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सोमवार, 21 जनवरी 2013

हिन्दी होम्योपैथी : गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त दवाइया

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त दवाइया

गर्मी के मौसम में काम आने वाली दवाइया और कुछ विशेष परिस्थिति में प्रयुक्त होने वाली कुछ दवाइयों पर एक नजर.

हमारे पास एक बन्दा आया. गर्मी से बेहद परेशान. उसने कहा इतनी गर्मी की मानो उसे शरीर में चमड़ी पर सुई चुभ रही है. उसे एपीस मेल ३० की चंद खुराक खाने को दी गयी. पहली खुराक खाने के बाद ही उसने कहा क्या आश्चर्य है. सुई चुभना तो बंद हो गया.

एक सज्जन जो बोलते वक़्त हकलाते थे, उन्हें स्त्रमोनियम २०० सुबह शाम ३ दिन लेने से आराम हो गया.

एक सज्जन पेट फुला हुआ सा रहता है ऐसी शिकायत लेकर आये. उन्हें लाय्कोपोदियम २००, सल्फर २०० और कल्केरिया कार्ब २०० एक के बाद एक लेने से आराम मिला.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें पेट में छाती के निचे ऐसा दर्द होता है जैसे कोई उन्हें मार रहा हो. उन्हें अर्निका २०० की कुछ खुराक से लाभ हुआ.

एक सज्जन को खेल कूद से अंडकोष में दर्द शुरू हुआ, उन्हें अर्निका २०० से लाभ हुआ.

एक सज्जन को चेहरे के सिर्फ दाई ओर  दर्द हो रहा था. उन्होंने कहा पूरा चेहरा सिर्फ दाहिनी ओर दर्द करता है. उन्हें लाय्कोपोदियम ३० की चंद खुराको से लाभ हुआ.

एक सज्जन को नक्स वोमिका की असफलता के बाद लाय्कोपोदियम ३० ने कब्ज में जबरदस्त आराम पहुचाया.

एक सज्जन ने कहा की उन्हें रात को नींद नहीं आती. जो सारी बाते उन्हें दिनभर सिखाई जती है वही उनके दिमाग में रात भर चलती है. उन्हें फास्फोरस २०० की कुछ खुराको ने लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जो दोपहर में होने वाली आम्ल पित्त की शिकायत लेकर उपस्थित हुए उन्हें लाय्कोपोदियम २०० ने जबरदस्त लाभ पहुचाया.

एक सज्जन जिन्हें गर्मी और पसीने के कारण अंडकोष पर छोटे छोटे फोड़ों के साथ जबरदस्त खुजली हुई सल्फर २०० की चंद खुराको से पीड़ा से संपूर्ण रूप से मुक्त हो गए.

एक सज्जन को परेड में दूर तक चलने से पसीने के कारण काख में और पीठ पर दर्द करने वाले लाल निशान बने. सल्फर ३० की कुछ खुराको से उन्हें दर्द से छुटकारा मिल गया.

एक सज्जन खुजली की पुरानी शिकायत लेकर आये थे. उन्हें सल्फर २०० से आराम मिला. लेकिन खुजली पलटकर आई. उन्हें सुबह आर्सेनिक एल्ब २०० और शाम को सल्फर २०० लेते रहने से राहत मिली.

एक सज्जन को हाथो के तलवो में बहुत पसीना छुटता था. उन्हें कमर दर्द की पुरानी शिकायत थी. क्याल्केरिया कार्ब २०० ने उन्हें तलवों के पसीने में राहत पहुचाई. रहस टॉक्स २०० ने उनके कमर का दर्द ८०% कम कर दिया.

एक सज्जन को पैर के अंगूठे में दर्द था. उन्हें ग्रेफैट २०० से राहत मिली. जब उन्हें गर्मी के कारण खुजली छूटी तो सल्फर २०० ने आराम पहुचाया.

गर्मी से जब आदमी बेहद पानी पिता है, उसका गला सूखता है, मल सुखा आता है और बदन में बुखार जैसा दर्द होता है तो ब्रायोनिया २०० या ३० कारगर साबित होती है. यहाँ नेट्रम मुर के साथ उसकी तुलना करे. ब्रायोनिया यह गुस्सा करने वाला हट्टा कट्टा व्यक्ति है यह एक बात ध्यान रखे.

सफ़र के बाद या खाने में फेर फार से पेट में गडबड़ी होती है तो नक्स वोमिका एक कारगर दवा है.

एक बन्दे को गर्मी के कारण चक्कर आने लगे. ग्लोनोइन ३० ने तुरंत राहत पहुचाई.

एक वयस्क सज्जन गर्मी से व्याकुल हो गए. ग्लोनोइन ३० ने लाभ पहुचाया.

एक तम्बाखू छोड़ने वाले सज्जन को दात में दर्द शुरू हुआ. भोजन करते वक़्त भरी कष्ट होता. स्ताफिसगरिया २०० और हेक्ला लावा ६ ने लाभ पहुचाया.

सुबह के वक़्त आने वाले चक्कर में नक्स वोमिका मदद करता है.

