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गुरुवार, 22 अगस्त 2019

पत्रकारिता की आड़ में पनप रहे माफिया तंत्र

जानिए सरकार किसे मानती है पत्रकार?





महेश झालानी
मैं आज अपने सभी पत्रकार साथियो, बुद्धिजीवियों, सूचना एवं जन सक्षम्पर्क विभाग में कार्य करने वालो से यह जानना चाहता हूँ कि आखिर पत्रकार किसे कहते है या पत्रकार कौन होता है । मैंने गूगल, विकिपीडिया तथा अनेक पुस्तको को खंगाल डाला । लेकिन मुझे पत्रकार या पत्रकारिता की सर्व सम्मत परिभाषा उपलब्ध नही हो पाई ।
मजे की बात यह है कि सरकारी विभाग भी इसकी परिभाषा से बचते नजर आए । अनेक विद्वानों ने पत्रकारिता की व्याख्या तो की है, लेकिन असल पत्रकार किसे कहा जाता है, इस पर कोई एक राय नही है । यहां तक कि प्रेस कौंसिल की वेब साइट पर भी पत्रकार की परिभाषा का स्पस्ट उल्लेख नही है । मीडिया और प्रेस, ये दो शब्द तो अवश्य है, लेकिन पत्रकार के फ्रेम में किसे रखा जाए, इस पर कौंसिल भी मौन है ।

जब सरकार की ओर से पत्रकारिता की कोई स्पस्ट और कानून सम्मत परिभाषा ही उपलब्ध नही है तो वह किस आधार पर पत्रकारो का अधिस्वीकरण कर सकती है ? राजस्थान के सूचना और जन सम्पर्क विभाग ने पत्रकारो के अधिस्वीकरण के लिए न्यूनतम स्नातक योग्यता निर्धारित कर रखी है । जबकि किसी भी संस्था, प्रेस कौंसिल के नियमो, उप नियमो, आदेश, संविधान, परिपत्र आदि में न्यूनतम योग्यता का कोई प्रावधान नही है । फिर राज्य का सूचना और जन सम्पर्क विभाग अधिस्वीकरण के लिए न्यूनतम योयता कैसे तय कर सकता है ? क्या दसवीं पास व्यक्ति जिसे पत्रकारिता का लंबा तजुर्बा हासिल है, वह अधिस्वीकरण के योग्य नही है ? सूचना और जन सम्पर्क विभाग का यह आदेश संविधान के प्रतिकूल है ।

अधिकांशत सूचना और जन सम्पर्क विभाग उन्ही पत्रकारो का अधिस्वीकरण करता है जो फील्ड में काम (रिपोर्टर) करते है । अखबार, चैनल में कार्य करने वाले उप संपादक, सहायक संपादक, समाचार संपादक, अनुवादक, कॉपी राइटर, स्तम्भ लेखक पत्रकार नही है ? यदि हाँ तो उनको अधिस्वीकरण की सुविधा क्यो नही ? होता यह है कि बड़े मीडिया संस्थानों में सैकड़ो पत्रकार (?) कार्य करते है, लेकिन अधिस्वीकरण लाभ केवल चन्द लोगो को ही मिलता है । ऐसा क्यों ?

कई जेबी संस्थान या अखबार जिनका वास्तविक बिक्री संख्या तो शून्य होती है, लेकिन फर्जी तौर पर इनका सर्कुलेशन लाखो-हजारो में होता है तथा इसी फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर सरकार से हर माह के फर्जी तौर पर लाखों रुपये के विज्ञापन, दफ्तर के लिए रियायती दर जमीन भी हथिया लेते है । ये जेबी संस्था अपने बेटे, बेटी, दामाद, ड्राइवर, गार्ड, रिश्तेदारों को पत्रकार होने का सर्टिफिकेट देकर अधिस्वीकरण करवाकर सरकार से मिलने वाली सुविधा की मांग करते है और कई जेबी संस्थाओं ने इसका भरपूर रूप से दोहन भी किया है । संस्थान में कलम घसीटू असल पत्रकार सरकारी सुविधा पाने से वंचित रह जाते है ।

एक सवाल यह भी पैदा होता है कि मान लो कि किसी व्यक्ति ने दस-पन्द्रह साल किसी बड़े मीडिया हाउस में काम किया । अपरिहार्य कारणों से आज वह किसी संस्थान से नही जुड़ा हुआ है । क्या सरकार उसे पत्रकार मानेगी या नही । नही मानती है तो इसका तर्कसंगत जवाब क्या है ? क्या ऐसा व्यक्ति सरकारी सुविधा पाने का अधिकारी है या नही ? नही है तो उस बेचारे के दस-पन्द्रह साल कागज काले करने में ही स्वाहा होगये । सरकारी सुविधा से वंचित रखना ऐसे व्यक्ति के साथ घोर अन्याय है ।

एक सवाल यह भी उठता है कि कोई व्यक्ति पिछले 30-40 साल से विभिन्न अखबारों/मीडिया हाउस में कार्य कर रहा है । किसी कारण वह स्नातक तक की योग्यता हासिल नही कर पाया तो क्या उसका अधिस्वीकरण नही होगा ? नही होगा तो किन प्रावधानों के अंतर्गत ? और होता है तो फिर स्नातक योग्यता की अनिवार्यता क्यो ?

