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सोमवार, 29 सितंबर 2025

कभी रौशनी वहाँ से आती है, जहाँ से हम सोच भी नहीं सकते। और ईश्वर मदद भेजता है — भले ही 15 साल बाद ही क्यों न हो।

 

सुंदर मुस्कुराती हुई यह महिला, जिसे आप देख रहे हैं, उसका नाम है एली लोबेल (Ellie Lobel)…

इनको मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर लोगो को यक़ीन नही होगा की कभी इस महिला ने

दर्द और निराशा से मौत की तमन्ना की थी।

उसकी कहानी तब शुरू हुई जब वह जंगल में टहल रही थी और अचानक उसके पैर में तेज़ दर्द हुआ। बाद में पता चला कि किसी कीड़े ने काट लिया था, लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।

घर आकर उसने सामान्य क्रीम लगाई और सो गई। सुबह तक हालत ठीक लगने लगी, और वह इस घटना को पूरी तरह भूल गई।

कुछ हफ़्ते बाद उसे ज़ुकाम जैसे लक्षण हुए, जो दो हफ़्ते तक चले और फिर ठीक हो गई लेकिन महीनों बाद उसकी असली परेशानी हुई, जो पूरे पंद्रह साल तक चली।

उसके जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे वह चलने, बोलने, यहाँ तक कि खाने-पीने तक में असमर्थ हो गई। डॉक्टर सालभर तक उसे गलत बीमारियों का इलाज देते रहे कोई कहता वायरल इंफ़ेक्शन है, कोई कहता यह इम्यून सिस्टम की समस्या है।

असल में उसे था लाइम रोग (Lyme Disease), जो एक विशेष किस्म के टिक (किलनी) के काटने से होने वाले बैक्टीरिया से फैलता है।

बदकिस्मती से, बीमारी बहुत देर से पकड़ी गई। तब तक बैक्टीरिया उसके दिमाग़ और नर्वस सिस्टम तक पहुँच चुका था।

उसकी हालत बिगड़ गई, वह अपना ध्यान तक नहीं रख पा रही थी, उसकी याददाश्त जाने लगी। वह जैसे बिना आत्मा के शरीर में जी रही थी।

27 साल की उम्र से लेकर 42 साल तक उसने इसी हालत में गुज़ारा। जीवन उसके सामने बिखर रहा था। वह बिस्तर पर पड़ी रहती, मिलने-जुलने से मना कर देती और मौत का इंतज़ार करती।

आख़िरकार, उसने हार मान ली।

उसने दवाइयाँ बंद कर दीं और तय किया कि डॉक्टर की बात के मुताबिक़ वह लगभग 90 दिन में मर जाएगी।

लेकिन उसने आख़िरी ख़्वाहिश रखी — बस एक बार बगीचे में जाना चाहती थी, चेहरे पर धूप महसूस करना चाहती थी और पंछियों की आवाज़ सुनना चाहती थी।

वहीं… जब वह व्हीलचेयर पर बैठी थी, अचानक उसे अफ़्रीकी मधुमक्खी ने डंक मारा।

कुछ ही सेकंड में दर्जनों मधुमक्खियाँ उस पर टूट पड़ीं।

वह चीखती रही, भागने की कोशिश करती रही, और ज़मीन पर गिरकर बेहोश हो गई।

उसे अस्पताल ले जाया गया, दिल की धड़कन रुक गई, फिर डॉक्टरों ने CPR देकर उसकी धड़कने वापस चालू कीं।

वह चाहती थी कि उसका इलाज न किया जाए — वह शांति से मरना चाहती थी।

लेकिन… कुछ अजीब हुआ।

दो दिन बाद जब वह उठी — न दर्द था, न सूजन, और वह खड़ी भी हो पा रही थी।

अगले ही दिन वह चलने भी लगी थी!

डॉक्टरों ने जाँच की और पाया कि मधुमक्खियों के ज़हर ने सब बदल दिया।

उस ज़हर ने लाइम रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर दिया, और उसका इम्यून सिस्टम जैसे दोबारा शुरू हो गया हो।

कुछ ही दिनों में, एली पूरी तरह स्वस्थ हो गई 15 साल तकलीफ झेलने के बाद।

वह फिर से ज़िंदगी में लौटी, और अब उसने अपना जीवन मधुमक्खियों, शहद और उनके ज़हर के फ़ायदों पर लिखने और दूसरों को उम्मीद देने में लगा दिया।

यह घटना 1997 में हुई थी। उसके बाद कई शोधों ने साबित किया कि मधुमक्खी का ज़हर कई बीमारियों में असरदार हो सकता है।

