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सोमवार, 19 जून 2023

भविष्य को देखते हुये कौन सा व्यापार शुरु करना चाहिये?


 

पिछले कुछ सालों में व्यापार करने के तरीकों में काफ़ी बदलाव आया है।

तकनीकी के विकास के साथ-साथ व्यापार चलाने के तरीक़ों में भी विकास हुआ है।

पहले जहां, छोटे-बड़े हर तरह के व्यापार को बही-खाते पर मैनुअली मैनेज किया जाता था, वहीं अब व्यापार को ऐप, सॉफ़्टवेयर और बिज़नेस प्लेटफ़ॉर्म की मदद से मैनेज किया जाता है।

वर्तमान में ज़्यादातर व्यापार ऑनलाइन होने लगे हैं। ऐसे में अगर आप कोई नया व्यापार शुरू करने की योजना। बना रहे हैं, तो सभी बातों को ध्यान में रखकर ही शुरू करें।

नीचे मैं आपको कुछ व्यवसायों के बारे में बताने जा रहा हूं, जिनकी भविष्य में माँग बहुत ज़्यादा बढ़ने वाली है।

1- क्लाउड किचन:

क्लाउड किचन एक तरह का ऑनलाइन रेस्टोरेंट होता है, जहां से खाना केवल ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है। इसकी कोई फ़िज़िकल ब्रांच नहीं होती है, जहां बैठकर खाना खाया जा सके। पिछले कुछ समय में ही क्लाउड किचन का व्यापार काफ़ी बढ़ गया है। हालांकि, अभी क्लाउड किचन केवल बड़े शहरों में देखे जाते हैं, लेकिन आने वाले कुछ समय में ही छोटे शहरों में भी क्लाउड किचन काफ़ी देखे जा सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आज के डिजिटल युग में जितनी रेस्टोरेंट या होटल जकार खाने वालों की संख्या है, उससे ज़्यादा लोग ऑनलाइन खाना ऑर्डर करके घर पर खाते हैं। यह देखकर मैं कह सकती हूं कि भविष्य में क्लाउड किचन की माँग और भी बढ़ने वाली है।

2- वेडिंग प्लानिंग:

पहले बड़े शहर हो या छोटे शहर, हर जगह शादी की पूरी ज़िम्मेदारी घर के लोग, रिस्तेदार, और दोस्त मिलकर संभाल लेते थे। लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे काफ़ी बदलाव हुआ। कुछ समय पहले तक बड़े शहरों के केवल धनी लोग ही शादी की पूरी ज़िम्मेदारी वेडिंग प्लानर हो देते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह चलन छोटे शहरों में भी बढ़ता जा रहा है। अब तो मध्यमवर्गीय परिवार वाले भी शादी की ज़िम्मेदारी वेडिंग प्लानर को देने लगे हैं। इसे देखकर मैं कह सकती हूं कि आने वाले समय में यह चलन और भी बढ़ेगा और वेडिंग प्लानिंग करने वालों की माँग बढ़ेगी।

3- हायरिंग कंसलटेंसी फ़र्म:
आज के समय में हायरिंग कंसलटेंसी फ़र्म की अच्छी माँग है और यह भविष्य में और भी बढ़ने वाली है। ज़्यादातर स्टार्टअप के पास अपनी हायरिंग टीम नहीं होती है। वो कर्मचारियों को हायर करने के लिए कंसलटेंसी फ़र्म का सहारा लेते हैं। यह देखते हुए कहा जा सकता है कि भविष्य के हिसाब से यह एक बेहतरीन व्यापार विकल्प हो सकता है। ज़रूरी नहीं है कि आप बड़े स्तर की हायरिंग कंसलटेंसी फ़र्म खोलें। आपके क्षेत्र में जिस तरह के कर्मचारियों की ज़्यादा माँग होती है, आप उससे संबंधित कंसलटेंसी फ़र्म खोल सकते हैं।

4- हर तरह का ऑनलाइन व्यापार:

वर्तमान समय में रोटी, कपड़ा और मकान सब कुछ ऑनलाइन मिलने लगा है। मकान ऑनलाइन मिलने से मतलब है कि आज के समय में घर की ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है। पहले जहां केवल शहरों में ही ऑनलाइन सामान ख़रीदे जा सकते थे। वहीं, आज के समय सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी ऑनलाइन डिलीवरी होने लगी है। इसलिए कह सकते हैं कि ऑनलाइन ख़रीदारी का बाज़ार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अगर आप कोई व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो उसे ऑफ़लाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी चलाएँ। इससे आपके व्यापार का दायरा बढ़ेगा और आपको ज़्यादा ग्राहक भी मिलेंगे।

इसके अलावा कई और व्यापार हैं, जिनकी भविष्य में काफ़ी माँग बढ़ने वाली है।

हालांकि, भविष्य में ज़्यादातर व्यापार ऑनलाइन होंगे, इसलिए बेहतर यही होगा कि आप जो भी व्यापार शुरू करें, उसे ऑनलाइन ही रखें।