फ्रीलांस पत्रकारो के सम्बंध में भी एक सवाल उठ रहा है । फ्रीलांस पत्रकार के लिए जहां तक मुझे पता है, सरकार ने 60 वर्ष की आयु निर्धारित कर रखी है । जिस व्यक्ति की आयु 60 वर्ष है तो निश्चय ही उसने कम से कम 25-30 साल तक तो अवश्य कलम घसीटी होगी । सरकार ने एक प्रावधान कर रखा है कि उसकी खबर या आलेख नियमित रूप से अखबारों या पत्रिकाओ में प्रकाशित होने चाहिए ।
सभी को पता है कि बड़े संस्थानों में उनके नियमित लेखक होते है । इनके अतिरिक्त वे अन्य के समाचार या आलेख प्रकाशित नही करते । छोटे अखबार आलेख तो छाप सकते है, लेकिन फोकट में । सरकार क्या यह चाहती है कि उसके नियमो की पूर्ति के लिए एक वरिष्ठ पत्रकार फोकट में मेहनत करे । यह बेहूदा नियम है जो वरिष्ठ पत्रकारों के साथ अन्याय है ।

अब आते है पत्रकार संगठनों पर । जिस किसी के पास कोई काम नही होता है या समाज और सरकार पर रुतबा झाड़ना चाहता है, वह स्वयंघोषित अध्यक्ष बनकर उन लोगो को अपने जेबी संगठन में शरीक कर लेता है जिनमे पत्रकार बनने की भूख होती है । संगठन के लिए ये पहले खुद की जेब से पैसे खर्च करते है और बाद में दूसरों की जेब काटने का हुनर सीख लेते है । फिर किसी मंत्री को बुलाकर वही रटे-रटाये विषय पर गोष्ठी का नाटक कर पत्रकारो को सम्मानित करने का करतब भी दिखाते है । यह पत्रकार संगठनों की असली तस्वीर ।

एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि सरकारी कमेटियों में पत्रकारो की नियुक्ति । ये नियुक्ति विशुद्ध रूप से चमचागिरी और जी हुजूरी के आधार पर होती है । परम्परा बनी हुई है कि कुछ बड़े अखबारों से, कुछ तथाकथित पत्रकार संगठनों से तो कुछ ऐसे लोग होते है जो अफसरों और राजनेताओ की चिलम भरते हो ।
भले ही उन्हें उस कमेटी की एबीसीडी नही आती हो, लेकिन चाटुकारिता के बल पर पत्रकारो के कल्याण करने वालो की भीड़ में शामिल होकर समाज मे अपना रुतबा झाड़ते है । सरकार का एक मापदंड है कि कौन पत्रकार उसकी तारीफ करता है और कौन नुकसान । ये पिक और चूज करने वाली नीति अब नही चलने वाली । सरकार को आरटीआई और अदालत के जरिये जवाब देना होगा कि फला व्यक्ति को किस आधार पर नियुक्त किया गया । बेहतर होगा कि कमेटी के सदस्यों का चयन लॉटरी के आधार पर किया जाए ।

लगे हाथों पत्रकारो से जुड़ी समस्या पर भी चर्चा करली जाए । पत्रकार साथी कई दिनों से अपनी बुनियादी मांगों को लेकर क्रमिक धरने पर बैठे है । सरकार आंदोलनकारियों को तवज्जो दे नही रही और अखबार मालिकों ने घोषित रूप से आंदोलन की खबरों के प्रकाशन पर रोक लगा दी है । संभवतया ऐसा पहली दफा हो रहा है कि जब अखबार मालिकों ने अपने मुंह पर ताला लगा दिया है ।
जरूर कोई ना कोई तो घालमेल है । सरकार को चाहिए कि वे उदारता का परिचय देते हुए वाजिब मांगों को मानकर अपनी सदाशयता का परिचय दे । लोकतंत्र में सरकार और पत्रकार परस्पर एक दूसरे के पूरक है । बिना पत्रकारो के सरकार अधूरी है तो सरकार के बिना पत्रकार भी अपंग रहेंगे । कुछ दिन तक तो एक दूसरे के बगैर काम चलाया जा सकता है लेकिन लंबे समय तक नही । दूरियां ज्यादा बढ़े, उससे पहले निदान आवश्यक है ।

