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रविवार, 4 अक्तूबर 2015

नीरजा भनोट के बलिदान

नीरजा भनोट के बलिदान दिवस पर उनको कोटि कोटि नमन

एक थी नीरजा
5 सितम्बर 1986 को आधुनिक भारत की एक विरांगना जिसने इस्लामिक आतंकियों से लगभग 400 यात्रियों को जान बचाते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया। भारत के कितने नवयुवक और नवयुवतियां उसका नाम जानते है।
कैटरिना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चैपड़ा, दीपिका पादुकोड़, विद्याबालन और अब तो सनी लियोन जैसा बनने की होड़ लगाने वाली युवती क्या नीरजा भनोत का नाम जानती है। नहीं सुना न ये नाम। मैं बताता हूँ इस महान विरांगना के बारे में। 7 सितम्बर 1964 को चंड़ीगढ़ के हरीश भनोत जी के यहाँ जब एक
बच्ची का जन्म हुआ था तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान इस बच्ची को मिलेगा। बचपन से ही इस बच्ची को वायुयान में बैठने और आकाश में उड़ने की प्रबल इच्छा थी।
नीरजा ने अपनी वो इच्छा एयर लाइन्स पैन एम ज्वाइन करके पूरी की। 16 जनवरी 1986 को नीरजा को आकाश छूने वाली इच्छा को वास्तव में पंख लग गये थे। नीरजा पैन एम एयरलाईन में बतौर एयर होस्टेज का काम करने लगी। 5 सितम्बर 1986 की वो घड़ी आ गयी थी जहाँ नीरजा के जीवन की असली परीक्षा की बारी थी। पैन एम 73 विमान करांची, पाकिस्तान के एयरपोर्ट पर अपने पायलेट का इंतजार कर रहा था। विमान में लगभग 400 यात्री बैठे हुये थे। अचानक 4 आतंकवादियों ने पूरे विमान को गन प्वांइट पर ले लिया। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार पर दबाव बनाया कि वो जल्द में जल्द विमान में पायलट को भेजे। किन्तु पाकिस्तानी सरकार ने मना कर दिया। तब आतंकियांे ने नीरजा और उसकी सहयोगियों को बुलाया कि वो सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित करे ताकि वो किसी अमेरिकन नागरिक को मारकर पाकिस्तान पर दबाव बना सके। नीरजा ने सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित किये और विमान में बैठे 5 अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट छुपाकर बाकी सभी आतंकियों को सौंप दिये। उसके बाद आतंकियों ने एक ब्रिटिश को विमान के गेट पर लाकर पाकिस्तानी सरकार को धमकी दी कि यदि पायलट नहीं भेजे तो वह उसको मार देगे। किन्तु नीरजा ने उस आतंकी से बात करके उस ब्रिटिश नागरिक को भी बचा लिया। धीरे-धीरे 16 घंटे बीत गये। पाकिस्तान सरकार और आतंकियों के बीच बात का कोई नतीजा नहीं निकला। अचानक नीरजा को ध्यान आया कि प्लेन में फ्यूल किसी भी समय समाप्त हो सकता है और उसके बाद अंधेरा हो जायेगा। जल्दी उसने अपनी सहपरिचायिकाओं को यात्रियों को खाना बांटने के लिए कहा और साथ ही विमान के आपातकालीन द्वारों के बारे में समझाने वाला कार्ड भी देने को कहा। नीरजा को पता लग चुका था कि आतंकवादी सभी यात्रियों को मारने की सोच चुके हैं।
उसने सर्वप्रथम खाने के पैकेट आतंकियों को ही दिये क्योंकि उसका सोचना था कि भूख से पेट भरने के बाद शायद वो शांत दिमाग से बात करे। इसी बीच सभी यात्रियों ने आपातकालीन द्वारों की पहचान कर ली। नीरजा ने जैसा सोचा था वही हुआ। प्लेन का फ्यूल समाप्त हो गया और चारो ओर अंधेरा छा गया। नीरजा तो इसी समय का इंतजार कर रही थी। तुरन्त उसने विमान के सारे आपातकालीन द्वार खोल दिये। योजना के अनुरूप ही यात्री तुरन्त उन द्वारों के नीचे कूदने लगे। वहीं आतंकियों ने भी अंधेरे में फायरिंग शुरू कर दी। किन्तु नीरजा ने अपने साहस से लगभग सभी यात्रियों को बचा लिया था। कुछ घायल अवश्य हो गये थे किन्तु ठीक थे अब विमान से भागने की बारी नीरजा की थी किन्तु तभी उसे बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी। दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना के कमांडो भी विमान में आ चुके थे। उन्होंने तीन आतंकियों को मार गिराया। इधर नीरजा उन तीन बच्चों को खोज चुकी थी और उन्हें लेकर विमान के आपातकालीन द्वार की ओर बढ़ने लगी। कि अचानक बचा हुआ चैथा आतंकवादी उसके सामने आ खड़ा हुआ। नीरजा ने बच्चों को आपातकालीन द्वार की ओर धकेल दिया और स्वयं उस आतंकी से भिड़ गई। कहाँ वो दुर्दांत आतंकवादी और कहाँ वो 23 वर्ष की पतली-दुबली लड़की। आतंकी ने कई गोलियां उसके सीने में उतार डाली। नीरजा ने अपना बलिदान दे दिया। उस चैथे आतंकी को भी पाकिस्तानी कमांडों ने मार गिराया किन्तु वो नीरजा को न बचा सके। नीरजा भी अगर चाहती तो वो आपातकालीन द्वार से सबसे पहले भाग सकती थी। किन्तु वो भारत माता की सच्ची बेटी थी। उसने सबसे पहले सारा विमान खाली कराया और स्वयं को उन दुर्दांत राक्षसों के हाथों सौंप दिया। नीरजा के बलिदान के बाद भारत सरकार ने नीरजा को सर्वोच्च नागरिक सम्मान अशोक चक्र प्रदान किया तो वहीं पाकिस्तान की सरकार ने भी नीरजा को तमगा-ए-इन्सानियत प्रदान किया। नीरजा वास्तव में स्वतंत्र भारत की महानतम विरांगना है। ऐसी विरागना को मैं कोटि-कोटि नमन करता हूँ। (2004 में नीरजा भनोत पर टिकट भी जारी हो चुका है।
कृपया इस मेसेज को अपने मित्रों में बांटें। ये आवश्यक है कि हम निस्वार्थ वीरता को पहचानें, वीरों का नमन करें, उनसे प्रेरणा लें और भारतीय होने पर गर्व महसूस करें।