केवल यही नहीं अपने व्यापार को ऑनलाइन मैनेज भी करें।

हर तरह के छोटे-बड़े व्यापार के लिए करेंट अकाउंट ज़रूरी होता है।

और आजकल आसानी से व्यापार के लिए ऑनलाइन करेंट अकाउंट खुलवाया जा सकता है।

इसके साथ ही व्यापार की बिलिंग, अकाउंटिंग, टैक्स, इन्वेंटरी, रिपोर्ट्स, कैशफ़्लो जैसी ज़रूरतों को भी ऑनलाइन ही मैनेज किया जा सकता है।

वर्तमान में कई ऐप और बिज़नेस प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से व्यापार की लगभग सभी ज़रूरतों को बड़ी आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

बस अपने व्यापार के लिए कोई ऐप या बिज़नेस प्लेटफ़ॉर्म चुनते समय यह देखें कि कौन सा ऐप या प्लेटफ़ॉर्म आपके व्यापार की ज़्यादातर ज़रूरतों को एक ही जगह पूरा करता है।

MyMoney भी एक ऐसी ही ऐप है, जिसकी मदद से व्यापार की कई ज़रूरतों को एक जगह बड़ी आसानी से मैनेज किया जा सकता है।

इसकी मदद से व्यापार के लिए ज़ीरो बैलेंस करेंट बिज़नेस अकाउंट खुलवाया जा सकता है।

व्यापार की बिलिंग, अकाउंटिंग, टैक्स और इन्वेंटरी को भी मैनेज किया जा सकता है।

व्यापार संबंधी कई महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स प्राप्त की जा सकती है।

केवल यही नहीं MyMoney की मदद से ज़रूरत पड़ने पर व्यापार के कैशफ़्लो को सही रखने के लिए या व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए उचित दर पर बिज़नेस लोन भी लिया जा सकता है।

इस तरह मैं कह सकती हूं कि एक ही ऐप का इस्तेमाल करके व्यापार की लगभग सभी ज़रूरतों को एक ही जगह पूरा करके व्यापार को आगे बढ़ाया जा सकता है।

आप अपनी पसंद के हिसाब से ऊपर बताए गए व्यापार में से कोई एक चुन सकते हैं और उसे अपनी पसंद की किसी ऐप से मैनेज कर सकते हैं।

इससे व्यापार को मैनेज करना काफ़ी आसान हो जाता है और भविष्य में व्यापार को आगे बढ़ाने में भी काफ़ी मदद मिलती है।

भारत का एक ऐसा रहस्यमई मंदिर जहां सुनामी लहर आते ही 2 किलोमीटर पीछे चली गई

 

दरअसल तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 75 किलोमीटर दूर श्रीचंद मुरुगन यानी भगवान कार्तिकेय का मंदिर है। 17 वीं शताब्दी में डचो ने इस मंदिर पर आक्रमण करके मंदिर का सारा खजाना और भगवान कार्तिकेय की पंचतंत्र लोहे से बनी मूर्ति चुरा कर भाग रहे थे, लेकिन जैसे ही वे समुद्र के बीच पहुंचे अचानक मौसम बिगड़ गया, जिससे समुंद्र में भयानक तूफान और बारिश होने लगी। इतने में नाविक बोला ये इस मूर्ति का प्रकोप है। हम इसे नहीं ले जा सकते और जहाज के कैप्टन ने जान बचाने के लिए उस मूर्ति को समंदर में छोड़ दिया, जिसके थोड़ी देर बाद तूफान थम गया। 1 दिन भगवान श्री चंद्र मुरुगन अपने भक्तों के सपने में आए और उसे मूर्ति के बारे में बताया। भगवान बोले समुंद्र में मेरे ऊपर इक नींबू तैरता हुआ दिखेगा। उसी के ठीक नीचे मेरी मूर्ति है और उस मूर्ति को ढूंढ कर इस मंदिर का निर्माण किया गया। साल 2004 में इस मंदिर के पास भयानक सुनामी आई लेकिन। मंदिर के पास आते ही 2 किलो मीटर दूर चली गई भगवान कार्तिके के इस चमत्कार के लिए कमेंट में जय कार्तिकेय भगवान जरूर लिखे


किन परिस्थितियों में एक स्त्री चरित्रहीन हो जाती है?