मेरी अधिकतम जानकारी के अनुसार सरकार आवासीय योजना के अलावा अन्य सभी मांगों को मानने के लिए तत्पर है । सरकार की ओर से जो बातें छनकर आ रही है कि तत्कालीन गहलोत सरकार ने धौलाई में पत्रकार आवासीय योजना के नाम पर जूतों में दाल बांटी थी । सरकार का यह मानना है कि जिस तरह धौलाई में 60 फीसदी के करीब पत्रकारो ने प्लाट बेच खाये, कमोबेश यही हाल नायला आवासीय योजना का भी होगा । यह भी तर्क दिया जा रहा है कि नायला में आवेदन करने में बहुत से लोगो का पत्रकारिता से दूर दूर तक का भी ताल्लुक नही है ।
सरकार का यह तर्क वाजिब हो सकता है । लेकिन चन्द फर्जी लोगो की वजह से जायज पत्रकारो को भूखण्ड से वंचित रखना कतई न्यायोचित नही है । सरकार को चाहिए कि पहली किश्त में उन लोगो को भूखण्ड का आवंटन ही नही, पट्टा जारी करना चाहिए जो वास्तविक और निर्विवाद पत्रकार है । दूसरी किश्त में उन लोगो की सूची प्रकाशित कर आपत्ति आमंत्रित करें । जो प्रामाणिक रूप से फर्जी पत्रकार माना जाता है, उसकी राशि जब्त कर उसके खिलाफ तथा पत्रकार होने का प्रमाणपत्र जारी करने वालो के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पत्रकारिता की आड़ में पनप रहे माफिया तंत्र पर प्रभावी अंकुश लग सके ।

