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रविवार, 2 सितंबर 2012

थाईलैंड में भी है एक अयोध्या


थाईलैंड में भी है एक अयोध्या 


थाईलैंड में सदियों पुराना भारतीय प्रभाव है। एक अजीब विशेषता है। धर्म तो बौद्ध स्वीकार किया परन्तु संस्कृति हिन्दू अपनाई है। प्रत्येक राजा को ‘राम’ कहा जाता है। आधुनिक राजा ‘राम-8’ कहा जाता है। लगभग 450 वर्ष पूर्व इस वंश का प्रथम राजा ‘राम-1’ के नाम से विख्यात हुआ। सन् 1448 तक त्रैलोक नाम के राजा ने राज किया। उसने प्रशासन में उल्लेखनीय सुधार किए।

चौदहवीं सदी में थाईलै
ंड में अयोध्या की स्थापना हुई थी। वहीं थाईलैंड की राजधानी रही। इस वंश के 36 राजाओं ने 416 वर्षों तक राज किया। आधुनिक राजा के आठवें पूर्व वंशज ने राम नाम जोडऩा शुरू किया जो आज तक चल रहा है। अयोध्या को देवताओं की भूमि कहा जाता है। अद्वितीय इन्द्र देवता की नगरी। इन्द्र ने यह नगर स्थापित किया और विष्णुकरन ने इसका निर्माण किया था। इस राज्य की स्थापना राजा यूथोंग ने चायो फराया नदी के पास की थी। इसे स्याम नाम से भी जाना जाता था।

1782 में बर्मा के आक्रमण के बाद थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में बनाई गई। अयोध्या आज भी इस देश की पुरानी सांस्कृतिक धरोहर की गवाह है। राजा मागेंकुट राजा बनने से पूर्व 27 वर्ष तक बौद्ध भिक्षु रहा। उसने पाली व संस्कृति का पूरा ज्ञान प्राप्त किया। राजा बनने पर उसे राम-4 कहा गया। यहां की भाषा का मूल संस्कृत है।

लोकतंत्र में भी राजशाही का इतना सम्मान यहां की विशेषता है। राजा को आज भी दैवीय शक्ति सम्पन्न माना जाता है। चार सदियों तक रहे यहां की अयोध्या के राजा तो स्वयं को विष्णु का अवतार मानते थे। वर्तमान राजा भूमिवोन अदुलमादेज पिछले 62 वर्षों से राज ङ्क्षसहासन पर हैं। यह विश्व में किसी भी राजा के लिए सर्वाधिक अवधि है। राजमहल में प्रतिदिन की पूजा विशेष भारतीय ब्राह्मण रीति से होती है। भारतीय वंश के ब्राह्मण पुजारी भारतीय वेश में पूजा करवाते हैं। यह पूजा थाई राष्ट्रवाद के लिए की जाती है जिसके तीन स्तम्भ माने गए हैं-थाई सार्वभौमिकता, धर्म और राजशाही। मैं सोच रहा हूँ अगर भारत में यदि भारत के राष्ट्रपति भवन में इस प्रकार की पूजा होने लगे तो भारतीय सैकुलरवादी कितना हो-हल्ला मचाएंगे, उल्टी दस्त हो जायेंगे इन्हें ।

यहां के टी.वी. चैनल का नाम ‘राम चैनल’, और हवाई पत्तन का नाम ‘स्वर्णभूमि हवाई पत्तन’ है। कई सड़कों का नाम ‘राम’ पर है। सैंकड़ों साल पहले जब जहाज, सड़कें नहीं थीं, तब ‘राम’ का नाम ऐसा यहां आया कि आज भी सड़क से लेकर राजा तक राम छाए हुए हैं और भारत में राम के जन्मस्थान पर राम का मंदिर नहीं बन पा रहा।

विज्ञान ने भी हमारे आदिपुरुष श्रीराम के भारत में जन्म लेने की पुष्टि कर दी है.

एक अच्छी खबर यह आई है की विज्ञान ने भी हमारे आदिपुरुष श्रीराम के भारत में जन्म लेने की पुष्टि कर दी है. ज्ञातव्य है की श्रीराम का जन्म भारत में उस काल में हुआ था जहाँ तक हमारी इतिहास की पहुँच अभी तक नही हो पाई है और महज अनुमान के आधार पर ही कड़ियाँ जोडती रही है, परन्तु भारतीय अनुसंधानकर्ताओं ने बाल्मीकि रामायण में दिए गए सामग्री को आधार मानकर पिछले १० वर्षों से वैज्ञानिक पद्धति से उनकी प्रमाणिकता जाँच कर रही थी और उन्होंने बाल्मीकि रामायण में दिए गए तारीख, ग्रह-नक्षत्र, की स्थिति, भौगोलिक परिवेश एवं पारिस्थितिकी, प्लेनेटोरियम तकनीक एवं सॉफ्टवेयर, समुद्र विज्ञान आदि के माध्यम से गहन अध्यन के पश्चात निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्ष को प्रस्थापित किया है.
१. आदिपुरुष श्रीराम का जन्म ९-१० जनवरी, ५११४ इस्वी पूर्व में हुआ था जो की बाल्मीकि रामायण में दिए गए तारीख चैत्र शुक्ल ९वीं की तारीख ठहरती है.
२. अक्षांस और देशान्तरों की गणना से श्रीराम की जन्म भूमि अयोध्या निर्धारित हुई है.
३. श्रीराम सपत्नीक एवं लक्ष्मण सहित २५वे वर्ष वनगमन किये थे अर्थात ५१३९ ईस्वी पूर्व
४. वनवास के तेरहवें वर्ष अर्थात ५१५२ ईस्वी पूर्व खरदूषण का वध किया था. बाल्मीकि रामायण के अनुसार उस दिन सूर्यग्रहण था जो की प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर से भी सिद्ध हुआ है.
५. National Institute of Oceanology के अनुसार रामसेतु ७१०० ईस्वी पूर्व भारत श्रीलंका के बिच समुद्र से उभरा हुआ था और आज की अपेक्षा समुद्र की स्थिति ९ फीट निचे थी. रामयुग तक यह अतिदुर्गम मार्ग था जिस पर लंका पर चढ़ाई करते समय राम की सेना ने पार करने योग्य पूल बांध लिया था.
६. दण्डकारण्य वन (जगदलपुर के निकट) में श्रीराम के ठहरने के पर्याप्त सबूत सहित अयोध्या से लंका तक २२५ स्थान खोज निकाले है जो बाल्मीकि रामायण की सत्यता को प्रमाणित करते है.
(साभार जी न्यूज)
जाहिर है यह तथ्य कैथोलिक इटालियन गैंग के नेतृत्व वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है जो देशी और विदेशी ईसाई मिशनरियों के दवाब में श्रीराम के अस्तित्व को न केवल नकारती रही है बल्कि पाठ्य पुस्तकों में भी रामायण और महाभारत को काल्पनिक कथाओं के रूप में पढने को बाध्य कर रखी है.

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हर हिन्दू के घर घर मैं और हिन्दू के दिल मैं गर्व होना चाहिए
अब हर बच्चे बच्चे को जय श्री राम ही बोलना चाहिए

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