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रविवार, 30 जुलाई 2023

कारगिल हुआ ही क्यो..??

*कारगिल हुआ ही क्यो..??*

कारगिल होने की मूल जड़ में जाएंगे तो पता चलेगा कि कारगिल इंटेलीजेंस फैलियर के कारण हुआ.... 
.. *पर क्या इंटेलिजेंस फेलियर 1 दिन की घटना हो सकती है क्या इंटेलिजेंस फेलियर एक अधिकारी की घटना हो सकती है* 

*जब आपका पूरा सिस्टम ही ध्वस्त करा दिया गया हो तो कारगिल एक बहुत छोटी सी घटना थी..... इसी कारण पूरे देश में बम विस्फोट और आतंकी घटनाएं होती थी*

 आखिर इसके पीछे कौन था इसे समझना है... *तो एक पुरानी पोस्ट को फिर से आज के संदर्भ में पढ़िए आपको समझ आ जाएगा कि यह कारगिल तो क्या इससे भी बड़ा युद्ध होने की संभावना थी यदि 2014 में मोदी सरकार नहीं आई होती*

इस देश को सबसे बड़ा नुक्सान दो प्रधानमंत्री के काल में हुआ - *जिसमे पहला नाम है इंद्र कुमार गुजराल*  उर्फ़ *गुमराह* 
*इंद्र कुमार गुजराल - पैदाइशी कम्युनिष्ट जो कांग्रेस में गया और फिर जनता दल में  .. 1996 में जब देवेगौड़ा प्रधानमंत्री थे तब कम्युनिष्टों की पसंद IK Gujral को विदेश मंत्री बनाया और तबसे ही इसने भारत के विदेश मामलों को ख़राब करना चालू कर दिया* .. 

इसके काल में भारत पाकिस्तान से आगे की सोच ही नहीं पाया  .. *फिर जब ये प्रधानमंत्री बना तो इसने पाकिस्तान के साथ उस समझौते को किया जिसमे लिखा था कि भारत अपने सारे केमिकल हथियार ख़त्म कर देगा*  ..

 जबकि इसके PM बनने के पहले भारत कहता आया था... *कि उसके पास केमिकल हथियार हैं ही नहीं  .. मतलब इस गुजराल ने विश्व में ये साबित करवाया की भारत झूठ बोलता रहा है*...... एक और काम जो इसने किया वो ये *कि इसने भारत के PMO से ख़ुफ़िया विभाग और RAW का पाकिस्तान डेस्क खत्म कर दिया*  .. 

*August 1997 में अमेरिका में पाकिस्तान के PM से मुलाकात होते ही वहीँ से इसने आदेश किया की इसके भारत लौटने तक RAW का पाकिस्तान डेस्क ख़त्म होना चाहिए* ...  

इसके बाद इस दौरान भारत के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी, कुवैत, यमन, UAE आदि जगहों पर स्थित *100 के ऊपर एजेंट मारे गए*  .. एक हफ्ते में सारा खुफिया विभाग ध्वस्त हो गया और RAW नेस्तनाबूद हो गई  .. .....*पूरा का पूरा ख़ुफ़िया ढाँचा नेस्तनाबूद हो गया पाकिस्तान से लेकर फिलिस्तीन तक*  .... 
*उसका नतीजा ये हुआ कि भारत को OIC इलाके में उसके खिलाफ हो रहे षडयंत्रो का पता ही नहीं चलता था  ... भारत में 1997 से लेकर 2001 तक का समय बेहद कठिन रहा*,  .........*भारत बिना किसी ख़ुफ़िया जानकारी के रहा और कोई ऐसा महीना नहीं गया जब भारत में बम विस्फोट से लेकर सीमा पर छिटपुट आतंकी हमले न हुए* .. 

*1998 में वाजपेयी सरकार आई और 1999 में कारगिल हुआ*, ख़ुफ़िया फेलियर पर खूब कोसा गया सरकार को ........*लेकिन कम्युनिष्ट मीडिया ने गुजराल डोक्टराइन नामक उस बेहूदे कागज़ के पुलिन्दे को गोल कर गई जिसको उसको लेकर कम्युनिष्टों को अभी मुहब्बत है क्योंकि उसमे भारत की नाकामी है* ...

*भारत के ख़ुफ़िया विभाग को ख़त्म करके और RAW को नेस्तनाबूक करके, उसके लोगिस्टिक को बर्बाद और एजेंटों के खात्मे के बाद हाल बहुत खराब हो गया  ... Indian Airline का हाईजैक होकर कंधार जाना, संसद भवन हमला, कोइम्बटूर हमला, अक्षरधाम, लाल किला हमला आदि होता गया और भारत सरकार पूरे 3 वर्ष तक कुछ जान ही नहीं पाई ख़ुफ़िया से ... अटल सरकार ने आने के कुछ महीने में ही फिर से RAW का पाकिस्तान डेस्क और इंटेलिजेंस का OIC विंग चालू किया था जिसको भारत में ही खड़ा करने में 2002 तक का समय लग गया* .. फिर उसका विदेशों में एजेंट बनाना आदि करते करते... *2004 में भारत के MC नागरिको ने प्याज की कीमत के चलते अटल सरकार को रवाना कर दिया*....... और छिले हुए प्याज को खुद की _____में भर लिया |

