनि में रोगाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। जहां जहां तक शंख ध्वनि पहुचती है, वहाँ तक के रोगाणुओं का नाश हो जाता है।
वर्तमान युग में रक्तचाप, मधुमेह, ह्रदय सम्बन्धी रोग, कब्ज़ , मन्दाग्नि आदि रोग आम हो गए है । नियमित रूप से शंख बजाइये और इन रोगों से मुक्ति पाइये ।
अगर आपके घर में कोई वास्तु दोष है, तो आप प्रातः और सायंकाल शंख अवश्य बजाये। शंख बजाने से घर का वास्तुदोष दूर हो जाता है ।
अगर हमारे शरीर में स्थापित चक्रों में संतुलन न हो तो हमें रोग घेर लेते है, शंख चक्र संतुलित करने में समर्थ है।
घर में शंख बजने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है , इससे घर में निवास करने वालो के तन मन पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है । सकारात्मक विचारों का उदभव होता है ।
अध्धयन कक्ष में शंख रखने से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
वैज्ञानको के अनुसार, शंख घोष का प्रभाव समस्त ब्रम्हाण्ड पर होता है।
विष्णु पुराण के अनुसार शंख लक्ष्मी जी का सहोदर भ्राता है। यह समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह रत्नों में से एक है। शंख समुद्र मंथन के समय आठवे स्थान पर प्राप्त हुआ था । शंख के अग्र भाग में गंगा एवं सरस्वती का , मध्य भाग में वरुण देवता का एवं पृष्ठ भाग में ब्रम्हा जी का वास होता है। शंख में समस्त तीर्थो का वास होता है। वेदों के अनुसार शंख घोष को विजय का प्रतीक माना जाता है। महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण भगवान् एवं पांडवो ने विभिन्न नामो के शंखो का घोष किया था। श्री कृष्ण भगवान् ने पांचजन्य, युधिष्ठुर ने अनन्तविजय, भीम ने पौण्ड्र, अर्जुन ने देवदत्त, नकुल ने सुघोष एवं सहदेव ने मणिपुष्पक नामक शंखो का प्रचंड नाद करके कौरव सेना में भय का संचार कर दिया था।
शंख तीन प्रकार के होते है :
वामावर्ती - खुला हुआ भाग बायीं ओर होता है ।
दक्षिणावर्ती - खुला हुआ भाग दायीं ओर होता है ।
मध्यावर्ती - मध्य में खुला हुआ भाग होता है ।
दक्षिणावर्ती शंख शुभ एवं मंगलदायी होता है अतः इसका उपयोग पूजा-पाठ, अनुष्ठानों एवं शुभ कार्यो किया जाता है ।
शंख के उपयोग
दक्षिणावर्ती शंख में प्रतिदिन प्रातः थोड़ा सा गंगा जल भरकर सारे घर में छिड़काव करे। भूत प्रेत बाधा को दूर करने का यह एक अचूक उपाय है ।
शंख में जल भरकर रखा जाता है और पूजा करते समय छिड़का जाता है । शंख में जल, दुग्ध भरकर भगवान का अभिषेक भी किया जाता है ।
पुराणों के अनुसार, घर में दक्षिणावर्ती शंख रखने से श्री लक्ष्मी जी का स्थायी निवास होता है ।
शयन कक्ष में शंख रखने से पति पत्नी के मध्य सदैव प्रेमभाव बना रहता है ।
शंख बजाने से ह्रदय की मांसपेशिया मजबूत होती है, मेधा शक्ति प्रखर होती है तथा फेफड़ो का व्यायाम होता है । अतः श्वास सम्बन्धी रोगों से मुक्ति मिलती है तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ती है ।
शंख की ध्वनि में रोगाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। जहां जहां तक शंख ध्वनि पहुचती है, वहाँ तक के रोगाणुओं का नाश हो जाता है।
वर्तमान युग में रक्तचाप, मधुमेह, ह्रदय सम्बन्धी रोग, कब्ज़ , मन्दाग्नि आदि रोग आम हो गए है । नियमित रूप से शंख बजाइये और इन रोगों से मुक्ति पाइये ।
अगर आपके घर में कोई वास्तु दोष है, तो आप प्रातः और सायंकाल शंख अवश्य बजाये। शंख बजाने से घर का वास्तुदोष दूर हो जाता है ।
अगर हमारे शरीर में स्थापित चक्रों में संतुलन न हो तो हमें रोग घेर लेते है, शंख चक्र संतुलित करने में समर्थ है।
घर में शंख बजने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है , इससे घर में निवास करने वालो के तन मन पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है । सकारात्मक विचारों का उदभव होता है ।
अध्धयन कक्ष में शंख रखने से ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
वैज्ञानको के अनुसार, शंख घोष का प्रभाव समस्त ब्रम्हाण्ड पर होता है।