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सोमवार, 22 अप्रैल 2024
यूँ ही आमों का राजा नहीं बना ‘लंगड़ा’, हर आम के पीछे है एक खास कहानी, जानिए कैसे पड़ा ये अनोखा नाम?
मत इसलिए देना है ताकि हमारा देश हमारा ही रहे। अपना देश रहेगा तभी हम रहेंगे।
एकता कपूर - भारतीय संस्कृति के लिए घातक, ऐसे लोग हमारे समाज के लिए कैंसर है।
एकता कपूर
यह हमेशा महिला प्रधान, सास ननद वाली , पुरुषों को कमतर दिखाने वाली तथा बेबुनियादी धार्मिक धारावाहिक बनाती है।
धार्मिक सीरियल में यह धर्म ग्रन्थ, पोशाक तथा संवाद के साथ छेड़ - छाड़ करने क़ी कोशिश करती है।
जहाँ ना भी जरूरी हो वहाँ भी नारीसशक्तिकरण घुसेड़ने क़ी जबरदस्ती कोशिश करती है।
अरे भई तुम सास ननद वाले धारावाहिकों में महिला सशक्तिकरण दिखाओ न। किसने मना किया है...?
परन्तु धर्म ग्रन्थ में जो है वही रहने दो...।
कभी महिलाओं को धार्मिक सीरियल में रोमन कपड़े पहना देती हो तो कभी शिव तथा कृष्ण को पार्वती तथा राधा के पैर दबाते दिखाती हो।
मर्दों को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती हो।
मैंने पूरा शिव पुराण, विष्णु पुराण, वाल्मीकि रामायण, गीता व महाभारत पढ़ा है..। कहीं भी शिव को पार्वती का, विष्णु को लक्ष्मी का या फिर कृष्ण को राधा का पैर दबाने का जिक्र नहीं है.....।
पहले के ज़माने में जब किसी महिला का पैर धोखे से भी पति को लग जाता तो वो महिला उसे पाप मानती थी।
मेरे घर में यही परम्परा आज भी है...।
फिर इसने सीरियल में आधुनिकता क्यों घुसाया?
इसने गंदी वेबसीरीज भी बनाई।
✍️ वेबसीरीज के अश्लीलता पर बवाल होने पर इसने कहा क़ी लोग ब्लू फ़िल्में देखते हैं कि नहीं?
अरे मुर्ख औरत! वेबसीरीज और पॉर्न में अंतर नहीं है।
वेबसीरीज खुले प्लेटफार्म पर मिलता है परन्तु पॉर्न नहीं।
वेबसीरीज बच्चे भी देख लेते हैं पर पॉर्न.....।
और वैसे भी यदि कोई अपनी पत्नी के साथ कमरे के भीतर संसर्ग कर रहा है तो क्या वह खुले सड़क पर भी कर लेगा...।
क्योंकि दोनों तो सम्भोग ही हुआ???
गलती इसकी नहीं गलती हमारी है जो हम इन जैसों को सिर पे चढ़ा लेते हैं।
और सबसे बड़ी गलती है सेंसर बोर्ड क़ी। और उससे बड़ी गलती हम इन अवांछित धारावाहिकों को देख कर करते हैं| यदि आज इसे लोग देखना बंद कर दे तो ये कल से बनना भी बंद हो जायेंगे |
ऐसे लोग हमारे समाज के लिए कैंसर है।
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