*लोगों को अक्सर कारगिल और IC814 के हाईजैक को लेकर अटल सरकार पर हमला करते पाया जाता है लेकिन गुजराल के कारनामे ने भारत का जो नुक्सान कराया उस पर कभी बात ही नहीं हुई*  .... 
*पेट्रोल डीज़ल, आलू - मटर - टमाटर के भाव, IT के स्लैब में बदलाव और एरियर को अपना सबसे बड़ा समस्या समझने वाली जनता को पता ही नहीं कि देश को असुरक्षा के किस दल दल में धकेल दिया गया था*  ... समय रहते अटल सरकार ने कदम उठाया लेकिन ध्वस्त करना आसान है, खड़ा करना मुश्किल - वो भी ख़ुफ़िया जैसा विभाग जिसमे कई वर्ष लगते हैं एक एजेंट खोजने में ... 
*अगले है देश के कलंक सदी के सर्वश्रेष्ठ अनर्थ शास्त्री MC के शहंशाह मादरणीय प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह  G* ... जिन पर कोई छीटा नहीं पड़ता  ...... *ये अगर दिल्ली के नज़फगढ़ नाले में कूद के निकलें तो भी गंगोत्री में नहाए जैसे साफ़ निकलते हैं  .... इन्होने गुजराल जैसा तो नहीं किया और RAW तथा intelligence तो टच नहीं किया लेकिन पाकिस्तान और भारत के कम्युनिष्टों के बनाए भंवरजाल और जालसाज़ी को खूब ढील दिया* ....... *इन्होने intelligence और सुरक्षा विभाग को इस लायक न छोड़ा की देश में मुंबई का हमला से लेकर अनेकों शहरों, ट्रेनों में बम विस्फोट को न पहले जान पाए और न रोक पाए* .... 
*2007 - 2008 के आस पास पाकिस्तान के लाहौर में एक घटना घटी ... पाठ्यपुस्तकों में भगत सिंह और उनके साथियों राजगुरु तथा सुखदेव के लिए लिखा गया कि "भगत सिंह और उसके दो काफिर साथियों ने पडोसी देश के आज़ादी के लिए काम किया, उस देश के लिए जो हमारा दुश्मन है और जिसकी आज़ादी की लड़ाई से हमें कोई सरोकार नहीं*, हम उनके बारे में क्यों पढ़े  ... ये उनके हीरो हैं, हमारे हीरो हमारे खुद के देश में हैं जिनको हम पढ़ेंगे  ... "  .. इस तरह के मामले की शुरुवात होंने के खिलाफ मोर्चा खोला पाकिस्तान के मशहूर columnist और लेखक हसन निसार ने  ... *हसन निसार खुले मंचों पर भगत सिंह को पाकिस्तान देश की आज़ादी का सिपाही और हीरो घोषित करने लगे*  ... उन्होंने लाहौर चौक का नाम भी भगत सिंह चौक रखने का मांग रखा  ..... इस सबके बीच ये बात चलाई गई कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दोनों देश के लोगों में कोई संवाद नहीं है .. दोनों देश के लोगों के बीच संवाद बढ़ना चाहिए  .. *इस संवाद को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के अखबार The Jung और भारत के Times of India ने आपस में मिल कर कार्यक्रम चालू किया  ... गायक, कलाकार, खिलाड़ी लोगों का आना - जाना, मुशायरों का आयोजन  ... सब चालू किया*  ... बस यहीं पर पाकिस्तान ने भारत के अंदर बहुत अंदर तक घुसपैठ कर लिया  ...

 *पाकिस्तान से जो आते थे वो सब ISI की निगरानी में उनके सिखाए, उन पर निगाह रखने वाले, और सीधे ISI एजेंट उनके मैनेजर आदि के रूप में खूब आए  .. भारत के intelligence और RAW को इनके दूर रहने का आदेश मनमोहन सरकार ने दिया* .. *सरकार ख़ुफ़िया विभाग से पाकिस्तान की तरफ से आने वाले लोगों की लिस्ट से लेकर कार्यक्रम आदि सब छिपा के रखती थी ... उधर से आए ये ISI के एजेंट यानी "अमन की आशा" गिरोह पूरे भारत की रेकी करते, अपने स्लीपर सेल बनाते और निकल जाते और फिर पीछे से भारत में मुम्बई हमला, कई अलग अलग शहरों में बम ब्लास्ट, कश्मीर में बेरोक टोक हमले कराते रहते*....... .. *कश्मीर में तैनात सेना पर इल्जाम लगा के जेल में डालना आदि जैसे कारनामे मनमोहन सरकार ने अंजाम दिए इसी कम्युनिष्टों के "अमन की आशा गैंग के निर्देश पर ... भारत की अधिकतर मूर्ख जनता इन अमन की आशा वालों के जाल में फंसी हुई नुसरत फतह अली आदि के गीतों पर झूमती रही* ... *जबकि उसका खरीदा हर एक CD /DVD का पैसा पाकिस्तान परस्ती और उसके अपने ही सेना के खून बहाने में लगता*  .. 

*इधर से जो जाते थे उनको पाकिस्तानी पश्तून - कश्मीरी - अफगानी - उक्रैन की लड़कियां, महँगी शराब  .. महँगी घडिया आदि देकर अपने ओर रखते थे  .. अय्याशी के गर्त में डूबे इन अन्धों और लालची अमन की आशा वाले लोगों ने इस कांसेप्ट के कारण खूब पलीता लगाया देश को*  ... इस गैंग को प्रायोजित करने का काम भी *मनमोहन सरकार* ने किया है ... पाकिस्तान में हुए भगत सिंह वाली घटना के बाद ही भगत सिंह को आतंकवादी बताने वाले कम्युनिष्टों ने उनको अपना हीरो बनाकर पेश करना चालू किया ...... *कम्युनिष्टों के पाकिस्तानी मिलीभगत से किए जा रहे इस जालसाज़ी को बाद में खोलेंगे* ... 
*इधर 4 साल से अमन की आशा गैंग का धंधा बंद है  .. कश्मीर में आतंकी मारे जा रहे हैं  .. देश में गड़बड़ी फैलाने से पहले स्लीपर सेल वाले दबोच लिए जा रहे हैं  .. पत्थरबाज बक्शे नहीं जा रहे हैं  .. मनमोहन सरकार द्वारा फंसाए गए सारे सेना के अफसर आदि न्यायालय से बरी किए जा रहे हैं*  ... *पाकिस्तान और म्यांमार सीमा पार करके आतंकियों के खिलाफ सेना सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है  ... पाकिस्तानी गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है  .. कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तानी मीडिया मोदी सरकार आने के बाद अपने 1600 के ऊपर सैनिक मारे जाने का दावा करके कृन्दन कर रही थी*  ... भारत अपनी सुरक्षा के लिए फ्रंट फुट पर खेल रहा हैं  .. अभी भारत को ऐसे ही करना चाहिए  ... *यूँ ही नहीं पाकिस्तान से लेकर चीन मीडिया में रोज एक प्रोग्राम मोदी पर होता ही है*  ........ 🙏🏻🚩🇮🇳

*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

*महाराज जी का यह छायाचित्र सन - 1983 का है*
*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी  रामभद्राचार्य महाराज' जी*!

