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बुधवार, 27 अक्टूबर 2021

क्या आपको भी शुगर है? दवा कंपनियां लूटने के लिए क्या क्या नही करती।

क्या आपको भी शुगर है?

दवा कंपनियां लूटने के लिए क्या क्या नही करती।

शुगर; एक नंगा सच.. जानिये.!


 सभी लोग अपना व्यापार बढ़ाना चाहते है तो फिर दवा कंपनियां भी अपना व्यापार बढ़ाए तो हर्जा कैसा ? पर व्यापार दूसरे मासूम की जान की कीमत पर करना भी क्या सही है ?

लूट मचाने के लिए दवा कंपनियाँ किस हद तक गिर सकती आप अनुमान भी नहीं लगा सकते.



*अभी कुछ समय पूर्व स्पेन मे शुगर की दवा बेचने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियो की एक बैठक हुई है ,दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए एक सुझाव दिया गया है कि अगर शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 120 से कम कर 100 कर दिया जाये तो शुगर की दवाओं की बिक्री 40 % तक बढ़ जाएगी*

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ
बहुत समय पूर्व शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 160 था दवाओ की बिक्री बढ़ाने के लिए ही इसे कम करते-करते 120 तक लाया गया है जिसे भविष्य मे 100 तक करने की संभावना है!

ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लूटने के लिए किस स्तर तक गिर सकती है ये इसका जीता जागता उदाहरण है आज मैडीकल साईंस के अनुसार शरीर मे सामान्य शुगर का मानक 80 से 120 है

अब मान लो दवा कंपनियो के साथ मिलीभगत कर इन्होने कुछ फर्जी शोध की आड़ मे नया मानक 70 से 100 तय कर दिया, अब अच्छा भला व्यक्ति शुगर टेस्ट करवाये और शुगर का सतर 100 से 110 के बीच आए ,तो डाक्टर आपको शुगर का रोगी घोषित कर देगा,

भय के कारण आप शुगर की एलोपेथी दवाएं लेना शुरू कर देंगे, अब शुगर तो पहले से सामान्य थी आपने जो भय के कारण शुगर कम करने की दवा ली तो उल्टा शरीर मे और कमजोरी महसूस होने लगेगी
और 
आप फिर इस अंधी खाई मे गिरते चले जाएंगे

और मान लो आप जैसे 2 -3 करोड़ लोग भी इस साजिश का शिकार हुए तो ये एलोपेथी दवा कंपनियाँ लाखो करोड़ का व्यापार कर डालेंगी

एक नंगा सच.. जानिये.!

क्या आप जानते हैं.....


1997 से पहले fasting diebetes की limit 140 थी।
फिर fasting sugar की limit 126 कर दी गयी।
इससे World Population में 14% diebetec लोग अचानक बढ़ गए।
उसके बाद 2003 में WHO ने फिर से fasting sugar की limit कम करके 100 कर दी।
याने फिर से total Population के करीबन 70% लोग Diebetec माने जाने लगे।

दरअसल diebetes ratio या limit तय करने वाली कुछ pharmaceutical कंपनियां थीं जो WHO को घूस खिलाकर अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये ये सब करवा रही थीं।

और अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए ये किया जाता रहा।

लेकिन क्या आपको पता है कि
हकीकत में डायबिटीज को कैसे जांचना चाहिए ?

कैसे पता चलेगा कि आप डायबिटीज के शिकार हैं भी या नहीं ?

पुराने जमाने के इलाज़ के हिसाब से
डायबिटीज चेक करने का एक सरल उपाय है :-
आप की उम्र और + 100
जी हाँ यही एक सचाई है

अगर आपकी उम्र 65 है तो आपका सुगर लेवल खाने के बाद 165 होना चाहिये।
अगर आपकी age 75 है तो आपका नॉर्मल सुगर लेवेल खाने के बाद 175 होना चाहिए।
अगर ऐसा है तो इसका मतलब आपको डायबिटीज नहीं है।

ये होता है age के हिसाब से यानी.. 
So now you can count your diebetec limit as 100 + your age.