पत्रकार के लिए प्रेस विधि की जानकारी


एक दौर था, जब बच्चे सबसे पहले रोजगार के रूप में सिविल सेवाओं को चुनते थे, फिर उनकी पसंद होती थी बैंक की नौकरी और उसके बाद अन्य सेवाएं। किंतु आज मीडिया के आकर्षण से कोई नहीं बचा है। मीडिया जहां एक ओर जनता की सशक्त आवाज बन कर उभरा है, वहीं वह युवाओं की पहली पसंद भी बनता जा रहा है। ऐसा नहीं कि मीडिया के प्रति यह आकर्षण केवल शहरी क्षेत्रों में ही है, दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा भी इसके प्रति आकर्षित होकर मीडिया में आते हैं। मीडिया केवल खबरों से ही नहीं जुड़ा है। मीडिया अपने आप में एक व्यापक शब्द है, जिसमें समाचार, मनोरंजन, ज्ञान, सब कुछ शामिल है। आज आप कोई भी समाचार पत्र ले लें तो इसमें आप अलग-अलग सप्लीमेंट पाएंगे और हर सप्लीमेंट में अलग-अलग विषयों पर सामग्री होती है। आज भी यही कहा जाता है कि यदि आगे बढ़ना है तो अखबार पढ़ो। अखबार मतलब खबरों का पिटारा। आज अखबार का कलेवर कुछ ऐसा है कि इसमें जीवन से जुड़े हर पहलू को समेट लिया जाता है।
अब दूसरी ओर है टेलीविजन और इंटरनेट। टेलीविजन पर समाचार पढ़े जाते हैं, उनका विश्लेषण किया जाता है, मंथन किया जाता है। एक्सपर्ट अपनी अपनी राय देते हैं और इसमें भी ज्ञान और मनोरंजन दिखाया जाता है। कमोबेश कम्प्यूटर पर भी इंटरनेट के माध्यम से आप ई-पेपर पढ़ सकते हैं, समाचार पढ़ सकते हैं, देख सकते हैं। यानी मीडिया में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, बस आपको अपना विषय चुनना है, अपना क्षेत्र पसंद करना है।
प्रिंट मीडिया
पत्रकारिता एक शौक भी है और रोजगार भी। यदि आप में वह जुनून है कि आप इस चुनौतीपूर्ण व्यवसाय को अपना सकें तो ही इस क्षेत्र में आना चाहिए। यहां भी आपके पास अनेक प्रकार के अवसर मौजूद हैं। बहुत से विकल्प हैं। समाचार पत्र में संपादन के दो भाग महत्त्वपूर्ण हैं- एक है रिपोर्टिग और दूसरा है संपादन। रिपोर्टिग का जिम्मा रिपोर्टरों पर होता है और उन खबरों को सही और आकर्षित बना कर कम शब्दों में प्रस्तुत करना संपादक का काम होता है। आमतौर पर एक समाचार पत्र में प्रधान संपादक, संपादक, सहायक संपादक, समाचार संपादक, मुख्य उपसंपादक, वरिष्ठ उपसंपादक और उपसंपादक होते हैं। आप एक रिपोर्टर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। किंतु यहां यह जरूरी है कि आप रिपोर्टर के लिए शैक्षणिक योग्यता तो पूरी करते ही हों, साथ ही साथ आप उस विषय पर पूरी कमांड भी रखते हों। रिपोर्टर के भिन्न-भिन्न विषय होते हैं या यूं कह सकते हैं कि वह अपने विषय का एक्सपर्ट होता है। वैसे तो समाचार पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण और आवश्यक बीट राजनीति होती है, किंतु इसके अलावा भी आप अपनी रुचि के अनुसार फैशन, खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, कानून से जुड़ी बीट भी ले सकते हैं। इसके अलावा यदि आप में समाचार को कार्टून के जरिए व्यक्त करने की कला है तो पत्रों में कार्टूनिस्ट के रूप में भी कार्य किया जा सकता है। मुख्यधारा से हट कर यदि हम बात करें तो भी  कम्प्यूटर ऑपरेटर, डिजाइनर, प्रूफ रीडर, पेज सेटर के रूप में भी कार्य किया जा सकता है।
प्रेस विधि की जानकारी
एक पत्रकार के रूप में या फिर पत्रकारिता के पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह प्रेस विधि की जानकारी रखे। चूंकि पत्रकारिता में भी आचार संहिता है और इसका प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों द्वारा पालन करना जरूरी है, अत: इसके लिए प्रेस विधि की जानकारी होनी चाहिए। इसमें विशेषत: कॉपीराइट एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेसी एक्ट, इंडियन प्रेस काउंसिल आदि शामिल हैं। इसके लिए आज न सिर्फ बाजार में बहुत सी पुस्तकें हैं, बल्कि आप इंटरनेट का प्रयोग कर भी अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। इससे आप किसी भी अनजानी समस्या का सामना करने से बच सकते हैं।
छ: ककारों का ज्ञान
चूंकि अधिकतर लोग मीडिया की मुख्य धारा में ही शामिल होना चाहते हैं और आज युवाओं की रुचि टेलीविजन पर आने की है, इसलिए छ: ककारों यानी क्या, कहां, कब, कौन, क्यों और कैसे का ज्ञान होना और उनका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए, ताकि वह अपने लेखन यानी स्क्रिप्टिंग में, वाचन में, रिपोर्टिग में, पैकेज में इनका उपयोग कर समाचार अथवा अपनी रिपोर्ट को और अधिक विश्वसनीय और प्रामाणिक बना सके।
सत्यनिष्ठा और ईमानदारी
मीडिया जनता की आवाज होता है और मीडिया को हर भ्रष्टाचार से मुक्त रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि इसमें काम करने वाले लोग वेतन से अधिक नैतिक मूल्यों पर बल दें और ईमानदारी से कार्य करें। इसके अलावा निष्पक्षता भी बहुत जरूरी है। मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति को पूर्ण रूप से निष्पक्ष रहना चाहिए।
टीवी होस्ट
जब-जब आप सच का सामना, आप की अदालत, बूगी वूगी, इंडियन आइडल जैसे रियलिटी शो देखते होंगे तो एक बार मन में यह बात आती होगी कि काश हम भी टीवी होस्ट होते तो हमें भी ऐसे ही कार्यक्रम प्रस्तुत करने का मौका मिलता। कार्यक्रम के होस्ट को धन और यश, दोनों मिलता है और वह एकदम ही प्रसिद्घि पा लेता है। टीवी होस्ट के लिए एक आकर्षक व्यक्तित्व होना चाहिए और एंकरिंग करने वाले व्यक्ति की भाषा पर पकड़ बहुत अच्छी होनी चाहिए। उच्चारण और मॉडय़ूलेशन भी बेहतरीन होना चाहिए।
इस क्षेत्र में आने के लिए अपेक्षित गुण-
भाषा
टीवी होस्ट को जिस भी कार्यक्रम को प्रस्तुत करना है, उसे उससे संबंधित तकनीकी शब्दों का ज्ञान भी होना चाहिए। उसकी भाषा चैनल और कार्यक्रम का सुखद संयोजन करती प्रतीत होनी चाहिए। ऐसा न हो कि कार्यक्रम बच्चों का है और आप इतने भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग करें, जो बच्चों की समझ से बाहर हों। ऐसे में कार्यक्रम का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। यहां होस्ट को अपना पांडित्य दिखाने की आवश्यकता नहीं होती। इसी प्रकार यदि वह कोई स्वास्थ्य से जुड़ा कार्यक्रम कर रहा है तो उसे चाहिए कि वह उस कार्यक्रम के तकनीकी पक्षों को समझे और उसी प्रकार के शब्दों का प्रयोग करे।
