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बुधवार, 8 मई 2024

यूरिन इन्फेक्शन के उपाय.....

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यूरिन इन्फेक्शन के उपाय.....

यूरिन इंफैक्शन (UTI) यानी पेशाब करते समय जलन या दर्द होना। यह समस्या स्त्री या पुरूष दोनों को कभी भी हो सकती है। कई बार तो यह समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है लेकिन बहुत सी बार डॉक्टरों के पास जाने तक की नौबत आ जाती है।

हम लोग अक्सर यूरिन इन्फेक्शन को अनदेखा कर देते है जो बाद में कई समस्याओं का कारण बनता है। ऐसे आपको चाहिए कि जब भी यूरिन करते समय जलन या दर्द हो तो तुरंत इलाज शुरू कर दें, ताकि बाद में किसी प्रकार की कोई बड़ी बीमारी होने का खतरा टल जाए।

▪️▪️यूरिन इंफेक्शन का घरेलू उपाय.....

अधिकतर महिलाओं में पेशाब के संक्रमण की समस्या पाई जाती है। जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है। यदि भृंगराजके पत्तों में थोडा सा पानी डालकर पीस लिया जाये तथा उसे छानकर वह रस दिन में दो बार नियमित रूप से लिया जाए, तो पेशाब के संक्रमण को दूर होने में लाभ होता है।

5-7 इलायची के दानों को पीस लें। इसमें आधा चम्मच सोंठ पाउडर मिलाएँ। इसमें अनार का रस और सेंधा नमक मिलाएँ। इसे गुनगुने पानी में मिलाकर पिएँ।

आधा गिलास चावल के पानी में चीनी मिलाकर पिएँ। इससे मूत्र त्यागने के समय होने वाली जलन से राहत मिलती है।

बादाम की 5-7 गिरी, छोटी इलायची और मिश्री को पीस लें। इसे पानी में डालकर पिएँ। इससे दर्द एवं जलन में राहत मिलती है।

एक चम्मच आँवले के चूर्ण में दो से तीन इलायची के दानें पीसकर मिलाएँ। इसे पानी के साथ सेवन करें। यह लाभ पहुंचाता है।

रात में एक मुट्ठी गेहूँ को पानी में मिलाएँ, और सुबह पानी को छानकर मिश्री मिलाकर खाएँ। यह लाभ पहुंचाता है।

अदरक और काले तिल को मिलाकर बारीक पीस लें। इसमें एक चौथाई हल्दी पाउडर और थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। इसे दिन में 2-3 बार चाट लें।

दो चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच शहद को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पिएँ। यह पेशाब के रास्ते में संक्रमण होने पर लाभ पहुंचाता है।

आधा चम्मच बेकिंग सोड़ा को एक ग्लास पानी में मिलाकर पिएं। इस प्रयोग को दिन में दो बार करें। खट्टे फल तथा खट्टे फलों का जूस ज्यादा से ज्यादा लें।


हर तीन माह में मौसम परिवर्तन और शरीर की तासीर के अनुसार तेल खाद्य पदार्थों को ज्यादा फ्राइ करने से बचें। ग्रिलिंग करें। मौसमी तेल का प्रयोग भी प्रभावी होता है।

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मौसमी तेल का उपयोग....

हर तीन माह में मौसम परिवर्तन और शरीर की तासीर के अनुसार तेल खाद्य पदार्थों को ज्यादा फ्राइ करने से बचें। ग्रिलिंग करें। मौसमी तेल का प्रयोग भी प्रभावी होता है।

◼️हैल्दी-ऑयल....

खाद्य पदार्थों को ज्यादा फ्राइ करने से बचें। ग्रिलिंग करें। मौसमी तेल का प्रयोग भी प्रभावी होता है। विशेषज्ञ के अनुसार हर तीन माह में मौसम, शरीर की प्रकृति और तासीर के अनुसार तेल बदलते रहना चाहिए।

◼️मूंगफली....

सर्दियों में आयरन, जिंक, विटामिन-ई युक्त तेल को कफ व वात प्रकृति के लोग खा सकते हैं।

◼️फायदा...

कोलेस्ट्रॉल, बीपी नियंत्रित करता है। त्वचा, अल्जाइमर में भी फायदेमंद है।

◼️तिल....

बारिश में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए,बी,सी से युक्त तेल दोनों तासीर के साथ वात, पित्त प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा....

भूख की कमी, मेनोपॉज, कमजोरी, लकवा, डायबिटीज, बाल संबंधी समस्या में लाभकारी है। निमोनिया, अस्थमा रोगियों को तिल के तेल के साथ सेंधा नमक डालकर गुनगुना होने पर छानकर मालिश करें।

◼️सरसों....

बारिश के मौसम में प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ई और कैल्शियम से भरपूर इस तेल को गर्म तासीर के साथ ही कफ प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा....

यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। त्वचा, बाल, पाचन तंत्र संबंधी, सायनस में लाभकारी है। कफ, त्वचा संबंधी समस्या में तेल को उबाल लें। ठंडा कर मालिश करनी चाहिए।

◼️जैतून....

कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम व विटामिन युक्त तेल गरम तासीर के साथ कफ व वात प्रकृति के लोग खाएं।

◼️फायदा...

कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रखने के अलावा तेल कैंसर के खतरे को कम। मधुमेह, हाइ बीपी, त्वचा, अल्जाइमर और डिमेंशिया में लाभकारी है।

◼️देसी गाय के घी के गुण....

