रेडलाइट एरिया में एक बार अकबर आने वाला है का समाचार सुन एक वेश्या ने हजार रुपए कर्ज लेकर उस पैसे से अपने कमरे को रंग-रोगन कराकर खूब सजा लिया।
अकबर आया,कमरे की खूबसूरती से मोहित हो उसी वेश्या के पास रात गुजारी और सुबह उसे मात्र एक चवन्नी देकर चला गया।
वेश्या ने सोचा 1 हजार का कर्जा लेकर तैयारी की और अकबर ने चवन्नी दी ये सोच वेश्या बड़ी दुखी हुई।
लेकिन वेश्या होशियार थी
उसने मुठ्ठी में चवन्नी दबाई और लोगों के बीच बोलने लगी कि,अकबर ने मुझे एक कीमती चीज गिफ्ट की है और मैं उसे नीलाम करना चाहती हूँ। बोली लगाओ....
अकबर का गिफ्ट है' सोच,किसी ने 10 हजार की बोली लगाई। किसी ने 20 हजार
बोली बढ़ते-बढ़ते 50 हजार तक पहुँची लेकिन वेश्या बोली और बढ़ाने को कहा।
अकबर तक खबर जा पहुँची की, वह वेश्या उसकी दी गिफ्ट मुठ्ठी में बंद किए हुए है, किसी को दिखाती नहीं और नीलामी की बोली लगवा रही है।
अकबर तो जानता था कि उसने तो वेश्या को रात गुजारी की चवन्नी दी है और लोगों को पता चलेगा तो बड़ी बेइज्जती होगी।
अकबर उल्टे पाव भागा-भागा वेश्या के पास गया और बड़े प्यार मुहब्बत से वेश्या से बोला : *" मेरी जान, मैं तुझे सवा लाख रुपए देता हूँ मगर मुठ्ठी खोलकर चवन्नी किसी को दिखाना नहीं। "*
बस तभी से ये कहावत बनी कि,
*बँधी मुठ्ठी सवा लाख की....*और इधर वामपंथी और चमचे अकबर को महान बताते है ...जबकि बीरबल भी दिन में 36 बार अकबर का सुतियापा बनाता था 🤣🤣
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