 

  • वर्तमान में अधिकांश स्त्रियां तन को खूबसूरत बनाए रखने के लिए अपना मन और स्तन अर्पण कर देती हैं। किसी को धन का अभाव मिटाना होता है।
  • रति रहस्य, स्त्री जातक आदि शास्त्रों में बीस प्रकार चरित्रहीन स्त्रियों का उल्लेख मिलता है। इन्हे छिनाल, कालगर्ल भी कहते हैं। लेकिन वैश्या नहीं होती।
  • छिनाल लकड़ी अगर अय्याश पुरुष के चंगुल में फंस जाए, तो ये अंगूर को मौसमी बनाकर ही दम लेते हैं।
  • विदेशों में कालगर्ल का कल्चर आम है और भारत में आम दबाकर चूसने, खाने वाले पुरुषों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
  • चरित्रहीनता के चलते कत्लेआम भी होने लगे हैं। सुबह शाम नर नारी सेटिंग करते, चूमते, घूमते मिल जायेंगे। ये लोग राम राम नहीं करते बल्कि बड़े आराम से दाम अदा कर, अपना काम निपटाकर निकल लेते हैं।
  • कुपत्ति, धुश्चरिता, कर्कशा, उन्मादी आदि 20 तरह की स्त्रियां या युवतियां चरित्र हीन होती हैं। इनमें कामवासना अत्याधिक होने से एक मर्द के द्वारा किया गया सेक्स दर्द यानि आनंद नहीं दे पाता।
  • इससे नारी मन नहीं भरता। स्तन में भी करंट नहीं आता। रोज 4 से 5 पुरुषों के साथ हमबिस्तर होने में मानसिक शांति मिलती है।

कुंवारी लड़की को छिनाल बनाने की विधि

  • एक युवा नेता के दुनिया भर का ताम झाम देखकर एक कन्या बहुत फिदा हो गई और नेता से सच्चा प्रेम करने लगी।
  • प्रेमिका नेताजी के लिए समर्पण को आतुर थी और एक दिन नेता जी ने उसका लोकार्पण करवा दिया।
  • जब वह एक बार में 5/7 लोगों के साथ हमबिस्तर होकर यौन सुख पा लिया, तो धीरे धीरे कालगर्ल बन गई।
  • याद रखें जवानी के दिनों में दर्पण बहुत धोखे में रखता है और इसी के कारण भी लड़कियां, अपना सब कुछ अर्पण कर कुवारेपन में ही घर्षण का परम सुख उठा लेती हैं। किसी किसी के पेट में भी आभूषण आ जाता है।
  • राजनीति में नई नई आई एक अनुभवी महिला नेत्री से सलाह मांगी कि नेतागिरी में प्रसिद्धि का सही तरीका क्या है। तब नेत्री न बताया कि आप अंदर चड्डी पहनना बंद कर दो। आपको 5 साल में ही भारत सरकार से पदम भूषण भी मिल सकता है।
  • इसलिए प्रदूषण फैलने वाले खर दूषण जैसे आसुरी नेताओं से दूर ही रहें।
  • ऐसे ही एक विवाहित महिला द्वारा अपने पति के अलावा किसी अन्य के साथ चौरी छुपे स्वैच्छिक सेक्स या संभोग करने वाली स्त्री को व्यभिचारी कहते हैं।
  • व्यभिचार का अर्थ है चरित्र हीनता। ऐसी स्त्री को छिनाल, कालगर्ल कहते हैं ओर पुरुष छिनरा होते हैं।
  • विवाहित पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बनाकर संभोग करना पुरुषों का व्यभिचार कहलाता है। इन्हे राबाज की उपाधि से भी नवाजा जाता है।
  • छिनाल का मतलब वेश्या नहीं होता इसका अर्थ है अविश्वसनीय है। छिनाल एक प्रकार से औरतों को दी जाने वाली गाली भी है।
  • परस्त्रीगामी और लम्पट के लिए हिन्दी में छिनाल का पुरुषवाची शब्द छिनरा है।
  • व्यभिचारिणी; कुलटा, जिसका संबंध बहुत से पर-पुरुषों से हो। बदज़ात, शरीर, होशयार, चालाक, मक्कारा, बेहया।
  • स्त्रियों के झगड़े, विवाद के दौरान शहर की हर पुरानी गली में ये गाली बड़े आराम से सुनी जा सकती है।

स्त्रियां कितने तरह की होती हैं…

  • व्यभिचारिणी महिलाओं या युवतियों को कालगर्ल, पतिहन्ता या बदचलन, छिनाल और कुपत्ती भी कहा जाता है। इनके चक्कर में उलझा, फंसा पुरुष अंत में एक बात कहता है।

छिनालो मेरा सब कुछ छिना -लो

  • छिनाल और फिनायल दोनों ही गंदगी, संक्रमण को साफ करने में लाजवाब है। छिनाल स्त्री हमेशा पुरुष के अंदर की ओर फिनायल बाहर की सफाई करने में कारगर होती हैं।
  • छिनाल के चक्कर में उलझा व्यक्ति की चाल, ढाल, गाल, खाल खराब हो जाती है। घर में तालमेल बिगड़ने लगता है। साल में 100 बार पत्नी भूचाल ला देती है।
  • बीबी के सवाल ऐसे होते हैं कि ज़बाब देना मुश्किल हो जाता है। बात बात पर उसे उबाल आता है। छिनाल की नाल (खर्चे) भरते भरते आदमी का हाल बेहाल हो जाता है।
    • बदचलन, छिनाल तथा पतिहन्ता 20 तरह की बताई हैं। स्त्रियों की पहचान कैसे करें…

