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बुधवार, 26 जून 2013

आयुर्वेद में नस्य

नस्य

प्रतिदिन नाक में २ -२ बूँद गाय के घी या तिल  या सरसों के तेल की डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है .तेल
या घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खिंच ले . 5  मिण्ट लेते रहे .इसे प्रतिमर्श नस्य  कहा जाता है .आयुर्वेद में इसे लेने के १४ समय बताये गए है - सुबह उठने पर ,दंत धावन, व्यायाम, शरीरसंबंध, मलमूत्र
त्याग, भोजन ,वमन , के बाद दिन में सो के उठने पर ,और  शाम को . बाहर जाते समय नस्य लेने से प्रदुषण का असर नहीं होगा .
- रात में सोते समय नस्य लेने से वात रोगों में लाभ  मिलता है ; विशेषकर तब जब हम तेज़ पंखे या एसी में सोये .
- थायरोइड
-स्मरण शक्ति ; इसलिए विद्यार्थियों के लिए  लाभकारी
-बाल झडना और असमय सफ़ेद होना
-दांत के रोगों में जैसे दर्द ,सेंसिटिविटी , मसूड़ों की समस्या
- बेहतर केल्शियम एब्ज़ोर्प्शन
- लम्बाई बढाता है
- नाक की समस्याएँ पोलिप्स , छींकें आना , नाक बंद  होना , सर्दी ज़ुकाम
- गला खराब होने पर - कान की समस्याएँ
- स्नायु शिथिलता
- स्टेमिना बढाता है .
- अच्छी नींद
- सिरदर्द
- मानसिक तनाव - नाक के माध्यम से दी गई दवाई का डेढ़ मिं में असर  होता है . ये ब्रेन पर तुरंत असर करता है क्योंकि यहाँ ब्लड ब्रेन बेरियर नहीं होता .नाक ही ब्रेन का प्रवेश द्वार है .
- हिमोग्लोबिन बढ़ता है .
- रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है .
- हकलाहट में लाभ - होर्मोनल असंतुलन को ठीक करता है .
- फेशियल पेरेलिसिस
- आँख फड़कना
- चोट जल्द भरना
- विद्यार्थियों में दिमागी शक्ति बढाने के लिए  केसर, ज्येष्ठी मधु ,अश्वगंधा ,ब्राम्ही ,शंखपुष्पी , शतावरी जैसी दवाइयों का अर्क अगर गाय के घी से दिया जाए तो कान और आँखों की शक्ति बढती है ;
दिमाग की ग्राह्य क्षमता बढती है
- एक शोध में वेखंड ,जटामासी ,वाला आदि जड़ी बूटी युक्त  अगरबत्ती जब रात्री में जलाई गयी तो स्मरण शक्ति में सुधार देखा गया .
- गर्दन में दर्द
- टोंसिल्स
- .कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे स्म्रुतिनाश  या फिट्स के लिए वैद्य की सलाह से नस्य ले .
- नस्य ना लेने का समय ---- वर्षा ऋतू में जब सूर्य ना हो ;
गर्भवती या प्रसव के बाद ;बाल धोने के बाद ; भूक या प्यास लगने पर , बीमार पड़ने पर ;अजीर्ण होने पर ; आघात होने पर या बहुत थका हुआ होने पर ; अनुवासन  बस्ती या विरेचन के बाद .

जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद

जायफल

रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.
आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है।
आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते  हैं। इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।
- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये। यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे  जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।
- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए,  दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी गयी है।
- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है  तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।
- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत  होता है। पेट भी ठीक रहता है।
- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है,  तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।
- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से  आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
- यह शक्ति भी बढाता है।
- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है। - जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे  जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण  और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर  घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।
- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और  इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर
लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई  बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं  रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।
- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह  के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।
- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है,
चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल  जाता है।
- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।
- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे  पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद  सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है। - दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।