अगर आपकी उम्र 80 है तो फिर आपकी डायबिटिक लिमिट खाने के बाद 180 काउंट की जानी चाहिये।
मतलब अगर आपका सुगर लेवल इस उम्र में भी 180 है तो आप डायबिटिक नहीं हैं।
आपकी गिनती नॉर्मल इंसान जैसी होनी चाहिये।


लेकिन W.H.O. को अपने कॉन्फिडेंस में लेकर बहुत सारी फार्मा कम्पनियों ने अपने व्यापार के लिये सुगर लेवेल में उथल पुथल कर दी और आम जनता उस चक्रव्यूह में फंस गई।

No Doctor can guide u.
No one will advice u.
But its a bitter truth.!

उसके साथ साथ एक सच ये भी है कि--

अगर आपकी पाचन शक्ति उत्तम है तो आपको कोई टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है
या फिर आप अपने जीवन में कोई टेंशन नहीं लेते।
आप अच्छा खाना खाते हो
आप जंक फूड, ज्यादा मसालेदार या तैलीय भोजन या फ़्राईड फूड नहीं खाते
आप रेगुलर योगा या कसरत करते हैं

और आपका वजन आपकी हाइट के हिसाब के बराबर है
तो आपको डायबिटीज हो ही नहीं सकती।

यही सत्य है, बस टेंशन न लें अच्छा खाना खाएं, एक्सरसाइज करते रहें।

क्या आप चाहते है समीर वानखेड़े ..रविन्द्र पाटिल बन जाए .आप बॉलीवुड माफिया की ताकत को कम मत समझिए

क्या आप चाहते है समीर वानखेड़े ..रविन्द्र पाटिल बन जाए......
.......आप बॉलीवुड माफिया की ताकत को कम मत समझिए
रविंद्र पाटील नामक एक पुलिस कांस्टेबल जो 1998 बैच का था वह ठीक उसी जगह ड्यूटी पर था जहां सलमान खान की लैंड क्रूजर ने फुटपाथ पर सो रहे पांच लोगों को कुचल दिया था 

अदालत में उसकी गवाही हुई और उसने अदालत में गवाही दिया और उसी के बयान के आधार पर सलमान खान को 5 साल की सजा हुई 
उसके बाद उसे अदालत में बयान बदलने के लिए बहुत मजबूर किया गया 
उसके उसके बहुत धमकियां दी गई और उसके ऊपर 20 से ज्यादा क्रिमिनल केस लगा दिए गए और उन्हीं केस के आधार पर उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया 
फिर वह मानसिक तनाव में भीख मांगने को मजबूर हुआ और एक दिन वह गायब हो गया और फिर एक सरकारी टीवी हॉस्पिटल के बिस्तर पर मिला जहां महीनों तक तड़प तड़प कर अंत में उसने दम तोड़ दिया।।
याद आया नवाव मलिक का बयान ...नौकरी से बर्खास्त कर देंगे ...जेल में डाल देंगे....

एक फर्जी बयान बाला तो सामने आ ही गया है... समीर पर रोज फर्जी आरोप लग रहे है...ओर फर्जी केस तैयार कराया जा रहा...वो तो सुरु से ईमानदार था कि उसके खिलाफ एक शिकायत या आरोप टिक नही पा रहे बर्ना अब तक वानखेड़े  रविन्द्र पाटिल जैसे हालात में होते....
.
.आप कह रहे होंगे हम क्या कर सकते है...आपको रोज कम से कम 10 से 20 लोगो को इस ड्रग्स केस की ओर नशेड़ी बोलीबुड़ की हकीकत बतानी है...इन नशेड़ियों का सिर्फ बायकॉट नहीं बल्कि हर उस प्रोडक्ट का बायकॉट करना है जिसके ये ब्रांड एम्बेसडर या विज्ञापन करते है...
.
.समीर वानखेड़े के साथ खड़े रहे....

हो सके तो एक पोस्टकार्ड 
हम समीर वानखेड़े के साथ है
 लिख कर रजिस्ट्रार सुप्रीम कोर्ट को भेज दीजिये

NCB के मुखिया समीर वानखेड़े के विरुद्ध जिहाद शुरू किया गया है। अचानक ऐसा क्यों हुआ है.?


NCB के मुखिया समीर वानखेड़े के विरुद्ध जिहाद शुरू किया गया है। अचानक ऐसा क्यों हुआ है.?

