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रविवार, 23 अक्तूबर 2011

धनतेरस : धन्वंतरि पूजन का महत्व

कल धनतेरस : धन्वंतरि पूजन का महत्व.............

कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं l पाँच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से होता है। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन करके प्रज्वलित करने एवं यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। समुद्र मंथन के समय इसी दिन धन्वंतरि सभी रोगों के लिए औषधि कलश में लेकर प्रकट हुए थे। अतः इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन श्रद्धापूर्वक करना चाहिए, जिससे दीर्घ जीवन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है। धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्ष पर्यन्त नहीं रहती है।
धन्वंतरि देवताओं के वैद्य और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोककथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या?
दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें। परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेम के पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।

धनतेरस के दिन चाँदी खरीदने की भी प्रथा है, इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बडा़ धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ, सुखी है और वही सबसे बड़ा धनवान है। भगवान धन्वंतरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं और उनसे धन व सेहत की कामना जब करें तो याद रखें संतोष ही धन है और संतोष से ही सेहत बनती है।

रूप चोदुस, नरक चतुर्दशी एवं हनुमान जयंती २५.१०.२०११ को........

इसे छोटी दीपावली भी कहते है l इस दिन रूप और सोंदर्य प्रदान करने वाले देवता श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है, इसी दिन भगवान श्री कृष्णा ने नरकासुर नमक राछस का वध किया था और राछस बारासुर द्वारा बंदी बनायीं गयी सोलह हजार एक सौ कन्याओ को मुक्ति दिलाई थी, अत: नरक चतुर्दशी मनाई जाती है l अर्थार्थ गंदगी है उसका अंत जरुरी है l इस दिन अपने घर की सफाई अवस्य करें l रूप और सोंदर्य प्राप्ति हेतू इस दिन शरीर पर उबटन लगा कर स्नान करें l
अंजली पुत्र बजरंग का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में हुवा था अत: हनुमान जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है l सांयकाल उनका पूजन एवं सुन्दरकाण्ड का पाठ अवश्य करें l

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

रंगोली डिजाईन











































आज की दुनिया बहुत ADVANCE है

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ADVANCE में  सभी मित्रों को "सांवरिया" की तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये
Mastermind wishing you Happy Diwali in Advance


गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

एक दिन की बात है,

एक दिन की बात है, पूर्णचंद्र की चाँदनी से मणिमय आँगन धुल गया था, यशोदा मैया के साथ गोपियों की गोष्ठी जुड रही थी, वही खेलते-खेलते कृष्णचन्द्र की द्रष्टि चन्द्रमा पर पडी. उन्होंने पीछे से आकर यशोदा मैया का घूँघट उतार दिया. और अपने कोमल करों से उनकी चोटी खोलकर खीचने लगे और बार-बार पीठ थपथपाने लगे. ‘मै लूँगा, मै लूँगा – तोतली बोली से इतना ही कहते, जब मैया की समझ में बात नहीं आयी.

तब एक गोपी अपने पास श्रीकृष्ण को ले आयी और बोली – लाला! तुम क्या चाहते हो, दूध!’

श्रीकृष्ण –‘ना’. ‘क्या बढ़िया दही? ‘ना’.

‘क्या खुरचन? ‘ना’.

‘मलाई? ‘ना’.ताजा माखन? ना’

फिर क्या ?

श्रीकृष्ण ने धीरे से कहा- अँगुली उठाकर चन्द्रमा की ओर संकेत कर दिया.

गोपी बोली- ‘ओं मेरे बाप!, यह कोई माखन का लौदा थोड़े ही है? हाय! हाय! हम यह कैसे देगी?

कृष्ण ने कहा- मै तो इसे ही चाहता हूँ शीघ्रता करो पार जाने के पूर्व ही मुझे ला दो’. अब और भी मचल गये धरती पर पाँव पीट-पीट कर रोने लगे अभी दो, अभी दो, ‘जब बहुत रोने लगे, तब यशोदा माता ने गोद में उठा लिया और प्यार करके बोली- यह माखन तुम्हे देने योग्य नहीं है देखो इसमें वह काला काला विष लगा हुआ है

बात बदल गयी मैया ने गोद में लेकर मधुर-मधुर स्वर से कथा सुनना प्रारंभ किया .