नीब करौली बाबा - कैंची धाम मंदिर

नीब करौली बाबा बनने से पहले वो लक्ष्मी नारायण शर्मा हुआ करते थे. नीब करौली बाबा का जन्म यू.पी.के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में एक ब्राह्मण जमींदार घराने में हुआ था साल 1964 की बात है जब आगरा के पास फिरोजाबाद के गांव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा नीब करौली गांव में तपस्या करने पहुंचे थे.

यहीं पर उन्होंने कैंची धाम मंदिर की स्थापना की. आज भी हर साल 15 जून यानि स्थापना के अवसर पर मेला आयोजित किया जाता है. मेले में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं.

नैनीताल में कैंचीधाम आश्रम के अलावा देश भर में नीब करौली बाबा के करीब 48 मंदिर बनवाए गए हैं. नैनीताल, ऋषिकेश, गुजरात, वृन्दावन, लखनऊ, शिमला और दिल्ली में भी बाबा का मंदिर है.

ये तो हुई देश की बात अब जरा विदेश के बारे में जान लीजिए. अमेरिका और जर्मनी समेत कई जगह बाबा के मंदिर बनवाए गए हैं.

नीब करौली बाबा का नाम सुना है आपने. जिन्होंने इनका नाम नहीं सुना वो ये सुनकर जरूर हैरान होंगे कि नीब करौली बाबा ने दुनिया को बेहतरीन आई फोन देने वाली कंपनी एपल के स्टीव जॉब्स और फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग को आशीर्वाद दिया था. दावा ये है कि नीब करौली बाबा के आशीर्वाद से दोनों की दुनिया बदल गई थी. और इस बात का जिक्र जुकरबर्ग ने खुद पीएम मोदी जी से किया था.