छिनाल शब्द की उत्पत्ति के रहस्य

  • स्त्री जातक के अनुसार छिनाल शब्द की अविष्कारक नारियां ही हैं। आपने देखा होगा कि कुछ महिलाएं किसी भी खराब या अच्छी वस्तु, भोजन को त्याज्य बताते हुए नार को छी: छी: छी: करने की आदत होती हैं। छिनाल शायद छि:नार का अपभ्रंश हो गया हो।

संस्कृत शब्द है छिनाल

  • छिनाल शब्द बना है संस्कृत के छिन्न से जिसका मतलब विभक्त , कटा हुआ, फाड़ा हुआ, खंडित , टूटा हुआ , नष्ट किया हुआ आदि है।
  • चरित्र के संदर्भ में छिनाल शब्द अर्थात जिस नारी का नाड़ा जगह जगह खुलकर उसने अनेक मर्दों का काढ़ा (वीर्य) पा लिया हो उसका चरित्र खंडित, नष्ट हो चुका हो। उसे चरित्रहीन स्त्री या छिनाल कहते हैं।
  • छिनाल का संधि विच्छेद करें, तो छिन्न+नार= छिन्नार, छिनार या छिनाल होगा।
  • जॉन प्लैट्स के हिन्दुस्तानी-इंग्लिश-उर्दू कोश में छिनाल का विकासक्रम इसप्रकार है-छिन्ना+नारी =छिन्नाली। छिनाल। इसी तरह हिन्दी शब्दसागर में -छिन्ना+नारी से उसकी व्युत्पत्ति बताते हुए इसके प्राकृत रूप छिणणालिआ! छिणणाली ! छिनारि के क्रम में इसका विकासक्रम छिनाल बताया गया है।

पुराणों में पूज्यनीय छिन्न, छिन्नमस्तक

  • छिन्न शब्द ने गिरे हुए चरित्र के विपरीत पुराणों में वर्णित देवी-देवताओं के किन्ही रूपों के लिए भी कुछ खास शब्द गढ़े हैं जैसे छिन्नमस्ता या छिन्नमस्तक। इनका मतलब साफ है- खंडित सिर वाली वाले देवी देवता।
  • भगवान श्रीगणेश, भैरोनाथ, खाटू श्याम आदि छिन्नमस्तक रूप के लिए हैं जिसमें उनके मस्तक कटा हुआ दिखाया जाता है।
  • एक तांत्रिक देवी छिन्नमस्ता देवी अघोरी तांत्रिकों में पूजी जाती हैं। Picassoऔर दस महाविद्याओं में उनका स्थान है। इनका रूप भयंकर है और ये अपना कटा सिर हाथ में लेकर रक्तपान करती चित्रित की जाती हैं।
  • हिन्दी में सिर्फ छिन्न शब्द बहुत कम इस्तेमाल होता है। साहित्यिक भाषा में फाड़ा हुआ, विभक्त आदि के अर्थ में विच्छिन्न शब्द प्रयोग होता है जो इसी से जन्मा है।
  • छिन्न-भिन्न का अर्थ जिसमें किसी समूह को बांटने, विभक्त करने, खंडित करने या छितराने का भाव निहित है। छिन्न बना है छिद् धातु से जिसमें यही सारे अर्थ निहित है। इससे ही बना है छिद्र जिसका अर्थ दरार, सूराख़ होता है।

छेद के भेद

  • छेदः भी इससे ही बना है जिससे बना छेद शब्द हिन्दी में प्रचलित है। संस्कृत में बढ़ई के लिए छेदिः शब्द है क्योंकि वह लकड़ी की काट-छांट करता है।

छिनरा छिनरी से मिले हँस-हँस होय निहाल।

  • भारत के लोग अदभुत हैं। लोक ने उस स्त्री में छिपे छिनाल को खोज लिया जिसके गालों में हँसने पर गड्ढे पड़ते हों- हँसत गाल गड़हा परै, कस न छिनरी होय।’

