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सोमवार, 16 दिसंबर 2019

मोदी जी हमारे देश भारत के लिए राजनीतिक औषधि हैं

आयुर्वेद में शहद को अमृत के समान माना गया हैं और मेडिकल साइंस भी शहद को सर्वोत्तम पौष्टिक और एंटीबायोटिक भंडार मानती हैं लेकिन आश्चर्य इस बात का हैं कि शहद की एक बूंद भी अगर कुत्ता चाट ले तो वह मर जाता हैं यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह *शहद कुत्ते के लिये जहर है*..!!!

दूसरा # देशी_घी शुद्ध देशी गाय के घी को आयुर्वेद अमृत मानता हैं और मेडिकल साइंस भी इसे औषधीय गुणों का भंडार कहता हैं पर आश्चर्य ये हैं कि मक्खी घी नहीं खा सकती *अगर गलती से देशी घी पर मक्खी बैठ भी जाये तो अगले पल वह मर जाती है*। इस अमृत समान घी को चखना भी मक्खी के भाग्य में नहीं होता!

# मिश्री .. इसे भी अमृत के समान मीठा माना गया हैं आयुर्वेद में हाथ से बनी मिश्री को श्रेष्ठ मिष्ठान्न बताया गया हैं और मेडिकल साइंस हाथ से बनी मिश्री को सर्वोत्तम एंटबायोटिक मानता है लेकिन आश्चर्य हैं कि अगर खर (गधे) को एक डली मिश्री खिला दी जाए तो कुछ समय पश्चात ही उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे! *ये अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान मिश्री गधा नहीं खा सकता हैं* !!!

नीम के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई #निम्बोली में सब रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं और आयुर्वेद उसे सर्वोत्तम औषधि ही कहता हैं मेडिकल साइंस भी नीम के बारे में क्या राय रखता है। आप जानते होंगे! लेकिन आश्चर्य ये हैं कि रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला #कौवा अगर गलती से निम्बोली को चख भी ले तो उसका गला खराब हो जाता हैं *अगर निम्बोली खा ले तो कौवे की मृत्यु निश्चित है*....!!!

इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ हैं जो अमृत समान हैं, अमृत_तुल्य है औषधीय है.....पर इस धरती पर कुछ ऐसे जीव भी हैं जिनके भाग्य में वह अमृत भी नहीं हैं ...!! 

*मोदी जी भारत के लिये #अमृत समान ही हैं*     

पर भारत के  *#मक्खी_कुत्ते_कौवे_गधे* और मीडिया के कीड़ों आदि को अमृत समान औषध की महत्ता समझाने में अपना समय नष्ट न कीजिये.....इनके भाग्य में वो अमृत ही नहीं है....ये जीवन भर गंदगी में ही सांस लिये हैं। इसलिये उसे ही अपना सर्वश्रेष्ठ प्रारब्ध समझतें हैं...!

मोदी जी हमारे देश भारत के लिए *राजनीतिक औषधि हैं*।क्योंकि वो मेरे भारत को खोखला और बीमार करने वालों से मुक्त करा *भारत को विश्व गुरु बना कर ,सामरिक शक्ति सिद्ध कर भारतीयों का मस्तक गर्व से ऊंचा करने में रात दिन लगे है*। 

भारत के इन कुत्ते,गधे, मक्खी जैसों को समझ में नहीं आ रहा। ये तो एकजुट होकर अमृत को विष सिद्ध करने में जी जान से लगे हैं। देश को विश्व पटल पर पहले जैसा दीन-हीन अशिक्षित, सम्मान विहीन, दरिद्र बनाने के अनेकों प्रयास में लगे है।

*आप अपने आप को किस श्रेणी में रखते हैं। ये आपके अपने उपर निर्भर है। इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए हिन्दू समाज के लिए कुछ तो अच्छा करो। जागो और जगाओ।*
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