कैमरा फोबिया न होना
एक सफल प्रस्तोता के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह कैमरा फ्रैंडली रहे और कैमरे का उसे भय न हो। बहुत से लोग, जो इस काम को आसान समझते हैं, वे कैमरे के आगे बदहवास हो जाते हैं, आवाज लड़खड़ा जाती है और शरीर में कंपन पैदा हो जाता है। इसे कैमरा फोबिया कहते हैं। जाहिर सी बात है कि कैमरा ही हमारा दर्शक होता है। जब होस्ट कैमरे में आत्मविश्वास के साथ देखता है तो वह दर्शकों से आमने-सामने बात कर रहा होता है। टीवी होस्ट के लिए यह भी जरूरी है कि उसे यह ज्ञान होना चाहिए कि वह टीवी पर दिखाई कैसा देगा, उसकी भाव-भंगिमाएं कैसी दिखती होंगी। किंतु यह ध्यान देना चाहिए कि अति आत्मविश्वास भी घातक हो सकता है। टीवी होस्ट को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह दर्शकों पर हावी होने की कोशिश न करे, इसलिए इसके लिए यदि ऑन कैमरा ट्रेनिंग प्राप्त की जाए तो बेहतर होगा, ताकि आपको कैमरे के साथ बोलने की आदत हो जाए।
उच्चारण एवं मॉडय़ूलेशन
यहां यह भी देखने की बात है कि टीवी होस्ट का उच्चारण कैसा है। उसका शब्द ज्ञान कैसा है? और बोलने में मॉडय़ूलेशन और स्पष्टता कितनी है। कार्यक्रम की जीवंतता के लिए होस्ट को अपनी शैली लाइव रखनी पड़ती है और उसे थ्रो के साथ एक अच्छे स्तर पर बोलना होता है। हिन्दी के साथ-साथ होस्ट को अंग्रेजी और उर्दू भाषा का ज्ञान भी होना चाहिए, ताकि वह उन शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण कर सके।
आपका चेहरा और व्यक्तित्व
बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने व्यक्तित्व को लेकर आशंकित रहते हैं। यहां यह महत्त्वपूर्ण है कि एक अच्छे टीवी होस्ट के लिए एक फोटोजनिक फेस तो चाहिए, किंतु बहुत ज्यादा सुंदर चेहरे की आवश्यकता नहीं है। जरूरत होती है तो एक बुद्घिमान और फोटोजनिक चेहरे वाले व्यक्ति की, जो उस कार्यक्रम के विषय के अनुरूप हो।
भूगोल और संस्कृति की जानकारी
वैसे तो भूगोल और संस्कृति की जानकारी का होना हर जागरूक व्यक्ति के लिए जरूरी है, किंतु एक टीवी होस्ट के लिए इसकी जानकारी आवश्यक है। हालांकि यह जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है, किंतु फिर भी यदि आप मीडिया के किसी भी क्षेत्र से जुड़े हैं तो आपको भारतीय परिवेश, भूगोल और संस्कृति, धरोहर और परंपरा का ज्ञान होना चाहिए। यह सब कहीं न कहीं काम अवश्य आता है, चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया।
समाचार बोध
एक अच्छे पत्रकार में मनोवैज्ञानिक, वकील, कुशल लेखक, वक्ता और गुप्तचर के गुणों का समावेश होना चाहिए। तभी वह एक घटना में समाचार का बोध कर उसे जनता के समक्ष ला पाता है। इसके अतिरिक्त उसे दूरदर्शी भी होना चाहिए, तभी वह यह समझ पाएगा कि किस खबर का लोगों, समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर का ज्ञान
आज आप कम्प्यूटर के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। जीवन के हर स्तर पर कंप्यूटर का प्रयोग होता है और यही कारण है कि मीडिया भी इससे अछूता नहीं है। आप मीडिया में तभी सफल हो सकते हैं, यदि आप कम्प्यूटर जानते हैं। कम्प्यूटर के साथ-साथ यदि आप वहां प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर में भी पारंगत हों तो और भी अच्छा होता है। आज बहुत-सी जगहों पर क्वार्क सॉक्टवेयर का प्रयोग किया जा रहा है, जो पेज मेकिंग के लिए प्रयोग में लाया जाता है। तो कम्पयूटर का कार्यसाधक ज्ञान जरूरी है। इसके अलावा इन्ट्रो, टाइटल, बैनर, क्रॉस लाइन, ड्रॉपलाइन, ब्लॉक, डिस्पले, लेट न्यूज, डमी, डबलैट, क्लासीफाइड, कॉलम जैसे तकनीकी शब्दों का ज्ञान भी होना चाहिए।
याददाश्त
कई बार होस्ट को बहुत से कार्यक्रमों में टैली प्रॉम्प्टर नहीं मिल पाता और उसको अपनी स्क्रिप्ट मुंह-जुबानी बोलनी पड़ती है। इसके लिए यदि आपकी तैयारी अच्छी नहीं होगी और आपकी याददाश्त कमजोर होगी तो कार्यक्रम तैयार करने में वक्त लगेगा और लाइव कार्यक्रम आप बिलकुल भी हैंडल नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा झिझकने से, घबराने से, फंबल करने या कोई लाइन जंप करने या भूल जाने से बार-बार टेक करने की नौबत आएगी और कार्यक्रम के प्रोडयूसर पर आपका प्रभाव अच्छा नहीं पड़ेगा।
ज्ञान और वाकपटुता
चूंकि समाचार वाचक का कार्य खबरों से जुड़ा है और उसे न सिर्फ खबरें पढ़नी होती हैं, बल्कि वह खबरों का विश्लेषण भी करता है, खबरों का मंथन करता है। इसके लिए यह जरूरी है कि आपका ज्ञान और अनुभव अच्छा हो, ताकि आप किसी भी घटना से जुड़ी अन्य बातें भी दर्शकों के सामने ला सकें और समाचार या कार्यक्रम को और भी रोचक बना सकें।
प्रेजेंस ऑफ माइंड
यदि आपकी रुचि टीवी होस्ट बनने की है तो इसके लिए आपका कौशल, समसामयिक ज्ञान और प्रेजेंस ऑफ माइंड बहुत अच्छा होना चाहिए, ताकि आम तकनीकी खराबियों, विपरीत स्थितियों और अचानक हुए किसी घटनाक्रम से न घबरा कर उसे सहज ढंग से लें और शो खराब न हो।
टीवी न्यूज एंकर
टेलीविजन पत्रकारिता के दौर में आज टीवी न्यूज एंकर की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है। जाहिर है कि इसमें धन और शोहरत बहुत है, पर है यह काम चुनौती भरा। आजकल बहुत से चैनल केवल टीवी न्यूज एंकर को प्राथमिकता नहीं देते। इसके लिए आपको बहु-प्रतिभाशाली और सर्वकार्यकुशल होना पड़ेगा, ताकि आप चैनल की आवश्यकता के अनुसार कार्य कर सकें। अब यह चैनल का काम है कि वह आपको समाचार के लिए रखे, रिपोर्टिग के लिए रखे, मौसम का हाल बताने के लिए रखे या किसी का इंटरव्यू करवाए। तो इस तरह आप केवल एक ही कार्य न कर यदि टेलीविजन पत्रकारिता की हर विधा में कुशल हों तो आपके रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं।
ये सभी गुण ऐसे हैं, जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े सभी लोगों में होने चाहिए।
मीडिया के प्रमुख संस्थान
भारतीय जनसंचार संस्थान कोर्स : पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म अवधि : एक वर्ष फीस : 34 हजार रुपये
वेबसाइट : www.iimc.nic.in
मीडिया के अन्य प्रमुख संस्थान
बीए ऑनर्स जर्नलिज्म, दिल्ली विश्वविद्यालय
वेबसाइट
: www.du.ac.in