पतिव्रता नारी की कथा

  • भारत में पतिव्रता स्त्री, सुहागिन महिला का बहुत मान सम्मान है, इन्हें देवी का दर्जा प्राप्त है।
  • पतिव्रता की परिभाषा….जो स्त्रियां भूलकर भी किसी अन्य पुरुष की तरफ आकर्षित न हों। सदैव अपने पति को परमेश्वर मानकर सेवा में लगी रहें।
  • पराए या अन्य पुरुष के बारे में कभी कोई चिंतन, मंथन, शोधन, भोजन, छोड़ना न करे, वो स्त्रिवको पतिव्रता बताया है।
  • हिंदुस्तान के हिन्दू धर्म में माँ अनुसुइया तथा सती सावित्री के किस्से बहुत सहते-सुनाए जाते हैं। कहते हैं कि पतिव्रता स्त्री में इतना बल, आत्मविश्वास होता है कि वो ब्रह्मांड को हिला सकती है।
  • महादेव की पत्नी महादुर्गा, पतिव्रता महादेवी के रूप में सृष्टि में पूजनीय है।
  • माँ अनसुइया ने ब्रह्मा-विष्णु-महेश टिनन मुख्य देवताओं को अपने पतिव्रता तपोबलबच्चा-बालक बना दिया था।
  • भारतीय ग्रन्थों में पतिव्रता स्त्रियों के नामों का उल्लेख मिलता है-
  • पतिव्रता नारियां चार प्रकार की होती हैं- स्वभाव से उत्तम, मध्यम, नीच, लघु ये चरित्रवान होती है। इनके चित्र अनेक हो सकते हैं लेकिन चरित्र खराब नहीं होता।

देश में लाखों स्त्रियां पतिव्रता हुई हैं, जिनकी गाँव में कथा गाते हैं।


महत्मा गांधी की हत्या के जुर्म में नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में क्या बयान दिया था?

 

"मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और 30 जनवरी, 1948 को बिड़ला हाउस में पूजा स्थल पर गांधीजी को गोली मार दी।"

अपने बचाव के लिए एक शब्द खर्च किए बिना, नथूराम गोडसे ने अदालत में कहा कि उसने गांधीजी को गोली मार दी थी और उसके बाद एक ऐसा मुकदमा शुरू हुआ, जो अभूतपूर्व था।

हत्या क्यों? इस सवाल के जवाब में नथूराम ने कहा,

  • "ऐसे अपराधी (गांधी) को न्याय दिलाने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं था और इसलिए मैंने गांधी को गोली मारने का सहारा लिया क्योंकि मेरे लिए यही एकमात्र समाधान था।"

गांधीजी को गोली मारने के पहले, हाथ मे पिस्तौल लिए गोडसे…(प्रातिनिधिक चित्र)

वास्तव में, यह एक थंडे दिमाग से किया हुआ अपराध (कोल्ड-ब्लडेड मर्डर) था, कानून की भाषा में! सैकड़ों लोगों द्वारा देखी गई इस हत्या को किसी गवाह के सबूत की जरूरत नहीं थी!

फिर भी, नथूराम गोडसे ने, 'मैंने ऐसा क्यों किया?' इस बारे में कुछ बयान देने की अनुमति के लिए अदालत से अनुरोध किया।

यहां तक ​​कि उन्होंने कानूनी प्रक्रिया का पूरा फायदा उठाकर यह अनुमति भी हासिल कर ली!

न्यायिक दृष्टिकोण से यह आश्चर्य की बात है कि एक अभियुक्त दिनदहाड़े हत्यारे को हत्या के कारण बताने की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन अदालत ने उनके तर्क, उनके दृष्टिकोण को जानना आवश्यक समझा और इसलिए अनुमति दी गई। न्यायाधीश आत्मा चरण ने गांधी पर वैचारिक हमले के संबंध में नथूराम गोडसे को नौ घंटे तक बोलने की अनुमति दी।

पहली पंक्ति में नथूराम गोडसे और नारायण आपटे, पीछे सावरकर...

ऐसा माना जाता है कि हालांकि सावरकर ने एक बार भी कठघरे में खड़े गोडसे पर नजर नहीं डाली, उन्होंने या तो पूरा बयान लिखा होगा या कम से कम इसे अंतिम रूप दिया होगा।

लगभग इकतालीस साल पहले सावरकर ने मदनलाल ढींगरा मामले में यही किया था। लेकिन लंदन के ओल्ड बेली कोर्ट के एक जज ने ढींगरा को इसे पढ़ने की अनुमति नहीं दी।

8 नवंबर, 1948 को अदालत ने गोडसे को बहस करने की अनुमति देने के बाद उन्होंने 92 पन्नों का एक हस्तलिखित बयान पढ़ा।

पंजाब हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच के एक जज जस्टिस खोसला ने मामले के तथ्यों से बयान की अप्रासंगिकता का हवाला देते हुए रिकॉर्डिंग को रोकने की कोशिश की, लेकिन बाकी दो जज इस बयान से मंत्रमुग्ध नजर आए.

और फिर दुनिया के सामने आया, यह था ...