"एक बालक जिसने 3 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिख दी। एक बालक जिसने 5 साल की उम्र में पूरी श्रीमदभगवत गीता के 700 श्लोक विद चैप्टर और श्लोक नंबर के साथ याद कर लिए।"

एक बालक जिसने 7 साल की उम्र में सिर्फ 60 दिन के अंदर श्रीरामचरितमानस की 10 हजार 900 चौपाइयां और छंद याद कर लिए। वही बालक गिरिधर आज पूरी दुनिया में जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी के नाम से जाने जाते हैं। 

मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को चित्रकूट में उनका जन्म हुआ था। 2 महीने की उम्र में ही वो नेत्रहीन हो गए लेकिन वो 22 भाषाओं में बोल सकते हैं इसके अलावा 100 से ज्यादा पुस्तकें और 50 से ज्यादा रिसर्च पेपर बोलकर लिखवा चुके हैं।
एक नेत्रहीन बालक इतना बड़ा विद्वान बन गया कि जब रामजन्मभूमि केस में मुस्लिम पक्ष ने ये सवाल खड़ा किया कि अगर बाबर ने राममंदिर तोड़ा तो तुलसी दास ने जिक्र क्यों नहीं किया ? 

ये सवाल इतना भारी था कि हिंदू पक्ष के लिए संकट खड़ा हो गया... लेकिन तब संकट मोचन बने श्रीरामभद्राचार्य जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (हाईकोर्ट का नाम अब भी वही है) में गवाही दी और तुलसी दास के दोहाशतक में लिखा वो दोहा जज साहब को सुनाया जिसमें बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ने का जिक्र है।

 रामजन्म मंदिर महिं मंदिरहि तोरि मसीत बनाय ।
 जबहि बहु हिंदुन हते, तुलसी कीन्ही हाय ।।
 दल्यो मीर बाकी अवध, मंदिर राम समाज ।
 तुलसी रोवत हृदय अति, त्राहि त्राहि रघुराज ।।

 चारो ओर जय जय कार हो गई, रामभद्राचार्य जी महाराज की उनके प्रोफाइल पर गौर कीजिए, आध्यात्मिक नेता, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, कवि, विद्वान, दार्शनिक, गीतकार, गायक, साहित्यकार और कथाकार। 24 जून 1988 को काशी विद्वत परिषद ने उनको जगदगुरु रामभद्राचार्य की उपाधि दी। उनका बचपन का नाम था गिरिधर। 

प्रयागराज में कुंभ मेले में 3 फरवरी 1989 में सभी संत समाज द्वारा स्वामी गिरिधर को श्री रामभद्राचार्य की उपाधि दे दी गई।

श्री रामभद्राचार्य तुलसी पीठ के संस्थापक हैं और जगदगुरु रामभद्राचार्य हैंडिकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन कुलपति भी हैं विश्व हिंदू परिषद के रूप में भी वो हिंदुओं को प्रेरणा दे रहे हैं।

हृदय तब गद-गद हो गया जब जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज जी ने चैनल पर एंकर से कहा- ‘मैं जन्म से दृष्टिहीन हूँ, फिर भी सभी वेद कंठाग्र हैं मुझे। डेढ़ लाख से अधिक पन्ने कंठस्थ हैं"

अब और कौन सा चमत्कार देखना बाकी है... ??

सनातन धर्म ही सर्वश्रेठ है!
प्रणाम है ऐसे महान संत को...🙏

जय श्री राम

टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD

टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD
इन दिनों टेलिवजन पर एक एड तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इस एड में बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार यमराज बनकर टर्म इंश्योरेंस के फायदे गिनाते नजर आते हैं। आमतौर पर लोग सामान्य इंश्योरेंस को ही टर्म इंश्योरेंस मानने की गलती कर बैठते हैं, लेकिन इन दोनों में बुनियादी अंतर होता है। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको विस्तार से जानकारी दे रहे हैं कि आखिर टर्म इंश्योरेंस होता क्या है और इसके फायदे क्या हैं।

सबसे पहले जानिए कि आखिर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के कितने प्रकार होते हैं..

क्या होती है टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी?

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि टर्म प्लान इंश्योरेंस पॉलिसी का सबसे विशुद्ध स्वरूप होता है। जीवन बीमा लेने का सबसे सरल तरीका टर्म इंश्योरेंस ही होता है। इसमें बीमा लेने वाला व्यक्ति एक निश्चित समय तक प्रीमियम का भुगतान करता रहता है। यदि निश्चित अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो सम एश्योर्ड या एक मुश्त राशि उसके परिवार या नॉमिनी को दे दी जाती है। टर्म प्लान में हर साल मामूली प्रीमियम देने के बाद आपको कुछ विशेष सालों के लिए कवर उपलब्ध करवाया जाता है। आमतौर पर टर्म पॉलिसी 10 साल,15 साल, 20 साल, 25 साल और 30 सालों के लिए ली जाती हैं।

उदाहरण से समझिए:

अगर आपने 15 साल की समय अवधि के लिए 55 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस खरीदा है। इसके लिए आपको हर साल 4 हजार रुपए का प्रीमियम भुगतान बीमा कंपनी को करना है। वहीं अगर इस पॉलिसी की मैच्योरिटी के दौरान बीमाधारक मृत्यु हो जाती है तो आपके परिवार को यह 55 लाख रुपए की राशि दे दी जाएगी। लेकिन अगर 15 वर्षों तक आप स्वस्थ रहते हैं तो भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले में आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।

टर्म इंश्योरेंस प्लान के दो बड़े फायदे:

क्यों जरूरी होता है टर्म इंश्योरेंस?