लेकिन ध्यान रहे — यह कहानी इस बात का प्रचार नहीं है कि कोई भी बिना डॉक्टर की देखरेख मधुमक्खियों से इलाज करवाए।

क्योंकि यह ज़हर, अगर किसी को एलर्जी हो, तो घातक भी हो सकता है।

फिर भी, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि उम्मीद हमेशा रहती है, चाहे हालात कितने ही अंधेरे क्यों न हों।

कभी-कभी, जो चीज़ हमें चोट पहुँचाती है, वही हमारे लिए इलाज बन सकती है।

कभी रौशनी वहाँ से आती है, जहाँ से हम सोच भी नहीं सकते।

और ईश्वर मदद भेजता है — भले ही 15 साल बाद ही क्यों न हो।

यह हैं साक्षी गुप्ता — जो कल तक कोटा में ICICI बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर थीं।

यह हैं साक्षी गुप्ता — जो कल तक कोटा में ICICI बैंक में रिलेशनशिप मैनेजर थीं।

साक्षी को शेयर ट्रेडिंग की लत लग गई थी, जब उन्होंने अपने पिता के ₹40 लाख गंवा दिए। लेकिन उनका लालच यहीं नहीं रुका। 2020 से 2023 के बीच, उन्होंने अपने ब्रांच के 41 ग्राहकों के 110 से अधिक खातों में हेरफेर की। साक्षी ने उन खातों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलकर अपने रिश्तेदारों के नंबर कर दिए, ताकि ट्रांजैक्शन अलर्ट और OTP असली खाताधारकों तक न पहुंचें।

फर्जी फॉर्म का इस्तेमाल कर उन्होंने पैसों की निकासी की, 31 फिक्स्ड डिपॉज़िट को बिना अनुमति समय से पहले तोड़ दिया (कुल ₹1.34 करोड़), 40 खातों पर बिना मंजूरी ओवरड्राफ्ट सुविधा शुरू की, और यहां तक कि एक बुज़ुर्ग महिला के खाते को 'पूल अकाउंट' के रूप में इस्तेमाल किया — और यह सब बिना किसी को खबर हुए।

सिर्फ एक खाते से ही ₹300 करोड़ से ज़्यादा का लेनदेन किया गया।

उन्होंने फर्जी लोन पास किए, डेबिट कार्ड और पिन का गलत इस्तेमाल किया, और ग्राहकों के ₹6 करोड़ शेयर बाज़ार में झोंक दिए — जहां अंत में सब कुछ डूब गया।

पकड़े जाने पर साक्षी ने स्वीकार किया कि यह सब उन्होंने अपने नुकसान की भरपाई के लिए किया।

गिरफ्तार कर लिया गया।

सुना है कि कुछ पुलिस वाले रस्सी का साँप बना देते हैं.... आख़िर कैसे ?"

 

एक बार एक दरोगा जी दाढ़ी मूछ बनाने के लिए एक नाई के दुकान पर गए... नाई आराम से दाढ़ी बनाते हुए उनसे दरोगा जी से एक बात पूछ बैठा ....."हुजूर मैंने सुना है कि कुछ पुलिस वाले रस्सी का साँप बना देते हैं.... आख़िर कैसे ?"

दरोगा जी बात को टाल गए।

लेकिन नाई ने जब दो-तीन बार यही सवाल पूछा, तो दरोगा जी ने मन ही मन तय किया कि इस भूतनी वाले को बताना ही पड़ेगा कि रस्सी का साँप कैसे बनाते हैं !

लेकिन प्रत्यक्ष में नाई से बोले - "अगली बार आऊंगा तब बताऊंगा... अभी जान छोड़ मेरी !"

इधर दरोगा जी के जाने के दो घंटे बाद ही 4 सिपाही नाई की दुकान पर छापा मारने आ धमके - "मुखबिर से पक्की खबर मिली है, तू हथियार सप्लाई करता है। तलाशी लेनी है दूकान की !"

तलाशी शुरू हुई ...

एक सिपाही ने नजर बचाकर हड़प्पा की खुदाई से निकला जंग लगा हुआ असलहा छुपा दिया !

दूकान का सामान उलटने-पलटने के बाद एक सिपाही चिल्लाया - "ये रहा रिवाल्वर"

छापामारी अभियान की सफलता देख नाई के होश उड़ गए - "अरे साहब... मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता ।

आपके बड़े साहब भी मुझे अच्छी तरह पहचानते हैं ! "नाई गिड़गिड़ाया....!!