यशोदा-‘लाला ! एक क्षीर सागर है,

श्रीकृष्ण- ‘मैया ! वह कैसा है’.

यशोदा- ‘बेटा ! यह जो तुम दूध देख रहे हो इसी का एक समुद्र है.’

श्रीकृष्ण- ‘मैया ! कितनी गायों ने दूध दिया होगा जब समुद्र बना होगा.

यशोदा- ‘कन्हैया ! वह गाय का दूध नही है .

श्रीकृष्ण- ‘अरी मैया! तू मुझे बहला रही है भला बिना गाय के दूध कैसा?’

यशोदा- बेटा ! जिसने गायों में दूध बनाया वह गाय के बिना भी दूध बना सकता है’.

श्रीकृष्ण- वह कौन है?

यशोदा- ‘वह भगवान है,’एक बार देवता और दैत्यों में लड़ाई हुई असुरों को मिहित करने के लिए भगवान ने क्षीर सागर को मथा,मंदराचल की रई बनी,वासुकि नाग की रस्सी.

श्रीकृष्ण- ‘जैसे गोपियाँ दही मथती है, क्यों मैया?

यशोदा- ‘हाँ बेटा! उसी से विष पैदा हुआ,जब शंकर भगवान ने वही विष पी लिया तब उसकी जो फुइयाँ धरती पर गिरी, उन्हें पीकर साँप विषधर हो गये. चंद्रमा की ओर इशारा करते हुए, यह माखन भी उसी से निकला है.इसलिए थोडा-सा विष इसमें भी लग गया.सो मेरे प्राण !तुम घर का ही माखन खाओ.’कथा सुनते-सुनते श्यामसुन्दर की आँखों में नीद आ गयी ओर मैया ने उन्हें पलग पर सुला दिया.