टर्म इंश्योरेंस परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने के बाद भी परिवार को वित्तीय संकट से सुरक्षित रखता है। घर का मुखिया परिवार में आय का मुख्य स्रोत होता है। उस व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर बीमारी से उसके अक्षम हो जाने के बाद अक्सर परिवार में अन्य सदस्यों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर पर्याप्त राशि का टर्म इंश्योरेंस लिया गया है परिवार की आर्थिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। साथ ही उन्हें नियमित आय का सहारा रहता है। टर्म इंश्योरेंस के अंतर्गत गंभीर बीमारी, अकस्मात मृत्यु, स्थायी बीमारी जैसी चीजें आती हैं। कई कंपनियां परिवार के सदस्यों को टर्म इंश्योरेंस में नियमित आय का भी विकल्प देती हैं।
अधिक जानकारी हेतु आज ही *आदित्य बिड़ला लाईफ़ इन्स्योरेन्स सलाहकार* से सम्पर्क करे!
KAILASH Chanda Ladha
9352174466
Bhupendra ji
9785008009

आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है?


आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है? क्या आपका कोई अच्छा या बुरा अनुभव है जो आप साझा करना चाहेंगे?


मेरे पास तो कम से कम 20 से 25 बार काॅल आ चुके हैं धोखाधड़ी के लिए। लेकिन हर बार मैं अपनी समझदारी के कारण बच गया हूँ और फ्राड काॅलर अपना सिर धुनते रह गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है।

मैं एक ग्राफिक डिज़ाईनर हूँ और पिछले 20 सालों से मैं कम्प्यूटर/आनलाइन कार्य करता हूँ और काफी जानकारी भी एकत्रित करता रहता हूँ इस कारण धोखेबाज़ों के जाल में नहीं फंसा।

इस प्रश्न के उत्तर में अपना अनुभव आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ, ताकि और लोग भी सचेत हो सके।

मेरे पास किस तरह के फ्राड काॅल आते हैं उनके बारे विस्तार से लिख रहा हूँ -

बैंक एटीएम की जानकारी के लिए - धोखेबाज़ कई बार फोन करके एटीएम नंबर और पिन माँग चुके हैं। एक अनुभव साझा करता हूँ - मेरे पास एक काॅल आया, ‘आप अलाउदिन अंसारी बोल रहे हैं। मैं एसबीआई/इंडिया बैंक से फलाना मैनेजर बोल रहा हूँ। आपका एटीएम कार्ड ब्लाॅक होने वाला है एक-दो दिन में। आप अगर वेरिफिकेशन करवा लेते हैं तो आपका एटीएम बंद नहीं होगा।’’ (अपना नाम और बैंक के बारे सुनकर आम लोग सोचते हैं कि बैंक से ही फोन होगा, जबकि सच्चाई यह है कि आपका सारा डाटा आनलाइन चोर मार्केट में मिल सकता है, 1 रूपये से भी कम में।) उसने मुझे भरोसे में लेने के लिए कहा कि हम आपसे कार्ड का नंबर और खूफिया जानकारी नहीं मांगेंगे। मुझे तो समझ आ गया कि यह एक फ्राड काल है।

मैंने कहा बताइए कैसे वेरिफिकेशन करेंगे। तो काॅलर ने मुझसे पूछा आपका कार्ड वीसा कंपनी का है या मास्टर कार्ड का। मैंने बताया कि वीसा कंपनी का। तो उसके कहा मैं आपको नंबर कंफर्म करा रहा हूँ, और उसने मेरे कार्ड के 16 नंबरों में से शुरूआती 4 नंबर बता दिए और फिर मुझसे बाकी के नंबर पूछने चाहे। मैंने मना कर दिया। क्यों? क्योंकि वीज़ा/अमेरिकन एक्सप्रेस/मास्टर कार्ड सबके शुरूआती नंबर कंपनी के हिसाब एक ही होते हैं। इन शुरूआती 4 डिज़िट से ही कार्ड किस कंपनी द्वारा जारी किया गया है पता चलता है। इस कारण मैंने उसको साफ मना कर दिया। काफी देर तक उसने मुझपर दबाव डाला तब मैंने कहा कि "भाई साहब मैं साइबर सेल में हूँ और आपसे इसलिए इतनी देर से बात कर रहा कि आपका काल ट्रेस हो सके।" बस इतना सुनना था कि सामने वाले का काल कट गया।

अब इतनी आदत हो गई है कि 5 सेकेंड में पता चल जाता है काॅल फ्राड है कि सही। कई बार मैं आफिस में होता हूँ और ज्यादा बात करने का समय नहीं होता तो साफ बोल देता हूँ तुम फ्राड कालर हो और फोन कट जाता है।

सुझाव-

याद रखें बैंक वाले कभी भी आपसे आपका पिन या कार्ड नंबर नहीं मांगेंगे। अगर उन्हें ज़रूरत भी होगी तो आपको ही ब्रांच में बुलाएंगे। आप कभी भी अपना पिन या फिर मोबाईल पर आया हुआ ओटीपी किसी को न बताएँ। क्योंकि धोखेबाज़ों के आप आप की अधिकतर जानकारी होती है, कार्ड नंबर, सीवीवी कोड और मोबाइल नंबर तक उनको पता होता है। बस लेनदेन के लिए जो ओटीपी आता है वो आपके मोबाइल पर ही आयेगा इसलिए धोखोबाज आपको फोन पर पहले ही फंसा लेते है और जब उनको लगता है कि आप ओटीपी बता देंगे तो वो आॅनलाइन किसी चीज़ का भुगतान करते हैं (आपके कार्ड की डिटेल्स से)। आप जैसे ही ओटीपी बतायेंगे तो आपके बैंक से कट जाएंगे।

कृपया ऐसे फोन काॅल से सावधान रहें।

नौकरी के झांसे वाले काॅल - एक बार नौकरी.काॅम से ई-मेल आया था। जिसमें एक अच्छे पैकेज का आफर था। उन्होंने रिज्यूमे माँगा और 10 मिनट बाद ही मुझे फोन आया कि आपको सेलेक्ट कर लिया गया है। चूंकि मेल नौकरी.काॅम की मेल सर्विस से आया था तो मैंने फ्राड काॅल नहीं समझा। कुछ देर बाद मुझे फिर से एक काॅल आया कि 5000/- रूपये रजिस्ट्रेशन फीस जमा करो तो आपको कल ही ज्वाईनिंग लेटर भेज दिया जाएगा और सैलरी भी लगभग 40 हजार के आस-पास फाइनल हो गई है।

बस यहीं मेरे दिमाग की बत्ती जली। फिर मैंने ईमेल एड्रेस, जिससे मेल आया था उसको ध्यान से पढ़ा तो पता चला कि सिर्फ एक अक्षर का अंतर था कंपनी और फ्राड ईमेल एड्रेस में।

