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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

जागो ऐ भारत की बहनों

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया

धन के लोभी कीड़ों ने -२ मानवता से मुख मोड़ लिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


एक पिता अपनी पुत्री का जब भी ब्याह रचाता है

अपनी हस्ती से बढ़ चढ़कर दौलत खूब लुटाता है

सुखी रहेगी मेरी लाडली सपने खूब सजाता है

अपने चमन की कली तोड़कर तेरे हवाले छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


सपने सजाये लाखों दिल में दुल्हन घर में आती है

भूल के अपने मात पिता को पति पे जान लुटाती है

असली चेहरा हुआ उजागर मन में वो घबराती है

अपने जीवन की नैया को भाग्य भरोसे छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


पिया भेष में जब भी कसाई अपनी मांग सुनाता है

जुल्म अनेको लगा ढहाने रोटी को तरसाता है

मांग में लाली भरने वाला उसका खून बहाता है

अपने हाथो उसे उठाकर जलती चिता में छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


जागो ऐ भारत की बहनों जुल्म तुमको सहना है

कसम है तुमको उस राखी की निर्भय होकर रहना है

झाँसी वाली रानी बनकर इनसे लोहा लेना है

कलम उठा कर 'अक्षय' ने इनका भांडा फोड़ दिया

जिस व्यक्ति में काम करने की क्षमता और ईमानदारी होगी, उसके रास्ते में कभी कोई बाधा आ ही नहीं सकती।'

न्यूयॉर्क की एक संकरी गली में हर्बर्ट नाम का एक गरीब बच्चा रहता था।
गरीबी के कारण तेरह वर्ष की उम्र में उसने बर्फ की गाड़ी चलाने का काम
किया। थोड़ा बड़ा होने पर उसे एक प्राइवेट रेलवे कंपनी में रोड़ी लादने
का अस्थायी काम मिला। उसकी मेहनत और लगन को देख उसे पक्की नौकरी पर रख लिया गया और उसे स्लीपरों की देखभाल का काम दिया गया। जहां वह काम करता था, वह एक छोटा स्टेशन था। उसकी सभी लोगों से जान पहचान हो गई।
उसने लोगों से कहा, 'मैं छुट्टी पर भी रहूं अथवा मेरी ड्यूटी न भी हो तब
भी आप लोग मुझे अपनी सहायता के लिए बुला सकते हैं।' इस तरह वह अपने काम के अलावा दूसरे कार्यों में भी मन लगाने लगा। एक बार एक अधिकारी ने कहा, 'हर्बर्ट, तुम इतनी मेहनत क्यों करते हो। तुम्हें फालतू के काम का कोई पैसा नहीं मिलेगा।' हर्बर्ट ने कहा, 'मैं कोई काम पैसे के लिए नहीं, संतोष के लिए करता हूं। इससे मुझे ज्ञान मिलता है।' एक बार उसकी नजर एक विज्ञापन पर पड़ी।
न्यू यॉर्क की विशाल परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए एक परिवहन व्यवस्थापक की जगह खाली थी। उसने भी अप्लाई कर दिया। उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इंटरव्यू लेने वाले अफसर उस समय अवाक रह गए, जब उन्हें आभास हुआ कि हर्बर्ट की जानकारी तो उनसे भी ज्यादा है। एक अधिकारी ने इस संबंध में पूछा तो हर्बर्ट ने कहा, 'सर, मैंने अपनी जिज्ञासा के कारण इतनी सारी जानकारी प्राप्त की है। मैं हमेशा इस बात के लिए उत्सुक रहा कि कितनी जल्दी ज्यादा से ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर लूं। मैंने किसी काम को कभी छोटा नहीं समझा। जिस व्यक्ति में काम करने की क्षमता और ईमानदारी होगी, उसके रास्ते में कभी कोई बाधा आ ही नहीं सकती।'
कुछ समय बाद हर्बर्ट को न्यूयॉर्क के बेहद भीड़भाड़ वाले रास्ते पर सबसे अच्छी यातायात व्यवस्था कायम करने के लिए पुरस्कृत किया गया।

वो बीते हुए दिन ....

वो बीते हुए दिन ....

कुछ बाते भूली हुई ,
कुछ पल बीते हुए ,

हर गलती का एक नया बहाना ,
और फिर सबकी नज़र में आना ,

एक्जाम की पूरी रात जागना ,
फिर भी सवाल देखके सर खुजाना ,

मौका मिले तो क्लास बंक मरना ,
फिर दोस्तों के साथ कैंटीन जाना

उसकी एक झलक देखने रोज कॉलेज जाना ,
उसको देखते देखते attendance भूल जाना ,

हर पल है नया सपना ,
आज जो टूटे फिर भी है अपना ,

ये कॉलेज के दिन ,
इन लम्हों में जिंदगी जी भर के जीना ,

याद करके इन पलों को ,
फिर जिंदगी भर मुस्कुराना

Mahobbat ही मेरी मंजिल है


Mahobbat मकसद है मेरी ज़िन्दगी का
Mahobbat मुक़द्दर है हर किसी का
Mahobbat पाकीजाई का नाम है
Mahobbat हर ख़ुशी का पैगाम है
Mahobbat है तो रहमत है
Mahobbat है तो चाहत है
Mahobbat प्यार इश्क -ओ -लगन है
Mahobbat मैं हर शख्स मगन है
Mahobbat मैं ज़िन्दगी खो जाती है
Mahobbat हार है महोब्बत जीत है
Mahobbat ही दिल का सच्चा मीत है
Mahobbat फूलो को हुई काँटों से
Mahobbat पलकों को हुई आँखों से
Mahobbat चाँद को हुई चांदनी से
Mahobbat रूह को हुई रागनी से
Mahobbat सुबह की पहली किरण है
Mahobbat दो दिलों का मिलन है
Mahobbat ही मेरी मंजिल है
Mahobbat ही मेरा दिल है ...!!!
Mahobbat ही मज़बूरी है ..
Mahobbat ही कमजोरी है ...!!!

मगर प्यार का रंग ना बदला

प्यार का रंग ना बदला
बदल गया है सब कुछ भैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

बदली बदली हवा लग रही
बदले बदले लोग बाग़ हैं
बदले बदले समीकरण हैं
बदल गयी है नैतिकता भी
बदले लक्ष्य बदल गए साधन
देखे सभी बदलते हमने
मगर प्यार का रंग ना बदला

फैशन बदले कपड़े बदले
उपर से थोडा नीचे है
नीचे से थोडा ऊंचे है
नीचे ऊपर ऊपर नीचे
इनको देख हुआ जाता है
मेरा मन भी तथा थैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

मंजर बदले आँखे बदली
यात्री बदले मंजिल बदली
आँखों के सब सपने बदले
बदला मौसम आँगन बदले
ओठों के सब गाने बदले
मांझी बदले बदली नैया
मगर प्यार का रंग ना बदला

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