एक सिपाही हड़काते हुए बोला - "दरोगा जी का नाम लेकर बचना चाहता है ? साले सब कुछ बता दे कि तेरे गैंग में कौन-कौन है ... तेरा सरदार कौन है ... तूने कहाँ-कहाँ हथियार सप्लाई किये ... कितनी जगह लूट-पाट की तू अभी थाने चल !"

थाने में दरोगा साहेब को देखते ही नाई पैरों में गिर पड़ा - "साहब बचा लो ... मैंने कुछ नहीं किया !"

दरोगा ने नाई की तरफ देखा और फिर सिपाहियों से पूछा - "क्या हुआ ?"

सिपाही ने वही जंग लगा असलहा दरोगा के सामने पेश कर दिया - "सर जी मुखबिर से पता चला था ..

इसका गैंग है और हथियार सप्लाई करता है.. इसकी दूकान से ही ये रिवाल्वर मिली है !"

दरोगा सिपाही से - "तुम जाओ, मैं पूछ-ताछ करता हूँ!"

सिपाही के जाते ही दरोगा हमदर्दी से बोले - "ये क्या किया तूने ?"

नाई घिघियाया - "सरकार मुझे बचा लो ... !"

दरोगा गंभीरता से बोला - "देख ये जो सिपाही हैं न .. एक नंबर के बदमाश हैं ... मैंने अगर तुझे छोड़ दिया तो ये मेरी शिकायत ऊपर अफसर से कर देंगे ...

इनकी जेब में कुछ डालनी ही पड़ेगी मैं तुझे अपनी गारंटी पर दो घंटे का समय देता हूँ, जाकर किसी तरह बीस हजार का इंतजाम कर .. पांच - पांच हजार चारों सिपाहियों को दे दूंगा तो वो मान जायेंगे !"

नाई रोता हुआ बोला - "हुजूर मैं गरीब आदमी बीस हजार कहाँ से लाऊंगा ?"

दरोगा डांटते हुए बोला - "तू मेरा अपना है इसलिए इतना सब कर रहा हूँ, तेरी जगह कोई और होता तो तू अब तक जेल पहुँच गया होता ... जल्दी कर वरना! बाद में मैं कोई मदद नहीं कर पाऊंगा !"

नाई रोता - कलपता घर गया ... अम्मा के कुछ चांदी के जेवर थे ... चौक में एक ज्वैलर्स के यहाँ सारे जेवर बेचकर किसी तरह बीस हजार लेकर थाने में पहुंचा और सहमते हुए बीस हजार रुपये दरोगा जी को थमा दिए ! !

दरोजा जी ने रुपयों को संभालते हुए पूछा - "कहाँ से लाया ये रुपया?"

नाई ने ज्वैलर्स के यहाँ जेवर बेचने की बात बतायी, तो दरोगा जी ने सिपाही से कहा - "जीप निकाल और नाई को हथकड़ी लगा के जीप में बैठा ले .. दबिश पे चलना है !"

पुलिस की जीप चौक में उसी ज्वैलर्स के यहाँ रुकी !

दरोगा और दो सिपाही ज्वैलर्स की दूकान के अन्दर पहुंचे

दरोगा ने पहुँचते ही ज्वैलर्स को रुआब में ले लिया - "चोरी का माल खरीदने का धंधा कब से कर रहे हो ?"

ज्वैलर्स सिटपिटाया - "नहीं दरोगा जी, आपको किसी ने गलत जानकारी दी है!"

दरोगा ने डपटते हुए कहा - "चुप.....!! बाहर देख जीप में हथकड़ी लगाए शातिर चोर बैठा है ... कई साल से पुलिस को इसकी तलाश थी ...

इसने तेरे यहाँ जेवर बेचा है कि नहीं ? तू तो जेल जाएगा ही.. साथ ही दूकान का सारा माल भी जब्त होगा !"

ज्वैलर्स ने जैसे ही बाहर पुलिस जीप में हथकड़ी पहले नाई को देखा तो उसके होश उड़ गए,

तुरंत हाथ जोड़ लिए - "दरोगा जी जरा मेरी बात सुन लीजिये !

कोने में ले जाकर मामला कुछ दे लेकर सेटल हुआ !

दरोगा ने माल जेब में डाली और नाई ने जो गहने बेचे थे वो हासिल किये, फिर ज्वैलर्स को वार्निंग दी - "तुम शरीफ आदमी हो और तुम्हारे खिलाफ पहला मामला था, इसलिए छोड़ रहा हूँ... आगे कोई शिकायत न मिले !"

इतना कहकर दरोगा जी और सिपाही जीप पर बैठकर रवाना हो गए !