बस इस जरा सी सावधानी से मैं एक बार फिर बच गया। मेरा एक पड़ोसी जो इंजीनिरिंग कर चुका था उसने ऐसे ही फ्राड ईमेल के झांसे में आकर धीरे-धीरे 60-70 हज़ार रूपये गंवा दिए थे। इसका मुझे बाद में पता चला।

सुझाव -

नौकरी के ऐसे आफर की सत्यता की जाँच कंपनी के आफिशियल वेबसाईट पर करें। किसी की भी चिकनी-चुपड़ी बातों में आसानी से न आएँ, दो-तीन लोगों से सलाह लें जो इंटरनेट के अच्छे जानकार हों और सबसे जरूरी वक्त लें थोड़ा, जल्दबाजी न करें।

लकी नंबर वाला फ्राॅड - मेरे पास कई ऐसे फोन भी आए हैं जिनमें कहा गया कि आपका आयडिया का नंबर लकी नंबर के रूप में चुना गया है। आपको मोबाईल/बाईक/कार/घर ईनाम के रूप में मिलेगा। बस आपको सिक्यूरिटी के रूप में 10/20/30/40 हज़ार रूपये जमा करने पड़ेंगे। अब जाहिर सी बात है कोई जबरन में आपको काॅल करके क्यों गिफ्ट देगा वो भी आपके बिना भाग लिए हुए। सोचने वाली बात है।

सुझाव-

कृपया लालच न करें। यह कलयुग है, सतयुग नहीं। कोई भी आपको अपनी जेब से गिफ्ट नहीं देगा, वो भी जबरदस्ती। ऐसे काॅल को महत्त्व न दें।

आनलाईन खरीदी के बाद वाला फ्राॅड काल- यह नया-नया फ्राॅड है। मेरे साथ 2 बार हो चुका है। मैंने फ्लिपकार्ट से एक सामान आर्डर किया। दूसरे ही दिन मेरे पास काॅल आया कि आपने फ्लिपकार्ट से अमुक समान खरीदा है, इतने रूपये का और आपके इस एड्रेस पर डिलीवरी होनी है। (इतने में आम लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि कंपनी से ही काॅल आया होगा) मेरे हाँ में जवाब देने पर काॅलर ने कहा ‘‘बधाई हो आप एक बाईक जीत गए हैं, फिलिपकार्ट पर शाॅपिंग करने के लिए’’। बस मेरे लिए इतना ही काफी था फेक अलार्म पकड़ने के लिए। मैंने उसे साफ मना कर दिया मैं कोई पैसा नहीं दूँगा आपको तो सामने वाले काॅल कट कर दिया।
होम शाॅप 18 से भी खरीदी करने पर भी मेरे साथ एक बार यही चीज़ हो चुकी है।

सुझाव-

आनलाईन कंपनियाँ जो भी डिस्काउंट या ईनाम देती हैं अपनी वेबसाईट या जो सामान आप खरीद रहे हैं वहीं पर बता देते है। आपकी खरीदारी के बाद नहीं बताती कि आपने यह ईनाम जीता है।

आपका एड्रेस और खरीदारी का अमाउंट धोखेबाज़ कुरियर कंपनी से खरीद लेते हैं इसलिए आप भ्रमित न हों। लोगों से सलाह लें।

आनलाईन जाॅब पोर्टल - एक बहुत बड़ी जाॅब प्रोवाईडर कंपनी है, मैं नाम नहीं लूंगा। इनके काॅल सेंटर से काॅल आया। अच्छी जाॅब दिलाने के बहाने मुझसे रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया। बहुत मनाने के बाद मैंने 3000 रूपये में रजिस्ट्रेशन इस शर्त पर किया की इसके बाद मुझे एक भी रूपये नहीं देने पड़ेंगे और जाॅब के नोटीफिकेशन आने लगेंगे। पर जैसे ही मैंने रजिस्ट्रेशन फीस जमा की उन्होंने और पैसे की माँग की अलग-अलग बहाने से। मैंने मना कर दिया और आनलाईन कंप्लेंट करके बड़ी मुश्किल से अपने पैसे वापस पाए। आप इनको व्हाईट काॅलर धोखेबाज़ बोल सकते हैं।

सुझाव -

किसी भी जाॅब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले सारे तथ्य एवं शुल्क की जाँच कर लें। साथ ही कंपनी के बारे में आनलाइन रिव्यू एवं फीडबैक भी पढ़ लें।

एम्स में गरीबों के इलाज के लिए - एक बार मेरे पास एक काॅल आया जिसमें कहा गया कि एक गरीब बच्चे के टीबी के इलाज के लिए 1 लाख रूपये चाहिए। 60 हजार रूपये आप जैसे लोगों से एकत्रित हो गए हैं, बस 40 हज़ार की और जरूरत है। आपसे जितनी मदद हो सके कर दीजिए कम से कम 1 रूपये से आप कितना भी अमाउंट आप पेटीएम कर सकते हैं।
अब चूंकि मैं काफी संवेदनशील हूँ तो मैंने सोचा थोड़ी बहुत मदद तो मैं कर ही सकता हूँ। फिर भी मैंने सोचा की एक बार कंफर्म तो करना चाहिए ताकि पैसा सही जगह पहुँच जाए। तो काॅलर ने बच्चे का एम्स का एडमिट कार्ड और रसीदें व्हट्सअप पर दिखाई और कहा कि आप एम्स की वेबसाइट पर लाॅगइन करके देख सकते हैं।

मैंने रसीदें चेक की वो तो असली थी, लेकिन उस पर जो तारीख़ लिखी थी उसपर मुझे संदेह हुआ। मुझे फोटोशाॅप की अच्छी जानकारी है मुझे पता है कि तारीख बदलना तो कितना मामूली काम है। इसलिए उस जानकारी से एम्स की वेबसाईट पर लाॅगइन किया तो कोई डिटेल्स नहीं मिली। वह केस शायद बंद हो गया था। यह बात मैंने काॅलर को बताई तो उसने मुझे बरगलाने की कोशिश की, लेकिन फिर मैंने काॅल कट कर दिया। उसके बाद उसके कई काॅल आए अलग-अलग नंबर से धमकाते हुए और कहते हुए कि मेरा समय बर्बाद कर दिया और पैसे भी नहीं भेजे। लेकिन मुझे ऐसे फ्राड लोगों पर पैसे खर्च करने का न तो कोई शौक है और नही लुटाने के लिए पैसे। जब भी मुझे लगता है मैं खुद से ज़रूरतमंदों की मदद कर देता हूँ।