उत्तराखंड के नैनीताल से करीब 18 किलोमीटर दूर है बाबा नीब करौली का आश्रम. देव भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड मंदिरों और आश्रमों से भरा पड़ा है लेकिन नीब करौली बाबा का आश्रम कुछ ऐसी कहानियों की वजह से चर्चा में आ गया है जो शायद पहले नहीं सुनी गई थीं. ऐसी ही एक कहानी स्टीव जॉब्स की है.

48 लाख करोड़ की दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी एपल के फाउंडर स्टीव जॉब्स नीब करौली बाबा से आशीर्वाद लेने उनके आश्रम कैंचीधाम आए थे. और स्टीव जॉब्स की सलाह पर दुनिया को फेसबुक से जोड़ने वाले मार्क जुकरबर्ग ने भी यहां माथा टेका था. मार्क जुकबर्ग जब अमेरिका से करीब साढ़े आठ हजार किमी का सफर करके उत्तराखंड के कैंचीधाम पहुंचे थे तब उनका फेसबुक 17.44 लाख करोड़ का नहीं था और जुकरबर्ग संघर्ष के दौर से गुजर रहे थे. ये बात दुनिया के सामने तब आई जब प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक के दफ्तर पहुंचे थे और मार्क ने खुद ये बात मोदी को बताई थी.

जुकरबर्ग ने अपनी बातचीत में मंदिर का नाम नहीं बताया था लेकिन ये नैनीताल के पास कैंचीधाम का आश्रम था जहां स्टीव के कहने पर जुकरबर्ग पहुंचे थे और इस आश्रम में दो दिन बिताए थे.

स्टीव जॉब्स साल 1974 में इस आश्रम में आए थे चौंकाने वाली बात ये है कि स्टीव जॉब्स की नीब करौली बाबा से मुलाकात नहीं हो पाई थी क्योंकि 11 सितंबर 1973 को ही उनकी मौत हो गई थी. लेकिन दावा है कि इस आश्रम से लौटन के बाद स्टीव जॉब्स की दुनिया बदल गई थी.

बेरोजगार युवा स्टीव जॉब्स अपने मित्र डैन कोटके के साथ बाबा नीब करोरी के दर्शन करने आए थे. नीब करौली बाबा को मानने वालों में मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री जुलिया रॉबर्ट्स का नाम भी शामिल है. जुलिया ना तो आश्रम आईं और ना ही बाबा से मिली वो तो बस एक फोटो देखकर उनकी भक्त हो गई थीं.

जुलिया रॉबर्ट्स की तरह ही एक नाम है अमेरिका के कृष्णा दास का जो कभी Jeffrey Kagel हुआ करते थे. 1970 में कृष्णा दास डिप्रेशन और ड्रग्स के शिकार हो चुके थे वो अपना रॉक बैंड छोड़कर न्यूयॉर्क से भारत आ गए. यहां उनकी मुलाकात नीब करौली बाबा से हुई और फिर दुनिया बदल गई. वो कीर्तन गाने वालों में बड़ा नाम बन चुके हैं ग्रैमी अवार्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए थे. 1996 से लेकर अब तक उनके 8 एलबम रिलीज हो चुके हैं.

आखिर कौन हैं नीब करौली वाले बाबा जिनके आशीर्वाद और आश्रम के चर्चे सिर्फ भारत में नहीं बल्कि अमेरिका और जर्मनी तक फैले हुए हैं.

करीब 42 साल पहले नीब करौली बाबा ने दुनिया को अलविदा कह दिया था लेकिन उनके भक्तों की संख्या में कभी कमी नहीं हुई. नीब करौली बाबा को हनुमान जी का अवतार बताया जाता है. उनकी वेबसाइट कलर और ब्लैक एंड व्हाइट दोनों मिलाकर करीब 1300 तस्वीरें मौजूद हैं और लगभग हर तस्वीर नीब करौली बाबा कंबल ओढ़े हुए ही नजर आते हैं. कहा तो ये जाता है कि 17 साल की उम्र में ही बाबा को ज्ञान प्राप्त हो गया था.

कंबल के पीछे की क्या कहानी ये तो नहीं पता लेकिन भक्त आश्रम में बाबा को भेंट में कंबल ही चढ़ाते थे.


