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रविवार, 16 सितंबर 2012

आधुनिक भारत में हिन्दू समाज का सबसे बड़ा दुश्मन---

आधुनिक भारत में हिन्दू समाज का सबसे बड़ा दुश्मन---

एक बार एक वाल्मीकि बस्ती में मंदिर में गाँधी जी कुरान का पाठ करा रहे थे. तभी भीड़ में से एक औरत ने उठकर गाँधी से ऐसा करने को मना किया.
गाँधी ने पूछा .. क्यों?
तब उस औरत ने कहा कि ये हमारे धर्म के विरुद्ध है.
गाँधी ने कहा.... मै तो ऐसा नहीं मानता ,तो उस औरत ने जवाब दिया कि हम आपको धर्म में व्यवस्था देने योग्य नहीं मानते.
गाँधी ने कहा कि इसमें यहाँ उपस्थित लोगों का मत ले लिया जाय. औरत ने जवाब दिया कि क्या धर्म के विषय में वोटो से निर्णय लिया जा सकता है?? गाँधी बोला कि आप मेरे धर्म में बांधा डाल रही हैं. औरत ने जवाब दिया कि आप तो करोडो हिन्दुओ के धर्म में नाजायज दखल दे रहे हैं.
गाँधी बोला ..मै तो कुरान सुनुगा .
औरत बोली ...मै इसका विरोध करुँगी.
और तभी औरत के पक्ष में सैकड़ो वाल्मीकि नवयुवक खड़े हो गए.और कहने लगे कि मंदिर में कुरान पढवाने से पहले किसी मस्जिद में गीता और रामायण का पाठ करके दिखाओ तो जाने.
विरोध बढ़ते देखकर गाँधी ने पुलिस को बुला लिया. पुलिस आई और विरोध करने वालों को पकड़ कर ले गयी .और उनके विरुद्ध दफा १०७ का मुकदमा दर्ज करा दिया गया .
और इसके पश्चात गाँधी ने पुलिस सुरक्षा में उस मंदिर में कुरान पढ़ी.
`(पुस्तक विश्वासघात ........ लेखक -- गुरुदत्त )

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ये कोई नहीं रोक सकता है और ये सब होते रहेंगे और ऐसे ही चौराहे पे गला फाड़-फाड़ के चिल्लाते रहना गुस्सा आए तो कोई किसी को थप्पड़ मार लेना इससे भी उनका कुछ नहीं होगा l क्यों जनता खुद कहते हो कि इनसे अकेले नहीं लड़ सकते और खुद ही किसी एक पार्टी कि शरण में बैठ जाते हो तो कैसे रुकेगा l तब से आज तक बांटते हि तो आये हैं ये आपको समाजवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद और पार्टीवाद l उसके बाद और लूटपाट और खून बहेगा खूनखराबे से लहू लुहान कर देंगे ये नेता मिलकर इस देश को l बड़ा मजा आता है न किसी भी एक नेता के गुण गाने में उनके तलवे चाटने में चाटो l ये देश सबका है खुलकर रहने के लिए आजादी कि लडाई लड़ी गई थी न की घुट कर मरने के लिए l जिस मायाजाल में आपको फंसाया जा रहा है एक दिन ये पूरा देश लूटके सारे नेता मौज करेंगे और आप तो बने ही हो लड़ने के लिए लड़ते रहो l कटते रहोगे किसी हंगामें में , वो ब्लास्ट में मारेंगे, वो होटलों में घुसके आपको मारेंगे, कोई मोल नहीं होगा तुम्हारे किलकारियों का, कोई फर्क नहीं पड़ेगा तुम्हारे मरने से इन नेताओं को अगर किसी को फर्क पड़ेगा तो एक आम इंसानों को इन पैसों के भूखों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा lऔर जनता को समझाना भी तो कठिन है एकता बनाके रखो एकता का विकराल रूप दिखा दो सब मिलकर लड़ो लेकिन उसे अपनी धुन में ही जाना है गन्दगी में ही नहाना है l घोटालों के लिस्ट बनाते रहो और इन नेताओं के तलवे चाटते रहो अगर सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन ही चाहते हो तो उठो जागो और चलो एक कतार में बोलो एक आवाज में ..................
भारत माता कि जय
संतोष यादव

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