कैंसर से जादा खतरनाक कैंसर का treatment है ।


अधिक जानकारी के लिये निचे दिए गये लिंक पे जाके विडियो देखे :
http://www.youtube.com/watch?v=PiRLcKNNKno

कैंसर बहुत तेज़ी से बड़ रहा है इस देश में । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर रहे है और हर साल नए Cases आ रहे है । और सभी डॉक्टर्स हात-पैर डाल चुके है ।

राजीव भाई की एक छोटी सी विनती है याद रखना के … " कैंसर के patient को कैंसर से death नही होती है, जो treatment दिया जाता है उससे death होती है " । माने कैंसर से जादा खतरनाक कैंसर का treatment है । Treatment कैसा है आप सभी जानते है .. Chemotherapy दे दिया, Radiotherapy दे दिया, Cobalt-therapy दे दिया ।
इसमें क्या होता है के शारीर का जो प्रतिरक्षक शक्ति है Resistance वो बिलकुल ख़तम हो जाते है । जब Chemotherapy दिए जाते है ये बोल कर के हम कैंसर के सेल को मारना चाहते है तो अछे सेल भी उसी के साथ मर जाते है । राजीव भाई के पास कोई भी रोगी जो आया Chemotherapy लेने के बाद वे उनको बचा नही पाए । लेकिन इसका उल्टा भी रिकॉर्ड है .. राजीव भाई के पास बिना Chemotherapy लिए हुए कोई भी रोगी आया Second & third Stage तक वो एक भी नही मर पाया अभी तक ।

मतलब क्या है Treatment लेने के बाद जो खर्च आपने कर दिया वो तो गया ही और रोगी भी आपके हात से गया । डॉक्टर आपको भूल भुलैया में रखता है अभी 6 महीने में ठीक हो जायेगा 8 महीने में ठीक हो जायेगा लेकिन अंत में वो जाता ही है , कभी हुआ नही है के Chemotherapy लेने के बाद कोई बच पाया हो । आपके घर परिवार में अगर किसीको कैंसर हो जाये तो जादा खर्चा मत करिए कियों की जो खर्च आप करेंगे उससे मरीज का तो भला नही होगा उसको इतना कष्ट होता है की आप कल्पना नही कर सकते ।

उसको जो injections दिए जाते है, जो Tablets खिलाई जाती है, उसको जो Chemotherapy दी जाती है उससे सारे बाल उड़ जाते है, भ्रू के बाल उड़ जाते है, चेहरा इतना डरावना लगता है के पहचान में नही आता ये अपना ही आदमी है। इतना कष्ट कियों दे रहे हो उसको ? सिर्फ इसलिए के आपको एक अहंकार है के आपके पास बहुत पैसा है तो Treatment कराके ही मानुगा ! होता ही नही है वो, और आप अपनी आस पड़ोस की बाते जादा मत सुनिए क्योंकि आजकल हमारे Relatives बहुत Emotionally Exploit करते है । घर में किसीको गंभीर बीमारी हो गयी तो जो रिश्तेदार है वो पहले आके कहते है ' अरे All India नही ले जा रहे हो? PGI नही ले जा रहे हो ? Tata Institute बम्बई नही ले जा रहे हो ? आप कहोगे नही ले जा रहा हूँ मेरे घर में ही चिकित्सा .... अरे तुम बड़े कंजूस आदमी हो बाप के लिए इतना भी नही कर सकते माँ के लिए इतना नही कर सकते " । ये बहुत खतरनाक लोग होते है !! हो सकता है कई बार वो Innocently कहते हो, उनका intention ख़राब नही होता हो लेकिन उनको Knowledge कुछ भी नही है, बिना Knowledge के वो suggestions पे suggestions देते जाते है और कई बार अच्छा खासा पड़ा लिखा आदमी फंसता है उसी में .. रोगी को भी गवाता है पैसा भी जाता है ।


कैंसर के लिए क्या करे ? हमारे घर में कैंसर के लिए एक बहुत अछि दावा है ..अब डॉक्टर ने मान लिया है पहले तो वे मानते भी नही थे; एक ही दुनिया में दावा है Anti-Cancerous उसका नाम है " हल्दी " । हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखता है । हल्दी में एक केमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन (Carcumin) और ये ही कैंसर cells को मार सकता है बाकि कोई केमिकल बना नही दुनिया में और ये भी आदमी ने नही भगवान ने बनाया है । हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीस में है वो है देशी गाय के मूत्र में । गोमूत्र माने देशी गाय के शारीर से निकला हुआ सीधा सीधा मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो । तो देशी गाय का मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का इलाज आसानी से कर पायेंगे । अब देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना । Room Temperature में आने के बाद रोगी को चाय की तरहा पिलाना है .. चुस्किया ले ले के सिप कर कर । एक और आयुर्वेदिक दावा है पुनर्नवा जिसको अगर आधा चम्मच इसमें मिलायेंगे तो और अच्छा result आयेगा । ये Complementary है जो आयुर्वेद के दुकान में पाउडर या छोटे छोटे पीसेस में मिलती है ।