गोडसे का समापन वक्तव्य (असंपादित)

“13 जनवरी, 1948 को मुझे पता चला कि गांधीजी ने आमरण अनशन करने का फैसला कर लिया है। कारण यह दिया गया था कि वे हिंदू-मुस्लिम एकता का आश्वासन चाहते थे... लेकिन मैं और कई अन्य लोग आसानी से देख सकते थे कि असली मकसद... सरकार को पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिए मजबूर करना था। जिसे सरकार ने पुरजोर तरीके से मना कर दिया.... लेकिन सरकार का यह फैसला गांधी जी के अनशन का पूरक था। मैंने महसूस किया कि गांधीजी की पाकिस्तान समर्थक विचारधारा की तुलना में जनमत की शक्ति कोई छोटी चीज नहीं थी।

….1946 में या उसके बाद नोआखली में सुराहवर्दी की सरकार में हिन्दुओं पर मुसलमानों के अत्याचारों से हमारा खून खौल उठा। हमारी शर्म और आक्रोश की कोई सीमा नहीं रही जब गांधीजी उस सुराहवर्दी को बचाने के लिए आगे आए और अपनी प्रार्थना सभाओं में भी उन्हें शहीद साहब, शहीद जैसी उपाधियाँ देने लगे।

कांग्रेस के भीतर गांधीजी का प्रभाव पहले बढ़ा और फिर सर्वोच्च हो गया। जनजागृति के लिए उनका कार्य अभूतपूर्व था और सत्य और अहिंसा के नारों से उन्हें बल मिला, जिसे उन्होंने आडंबरपूर्ण ढंग से राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया... मैं कभी कल्पना नहीं कर सकता कि एक आक्रमणकारी के लिए सशस्त्र प्रतिरोध अन्यायपूर्ण है...

...राम ने रावण का वध किया... कृष्ण ने कंस की दुष्टता को समाप्त करने के लिए कंस का वध किया... गांधीजी ने शिवाजी, राणा प्रताप और गुरु गोबिंद को 'पथभ्रष्ट देशभक्त' के रूप में निंदा करके अपना तिरस्कार प्रकट किया... गांधीजी, विरोधाभासी रूप से, एक हिंसक शांतिवादी थे। वे सत्य और अहिंसा के नाम पर देश पर अनकही आपदाएं लेकर आए। राणा प्रताप, शिवाजी और गुरु गोविंद हमारे देशवासियों के दिलों में हमेशा रहेंगे...

1919 तक, गांधीजी मुसलमानों का विश्वास हासिल करने की असफल कोशिश कर रहे थे और इसके लिए उन्होंने मुसलमानों से एक के बाद एक कई वादे किए। ... उन्होंने इस देश में खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया और इसके लिए राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्ण समर्थन की पेशकश भी की। ... जल्द ही मोपला विद्रोह ने दिखाया कि मुसलमानों को राष्ट्रीय एकता का कोई विचार नहीं है ... फिर हिंदुओं का बड़े पैमाने पर कत्लेआम हुआ ... विद्रोह को महीनों के भीतर ब्रिटिश सरकार ने बिल्कुल भी सहानुभूति नहीं दिखाते हुवे दबा दिया था और गांधीजी तब भी हिंदू-मुस्लिम एकता के गीत गाते थे ...ब्रिटिश साम्राज्यवाद मजबूत हुआ, मुसलमान अधिक कट्टर हुए और इसका असर हिंदुओं पर पड़ा...

इन 32 वर्षों के गांधीजी के लगातार उकसावे, जिसकी परिणति मुस्लिम समर्थक अंतिम उपवास में हुई, ने मुझे इस निष्कर्ष पर पहुँचाया कि गांधीजी को तुरंत समाप्त कर दिया जाना चाहिए ... उन्होंने एक व्यक्तिपरक मानसिकता विकसित की जिसके तहत वे अकेले ही अंतिम न्यायाधीश थे।

सही या गलत... या तो कांग्रेस को अपनी इच्छा को उनके सामने समर्पण करना था और उनकी सभी सनक के आगे झुकना था... या उनके बिना आगे बढ़ना था... सविनय अवज्ञा आंदोलन का मार्गदर्शन करने वाले वे मास्टर ब्रेन थे... आंदोलन सफल या असफल हो सकता था; इससे अनकहे संकट और राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है, लेकिन महात्माजी की लापरवाही...बचकानापन, नासमझी और जिद...गांधीजी एक के बाद एक गलतियां करते जा रहे थे।

….गांधी ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी से सिंध के अलगाव का भी समर्थन किया और सिंध के हिंदुओं को सांप्रदायिक भेड़ियों के हवाले कर दिया। कराची, सुक्कुर, शिकारपुर और अन्य जगहों पर कई दंगे हुए जहां केवल हिंदू ही प्रभावित हुए...