नीब करौली बाबा के वीडियो बहुत ज्यादा नहीं हैं लेकिन एक ये तस्वीर सामने आई जिसमें वो अपने शिष्य को थपथपाते हुए राम राम का उच्चारण करते हुए आशीर्वाद दे रहे हैं.

नीब करौली बाबा और नीब करौरी दोनों ही नाम से बाबा को जाना जाता है. कहा जाता है कि साल 1930 में बाबा नीब करौरी नाम के गांव में ठहरे हुए थे इसके बाद ही उन्हें नीब करौरी बाबा कहा जाने लगा था. उन्हें उनके भक्त महाराजा जी के नाम से भी बुलाते हैं. उत्तर भारत में नीब करौली बाबा चमत्कारी बाबा के नाम से भी मशहूर हैं.

और उनके एक नहीं चमत्कार के कई किस्से मौजूद हैं. जैसे एक ही वक्त पर दो जगह मौजूद होना. पानी से पूरे पहाड़ पर घी के दिए जलवा देना. चमत्कार के एक ऐसे ही किस्से का जिक्र वेबसाइट पर किया गया है.

बहुत साल पहले जब नीब करौली बाबा 20-22 साल के थे. वो साधु के भेष में एक ट्रेन में चढ़ गए. तब देश आजाद नहीं हुआ था. उन्होंने कई दिन से खाना नहीं खाया था. जब ट्रेन में टीटीई ने बाबा से टिकट मांगा तो पता चला कि बाबा बिना टिकट के फर्स्ट क्लास कोच में सफर कर रहे हैं. उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया. ट्रेन नीब करौली गांव के पास ही रुकी जहां बाबा रहते थे. दावा कुछ ऐसा है कि बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद लाख कोशिशों के बाद भी ट्रेन दोबारा नहीं चल पाई. तब तक जब तक नीब करौरी बाबा को खाना खिलाकर उन्हें वापस ट्रेन में नहीं बिठाया गया.

नीब करौली बाबा के चमत्कारों पर मिरैकिल ऑफ़ लाइफ, दा डिवाइन रिएलिटी, अनन्त कथामृत जैसी किताबें भी लिखी जा चुकी हैं. नीब करौली बाबा के चमत्कारों की कहानी अमेरिका के बाबा राम दास सुनाते हैं जो कभी Richard Alpert हुआ करते थे. रिचर्ड भारत आए और नीब करौली बाबा से मिले थे और करौली बाबा को अपना गुरु बना लिया. नीब करौली बाबा ने ही रिचर्ड को राम दास नाम दिया मतलब भगवान राम का सेवक.चौंकाने वाली बात ये है कि पहली मुलाकात में रिचर्ड नीब करौली बाबा के पैर नहीं छूना चाहते थे लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनकी सोच भी बदल गई औऱ नाम भी.
हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट भी बाबा के परम भक्तों में से एक हैं. जूलिया का कहना है की हिन्दू धर्म में ऐसा कुछ तो है जो में उसकी मुरीद भी होगी और आज हिन्दू धर्म का पालन भी कर रहीं हूँ। कैथलिक माँ और बैपटिष्ट पिता की संतान जूलिया रॉबर्ट कहती है की पुरे परिवार के साथ मंदिर जाती है ,मंत्र पढ़ती है ,प्रार्थान करती है।
बाबाके बड़ो भक्तों में देश के बड़े राजनयिकों जवाहरलाल नेहरूं + हिमाचल प्रदेश के पूर्व राजयपाल स्व, राजा भद्री + केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद + उत्तराखंड सरकार के सचिव मंजुल कुमार जोशी + गुरु रामदास के नाम से प्रसिद्द हुवे हार्वड विश्व विद्यालय के बोस्टन के डॉ रिचार्ड एल्पर्ट [ बी हियर नाउ के लेखक ] + योगी भगवान दास + संगीतकार जय उत्त्पल + कृष्णा दास + लामा सुर्यदास + मानवधिकारवादी डॉ लेरी ब्रिलिएंट + आदि बाबा के भक्त है।

आज भी नीब करौली बाबा के आश्रम में विदेशी सैलानियों का तांता लगा रहता है. हस साल अमेरिका, फ्रांस, लंदन जैसे देशों से भक्त यहां पहुंचते हैं.

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