दअरसल शाहरुख खान के नशेड़ी कपूत की गिरफ्तारी के साथ ही कराची में बैठा आतंकी दाऊद और रावलपिंडी में बैठे ISI के सरगना बुरी तरह तिलमिलाए हुए हैं। वो समझ गए हैं कि NCB की कार्रवाई बॉलीवुड में उनके उन गुर्गों के गिरेबान तक पहुंच रही है, जिन गुर्गों के द्वारा वो बॉलीवुड को अपनी उंगलियों पर पिछले 3-4 दशकों से नचाते रहे हैं।

NCB अब बॉलीवुड में उनके माफिया राज को बुरी तरह ध्वस्त करती जा रही है। यही कारण है कि उन्होंने भारतीय मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति में जमे हुए अपने गुर्गों को NCB और उसके मुखिया के खिलाफ पूरी ताकत से सक्रिय कर दिया है। जरा याद करिए निकट अतीत के इन घटनाक्रमों को-

पिछले वर्ष जस्टिस फॉर सुशांत सिंह राजपूत के जो बिलबोर्ड अमेरिका के हॉलीवुड में लगे थे उनको कुछ ही घंटों में उतरवा दिया गया था। उन बिलबोर्ड को हटवाने में अज़ीज-उल-हसन अशाई उर्फ टोनी अशाई का नाम सामने आया था जो भारतीय मूल का कश्मीरी है और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य रह चुका है। 

अमेरीका में वो पाकिस्तान की उस खुफिया एजेंसी ISI का एजेंट है जो पिछले 30 सालों से हिन्दूस्तान में आतंकी जिहाद चलवा रही है। भारतीय और अमेरिकी जांच एजेंसियों के दस्तावेजों में उसकी यह पहचान दर्ज है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि शाहरूख खान और उसकी बीबी गौरी खान का बिजनेस पार्टनर भी यही टोनी अशाई है। (तथ्य की पुष्टि के लिए देखें कमेंट)।

आप समझ सकते हैं कि शाहरुख खान जब जब अमेरिका गया तब तब उसके कपड़े उतरवा कर उसकी तलाश क्यों ली गयी.? उसने इस पर हल्ला भी खूब मचाया। लेकिन अमेरिकी प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा। किसी ने, खासकर सेक्युलरों और लुटियन मीडिया ने उससे कभी यह नहीं पूछा कि लता मंगेशकर अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र सरीखे दिग्गजों से लेकर अक्षयकुमार और सनी देओल, सोनू निगम तक, दर्जनों भारतीय फिल्मस्टार एक नहीं अनेक बार अमेरिका गए हैं, लेकिन उनके कपड़े उतरवा कर उनकी तलाशी कभी क्यों नहीं ली गयी.? ISI का यही एजेंट जो शाहरुख का यह जिगरी दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी है। NCB की कार्रवाई से तिलमिलाया हुआ है। NCB को रोकने के लिए ISI सक्रिय हो गयी है। यही कारण है कि मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति का एक विशेष वर्ग NCB के खिलाफ जहर उगलने में जुट गया है। इससे पहले अफ़ज़ल गुरु, याकूब मेमन, बटला हाऊस के आतंकियों को बचाने के लिए भी दाऊद और ISI ने भारतीय मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति में बैठे अपने गुर्गों का इस्तेमाल भारतीय सेना और भारतीय अदालतों पर दबाव बनाने के लिए किस तरह करते रहे हैं। यह पूरा देश देखता रहा है।

जनवरी में NCB ने ब्रिटिश नागरिकता वाले भारतीय मूल के करन संजनानी के मुंबई स्थित अड्डे पर छापा मार कर बहुत हाई क्वालिटी का 2 क्विंटल विदेशी गांजा बरामद किया था। यह गांजा अमेरिका से तस्करी कर के लाया गया था। करन संजनानी के उस नशे के अड्डे से मिले ठोस सबूतों के बाद शुरू हुई NCB की जांच में नवाब मलिक का दामाद समीर खान भी ठोस सबूतों के साथ NCB के हत्थे चढ़ गया था। NCB ने 11 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था। उसके खिलाफ NCB के सबूत इतने पुख्ता थे कि साढ़े 8 महीने तक कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी थी। 27 सितंबर को कोर्ट ने उसे जमानत इस शर्त के साथ दी है कि वो अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराए तथा कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई के बाहर नहीं जा सकता। साढ़े 8 महीने जेल में बंद रहने के बाद इन शर्तों के साथ कोर्ट द्वारा नवाब मलिक के दामाद समीर खान को दी गयी जमानत बताती है कि वो कितना मासूम और निर्दोष है.? 