 पोषक तत्व और कैलोरी युक्त ठंडी तासीर के साथ वात व पित्त प्रकृति के लोग खा सकते हैं। दिन में दो से चार छोटी चम्मच लें।

◼️फायदा...

कमजोर हृदय और लो बीपी के रोगियों के लिए घी लाभकारी है। पढने वालों और अधिक मानसिक परिश्रम करने वालों के लिए गाय का घी लाभकारी है। कठोर परिश्रमी के लिए भैंस का घी लाभकारी है।

◼️तनाव और त्वचा में फायदेमंद...

सोयाबीन तेल ...

प्रोटीन, विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त होता है।

◼️फायदा...

हार्ट अटैक की आशंका कम करता है। तनाव, त्वचा, हड्डी सम्बन्धी, शुगर में फायदेमंद है।

◼️नारियल तेल...

गर्मियों में विटामिन ए, सी, डी, कैल्शियम, आयरन युक्त तेल वात, पित्त प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा...

 कोलेस्ट्रॉल सही रखने के अलावा यह तेल पाचन तंत्र, हड्डियों को मजबूत करता है।

गर्म तेल का दोबारा प्रयोग न करें।

बार-बार तेल गर्म करने से उसके मुख्य तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जितनी बार तेल गर्म होता है, उसमें फ्री रेडिकल्स बनते हैं। इनके रिलीज होने से तेल में एंटी ऑक्सीडेंट खत्म हो जाते हैं। हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। इस तेल के इस्तेमाल से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढऩा, हृदय, एसिडिटी, गले संबंधी रोग और अल्जाइमर, पार्किसंस होने की आशंका रहती है। फिर से फ्राइ करने के लिए भी प्रयोग नहीं करें।

◼️मात्रा से अधिक लेने पर होती दिक्कत...

सरसों का तेल को मात्रा के अनुसार प्रयोग करें। सीमित मात्रा से अधिक खाने पर त्वचा और रक्त सम्बन्धी समस्याएं हो सकती गर्भवती और एलर्जी वाले डॉक्टरी सलाह से इसका प्रयोग करें। इसके अलावा जैतून का तेल सीमित मात्रा से अधिक खाने पर रक्तचाप में गिरावट, वजन बढना और गुर्दे व पाचन संबंधी समस्या हो सकती है।

सरसों तेल के 15 मुख्य फायदे और स्वास्थ्य लाभ...

सरसों तेल के 15 मुख्य फायदे और स्वास्थ्य लाभ... 

1. हृदय स्वास्थ्य :- सरसों के तेल में बहुत कम लेवल पर सतुरेटेड फैट्स होते हैं और अधिकतर मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स पाए जाते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

सरसों का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ई, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो हृदय संबंधी समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

2. बालों की देखभाल :- सरसों के तेल का मासाज करना बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में मदद कर सकता है, सरसों के तेल का नियमित मासाज करने से बालों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और बालों का झड़ना कम होता है।

3. आंतरिक शुद्धि :- सरसों के तेल में अनेक प्रकार के विटामिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर की आंतरिक शुद्धि को बढ़ावा देते हैं।

4. त्वचा की देखभाल :- सरसों के तेल का लाभ त्वचा के लिए भी होता है, जैसे कि यह त्वचा को नमी प्रदान करता है, उसे चमकदार और नरम बनाता है, और उसे अवसाद और अन्य संक्रमणों से बचाता है।

5. जोड़ों की सेहत :- सरसों के तेल का मासाज करना जोड़ों की सेहत को सुधार सकता है और अस्थियों को मजबूत बनाए रख सकता है।सरसों के तेल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज़ होती हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती हैं।

6. डायबिटीज के नियंत्रण में मदद :- सरसों के तेल में मौजूद अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

7. पाचन क्रिया को सुधार :- सरसों के तेल का सेवन पाचन क्रिया को सुधार सकता है और विषाक्तता को कम कर सकता है।

8. मस्तिष्क स्वास्थ्य :- इसमें पाये जाने वाले विटामिन ई मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और मस्तिष्क के कार्यक्षेत्र को सुधार सकते हैं।

9. वजन नियंत्रण :- सरसों के तेल में पाये जाने वाले अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) वजन नियंत्रण के लिए मददगार हो सकते हैं।

10. शरीर की प्रतिरक्षा :- इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को रोगों से लड़ने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

11. पाचन तंत्र की सुधार :- सरसों के तेल में पाये जाने वाले एंजाइम्स पाचन को सुधारते हैं और अपच को कम करने में मदद करते हैं।

12. मस्तिष्क स्वास्थ्य :- इसमें पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड दिमागी कार्य को बढ़ाते हैं और मस्तिष्क स्वास्थ्य को सुधारते हैं।

13. बढ़ती हुई ऊर्जा :- सरसों के तेल का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और थकावट को दूर करता है।

14. होंठों की देखभाल :- इसे होंठों पर लगाने से उन्हें नरम, मुलायम और चिकना बनाए रखने में मदद मिलती है।

15. हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ावा :- इसमें पाये जाने वाले एल्फा-लिनोलेनिक एसिड हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है और एनीमिया को कम कर सकता है।

यह सभी फायदे सरसों के तेल को नियमित रूप से सेवन करने से प्राप्त किए जा सकते हैं.

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