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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

रसोई में एक *डॉक्टर* छुपा बैठा होता है, बिना फीस वाला


प्रत्येक घर में एक रसोई होती है, और इस रसोई में एक  *डॉक्टर* छुपा बैठा होता है,  बिना फीस वाला । आइए आज अपने उसी डॉक्टर से आपका परिचय करायें ।
💼 1- केवल सेंधा नमक का प्रयोग करने पर आप *थायराइड*  और  *ब्लडप्रेशर* से बचे रह सकते हैं, यही नहीं, आपका *पेट* भी ठीक रहेगा ।
💼 2- कोई भी रिफाइंड न खाकर तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के तेल का प्रयोग आपके शरीर को कई बीमारियों से बचायेगा, रिफाइंड में कई हानिकारक *कैमिकल*  होते हैं ।
💼 3- सोयाबीन की बड़ी को दो घंटे भिगोकर मसलकर झाग निकालने के बाद ही प्रयोग करें, यह झाग *जहरीली* होती है ।
💼 4- रसोई में एग्जास्ट फैन अवश्य लगवायें, इससे *प्रदूषित*  हवा बाहर निकलती रहेगी ।

💼 5- ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का *स्वास्थ्य* सही रहेगा ।
💼 6- भोजन का समय निश्चित करें, *पेट* ठीक रहेगा ।
💼 7- भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा *पोषण*  देगा ।
💼 8- भोजन से पहले पिया गया पानी *अमृत*, बीच का *सामान्य* और अंत में पिया गया पानी *ज़हर* के समान होता है ।
💼 9- बहुत ही आवश्यक हो तो भोजन के साथ गुनगुना पानी ही पियें, यह *निरापद* होता है ।
💼 10- सवेरे दही का प्रयोग *अमृत*, दोपहर में *सामान्य* व रात के खाने के साथ दही का प्रयोग *ज़हर* के समान होता है ।

💼 11- नाश्ते में *अंकुरित* अन्न शामिल करें, पोषण, विटामिन व फाईबर *मुफ्त* में प्राप्त होते रहेंगे ।
💼 12- चीनी कम-से-कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में *हड्डियां* ठीक रहेंगी । भोजन में *गुड़* व *देशी शक्कर* का प्रयोग बढ़ायें ।
💼 13- छौंक में राई के साथ कलौंजी का प्रयोग भी करें, *फायदे* इतने कि लिखे नहीं जा सकते ।
💼 14- एक *डस्टबिन* रसोई के अंदर और एक बाहर रखें, *सोने से पहले* रसोई का कचरा बाहर के डस्टबिन में डालना न भूलें ।
💼 15- करेले, मेथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएं,  *रक्त* शुद्ध होता रहेगा ।

💼 16- पानी मटके के पानी से अधिक ठंडा न पियें, *पाचन*  व *दांत* ठीक रहेंगे ।
💼 17- पानी का फिल्टर _*RO*_ वाला हानिकारक है,  _*UV*_ वाला ही प्रयोग करें ।सस्ता भी , बढ़िया भी ।
💼 18- बिना कलौंजी वाला अचार न खायें, यह *हानिकारक* होता है ।
💼 19- माइक्रोवेव, ओवन का प्रयोग न करें, यह *कैंसर कारक* है ।
💼 20- खाने की ठंडी चीजें ( आइस क्रीम) कम से कम खायें, ये पेट की *पाचक अग्नि* कम करती हैं,  *दांत* खराब करती हैं ।
                        🏌‍♂
  _सब स्वस्थ, सुखी व नीरोग रहें,_
         इसी *कामना* के साथ.
                       _*साभार*_
     🌹  मंगलमय हो जीवन सबका  
WWW.SANWARIYA.ORG 
https://sanwariyaa.blogspot.com

एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है।

जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के नरेश राज सिंह 100 मस्जिद तुड़वा दिये थे।
अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा, कहा 'सब मस्जिद तोड़ दो तो भीम सिंह ने 300 मस्जिद तोड़ दी थी'।

वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था और महाराज अजीत सिंह को राजा बनाकर ही दम लिया।

कहा जाता है कि दुर्गादास राठौड़ का भोजन, जल और शयन सब अश्व के पार्श्व पर ही होता था। वहाँ के लोकगीतों में ये गाया जाता है कि यदि दुर्गादास न होते तो राजस्थान में सुन्नत हो जाती।

वीर दुर्गादास राठौड़ भी शिवाजी के जैसे ही छापामार युद्ध की कला में विशेषज्ञ थे। 

मध्यकाल का दुर्भाग्य बस इतना है कि हिन्दू संगठित होकर एक संघ के अंतर्गत नहीं लड़े, अपितु भिन्न भिन्न स्थानों पर स्थानीय रूप से प्रतिरोध करते रहे।

औरंगजेब के समय दक्षिण में शिवाजी, राजस्थान में दुर्गादास, पश्चिम में सिख गुरु गोविंद सिंह और पूर्व में लचित बुरफुकन, बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल आदि ने भरपूर प्रतिरोध किया और इनके प्रतिरोध का ही परिणाम था कि औरंगजेब के मरते ही मुगलवंश का पतन हो गया।

