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बुधवार, 6 मार्च 2013

पेट जुडी दो-तीन ख़राब बीमारियाँ है

अगर आपका पेट ख़राब है और दस्त हो गया है , बार-बार आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो इसकी सबसे अच्छी दावा है जीरा | अध चम्मच जीरा चबाके खा लो और फिर गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंद हो जाते है एक ही खुराख में |

अगर बहुत जादा दस्त हो ... हर दो मिनट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डाल के जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |
और एक अच्छी दावा है ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो और फिर थोडा पानी पी लो. ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है |

पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |

और एक अच्छी दावा है पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा |
पेट जुडी दो-तीन ख़राब बीमारियाँ है जैसे बवासीर, पाईल्स, हेमोरोइड्स, फिसचुला, फिसर .. ये सब बिमारिओ में अच्छी दावा है मूली का रस | एक कप मुली का रस पियो खाना खाने के बाद दोपहर को या सबेरे पर शाम को मत पीना तो हर तरह का बवासीर ठीक हो जाता है , भगंदर ठीक होता है फिसचुला, फिसर ठीक होता है .. अनार का रस पियो तो भी ठीक हो जाता है |

पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करे !
http://www.youtube.com/watch?v=PHuYbNe2lBw

आटे का ये 1 चमत्कारी उपाय करेंगे तो आप भी हो जाएंगे मालामाल

आटे का ये 1 चमत्कारी उपाय करेंगे तो आप भी हो जाएंगे मालामाल

यदि आप धन संबंधी या घर-परिवार से संबंधित किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो इस शिवरात्रि पर शास्त्रों के अनुसार बताया गया यह चमत्कारी उपाय अवश्य करें। इस उपाय के प्रभाव से आपकी सभी समस्याएं नष्ट हो जाएंगी।

शिवरात्रि या अन्य किसी त्यौहार या किसी विशेष शुभ मुहूर्त या योग में यहां बताया गया उपाय अपनाएंगे तो पैसों की तंगी से छुटकारा मिल जाएगा। उपाय इस प्रकार है प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद पूरी तरह पवित्र होकर सूर्य को जल अर्पित करें।

सूर्य को जल चढ़ाने के बाद घर के मंदिर में या अन्य किसी शिव मंदिर में सुबह-सुबह गेहूं के आटे और पानी से 11 शिवलिंग बनाएं। फिर इन सभी शिवलिंग की विधिवत पूजा करें। पूजा में किसी विशेष विधि का महत्व नहीं है, केवल आपका भाव पवित्र होना चाहिए।

सभी 11 शिवलिंग की पूजा करने के बाद इन्हें बहते पानी, नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित करें। इस उपाय को करने के बाद भक्त के लिए धन प्राप्ति के काफी योग बनेंगे। इन योगों को पहचानकर इनका सही उपयोग करने वाला भक्त धनवान हो जाएगा, उसकी पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। साथ ही भक्त को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है जो कि उसे जीवनभर दुखों से दूर रखेगा।

मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा सही या गलत

मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा सही या गलत

किसी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करना या उस को जाग्रत मानना श्रद्धा भाव से ही संभव है पर इस का ये अर्थ बिलकुल भी नहीं है की ये सिर्फ एक मान्यता या श्रद्धा है .इस का बड़ा ही ठोस वैज्ञानिक आधार है।

इस के लिए हमें पहले प्राण क्या है ये समझना होगा।

प्राण का अर्थ उस वायु से है जो हमारे शारीर में सपंदन या कम्पन के लिए उत्तरदाई है। सनातन विज्ञानं में हमारा शरीर ५ प्रकार की वायु और १० प्रकार की उप वायु से निर्मित माना गया है .जिस में से सिर्फ प्राण ही है जो सपंदन के लिए उत्तरदाई है। और इसी लिए ये जीवन का प्रतीक है।

यदि हम आधुनिक विज्ञानं को समझे तो उस के अनुसार प्रत्येक वस्तु परमाणु से बनी है। ये परमाणु अपनी माध्य स्तिथि के दोनों तरफ दोलन करते रहते है अर्थात प्रत्येक परमाणु की आवृत्ति होती है .इस प्रकार पत्येक परमाणु में प्राण है जो उस स्पंदन के लिए उत्तरदाई है।

आप चाहे उसे विज्ञानं की भाषा में उर्जा बोले पर सनातन विज्ञानं में उसे हम प्राण ही कहेंगे . अर्थात मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा में कुछ भी गलत नहीं।

अब प्रश्न ये है की क्या किसी भी देव मूर्ति के प्राण का स्तर इतना उठ जाता है की वो याचको की मनोकामना पूर्ण कर सके।

आखिर मनोकामना कैसे पूर्ण होती है इस पर मैं अपने विचार अगले लेख में रक्खूँगा .आप के विचार का भी स्वागत है।

लेटे हनुमान जी, इलाहाबाद:

लेटे हनुमान जी, इलाहाबाद:
कहावत के अनुसार खुदाई में इनका ज़मीन में कोई छोर नहीं मिला इसलिए इनको खड़ा किया नहीं जा सका और गंगा में हर साल पानी का स्तर तब तक बढ़ता है जब तक की ये मंदिर डूब न जाये उसके बाद पानी का स्तर घटने लगता है, कहते है की गंगा जी, हनुमान जी को हर साल स्नान कराने के बाद वापस लौट जाती है।


पवनसुत हनुमान की जय!

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