एजेके मास कम्युनिकेशन मीडिया सेंटर
जामिया मिल्लिया इस्लामिया
वेबसाइट
: www.ajkmcrc.org

मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय
वेबसाइट
: www.mirandahouse.ac.in

एडिट वर्क्स स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन
वेबसाइट
: www.editworksindia.com

एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन
वेबसाइट
: www.nraismc.com

एनएएम इंस्टीटय़ूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
वेबसाइट
: www.namedu.net

मीडिया के कोचिंग संस्थान
मीडिया में एमबीए या इंजीयिरिंग की तरह के ऐसे कोचिंग स्थान नहीं हैं, जहां मीडिया से संबंधित प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती हो। पर ऐसे अनेक प्राइवेट संस्थान हैं, जो अपने स्तर पर मीडिया से जुड़े कोर्स करवाते हैं। यहां से आप मीडिया या जर्नलिज्म से संबंधित प्रारंभिक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
स्कॉलरशिप
मान्यता प्राप्त संस्थानों में हालांकि इस क्षेत्र के लिए स्कॉलरशिप का प्रावधान नहीं है, किंतु नियमों के अनुसार कुछ सीटें आरक्षित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ निजी संस्थान अपने स्तर पर फीस में कुछ प्रतिशत की छूट देते हैं। कुछ संस्थान स्पॉन्सर्ड उम्मीदवारों के लिए अपने यहां कुछ सीटें ऑफर करते हैं।
एजुकेशन लोन
हालांकि अभी इन कोर्सेज की फीस इतनी अधिक नहीं है कि इसके लिए एजुकेशन लोन लेना पड़े, फिर भी आज लगभग सभी बैंक यह सुविधा प्रदान करते हैं। कुछ संस्थानों का तो बैंकों के साथ समझौता होता है तो वे बैंक कोर्स के लिए लोन देते हैं। इसके लिए आपको बैंक की सभी शर्तों का पालन करना होता है और संबंधित संस्थान से भी इसके लिए आवेदन पत्र सत्यापित कर उसके साथ आवश्यक सूचनाएं लगानी होती है।
नौकरी के अवसर
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में।
समाचार पत्रों में।
इंटरनेट पर ।
समाचार चैनलों में।
विभिन्न एजेंसियों में।
विभिन्न प्रोडक्शन हाउसेज में।

वेतन
आय की दृष्टि से यह एक मिला-जुला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अच्छी आय इस बात पर निर्भर करती है कि आपने अपने करियर की शुरुआत कैसे संस्थान से की है। आप सही संस्थान में अच्छी आय के साथ-साथ शोहरत भी प्राप्त कर सकते हैं। प्रिंट मीडिया में आय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुकाबले कम है, किंतु फिर भी यदि आप प्रिंट मीडिया में आना चाहते हैं तो आपको प्रारंभ में 10 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक मिल सकते हैं। अनुभव के साथ-साथ आपका पैकेज भी बढ़ता जाता है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आपको प्रारंभ में लगभग 25 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक वेतन मिल सकता है। इसके अलावा विभिन्न प्रोडक्शन हाउस अपने कार्यक्रमों को होस्ट करने के लिए भी बहुत अच्छे पैकेज देते हैं।


भारतीय बाजार में जनसंचार इस समय सबसे तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र माना जा रहा है। किसी अच्छे संस्थान से जन संचार का कोर्स करने के बाद अच्छे वेतन वाली नौकरी मिल जाती है। सैकड़ों टीवी और रेडियो चैनल्स के अलावा लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अखबार और पत्रिकाएं हैं, इसलिए यह जरूरत तो निरंतर बढ़ती ही जाएगी।
जन संचार का कोर्स करने के बाद आपके सामने कई विकल्पों के द्वार खुल जाते हैं मसलन 1. विज्ञापन, 2. पत्रकारिता, 3. कॉपीराइटिंग, 4. पब्लिक रिलेशंस, 5. फिल्म और टीवी, 6. ईवेंट मैनेजमेंट