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

"Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो।

"Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो।
गब्बर की यही चीख भरी आवाज़ मेरे ज़हन में आई जब आज दोपहर आया एक एस एम एस पढ़ा मैंने, जो मेरे एक सहयोगी द्वारा भेजा गया था। SMS का संदेश था कि "Lays चिप्स के पैकेट में जो E631 लिखा है वह दर असल सूअर की चर्बी है। चाहो तो गूगल पर देख लो। " कमाल है ! शायद ही कोई भारतीय परिवार चिप्स आदि से बच पाया होगा!! मुझे तत्काल कुछ वर्षों पहले का वह समय या...द आने लगा जब MSG का पता चलने पर मैं हर स्टोर पर किसी खाद्य पदार्थ के पैकेट पर नज़रें गड़ा कर यह देखने लगा जाता था कि इसमे कहीं MSG तो नहीं। यह देख वहां का स्टाफ व्यंग्य भरी नज़रें लिए बताता था कि ये सस्ता है सर, ज़्यादा महंगा नहीं है! मै जब कहता कि कीमत नहीं देख रहा हूँ तो उनकी जिज्ञासा बढ़ती तब बताता कि यह क्या होता है। आजकल तो बड़े बड़े अक्षरों में खास तौर पर लिखा रहता है कि No MSG ऐसा ही कुछ वाकया ब्रुक बोंड की चाय-पत्ती के साथ हुआ था जिस पर पोस्ट लिखी थी मैंने कि किस तरह इतनी बड़ी कम्पनी लोगों को सरासर बेवकूफ बना रही है। बात हो रही E631 की। मैं दन्न से बाज़ार गया और Lays के पैकेट देखे कुछ नहीं दिखा। लेकिन मुझे याद आने लग पड़ा था कि इस तरह के कोड देखें हैं मैंने कुछ दिन पहले। शहर के दूसरे कोने वाल़े एक सुपर बाज़ार में भी कुछ नहीं दिखा तो स्टोर वालों से इस बारे में बात करने पर ज्ञात हुआ कि कुछ सप्ताह पहले आयातित चिप्स और बिस्किट लाए गए थे जो अब ख़त्म हो चुके। तब तक एक जिज्ञासु कर्मचारी कहीं से दो ऐसे पैकेट ले आया जिन्हें चूहों द्वारा कुतरे जाने पर अलग रख दिया गया था। उन में इस तरह के कोड थे जिस में वाकई 631 लिखा हुआ है अब मैंने गूगल की शरण ली तो पता चला कि कुछ अरसे पहले यह हंगामा पाकिस्तान में हुआ था जिस पर ढेरों आरोप और सफाइयां दस्तावेजों सहित मौजूद हैं । हैरत की बात यह दिखी कि इस पदार्थ को कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है किन्तु अपने देश में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा। मूल तौर पर यह पदार्थ सूअर और मछली की चर्बी से प्राप्त होता है और ज्यादातर नूडल्स, चिप्स में स्वाद बढाने के लिए किया जाता है। रसायन शास्त्र में इसे Disodium Inosinate कहा जाता है जिसका सूत्र है C10H11N4Na2O8P1 होता यह है कि अधिकतर (ठंडे) पश्चिमी देशों में सूअर का मांस बहुत पसंद किया जाता है। वहाँ तो बाकायदा इसके लिए हजारों की तादाद में सूअर फार्म हैं। सूअर ही ऐसा प्राणी है जिसमे सभी जानवरों से अधिक चर्बी होती है। दिक्कत यह है कि चर्बी से बचते हैं लोग। तो फिर इस बेकार चर्बी का क्या किया जाए? पहले तो इसे जला दिया जाता था लेकिन फिर दिमाग दौड़ा कर इसका उपयोग साबुन वगैरह में किया गया और यह हिट रहा। फिर तो इसका व्यापारिक जाल बन गया और तरह तरह के उपयोग होने लगे। नाम दिया गया 'पिग फैट' 1857 का वर्ष तो याद होगा आपको? उस समयकाल में बंदूकों की गोलियां पश्चिमी देशों से भारतीय उपमहाद्वीप में समुद्री राह से भेजी जाती थीं और उस महीनों लम्बे सफ़र में समुद्री आबोहवा से गोलियां खराब हो जाती थीं। तब उन पर सूअर चर्बी की परत चढ़ा कर भेजा जाने लगा। लेकिन गोलियां भरने के पहले उस परत को दांतों से काट कर अलग किया जाना होता था। यह तथ्य सामने आते ही जो क्रोध फैला उसकी परिणिति 1857 की क्रांति में हुई बताई जाती है। इससे परेशान हो अब इसे नाम दिया गया 'ऐनिमल फैट' ! मुस्लिम देशों में इसे गाय या भेड़ की चर्बी कह प्रचारित किया गया लेकिन इसके हलाल न होने से असंतोष थमा नहीं और इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नींद उड़ गई। आखिर उनका 75 प्रतिशत कमाई मारी जा रही थी इन बातों से। हार कर एक राह निकाली गई। अब गुप्त संकेतो वाली भाषा का उपयोग करने की सोची गई जिसे केवल संबंधित विभाग ही जानें कि यह क्या है! आम उपभोक्ता अनजान रह सब हजम करता रहे। तब जनम हुआ E कोड का तब से यह E631 पदार्थ कई चीजों में उपयोग किया जाने लगा जिसमे मुख्य हैं टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, च्युंग गम, चॉकलेट, मिठाई, बिस्कुट, कोर्न फ्लैक्स, टॉफी, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ आदि। सूची में और भी नाम हो सकते हैं। हाँ, कुछ मल्टी- विटामिन की गोलियों में भी यह पदार्थ होता है। शिशुयों, किशोरों सहित अस्थमा और गठिया के रोगियों को इस E631 पदार्थ मिश्रित सामग्री को उपयोग नहीं करने की सलाह है लेकिन कम्पनियाँ कहती हैं कि इसकी कम मात्रा होने से कुछ नहीं होता। पिछले वर्ष खुशदीप सहगल जी ने एक पोस्ट में बताया था कि कुरकुरे में प्लास्टिक होने की खबर है चाहें तो एक दो टुकड़ों को जला कर देख लें। मैंने वैसा किया और पिघलते टपकते कुरकुरे को देख हैरान हो गया। अब लग रहा कि कहीं वह चर्बी का प्रभाव तो नहीं था!? अब बताया तो यही जा रहा है कि जहां भी किसी पदार्थ पर लिखा दिखे E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904 समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है। और कुछ जानना हो कि किस कोड वाल़े पदार्थ का उपयोग करने से किसे बचना चाहिए तो यह सूची देख लें ||

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