अगस्त 1946 से मुस्लिम लीग की निजी सेना ने हिंदुओं का कत्ल करना शुरू कर दिया... बंगाल से कराची तक हिंदू खून बह रहा था... सितंबर में बनी अंतरिम सरकार को मुस्लिम लीग के सदस्यों ने तोड़ दिया था। लेकिन जिस अंतरिम सरकार का वह हिस्सा थे, उसके प्रति वे जितने अधिक अविश्वासी और देशद्रोही होते गए, गांधी का उनके प्रति उतना ही आकर्षण बढ़ता गया।

….कांग्रेस ने अपने राष्ट्रवाद और समाजवाद का घमंड करते हुए गुप्त रूप से पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। भारत का विभाजन हुआ और भारत का एक तिहाई हिस्सा हमारे लिए विदेशी भूमि बन गया... गांधीजी ने 30 साल की निर्विवाद तानाशाही के बाद यही हासिल किया और इसे ही कांग्रेस पार्टी 'आजादी' कहती है...।

  • उपवास समाप्त करने के लिए गांधीजी की शर्तों में से एक यह थी कि हिंदू शरणार्थियों द्वारा कब्जा की गई दिल्ली की मस्जिदों पर से हिंदुओं का कब्जा तत्काल छोड़ देना चाहिए। लेकिन जब पाकिस्तान में हिंदुओं पर हिंसक हमले हुए, तो उन्होंने पाकिस्तान सरकार के विरोध में एक शब्द भी नहीं बोला...

गांधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है। लेकिन अगर ऐसा है, तो वह देश के विभाजन के लिए सहमत होकर अपने पैतृक कर्तव्य में विफल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने देश के प्रति सबसे विश्वासघाती कार्य किया है ... इस देश के लोग पाकिस्तान के विरोध में उत्सुक और तीव्र थे। लेकिन गांधीजी ने लोगों के साथ नकली खेल खेला...

मुझे पता है कि मैंने जो किया है उससे मैं पूरी तरह से तबाह हो जाऊंगा, और मुझे लोगों से नफरत के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन अगर मैं गांधीजी को मार देता हूं, तो उनकी अनुपस्थिति में भारतीय राजनीति निश्चित रूप से व्यावहारिक, बदला लेने में सक्षम और सशस्त्र बलों के साथ मजबूत साबित होगी। बेशक मेरा अपना भविष्य पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा, लेकिन पाकिस्तान की घुसपैठ से देश बच जाएगा।

….मैं कहता हूं कि मेरी गोलियां उस व्यक्ति पर चलाई गईं, जिसकी नीतियों और कार्यों ने लाखों हिंदुओं को बर्बाद और तबाह कर दिया… ऐसे अपराधी को न्याय दिलाने के लिए कोई कानूनी तंत्र नहीं था और इस कारण मैंने उन घातक गोलियों को निकाल दिया…

.. मैं दया नहीं दिखाना चाहता... मैंने गांधीजी को दिनदहाड़े गोली मारी थी। मैंने बचने का कोई प्रयास नहीं किया; वास्तव में मैंने कभी भागने के बारे में नहीं सोचा था। मैंने खुद को गोली मारने की कोशिश नहीं की... क्योंकि खुले दरबार में अपने विचार व्यक्त करने की तीव्र इच्छा थी। मेरी कार्रवाई के नैतिक पक्ष में मेरा विश्वास हर तरफ से आलोचना से नहीं डगमगाया है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इतिहास के ईमानदार छात्र मेरे काम का मूल्यांकन करेंगे और भविष्य में इसका वास्तविक महत्व पाएंगे।

नथूराम गोडसे…

यह है नथूराम गोडसे का अदालत में दिया गया बयान, संक्षिप्त रूप में, जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्होंने 'गांधी को क्यों मारा'.

आज भी पुणे के शिवाजीनगर में अजिंक्य डेवलपर्स के कार्यालय में एक कांच के बक्से में नथूराम की अस्थियां संरक्षित हैं।

यहां गोडसे के कुछ कपड़े और हस्तलिखित नोट भी रखे गए हैं। नथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे ने कहा, 'इन अस्थियों को सिंधु नदी में तभी विसर्जित किया जाएगा, जब अखंड भारत का उनका सपना पूरा होगा।' अजिंक्य ने कहा, "यह मेरे दादाजी की आखिरी इच्छा थी, इसमें कई पीढ़ियां लगेंगी, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह एक दिन जरूर पूरी होगी।"

नमोस्तुते !

यह जवाब मेरे मराठी कोरापर लिखे हुवे एक जवाब का हिंदी रूपांतर हो सकता है।

चित्र : Speakola

प्याज का रस लगाने से किसी का गंजापन दूर हुआ है क्या ?