सुझाव -

आम लोग काफी संवेदनशील होते हैं और फ्राड आपके इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा कर इस तरह से आपसे पैसों की माँग करते हैं। हम और आप दान या मदद करने की भावना से पैसे भेज भी देते हैं। मगर हमको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मेहनत से कमाए पैसे सही जगह पहुँचे।

उम्मीद है कि आप सुझावों पर अमल करेंगे।
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यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं

राष्ट्रप्रेमी भाइयों और बहनों

कल मैंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एक क्वालिटी प्रोडक्ट के बारे में आपको बताया था आज उसी की अगली कड़ी | और हमेशा की तरह ये लेख भी राजीव भाई के विभिन्न व्याख्यानों से लेकर प्रस्तुत किया गया है आप ज्यादा से ज्यादा इसे प्रेषित करें


2. बेबी (मिल्क) पावडर
हमारे देश में एक अमेरिकी कंपनी है - नेस्ले , नेस्ले बेबी पावडर (डब्बे का दूध) बेचती है | यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं | मैंने यूरोप के कई देशों में देखा है, बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगे रहते हैं और सरकार की तरफ से उन होर्डिंगों पर प्रचार किया जाता है कि "आप अपने बच्चे को बेबी पावडर मत खिलाईये" | क्यों ? क्योंकि इसमें जहर है, तो पुरे यूरोप में ये जो बेबी पावडर "बेबी किलर" कहा जाता है वही बेबी पावडर धड़ल्ले से भारत के बाजार में बिक रहा है और बहुत वर्षों तक इस देश में जो बेबी पावडर बिकता था, उसके डब्बे पर कुछ भी लिखा नहीं होता था, जब कुछ अच्छे लोगों ने इस मुद्दे को उठाया, हमारे जैसे विचार वाले कुछ डोक्टरों ने संसद पर दबाव बनाया तब भारत की सरकार ने सिर्फ इतना सा संसोधन कर दिया कि "कंपनियों को बेबी पावडर के डब्बे पर ये लिखना आवश्यक होगा कि माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है", बस बात ख़त्म | होता ये कि भारत सरकार इन डब्बे के दूध को भारत में प्रतिबंधित कर देती, लेकिन नहीं | और भारत की पढ़ी-लिखी माताओं की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं वो उतना ही ज्यादा बेबी पावडर पिलाती हैं अपने बच्चों को | कभी-कभी तो मुझे ये लगता है कि जैसे भारत में जब से बेबी पावडर आया है तभी से बच्चे जवान हो रहे हैं, बिना बेबी पावडर के तो लोग बड़े ही नहीं हुए होंगे इस देश में ? कुछ ऐसा ही माहौल बनाया गया है इस देश में पिछले कुछ वर्षों से, और विरोधाभास क्या है इस देश में कि बाजार में बेबी पावडर भी बिक रहा है और "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" इस विषय पर सेमिनार भी आयोजित किये जाते हैं, करोड़ो रूपये खर्च कर के | सीधा ये नहीं करते कि बेबी पावडर को प्रतिबंधित कर दे इस देश में | जिनको समझना चाहिए कि "माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है" वो सेमिनार में आते नहीं और जिनको ये समझ है वो कोई कैम्पेन चलाते नहीं, ये इस देश का दुर्भाग्य है |
इसे पढ़े ------ http://www. babymilkaction.org/pages/ history.html

3. हेल्थ टॉनिक
हमारे देश में हेल्थ टॉनिक के नाम पर कई कंपनियाँ अपने उत्पाद बेचती हैं, जैसे होर्लिक्स, मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान,बूस्ट, प्रोटिनेक्स और खूबी की बात है कि इनमे हेल्थ के नाम पर कुछ भी नहीं है | कैसे ? ये कंपनियाँ इन हेल्थ सप्लीमेंट में मिलाती क्या हैं वो भी आप जान लीजिये | मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान और बूस्ट बनता है मूंगफली (सिंघदाना) की खली से | खली समझते हैं आप ? मूंगफली, सरसों, आदि का तेल निकालने के बाद जो उसका कचरा निकलता है, उसी को खली कहते है और भारत में गाय, बैल,भैंस जैसे जानवरों को खिलाने के लिए इस खली का प्रयोग किया जाता है | ये मालटोवा, बोर्नविटा, कॉम्प्लान और बूस्ट इसी मूंगफली की खली से बनाया जाता है, जो खली हमारे देश में जानवरों को खिलाया जाता है वही इस देश में अपने को पढ़े-लिखे और बुद्धिमान कहने वाले लोग खा रहे हैं | बाजार में आप चले जाइये, ये मूंगफली की खली 20 -25 रूपये प्रति किलो के हिसाब से मिल जाएगी आपको | आप सौ डब्बे भी इन हेल्थ टोनिकों के खा लीजिये या अपने बच्चों को खिला दीजिये, कुछ नहीं होने वाला उससे | और इसके बदले मूंगफली/सिंघदाना दीजिये गुड के साथ तो जितना प्रोटीन इससे मिलता है, जितनी कार्बोहाईड्रेट इससे मिलती है, या और भी जितनी स्वास्थ्यवर्धक तत्व इससे मिलती है, उतना 100 पैकेट इन उत्पादों के खाने से भी नहीं मिल सकती | ये अपने डब्बे पर लिखते है कि इससे विटामिन मिलता है, प्रोटीन मिलता है, कैल्सियम मिलता है, वगैरह वगैरह, लिखने में क्या जाता है ? किसी ने कभी टेस्ट कर के कोई समान ख़रीदा है क्या ? अरे मिटटी में भी 18 तरह के Micro Nutrients होते हैं तो क्या हम मिटटी खायेंगे ?
ऐसा ही एक और हेल्थ टॉनिक है - हॉर्लिक्स - हॉर्लिक्स में क्या है ? हॉर्लिक्स में है गेंहूँ का आटा, चने का सत्तू, जौ का सत्तू | बिहार में हमलोग उसको कहते हैं सत्तू और अंग्रेजी में कहते हैं - हॉर्लिक्स | आप किसी से पूछिये कि सत्तू खाओगे ? तो कहेगा कि - क्या फालतू की बात कर रहे हो और पूछेंगे कि हॉर्लिक्स खाओगे तो कहेगा -हाँ खायेंगे | क्योंकि अंग्रेजी का नाम है, और बड़ा भारी नाम है हॉर्लिक्स | उस पर साफ़-साफ़ लिखा है "It's malted " और malted का मतलब ही होता है आटा/सत्तू | जौ का सत्तू, चने का सत्तू बाजार से खरीद लीजिये 50 -60 रूपये किलो मिल जायेगा और और हॉर्लिक्स बिक रहा है 400 रूपये किलो के हिसाब से |
भारतीय बाजार में जितने हेल्थ टोनिक मिल रहे हैं उनसे एक पैसे का हेल्थ नहीं मिलता और भारत के लोग हर साल 1500 करोड़ का हेल्थ टोनिक खरीद कर पैसा विदेश भेज रहे हैं | सिर्फ mental satisfaction है और कुछ नहीं ? हमारे देश के लोग अजीब किस्म के निराशावाद में जी रहे है | ये इग्नोरेंस अनपढ़ लोगों में होता तो मुझे समझ में भी आता लेकिन भारत के पढ़े लिखे लोगों में ये सबसे ज्यादा है | इनमे मिलाये हुए तत्वों की सूचि नीचे दी गयी है जो कि इनके UK की वेबसाइट से ली गयी है, भारत के वेबसाइट पर ये उपलब्ध नहीं है|
Ingredients of Horlicks : Wheat Flour (55%), Malted Barley (15%), Dried Whey, Sugar, Calcium Carbonate, Vegetable Fat, Dried Skimmed Milk, Salt, Vitamins (C, Niacin, E, Pantothenic Acid, B6, B2, B1, Folic Acid, A , Biotin, D, B12), Ferric Pyrophosphate, Zinc Oxide.May contain traces of soyabeans..
Source : http://www.horlicks.co.uk/ downloads/Horlicks- Traditional-2011.pdf