अनानास (Pineapple) के लाभ --

अनानास (Pineapple) के लाभ --

इन सब लाभों के लिए अनानास ताजा होना आवश्यक है।  टीन के डिब्बों में मिलने वाला अनानास का रस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
अनानास के गूदे की अपेक्षा रस ज्यादा लाभदायी होता है  और इसके छोटे-छोटे टुकड़े करके कपड़े से निकाले गये रस में पौष्टिक तत्त्व विशेष पाये जाते हैं। जूसर द्वारा निकाले गये रस में इन  तत्त्वों की कमी पायी जाती है, साथ ही यह पचने में भारी हो जाता है। फल काटने के बाद या इसका रस निकाल के तुरंत उपयोग कर लेना चाहिए। इसमें पेप्सिन के सदृश एक ब्रोमेलिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो औषधीय गुणों से सम्पन्न है।
सभी प्रयोगों में अनानास के रस की मात्रा 100 से 150  मि.ली.। उम्र-अनुसार रस की मात्रा कम ज्यादा करें।
- अनानास पाचक तत्त्वों से भरपूर, शरीर को शीघ्र ही ताजगी देने वाला, हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देने वाला, कृमिनाशक, स्फूर्तिदायी फल है।
- यह वर्ण में निखार लाता है।
- गर्मी में इसके उपयोग से ताजगी व ठंडक मिलती है।
- अनानास के रस में प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने  की क्षमता है।
- यह आँतों को सशक्त बनाता है।
- अनानास शरीर में बनने वाले अनावश्यक तथा विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है।
- हृदय शक्ति बढ़ाने के लिएः अनानास का रस पीना लाभदायक है। यह हृदय और जिगर (लीवर) की गर्मी को दूर करने उन्हें शक्ति व ठंडक देता है।
- छाती में दर्द, भोजन के बाद पेटदर्द होता हो तो भोजन  के पहले अनानास के 25-50 मि.ली. रस में अदरक का रस एक चौथाई चम्मच तथा एक चुटकी पिसा हुआ अजवायन डालकर पीने से 7 दिनों में लाभ होता है।
- अजीर्णः अनानास की फाँक में काला नमक व  काली मिर्च डालकर खाने से अजीर्ण दूर होता है।
- पाचन में वृद्धिः भोजन से पूर्व या भोजन के साथ अनानास के पके हुए फल पर काला नमक, पिसा जीरा और काली मिर्च लगाकर सेवन करने अथवा एक गिलास ताजे रस में एक-एक चुटकी इन चूर्णों को डालकर चुसकी लेकर पीने से उदर-रोग, वायु विकार, अजीर्ण, पेटदर्द आदि तकलीफों में लाभ होता है। इससे गरिष्ठ पदार्थों का पाचन आसानी से हो जाता है।
- अनानास व सेवफल के 50-50 मि.ली. रस में एक चम्मच शहद व चौथाई चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से  आँतों से पाचक रस स्रावित होने लगता है। उच्च रक्तचाप, अजीर्ण व मासिक धर्म  की अनियमितता दूर होती है।
- मलावरोधः पेट साफ न होना, पेट में वायु होना, भूख कम  लगना इन समस्याओं में रोज भोजन के साथ काला नमक मिलाकर अनानास खाने से लाभ होता है।
- बवासीरः मस्सों पर अनानास पीसकर लगाने से लाभ होता है।
- फुंसियाँ- अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से तथा इसका रस पीने से लाभ होता है।
- पथरीः अनानास का रस 15-20 दिन पीना पथरी में लाभदायी होता है, इससे पेशाब भी खुलकर आता है।
- नेत्ररोग में- अनानास के टुकड़े काटकर दो-तीन दिन  शहद में रखकर कुछ दिनों तक थोड़ा-थोड़ा खाने से नेत्ररोगों में लाभ होता है। यह प्रयोग
जठराग्नि को प्रदीप्त कर भूख को बढ़ाता है  तथा अरूचि को भी दूर करता है।
- पेशाब में जलन होना, पेशाब कम होना, दुर्गन्ध आना, पेशाब  में दर्द तथा मूत्रकृच्छ (रूक-रूककर पेशाब आना) में 1 गिलास अनानास का रस, एक चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पेशाब खुलकर आता है और पेशाब संबंधी अन्य समस्याएँ दूर होती हैं।
- पेशाब अधिक आता हो तो अनानास के रस में जीरा, जायफल, पीपल इनका चूर्ण बनाकर सभी एक-एक  चुटकी और थोड़ा काला नमक डालकर पीने से पेशाब ठीक होता है।
- धूम्रपान के नुकसान में- धूम्रपान के अत्यधिक सेवन से  हुए दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए धूम्रपान छोड़कर अनानास के टुकड़े शहद के साथ खाने से लाभ होता है।
- अनानास में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है।  यह शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। एक कप अनानास का जूस पीने से दिनभर के लिए जरूरी मैग्नीशियम के 73 प्रतिशत की पूर्ति होती है।
- अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमिलेन सर्दी और खांसी, सूजन, गले में खराश और गठिया में फायदेमंद होता है।
- अनानास में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।  इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साधारण ठंड से भी सुरक्षा मिलती है। इससे सर्दी समेत कई अन्य संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

सावधानियाँ- अनानास कफ को बढ़ाता है।
अतः पुराना जुकाम, सर्दी, खाँसी, दमा, बुखार, जोड़ों का दर्द आदि कफजन्य विकारों से पीड़ित व्यक्ति व गर्भवती महिलाएँ इसका सेवन न करें।
अनानास के ताजे, पके और मीठे फल के रस का ही सेवन  करना चाहिए। कच्चे या अति पके व खट्टे अनानास का उपयोग नहीं करना चाहिए।
अम्लपित्त या सतत सर्दी रहने वालों को अनानास नहीं खाना चाहिए।
अनानास के स्वादवाले आइस्क्रीम और मिल्कशेक ये दूध  में बनाये पदार्थ कभी नहीं खाने चाहिए। क्योंकि ये विरुद्ध आहार है और ये स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है। भोजन के बीच में तथा भोजन के कम से कम आधे घंटे बाद रस का उपयोग करना चाहिए।
भूख और पित्त प्रकृति में अनानास खाना हितकर नहीं है। इससे पेटदर्द होता है।
छोटे बच्चों को अनानास नहीं देना चाहिए। इससे आमाशय और आँतों का क्षोभ होता है। सूर्यास्त के बाद फल एवं फलों के रस का सेवन  नहीं करना चाहिए।

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