 

  • एक बार कच्ची जमीन पर सीमेंट कंक्रीट बिछा दी जाए या सड़क बना दें, तो फिर, वहां पेड़ नहीं उग सकते और न खेती हो पाएगी।
  • अगर गंजेपन का आरंभ है। बाल झड़ रहे हैं, तो उन्हे रोका जा सकता है। लेकिन गंजापन आ गया या खोपड़ी पूरी तरह चिकनी, सपाट हो चुकी हो, तो दुनिया कोई भी दवाई द्वारा बाल नहीं उगा सकती।
  • अदभुत बात ये भी है कि बीबी यानि बाई ओर दवाई दोनों ही लाभदायक हैं, किंतु समय पर करती है।
  • आप चाहें, तो प्यास का रस न लगाकर Onion Oil एक महीने लगाकर देख सकते हैं और प्याज के रस से निर्मित शैम्पू भी कारगर सिद्ध होगा। यदि इसके वश में होगा, तो प्याज के रस की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  • कभी कभी प्याज के स्वरस से खोपड़ी में पस यानि मवाद भी पड़ने लगता है। फिर, कोई आप पर तरस नहीं खायेगा।
  • वैसे भी भारत एक अनोखा देश देश है, जहां प्याज, खून खाना पाप है। किसी की संपत्ति हड़पना, बेइमानी, छल कपट, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार आदि कुकर्म पाप नहीं माने जाते।

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि आज से शुरू

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि आज से शुरू
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हिंदू धर्म शास्त्रों में कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि भी होती हैं। एक गुप्त नवरात्रि माघ और दूसरी आषाढ़ के महीने में पड़ती है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है, जो कि 28 जून को समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में मां अम्बे के नौ रूपों की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। 

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की तिथि 
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पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 18 जून 2023 को सुबह 10 बजकर 06 बजे से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 19 मई 2023 को सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत इस साल 19 मई को यानी आज से होगी।  

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
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गुप्त नवरात्रि की पूजा के लिए कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून 2023 सोमवार को प्रात: काल 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक है।  इसके अलावा इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बजे तक है। इस मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है। 

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि 
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आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
स्नान करके शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उसे गंगा जल से पवित्र करें। 
देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें। 
इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करें। 

गुप्त नवरात्रि में करें इन 10 महाविद्याओं की साधना
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मां काली
मां तारा
मां त्रिपुर सुंदरी
मां भुवनेश्वरी
मां छिन्नमस्ता
मां त्रिपुर भैरवी
मां धूमावती
मां बगलामुखी
मां मातंगी
मां कमला

गुप्त नवरात्रि की कथा
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पौराणिक कथा के अनुसार एक समय श्रृंगी ऋषि के पास उनके भक्त अपनी समस्याएँ और पीड़ायें लेकर आये और श्रृंगी ऋषि उनसे मिल कर उनके कष्ट सुन रहे थे। उसी समय एक औरत भीड़ से निकल कर सामने आकर रोने लगी। श्रृंगी ऋषि ने उस महिला से उसके दुख का कारण पूछा तो उसने कहा – हे ऋषिवर! मेरा पति दुर्व्यसनों में लिप्त है। वो मांसाहार करता है, जुआ खेलता है, कभी पूजा-पाठ नहीं करता और ना ही मुझे करने देता है। परंतु मैं माँ दुर्गा की भक्त हूँ और मैं उनकी भक्ति करना चाहती हूँ जिससे मेरे और मेरे परिवार के जीवन में ख़ुशियाँ आयें।

उस औरत के भक्तियुक्त वचन सुनकर श्रृंगी ऋषि अत्यंत प्रभावित हुए और उससे बोले – हे देवी! मैं तुम्हारे दुखों को दूर करने का उपाय बताता हूँ, तुम ध्यान से सुनो। एक वर्ष में चार नवरात्रि आती है। उसमें दो प्रकट (सामान्य) नवरात्रि होती है, चैत्र और शारदीय नवरात्रि जिसके विषय में सब जानते हैं। परंतु इसके अतिरिक्त वर्ष मे दो और नवरात्रि आती है उन्हे ‘गुप्त नवरात्रि’ कहते हैं। ये नवरात्रि आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है।

प्रकट (सामान्य) नवरात्रि में देवी माँ के नौ रूपों की पूजा-साधना होती है, परन्तु गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। जो भी कोई मनुष्य भक्तियुक्त चित्त से गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करता है माँ दुर्गा उसके जीवन के सभी दुखों को नष्ट कर देती है और उसके जीवन को सफल कर देती है। अगर कोई लोभी, मांसाहारी और पाठ-पूजा न करने वाला मनुष्य भी गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करें तो माँ उसके जीवन को खुशियों से भर देती है और उसे मनोवांछित फल प्रदान करती है।

श्रृंगी ऋषि बोले परंतु इस बात का अवश्य ध्यान रखना कि गुप्त नवरात्रि की पूजा का प्रचार प्रसार न करें। श्रृंगी ऋषि से ऐसी बातें सुन वो स्त्री अतिप्रसन्न हुई। और उसने श्रृंगी ऋषि के कथनानुसार पूर्ण भक्ति-भाव से गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना करी। जिससे उसके जीवन के सभी दुखों का नाश हो गया और वो अपने पति के साथ सुख से जीवन बिताने लगी।


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