4. लाइफबॉय

दुनिया में तीन तरह के साबुन होते हैं | एक होते हैं- बाथ सोप-मतलब नहाने का साबुन, दुसरे होते हैं-टॉयलेट सोप - मतलब हाथ धोने का साबुन और एक होता है - कार्बोलिक सोप - मतलब जानवरों को नहलाने का साबुन | और ये लाइफबॉय साबुन, कार्बोलिक साबुन है, ये कंपनी वाले कहते हैं, मैं नहीं कह रहा हूँ | और यूरोप के देशों में जिस लाइफबॉय से कुत्ते नहाते हैं, बिल्लियाँ नहाती हैं, घोड़े नहाते हैं उसी लाइफ बॉय से भारत के लोग रगड़-रगड़ के नहाते हैं | प्रचार देख के ऐसा हमारा दिमाग ख़राब हुआ है कि अकेले भारत में ये लाइफबॉय साबुन एक साल में 7 करोड़ बिक जाता है और तो और कुछ दिन पहले तक लाइफबॉय साबुन बिक रहा था "Family Doctors Welfare Association of India द्वारा प्रमाणित" के नाम से | ये कौन सा एसोसिएसन है ? ये कब बना ? और कब इन्होने लाइफबॉय को प्रमाण-पत्र दे दिया थे ? लेकिन रोज इनका विज्ञापन था ये और हम सब ख़ामोशी के साथ बैठे हुए इसको देख रहे हैं कि कैसे देश के साथ भयंकर गद्दारी और बेईमानी का काम चल रहा है | और लाइफबॉय के प्रचार पर ध्यान दीजियेगा, उनका कहना है कि "ये मैल में छिपे कीटाणुओं को धो डालता है" ध्यान दीजियेगा, मैल को धोता है, कीटाणुओं को नहीं धोता और कीटाणुओं को धोता है, मारता नहीं | सबसे घटिया साबुन भारत के बाजार में बिक रहा है और हम इस्तेमाल कर रहे हैं | इसके घटिया होने का प्रमाण क्या है ? साबुन में केमिकल जितना ज्यादा, साबुन उतना ही घटिया | मैं आपको इसका प्रमाण देता हूँ, आप लाइफबॉय से नहाइए, नहाने के बाद जब शरीर सुख जाये तो नाख़ून से शरीर पर लाइन खिचिये, सफ़ेद रंग की लाइन खिंच जाएगी, ये लाइन कैसे खिंची ? लाइफबॉय के केमिकल कचरे ने आपके त्वचा के प्राकृतिक तेल को पू री तरह से सुखा दिया, तो त्वचा एकदम रुखी-सुखी हो गयी और बार-बार जब आप इस प्रयो ग को करेंगे तो एक दिन आपको एक् जीमा होना ही है, सोरैसिस होना ही है, अन्य चमड़े के रोग होने ही वाले हैं | एक दिन मैंने इस कंपनी के बैलेंस शीट में से इस लाइफबॉय का लागत खर्च (Cost of Production) निकाला तो वो है 2 रुपया और भारत के बाजार में बिकता है 18 -20 रुपया में, अब आप इसका लाभ प्रतिशत निकाल लीजिये |
http://www.wisegeek.com/what- is-carbolic-soap.htm

5. रिफाइन

आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं | तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब Inorganic हैं और Inorganic केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका combination जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइन तेल, डबल रिफाइन तेल गलती से भी न खाएं | फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ? तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है | तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है प्रोटीन के लिए | 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |

जब हमने सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डोक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको मैं एक लाइन में बताता हूँ क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है, उन्होंने कहा "तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |" आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotin), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है | 7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है | और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा | क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है |
http://www.healthy-eating/- politics.com/vegetable-oil.htm

क्रमशः ......
जय हिंद
राजीव दीक्षित

भाजपा सत्ता में आई, उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है!