समीर वानखेड़े द्वारा उसके खिलाफ की गई कार्रवाई कितनी सही या गलत है.?  यही कारण है कि जब नवाब मलिक का दामाद गिरफ्तार हुआ था तब नवाब मलिक साढ़े 8 महीने तक चुप्पी तो साधे रहा था लेकिन समीर वानखेड़े के खिलाफ बुरी तरह तिलमिलाया हुआ था। लेकिन अब वो अपनी खीझ उतार रहा है। अपनी इस करतूत से वो NCB और समीर वानखेड़े के खिलाफ ISI और दाऊद इब्राहीम की मुहिम को भरपूर ताक़त भी दे रहा है।
यह निर्णायक क्षण है। NCB और समीर वानखेड़े के खिलाफ  नवाब मलिक और ISI तथा दाऊद इब्राहीम के जिहाद के खिलाफ चुप्पी तोड़िए।

 *सोशलमीडिया पर उपरोक्त सच्चाई अधिकतम लोगों को☝️☝️☝️☝️☝️ जमकर बताइए। क्योंकि इन जिहादियों के ख़िलाफ़ हमारी आपकी चुप्पी के खतरनाक होगी।*

This man was programmed for success but he was not trained , how to handle failure.

गड़बड़ कहाँ हुई 

एक बहुत ब्रिलियंट लड़का था. सारी जिंदगी फर्स्ट आया. साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया. अब ऐसे लड़के आम तौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन IIT चेन्नई में हो गया. वहां से B Tech किया और वहां से आगे पढने अमेरिका चला गया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निया से MBA किया. 

अब इतना पढने के बाद तो वहां अच्छी नौकरी मिल ही जाती है. उसने वहां भी हमेशा टॉप ही किया. वहीं नौकरी करने लगा. 5 बेडरूम का घर  उसके पास. शादी यहाँ चेन्नई की ही एक बेहद खूबसूरत लड़की से हुई .

एक आदमी और क्या मांग सकता है अपने जीवन में ? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए, अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी बच्चे, सुख ही सुख।

लेकिन दुर्भाग्य वश आज से चार साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली. अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मार कर खुद को भी गोली मार ली. What went wrong? आखिर ऐसा क्या हुआ, गड़बड़ कहाँ हुई. 

ये कदम उठाने से पहले उसने बाकायदा अपनी wife से discuss किया, फिर एक लम्बा suicide नोट लिखा और उसमें बाकायदा अपने इस कदम को justify किया और यहाँ तक लिखा कि यही सबसे श्रेष्ठ रास्ता था इन परिस्थितयों में. उनके इस केस को और उस suicide नोट को California Institute of Clinical Psychology ने ‘What went wrong?‘ जानने के लिए study किया .

पहले कारण क्या था , suicide नोट से और मित्रों से पता किया। अमेरिका की आर्थिक मंदी में उसकी नौकरी चली गयी. बहुत दिन खाली बैठे रहे. नौकरियां ढूंढते रहे. फिर अपनी तनख्वाह कम करते गए और फिर भी जब नौकरी न मिली, मकान की किश्त जब टूट गयी, तो सड़क पर आने की नौबत आ गयी. कुछ दिन किसी पेट्रोल पम्प पर तेल भरा बताते हैं. साल भर ये सब बर्दाश्त किया और फिर पति पत्नी ने अंत में ख़ुदकुशी कर ली...

इस case study को ऐसे conclude किया है experts ने : This man was programmed for success but he was not trained,how to handle failure. यह व्यक्ति सफलता के लिए तो तैयार था, पर इसे जीवन में ये नहीं सिखाया गया कि असफलता का सामना कैसे किया जाए.