इतिहास साक्षी रहा है कि जब जब आततायी अत्यधिक बर्बर हुए हैं, हिन्दू अधिक संगठित होकर प्रतिरोध किया है। हिन्दू स्वतंत्र चेतना के लिए ही बना है। हिंदुओं का धर्मांतरण सूफियों ने अधिक किया है। तलवार का प्रतिरोध तो उसने सदैव किया है, बस सूफियों और मिशनरियों से हार जाता है।
 बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष राज किया। हुमायूं को ठोक पीटकर भगा दिया। मुग़ल साम्राज्य की नींव अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब आते आते उखड़ गया।
कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में एक पूरे पार्ट की तरह पढ़ाया जाता है....
मानो सृष्टि आरम्भ से आजतक के कालखण्ड में तीन भाग कर बीच के मध्यकाल तक इन्हीं का राज रहा....!
अब इस स्थिर (?) शासन की तीन चार पीढ़ी के लिए कई किताबें, पाठ्यक्रम, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न, विज्ञापनों में गीत, ....इतना हल्ला मचा रखा है, मानो पूरा मध्ययुग इन्हीं 100 वर्षों के इर्द गिर्द ही है।
जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था।
अब जरा विचार करें..... क्या भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्षों तक राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान मिला है ?
*अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्षों तक टिका रहा।  
हम्पी नगर में हीरे माणिक्य की मण्डियां लगती थीं।
 महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने, 
5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष , 
10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक , 
9 नन्दों ने 100 वर्षों तक ,
 12 मौर्यों ने 316 वर्षों तक ,
 10 शुंगों ने 300 वर्षों तक ,
 4 कण्वों ने 85 वर्षों तक ,
 33 आंध्रों ने 506 वर्षों तक ,
 7 गुप्तों ने 245 वर्षों तक राज्य किया ।
और पाकिस्तान के सिंध, पंजाब से लेके अफ़ग़ानिस्तान के पर समरकन्द तक राज करने वाले रघुवंशी लोहाणा(लोहर-राणा) जिन्होने देश के सारे उत्तर-पश्चिम भारत वर्ष पर राज किया और सब से ज्यादा खून देकर इस देश को आक्रांताओ से बचाया, सिकंदर से युद्ध करने से लेकर मुहम्मद गजनी के बाप सुबुकटिगिन को इनके खुद के दरबार मे मारकर इनका सर लेके मूलतान मे लाके टाँगने वाले जसराज को भुला दिया। 
कश्मीर मे करकोटक वंश के ललितादित्य मुक्तपीड ने आरबों को वो धूल चटाई की सदियो तक कश्मीर की तरफ आँख नहीं उठा सके। और कश्मीर की सबसे ताकतवर रानी दिद्दा लोहराणा(लोहर क्षत्रिय) ने सब से मजबूत तरीके से राज किया। और सारे दुश्मनों को मार दिया।
तारीखे हिंदवा सिंध और चचनामा पहला आरब मुस्लिम आक्रमण जिन मे कराची के पास देब्बल मे 700 बौद्ध साध्विओ का बलात्कार नहीं पढ़ाया जाता। और इन आरबों को मारते हुए इराक तक भेजने वाले बाप्पा रावल, नागभट प्रथम, पुलकेसीन जैसे वीर योद्धाओ के बारेमे नहीं पढ़ाया जाता।*
फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था । इतने महान सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए ।
उनका वर्णन करते समय इतिहासकारों को मुँह का कैंसर हो जाता है। सामान्य ज्ञान की किताबों में पन्ने कम पड़ जाते है। पाठ्यक्रम के पृष्ठ सिकुड़ जाते है। प्रतियोगी परीक्षकों के हृदय पर हल चल जाते हैं।
वामपंथी इतिहासकारों ने नेहरूवाद का मल भक्षण कर, जो उल्टियाँ की उसे ज्ञान समझ चाटने वाले चाटुकारों...!
तुम्हे धिक्कार है !!!
यह सब कैसे और किस उद्देश्य से किया गया ये अभी तक हम ठीक से समझ नहीं पाए हैं और ना हम समझने का प्रयास कर रहे हैं।

एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू योद्धाओं को इतिहास से बाहर कर सिर्फ मुगलों को महान बतलाने वाला नकली इतिहास पढ़ाया जाता है। महाराणा प्रताप के स्थान पर अत्याचारी व अय्याश अकबर को महान होना लिख दिया है। 
ये इतिहास को ऐसा प्रस्तुत करने का जिम्मेवार सिर्फ एक व्यक्ति है वो है
मौलाना आजाद
भारत का पहला केंद्रीय शिक्षा मंत्री
अब यदि इतिहास में उस समय के वास्तविक हिन्दू योद्धाओं को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है तो विपक्ष  शिक्षा के भगवा करण करने का आरोप लगाता है !
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