*भाजपा सत्ता में आई, उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है!*

*गुजरात को मीडिया के लोग "हिंदुत्व की प्रयोगशाला" कहते थे!*

*गुजरात पहला राज्य है, जहां भाजपा सत्ता में आई, और जिस जमाने में भाजपा के केवल दो संसद सदस्य थे! उसमें से एक मेहसाना से थे!*

*आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा, कि गुजरात में भाजपा सत्ता में कैसी आई?*

*मित्रों, गुजरात में भाजपा को सत्ता में लाने में कुख्यात "माफिया डॉन अब्दुल लतीफ" का बहुत बड़ा योगदान है*

*अगर अब्दुल लतीफ नहीं होता, तो संभव है भाजपा सत्ता में नहीं आती!* 

*अब्दुल लतीफ इतना कुख्यात डॉन था, कि उसने सबसे पहले एके-५६ का उपयोग किया था! और १२ पुलिस कर्मियों सहित, १५० से अधिक नागरिकों का वध किया था, जिसमें "राधिका जिमखाना" वध  बहुत प्रसिद्ध हुआ था!*

*जब "राधिका जिमखाना" क्लब में लतीफ ने अंधाधुंध गोलीबारी करके, एक साथ ३५ नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था!*

*लतीफ के ऊपर कांग्रेस और जनता दल दोनों के नेताओं का वरदहस्त था!*

*लतीफ की इतनी पहुंच थी, कि वह मुख्य मंत्री चिमन भाई पटेल के चेंबर में, बगैर अपॉइंटमेंट के, चला जाता था, और तस्करी, सोने चांदी की स्मगलिंग, ड्रग्स की स्मगलिंग, इत्यादि में अरबों रुपए कमाये, और उसमें नेताओं को हिस्सा जाता था!*

*यदि लतीफ या लतीफ के गैंग के किसी गुर्गे को कोई हिंदू लड़की पसंद आ जाती थी, तो वो रातों-रात उठा ली जाती थी!*

*लतीफ, जब चाहे तब, किसी हिंदू का बंगला, दुकान खाली करवा लेता था! उस समय भाजपा गुजरात में संघर्ष के दौर में थी*

*नरेंद्र मोदी, शंकर सिंह वाघेला, केशुभाई पटेल साइकिल स्कूटर पर, चप्पल पहन कर घूमते थे!*

*एक दिन, गोमतीपुर में भाजपा की एक सभा थी! भाषण देते देते, केशुभाई पटेल ने जोश में बोल दिया, कि जब भाजपा की सरकार आएगी, तब अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया जाएगा! बोलने के बाद, वह डर गए! उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई! लेकिन गुजरात की जनता के अंदर एक संदेश चला गया, कि आखिर यह कौन से पार्टी के नेता हैं, जो अब्दुल लतीफ के गढ़ में, उसका इनकाउंटर करने की बात कर रहे हैं?*

*केशुभाई पटेल के इस भाषण के बाद, जब चुनाव हुए, तब गुजरात में भाजपा की ३५ सीटे आई, जो अपने आप में बहुत बड़ी विजय थी!*

*उसके बाद, भाजपा ने अब्दुल लतीफ और उसके गुर्गों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया, और अगले चुनावों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई! और अपने वायदे के अनुसार, शंकर सिंह वाघेला ने अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया!*

*अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर भी बड़े जोरदार तरीके से हुआ था! शंकर सिंह वाघेला के सामने डीएसपी जाडेजा आए, और बोले सर लतीफ का एनकाउंटर करना चाहता हूं, क्योंकि इसने मेरे इंस्पेक्टर झाला का मर्डर किया था, जब वह अपनी गर्भवती पत्नी को देखने छुट्टी पर जा रहा था!*

*अब्दुल लतीफ को गिरफ्तार किया गया! और नवरंगपुरा स्थित पुराने उच्च न्यायालय में उसकी पेशी होनी थी! पेशी के पहले, डीएसपी जडेजा ने कहा, "दाबेली खाओगे?" लतीफ ने हां बोला, तो उसकी हथकड़ी खोल दी गई! और फिर उसे ८ गोलियां मार दी गई! और मीडिया में कह दिया गया, लतीफ ने नाश्ता करने के लिए हथकड़ी खुलवाई, और भागने का प्रयास किया! जिसके फलस्वरूप वह मारा गया!*

*उसके बाद, शंकरसिंह वाघेला ने एक और बहुत अच्छा काम किया, कि उन्होंने "अशांत धारा एक्ट" लागू कर दिया, यानी गुजरात के विभिन्न शहरों में बहुत से विस्तार चिन्हित कर दिए गए! और इन विसतारों में किसी हिंदू की संपत्ति, कोई मुस्लिम नहीं खरीद सकता!*

*और उसके बाद भाजपा गुजरात से होती हुई मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बंगाल, इत्यादि अन्य कई जगह बढ़ती चली गई! और आज केंद्र में ३०३ बैठकों के साथ सत्ता में है!* 

*जब एक हिन्दू जागता है, और दूसरे सोये हुए हिन्दुओं को जगाता है, तब ये गुजरात वाला वातावरण बनता है!*

*जब केशूभाई ने लतीफ का एनकाउंटर करने की घोषणा की थी, गुजरातियों ने बिना किसी प्रश्न-उत्तर के भाजपा को अपना भरपूर समर्थन किया था!*

*अगर पूरे देश में गुजरात वाला परिणाम हिन्दुओं को चाहिए, तो सभी को वही करना होगा, जो तब गुजरातियों ने किया था!*

*इसीलिए भाजपा और मोदी को, बिना प्रश्न किये, साथ दें! तभी पूरे देश में से लतीफों का सफाया मोदीजी और भाजपा कर पाएंगे!*

*गुजराती नागरिक सदैव दूर की सोचते हैं, और ये एक पाठ देशवासियों को, और विशेष कर हिन्दुओं को, उनसे सीखना होगा!*

*छोटी-छोटी बातों में मोदीजी और भाजपा का विरोध न करें! बल्कि उन्हें अपना पूरा समर्थन दें! ताकि वे अपना काम पूरी प्रामाणिकता से कर सकें!* 
🤔 🤔 🤔
*केवल २५ हिन्दू मित्रों को भेजिए!*

*ll जय श्री राम ll*

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