थाने में दरोगा जी मुस्कुराते हुए पूछ रहे थे - "अब बता गधे, तेरे को समझ में आया कि रस्सी का सांप कैसे बनाते हैं ?? "

नाई सिर नवाते हुए बोला - "हाँ माई-बाप समझ गया !"

दरोगा हँसते हुए बोला - "भूतनी के, ले संभाल अपनी अम्मा के गहने और बीस हजार रुपया और जाते-जाते याद कर ले ... हम सिर्फ़ रस्सी का सांप ही नहीं बल्कि जरूरत पड़ने पर नेवला .. अजगर ... मगरमच्छ... और डायनासोर तक बनाते हैं.. नहीं तो अपराध नियंत्रण कैसे होगा बे......?

ये तो बेशर्मी की इंतहा हो गई... टीम इंडिया ने जीता एशिया कप का खिताब, ट्रॉफी लेकर भागा मोहसिन नकवी

 

ये तो बेशर्मी की इंतहा हो गई... टीम इंडिया ने जीता एशिया कप का खिताब, ट्रॉफी लेकर भागा मोहसिन नकवी

फाइनल से बाद भारतीय टीम ने साफ मना कर दिया था कि वह पाकिस्तानी सरकार के मंत्री मोहसिन नकवी से ट्रॉफी नहीं लेंगे। नकवी एशियन क्रिकेट काउंसिल का अध्यक्ष होने के नाते ट्रॉफी देने की जिद्द पर अड़ा रहा।

जब भारतीय टीम के मेडल और ट्रॉफी लेने की बार आई तो होस्ट साइमन डूल ने कहा- देवियों और सज्जनों, मुझे एशियाई क्रिकेट परिषद ने सूचित किया है कि भारतीय क्रिकेट टीम आज रात अपने पुरस्कार नहीं ले पाएगी। तो मैच के बाद की प्रस्तुति यहीं समाप्त होती है।

ट्रॉफी लेकर भागा नकवी

भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेने का इंकार किया तो मोहसिन नकवी ट्रॉफी लेकर चले गए। बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकिया ने इसकी पुष्टि भी कर दी। उन्होंने एएनआई से बात करते हुए कहा- हम ऐसे व्यक्ति से ट्रॉफी स्वीकार नहीं कर सकते जो ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। इसलिए हमने वह ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह हमारे देश को मिलने वाली ट्रॉफी और मेडल अपने होटल के कमरे में ले जाएंगे।

बँधी मुठ्ठी सवा लाख की...

रेडलाइट एरिया में एक बार अकबर आने वाला है का समाचार सुन एक वेश्या ने हजार रुपए कर्ज लेकर उस पैसे से अपने कमरे को रंग-रोगन कराकर खूब सजा लिया।

 

अकबर आया,कमरे की खूबसूरती से मोहित हो उसी वेश्या के पास रात गुजारी और सुबह उसे मात्र एक चवन्नी देकर चला गया।

वेश्या ने सोचा 1 हजार का कर्जा लेकर तैयारी की और अकबर ने चवन्नी दी ये सोच वेश्या बड़ी दुखी हुई।

लेकिन वेश्या होशियार थी

उसने मुठ्ठी में चवन्नी दबाई और लोगों के बीच बोलने लगी कि,अकबर ने मुझे एक कीमती चीज गिफ्ट की है और मैं उसे नीलाम करना चाहती हूँ। बोली लगाओ....

अकबर का गिफ्ट है' सोच,किसी ने 10 हजार की बोली लगाई। किसी ने 20 हजार

बोली बढ़ते-बढ़ते 50 हजार तक पहुँची लेकिन वेश्या बोली और बढ़ाने को कहा।

अकबर तक खबर जा पहुँची की, वह वेश्या उसकी दी गिफ्ट मुठ्ठी में बंद किए हुए है, किसी को दिखाती नहीं और नीलामी की बोली लगवा रही है।

अकबर तो जानता था कि उसने तो वेश्या को रात गुजारी की चवन्नी दी है और लोगों को पता चलेगा तो बड़ी बेइज्जती होगी।

अकबर उल्टे पाव भागा-भागा वेश्या के पास गया और बड़े प्यार मुहब्बत से वेश्या से बोला : *" मेरी जान, मैं तुझे सवा लाख रुपए देता हूँ मगर मुठ्ठी खोलकर चवन्नी किसी को दिखाना नहीं। "*

बस तभी से ये कहावत बनी कि,

*बँधी मुठ्ठी सवा लाख की....*और इधर वामपंथी और चमचे अकबर को महान बताते है ...जबकि बीरबल भी दिन में 36 बार अकबर का सुतियापा बनाता था 🤣🤣

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