प्रिंट मीडिया समाचारों और सूचनाओं को छापने और उनका प्रसार करने से जुड़ा उद्योग है। यह अभी भी विश्व भर में समाचार का सबसे प्रभावशाली स्नोत है। कई लोगों का मानना है कि प्रिंट मीडिया में दाखिल होने के लिए आपका पत्रकार होना अनिवार्य है, पर यह सच नहीं है। हालांकि लिखित सामग्री को तैयार करना पत्रकारों और रिपोर्टर्स का काम होता है, पर इस उद्योग में करियर के और भी कई विकल्प हैं। इस क्षेत्र के कुछ अवसर हैं: 1. रिपोर्टर, 2. पत्रकार, 3. संपादक, 4. सेल्स और मार्केटिंग प्रोफेशनल, 5. ग्राफिक डिजाइनर ,6. स्वतंत्र लेखक/ फोटोग्राफर्स, 7. प्रिटिंग टेक्नोलॉजिस्ट और इंजीनियर्स, 8. आईटी और वेब डेवलपमेंट स्पेशियलिस्ट आदि।

मीडिया अलग-अलग क्षेत्रों में संभावनाओं के अवसर देता है। मीडिया में वे सभी माध्यम आते हैं, जो लोगों तक सूचना पहुंचा सकें। मास मीडिया के उदाहरणों में अखबार, पत्रिकाएं, सिनेमा, फिल्म, रेडियो, टेलीविजन आदि आते हैं। जन संचार वे सभी तरीके कवर करता है, जो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें। जन संचार के पाठ्यक्रम स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर दोनों में होते हैं और किसी भी स्ट्रीम के छात्र इसमें दाखिला ले सकते हैं। दो साल के डिग्री पाठ्यक्रमों के अलावा ऐसे अनेक कॉलेज हैं, जो जन संचार में शॉर्ट टर्म डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स देते हैं, इसलिए अगर आप मीडिया में करियर बनाना तय कर चुके हैं तो स्नातक स्तर पर इसे लेना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा। 
भाषा और उच्चरण बहुत अच्छा होना चाहिए

एक्सपर्ट व्यू
मीडिया में आने के लिए बहुत मेहनत की जरूरत है
युवाओं के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में से कौन सा क्षेत्र बेहतर है?
युवाओं को मीडिया की शुरुआत तो प्रिंट मीडिया से ही करनी चाहिए। इससे उनके शब्दज्ञान और लेखन कला में सुधार होता है और प्रिंट मीडिया में काम कर यदि आप अपने कॉन्टेक्ट्स बना लेते हैं, जिसे हम स्‍त्रोत कहते हैं तो इसका प्रयोग आप आगे चल कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी कर सकते हैं। इस तरह आप एक सफल पत्रकार के रूप में जाने जाएंगे।
क्या प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों में स्क्रिप्टिंग बहुत आवश्यक है?
जी हां, बिलकुल जरूरी है। स्क्रिप्टिंग बहुत जरूरी है और इसके बिना आप मीडिया में कुछ नहीं कर सकते। इसके बिना आप इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते।
टीवी होस्ट के लिए आप क्या गुण जरूरी समझते हैं?
आत्मविश्वास से भरपूर चेहरा होना चाहिए। उसकी भाषा और उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए। साथ ही रिसर्च, नॉलिज, किसी भी विषय पर बातचीत करने के लिए उसका अध्ययन करना भी बहुत जरूरी है। इनके बिना वह इस कार्य में सफल नहीं हो सकता।
टीवी होस्ट बनने के लिए प्रशिक्षण का कितना महत्त्व है?
देखिए टीवी होस्ट बनने के लिए ट्रेनिंग बहुत जरूरी है और ट्रेनिंग से भी ज्यादा जरूरी है कि आप जिस भी विषय पर चर्चा करें, उसका पूरा ज्ञान आपको होना चाहिए। आपने उसकी पूरी रिसर्च की हो। चूंकि आजकल ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है तो इसके लिए आपको समाचार पत्र जरूर पढ़ने चाहिए। और एक पत्रकार के रूप में तो आपको एक नहीं, बल्कि कई समाचार पत्र पढ़ने चाहिए, तभी खबरों के प्रति आपका नजरिया और पैना हो पाएगा। आपको सभी विषयों का ज्ञान होगा।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार में सबसे बड़ा गुण क्या है?
मेरे विचार से तो एक पत्रकार का सबसे बड़ा गुण है ज्यादा सुनना और कम बोलना। जो व्यक्ति कम बोलेगा और अधिक सुनेगा, वह सफल पत्रकार बनेगा और कम बोल कर आप दूसरे से अधिक से अधिक जानकारियां निकलवा पाएंगे।
एक पत्रकार के लिए प्रेस विधि की जानकारी कितनी जरूरी है?
आजकल टीआरपी और सबसे पहले खबर देने की जो होड़ लगी हुई है, उसके चलते प्रेस विधि की जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि एक पत्रकार के रूप में आप अति उत्साह से बचें और संयम रखते हुए अपना काम करें।
युवाओं के लिए आपका क्या संदेश है?
इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया गलैमरस लगता है, पर इसमें बहुत मेहनत करनी पड़ती है। जो ग्लैमर आपको बाहर से दिखता है, उसे पाने के लिए आपको कड़े रास्तों से गुजरना पड़ता है। अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं तो इसके लिए आप को तैयार रहना चाहिए। चूंकि यह बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है और आपकी बात तुरंत विश्व भर में फैल जाती है तो आपको अपने शब्दों का चयन बहुत ही सोच-समझ कर करना चाहिए और ऐसे शब्द न बोलें, जो उपहास का कारण बनें या आपको अपमानित करें। यह भी याद रखना चाहिए कि आपका चैनल या आपका अखबार पहले है, न कि आप। इसलिए आपके द्वारा कही हर बात चैनल या अखबार की साख को मजबूत करती है या खराब करती है। अप्रमाणिक जानकारी नहीं देनी चाहिए। बाकी क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। अच्छा प्रशिक्षण प्राप्त कीजिए और अच्छा करियर बनाइए।