इस दावा में सिर्फ देशी गाय का मूत्र ही काम में आता है जेर्सी का मूत्र कुछ काम नही आता । और जो देशी गाय काले रंग का हो उसका मूत्र सबसे अच्छा परिणाम देता है इन सब में । इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा ) सही अनुपात में मिलाके उबालके ठंडा करके कांच की पात्र में स्टोर करके रखिये पर बोतल को कभी फ्रिज में मत रखिये, धुप में मत रखिये । ये दावा कैंसर के सेकंड स्टेज में और कभी कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अछे परिणाम देते है । जब स्टेज थर्ड क्रोस करके फोर्थ में पोहुंच गया तब रिजल्ट में प्रॉब्लम आती है । और अगर अपने किसी रोगी को Chemotherapy बैगेरा दे दिया तो फिर इसका कोई असर नही आता ! कितना भी पिलादो कोई रिजल्ट नही आता, रोगी मरता ही है । आप अगर किसी रोगी को ये दावा दे रहे है तो उसे पूछ लीजिये जान लीजिये कहीं Chemotherapy सुरु तो नही हो गयी ? अगर सुरु हो गयी है तो आप उसमे हात मत डालिए, जैसा डॉक्टर करता है करने दीजिये, आप भगवान से प्रार्थना कीजिये उसके लिए .. इतना ही करे । और अगर Chemotherapy स्टार्ट नही हुई है और उसने कोई अलोप्यथी treatment सुरु नही किया तो आप देखेंगे इसके Miraculous रिजल्ट आते है । ये सारी दवाई काम करती है बॉडी के resistance पर, हमारी जो vitality है उसको improve करता है, हल्दी को छोड़ कर गोमूत्र और पुनर्नवा शारीर के vitality को improve करती है और vitality improve होने के बाद कैंसर cells को control करते है ।


तो कैंसर के लिए आप अपने जीवन में इस तरह से काम कर सकते है; इसके इलावा भी बहुत सारी मेडिसिन्स है जो थोड़ी complicated है वो कोई बहुत अच्छा डॉक्टर या वैद्य उसको हंडल करे तभी होगा आपसे अपने घर में नही होगा । इसमें एक सावधानी रखनी है के गाय के मूत्र लेते समय वो गर्वबती नही होनी चाहिए। गाय की जो बछड़ी है जो माँ नही बनी है उसका मूत्र आप कभी भी use कर सकते है।
ये तो बात हुई कैंसर के चिकित्सा की, पर जिन्दगी में कैंसर हो ही न ये और भी अच्छा है जानना । तो जिन्दगी में आपको कभी कैंसर न हो उसके लिए एक चीज याद रखिये के, हमेसा जो खाना खाए उसमे डालडा तो नही है ? उसमे refined oil तो नही है ? ये देख लीजिये, दूसरा जो भी खाना खा रहे है उसमे रसेदार हिस्सा जादा होना चाहिए जैसे छिल्केवाली डाले, छिल्केवाली सब्जिया खा रहे है , चावल भी छिल्केवाली खा रहे है तो बिलकुल निश्चिन्त रहिये कैंसर होने का कोई चान्स नही है ।
और कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से दो तिन कारन है, एक तो कारन है तम्बाकू, दूसरा है बीड़ी और सिगरेट और गुटका ये चार चीजो को तो कभी भी हात मत लगाइए क्योंकि कैंसर के maximum cases इन्ही के कारन है पुरे देश में ।


कैंसर के बारे में सारी दुनिया एक ही बात कहती है चाहे वो डॉक्टर हो, experts हो, Scientist हो के इससे बचाओ ही इसका उपाय है ।
महिलाओं को आजकल बहुत कैंसर है uterus में गर्वशय में, स्तनों में और ये काफी तेजी से बड़ रहा है .. Tumour होता है फिर कैंसर में convert हो जाता है । तो माताओं को बहनों को क्या करना चाहिए जिससे जिन्दगी में कभी Tumour न आये ? आपके लिए सबसे अच्छा prevention है की जैसे ही आपको आपके शारीर के किसी भी हिस्से में unwanted growth (रसोली, गांठ) का पता चले तो जल्द ही आप सावधान हो जाइये । हलाकि सभी गांठ और सभी रसोली कैंसर नही होती है 2-3% ही कैंसर में convert होती है लेकिन आपको सावधान होना तो पड़ेगा । माताओं को अगर कहीं भी गांठ या रसोली हो गयी जो non-cancerous है तो जल्दी से जल्दी इसे गलाना और घोल देने का दुनिया में सबसे अछि दावा है " चुना " । चुन वोही जो पान में खाया जाता है, जो पोताई में इस्तेमाल होता है ; पानवाले की दुकान से चुना ले आइये उस चुने को कनक के दाने के बराबर रोज खाइये; इसको खाने का तरीका है पानी में घोल के पानी पी लीजिये, दही में घोल के दही पी लीजिये, लस्सी में घोल के लस्सी पी लीजिये, डाल में मिलाके दाल खा लीजिये, सब्जी में डाल के सब्जी खा लीजिये । पर ध्यान रहे पथरी के रोगी के लिए चुना बर्जित है ।
आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।
वन्देमातरम ।।

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