अब उसके जीवन पर शुरू से नज़र डालते हैं. पढने में बहुत तेज़ था, हमेशा फर्स्ट ही आया. ऐसे बहुत से Parents को मैं जानता हूँ जो यही चाहते हैं कि बस उनका बच्चा हमेशा फर्स्ट ही आये, कोई गलती न हो उस से. गलती करना तो यूँ मानो कोई बहुत बड़ा पाप कर दिया और इसके लिए वो सब कुछ करते हैं, हमेशा फर्स्ट आने के लिए. फिर ऐसे बच्चे चूंकि पढ़ाकू कुछ ज्यादा होते हैं सो खेल कूद, घूमना फिरना, लड़ाई झगडा, मार पीट, ऐसे पंगों का मौका कम मिलता है बेचारों को,12 th कर के निकले तो इंजीनियरिंग कॉलेज का बोझ लद गया बेचारे पर, वहां से निकले तो MBA और अभी पढ़ ही रहे थे की मोटी तनख्वाह की नौकरी. अब मोटी तनख्वाह तो बड़ी जिम्मेवारी, यानी बड़े बड़े targets. 
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कमबख्त ये दुनिया , बड़ी कठोर है और ये ज़िदगी, अलग से इम्तहान लेती है. आपकी कॉलेज की डिग्री और मार्कशीट से कोई मतलब नहीं उसे. वहां कितने नंबर लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. ये ज़िदगी अपना अलग question paper सेट करती है. और सवाल ,सब out ऑफ़ syllabus होते हैं, टेढ़े मेढ़े, ऊट पटाँग और रोज़ इम्तहान लेती है. कोई डेट sheet नहीं.
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एक अंग्रेजी उपन्यास में एक किस्सा पढ़ा था. एक मेमना अपनी माँ से दूर निकल गया. आगे जा कर पहले तो भैंसों के झुण्ड से घिर गया. उनके पैरों तले कुचले जाने से बचा किसी तरह. अभी थोडा ही आगे बढ़ा था कि एक सियार उसकी तरफ झपटा. किसी तरह झाड़ियों में घुस के जान बचाई तो सामने से भेड़िये आते दिखे. बहुत देर वहीं झाड़ियों में दुबका रहा, किसी तरह माँ के पास वापस पहुंचा तो बोला, माँ, वहां तो बहुत खतरनाक जंगल है. Mom, there is a jungle out there.
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*इस खतरनाक जंगल में जिंदा बचे रहने की ट्रेनिंग बच्चों को अवश्य दीजिये*.।

बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी देना जरूरी है  ,हर परिस्थिति को ख़ुशी ख़ुशी धैर्य के साथ झेलने की क्षमता, और उससे उबरने का ज्ञान और विवेक बच्चों में होना ज़रूरी है।माता पिता सफल जीवन के लिए तितिक्षा की शिक्षा अवश्य दें ।

जानें क्या है सप्तधान्यांकुर अर्क (शक्तिवर्द्धक दवा – टॉनिक) और इसे तैयार करने की विधि

जानें क्या है सप्तधान्यांकुर अर्क (शक्तिवर्द्धक दवा – टॉनिक) और इसे तैयार करने की विधि


इसके उपयोग करने से दानों, फल-फलियों, फूलों, सब्जियों पर बहुत अच्छी चमक आती है। आकार, वजन और स्वाद भी बढ़ता है।

बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

* तिल 100 ग्राम, मूँग के दाने 100 ग्राम, उड़द के दाने 100 ग्राम, लोबिया के दाने 100 ग्राम, मोठ/मटकी/मसूर के दाने 100 ग्राम, गेहूँ के दाने 100 ग्राम, देसी चने के दाने 100 ग्राम, पानी 200 लीटर, गौ-मूत्र 10 लीटर।

बनाने की विधि

* एक छोटी कटोरी में तिल (प्राथमिकता काले तिल को) लेकर उसमें पानी उपयुक्त मात्रा में डाल कर डुबाएं और घर में रख दें।

* अगले दिन सुबह एक थोड़ी बड़ी कटोरी में मूँग, उड़द, लोबिया, मोठ/मटकी/मसूर, गेहूँ, देसी चना के दानों को डालकर मिलाएं एवं उपयुक्त मात्रा में पानी डालकर भिगोएं एवं घर में रखें। 24 घण्टे बाद इन अंकुरित बीजों को पानी से निकाल कर कपड़े की पोटली में बाँध कर टाँग दें।

* एक सेंटीमीटर अंकुर निकलने पर उपरोक्त सातों प्रकार के बीजों की सिलबट्टे पर चटनी बनाएं। सभी प्रकार के बीजों के अलग हुए पानी को सम्भालकर रख लें।

* अब 200 लीटर पानी में बीजों से अलग हुए पानी व चटनी और गौ-मूत्र को एक ड्रम में डालकर लकड़ी की डण्डी से अच्छे से मिलाकर कपड़े से छान कर 48 घण्टे के अन्दर इस प्रकार छिड़काव करें।

* फसल के दाने जब  दूग्धावस्था में हों।

* फल-फलियाँ बाल्यावस्था में हों।

* फूलों में कली बनने के समय।

* सब्जियों में कटाई के 5 दिन पूर्व छिड़काव करें।

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