क्या होती है वेब पत्रकारिता

भारत में बढ़ते संचार साधनों से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी करियर के अवसर उजले हुए हैं। दिनोदिन समाचार चैनलों, अखबारों की संख्या बढ़ती जा रही है। पत्रकारिता पहले जहां अखबारों, पुस्तकों में हुआ करती थी, वहीं इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के बीच वेब पत्रकारिता का जन्म हुआ। इंटरनेट बढ़ते समाचार पोर्टलों से वेब पत्रकारिता में योग्य पत्रकारों की मांग बनी रहती है।
क्या होती है वेब पत्रकारिता- जिस प्रकार अखबारों, पत्रिकाओं में खबरों के चयन, संपादन या लेखक होते हैं। यही कार्य इंटरनेट पर किया जाता है। हर व्यक्ति तेजी से खबरें चाहता है। युवाओं की भी पसंद इंटरनेट बनता जा रहा है। पहले जहां इंटरनेट कम्प्यूटर तक सीमित था, वहीं नई तकनीकों से लैस मोबाइलों में भी इंटरनेट का चलन बढ़ता जा रहा। किसी भी जगह कहीं भी इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह वेब पत्रकारिता का ही कमाल है कि आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर किसी भी भाषा में किसी भी देश का अखबार या खबरें पढ़ सकते हैं। यहां कार्य में भी तेजी होनी चाहिए। खबर लिखकर उसका संपादन ही नहीं, बल्कि लगातार उसे अपडेट भी करना पड़ता है।
वेब पत्रकारिता में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए खबरों को समझकर उन्हें प्रस्तुत करने की कला, तकनीकी ज्ञान, भाषा पर अच्छी पकड़ होना आवश्यक है। न्यूज पोर्टल के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली साइटों की संख्या भारत में कम हैं। ऐसी साइटों की संख्या ज्यादा है जो अपने वेब के लिए सामग्री अपने चैनलों या अखबारों से लेती हैं। स्वतंत्र न्यूज पोर्टल में वेब पत्रकार बनकर आप करियर बना सकते हैं। खेल, साहित्य, कला जैसी साइटों पर करियर की उज्जवल संभावनाएं रहती हैं। मास कम्यूनिकेशन या जर्नलिज्म में डिप्लोमा या डिग्री लेकर आप इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।
वेब पत्रकारिता को पेशा बनाने बालो के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
  1. हिंदी इनस्क्रिप्ट की बोर्ड की जानकारी हो
  2. यूनिकोड फाँट तकनीकि पर काम करें
  3. 3.वेब पत्रकारिता के समाचार सूचनापरक होना चाहिए. वाक्य छोटे होने चाहिए.
  4. 4.सर्च इंजन का की-वर्ड समाचार में कम से कम दो-तीन बार जरूर लायें.
  5. कुछ की-वर्ड समाचार के हेड-लाईन में भी जरूर लायें.
  6. समय का ख्याल रखें- आज, कल और परसो से बचें
  7. संस्था का नाम भी समाचार में जरूर लायें.
  8. Active-Voice में ख़बरों को लिखें.
  9. तीसरे या चौथे पाराग्राफ के बाद समाचार का बैक-ग्राउंड दें.
  10. तस्वीरें और ग्राफिक से पेज को सजायें
  11. संदर्भ और स्रोत का भरपूर उपयोग करें.
आप भी शामिल हो सकते है भविष्य के धन कुबेर बनने की सूची मेंक्योंकि न्यूज पोर्टलइंटरनेट टीवीवेब न्यूज चैनल अब भविष्य के बेहतरीन करियर विकल्प है |
बेहतर न्यूज पोर्टल बनवाने के लिए आज ही संपर्क करें,  उक्त सन्दर्भ में कोई भी प्रश्न हो तो आप इसी वेबसाइट के कांटेक्ट मेन्यू में जा कर प्रश्न पूछ सकते हैहमारीटीम आपके सवालों का जल्दी ही जवाब देगी |

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